अन्य भेड़ें और नई वाचा
“वे परदेशी . . . जो सब्त को अपवित्र करने से बचे रहते हैं और मेरी वाचा का दृढ़ता से पालन करते हैं, उनको मैं अपने पवित्र पर्वत पर ले आऊंगा।”—यशायाह ५६:६, ७, NHT.
१. (क) यूहन्ना के दर्शन के मुताबिक़, जब यहोवा के न्यायदंड की हवाओं को रोका जाता है तब उससे क्या निष्पन्न होता है? (ख) यूहन्ना ने कौन-सी शानदार बड़ी भीड़ देखी?
प्रकाशितवाक्य की पुस्तक के चौथे दर्शन में, प्रेरित यूहन्ना ने यहोवा के न्यायदंड की विनाशकारी हवाओं को रोके जाते हुए देखा जबकि “परमेश्वर के इस्राएल” के सभी सदस्यों पर मुहर लगाना ख़त्म हो रहा था। इब्राहीम के वंश के मुख्य भाग, यीशु के ज़रिए आशीष पानेवाले ये पहले लोग हैं। (गलतियों ६:१६; उत्पत्ति २२:१८; प्रकाशितवाक्य ७:१-४) उसी दर्शन में यूहन्ना ने “हर एक जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़ [देखी], जिसे कोई गिन नहीं सकता था . . . बड़े शब्द से पुकारकर कहती है, कि उद्धार के लिये हमारे परमेश्वर का जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने का जय-जय-कार हो।” (प्रकाशितवाक्य ७:९, १०) “उद्धार के लिये . . . मेम्ने का जय-जय-कार हो,” यह कहकर बड़ी भीड़ दिखाती है कि इब्राहीम के वंश के ज़रिए उन्हें भी आशीष मिली है।
२. बड़ी भीड़ कब प्रकट हुई, और उसे कैसे पहचाना जाता है?
२ इस बड़ी भीड़ को १९३५ में पहचान लिया गया था और आज इसकी गिनती पचास लाख से ऊपर है। उसके सदस्य महा क्लेश से बचने के लिए चिन्हित किए गए हैं, और वे अनंत जीवन के लिए अलग किए जाएँगे जब यीशु “भेड़ों को बकरियों” से अलग-अलग करेगा। यीशु के भेड़शाला के दृष्टांत में बड़ी भीड़ के मसीही ‘अन्य भेड़ों’ में हैं। वे परादीस पृथ्वी पर हमेशा-हमेशा के लिए जीने की उम्मीद रखते हैं।—मत्ती २५:३१-४६; यूहन्ना १०:१६, NW; प्रकाशितवाक्य २१:३, ४.
३. अभिषिक्त मसीही और अन्य भेड़ें नई वाचा के सिलसिले में अलग कैसे हैं?
३ इन १,४४,००० लोगों को इब्राहीमी वाचा की आशीष नई वाचा के ज़रिए मिलती है। इस वाचा के सहभागियों के तौर पर, वे “[अपात्र] अनुग्रह के आधीन” और “मसीह की व्यवस्था के आधीन” आते हैं। (रोमियों ६:१५; १ कुरिन्थियों ९:२१) इसलिए, परमेश्वर के इस्राएल के सिर्फ़ १,४४,००० सदस्यों ने ही यीशु की मौत के स्मारक के प्रतीकों में ठीक तरह से हिस्सा लिया है, और यीशु ने राज्य के लिए अपनी वाचा सिर्फ़ उनसे बाँधी थी। (लूका २२:१९, २०, २९) बड़ी भीड़ के सदस्य नई वाचा के सहभागी नहीं हैं। बहरहाल, वे परमेश्वर के इस्राएल के साथ मेलजोल रखते हैं और उनके साथ उनके “देश” में रहते हैं। (यशायाह ६६:८) सो यह कहना तर्कसंगत है कि वे भी यहोवा के अपात्र अनुग्रह के अधीन और मसीह की व्यवस्था के अधीन आते हैं। जबकि वे नई वाचा के सहभागी नहीं हैं, वे उससे लाभ प्राप्त करनेवाले लोग हैं।
“परदेशी” और ‘परमेश्वर का इस्राएल’
४, ५. (क) यशायाह के अनुसार, कौन-सा समूह यहोवा की सेवा करता? (ख) यशायाह ५६:६, ७ बड़ी भीड़ पर कैसे पूरा होता है?
४ भविष्यवक्ता यशायाह ने लिखा: “वे परदेशी . . . जो यहोवा के भक्त इस अभिप्राय से बन जाते हैं कि उसकी सेवा करें और यहोवा के नाम से प्रीति रखें और उसके दास हो जाएं, अर्थात् वे सब जो सब्त को अपवित्र करने से बचे रहते हैं और मेरी वाचा का दृढ़ता से पालन करते हैं, उनको मैं अपने पवित्र पर्वत पर ले आऊंगा और अपने प्रार्थना के भवन में आनन्दित करूंगा। उनके होमबलि और मेलबलि मेरी वेदी पर ग्रहण किए जाएंगे।” (यशायाह ५६:६, ७, NHT) इस्राएल में, इसका मतलब था कि “परदेशी,” यानी ग़ैर-इस्राएली यहोवा की उपासना करते—उसके नाम से प्रीति रखते, व्यवस्था वाचा की शर्तों का पालन करते, सब्त मनाते, और मंदिर अर्थात् परमेश्वर के ‘प्रार्थना के घर’ में बलियाँ चढ़ाते।—मत्ती २१:१३.
५ हमारे दिनों में “वे परदेशी . . . जो यहोवा के भक्त” बन गए हैं, बड़ी भीड़ हैं। ये परमेश्वर के इस्राएल के साथ मिल-जुलकर यहोवा की सेवा करते हैं। (जकर्याह ८:२३) वे परमेश्वर के इस्राएल की तरह वही स्वीकार्य बलिदान चढ़ाते हैं। (इब्रानियों १३:१५, १६) वे परमेश्वर के आत्मिक मंदिर, यानी उसके ‘प्रार्थना के घर’ में उपासना करते हैं। (प्रकाशितवाक्य ७:१५ से तुलना कीजिए।) क्या वे साप्ताहिक सब्त मनाते हैं? न तो अभिषिक्त जनों को और न ही अन्य भेड़ों को ऐसा करने की आज्ञा दी गयी है। (कुलुस्सियों २:१६, १७) लेकिन, पौलुस ने अभिषिक्त इब्रानी मसीहियों से कहा: “परमेश्वर के लोगों के लिये सब्त का विश्राम बाकी है। क्योंकि जिस ने उसके विश्राम में प्रवेश किया है, उस ने भी परमेश्वर की नाईं अपने कामों को पूरा करके विश्राम किया है।” (इब्रानियों ४:९, १०) इन इब्रानियों ने इस ‘सब्त के विश्राम’ में प्रवेश किया जब उन्होंने खुद को “परमेश्वर की धार्मिकता” के अधीन कर दिया और व्यवस्था के कामों द्वारा खुद को न्यायसंगत साबित करने की कोशिशों से विश्राम किया। (रोमियों १०:३, ४) अभिषिक्त अन्यजातीय मसीही भी खुद को यहोवा की धार्मिकता के अधीन करने के द्वारा उसी विश्राम का आनंद लेते हैं। बड़ी भीड़ उस विश्राम में उनके साथ हो लेती है।
६. आज अन्य भेड़ें किस तरह नई वाचा के अधीन होती हैं?
६ इसके अलावा, अन्य भेड़ें खुद को नई वाचा के अधीन करती हैं, ठीक जैसे पुराने ज़माने के परदेशियों ने खुद को व्यवस्था वाचा के अधीन किया। किस तरह? उसके सहभागी होने के द्वारा नहीं, बल्कि खुद को उससे संबंधित नियमों के अधीन करने के द्वारा और उसके प्रबंधों से फ़ायदा उठाने के द्वारा। (यिर्मयाह ३१:३३, ३४ से तुलना कीजिए।) उनके अभिषिक्त साथियों की तरह, अन्य भेड़ों के भी “हृदय में” यहोवा के नियम लिखे हुए हैं। वे यहोवा की आज्ञाओं और सिद्धांतों से बेहद प्यार करते हैं और उनका पालन करते हैं। (भजन ३७:३१; ११९:९७) अभिषिक्त मसीहियों की तरह, वे यहोवा को जानते हैं। (यूहन्ना १७:३) खतना के बारे में क्या? नई वाचा बाँधने के क़रीब १,५०० साल पहले, मूसा ने इस्राएलियों से आग्रह किया: “अपने अपने हृदय का खतना करो।” (व्यवस्थाविवरण १०:१६; यिर्मयाह ४:४) जबकि शारीरिक खतना ज़रूरी था, वह व्यवस्था के साथ मिट गया, फिर भी अभिषिक्त जनों और अन्य भेड़ों को अपने हृदयों का “खतना” करना ज़रूरी है। (कुलुस्सियों २:११) आख़िरकार, यहोवा अन्य भेड़ों की ग़लतियों को यीशु द्वारा बहाए गए ‘वाचा के लोहू’ के आधार पर माफ़ करता है। (मत्ती २६:२८; १ यूहन्ना १:९; २:२) यहोवा उन्हें अपने आत्मिक पुत्रों की तरह दत्तक नहीं लेता, जैसे वह १,४४,००० को लेता है। मगर वह अन्य भेड़ को धर्मी ज़रूर घोषित करता है, उसी तरह जैसे इब्राहीम को परमेश्वर के मित्र के रूप में धर्मी घोषित किया गया था।—मत्ती २५:४६; रोमियों ४:२, ३; याकूब २:२३.
७. आज अन्य भेड़ों के लिए कौन-सी प्रत्याशा उपलब्ध होती है, जिन्हें इब्राहीम की तरह धर्मी ठहराया जाता है?
७ उन १,४४,००० लोगों का धर्मी घोषित किया जाना, उन्हें स्वर्गीय राज्य में यीशु के साथ शासन करने की उनकी आशा का मार्ग खोल देता है। (रोमियों ८:१६, १७; गलतियों २:१६) अन्य भेड़ों के लिए, परमेश्वर के मित्रों के रूप में धर्मी ठहराए जाने से उन्हें परादीस पृथ्वी पर अनंत जीवन की आशा मिलती है—या तो बड़ी भीड़ के एक भाग के तौर पर अरमगिदोन से ज़िंदा बच निकलकर या ‘धर्मियों के फिर से जी उठने’ के द्वारा। (प्रेरितों २४:१५) ऐसी आशा रखना और इस विश्व के सर्वसत्ताधारी का मित्र होना, उसके “तम्बू में” उसके मेहमान बनकर रहना कितने ही गौरव की बात है! (भजन १५:१, २) जी हाँ, अभिषिक्त जन और अन्य भेड़ें, दोनों को ही इब्राहीम के वंश, यीशु के ज़रिए एक शानदार तरीक़े से आशीष मिलती है।
एक बड़ा प्रायश्चित्त दिन
८. व्यवस्था के अधीन प्रायश्चित्त दिन के बलिदानों द्वारा किस का पूर्वसंकेत दिया गया?
८ नई वाचा पर चर्चा करते समय, पौलुस ने अपने पढ़नेवालों को व्यवस्था वाचा के तहत वार्षिक प्रायश्चित्त दिन की याद दिलायी। उस दिन, अलग-अलग बलियाँ चढ़ायी जाती थीं—एक तो लेवी के याजकीय गोत्र की ख़ातिर और दूसरी १२ अयाजकीय गोत्रों की ख़ातिर। अरसों से इसे यीशु के महान बलिदान के पूर्वसंकेत के रूप में समझाया गया है जिससे १,४४,००० को, जिनकी स्वर्गीय आशा है और उन लाखों लोगों को फ़ायदा होगा जिनकी पृथ्वी की आशा है।a पौलुस ने दिखाया कि इसकी पूर्ति में यीशु के बलिदान के लाभ नई वाचा के तहत एक बड़े प्रायश्चित्त के दिन के द्वारा दिए जाते हैं। इस बड़े दिन के महायाजक के रूप में, यीशु ने एक प्रायश्चित्त बलिदान के रूप में अपना परिपूर्ण जीवन दिया ताकि मनुष्यों को “अनन्त छुटकारा” मिले।—इब्रानियों ९:११-२४.
९. नई वाचा के अधीन, इब्रानी अभिषिक्त मसीही क्या हासिल कर सके?
९ पहली सदी के कई इब्रानी मसीहियों को अब भी मूसा की “व्यवस्था के लिये धुन” थी। (प्रेरितों २१:२०) सो फिर, यह बिलकुल ठीक था कि पौलुस उन्हें फिर से याद दिलाए: “[यीशु] नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उस मृत्यु के द्वारा जो पहिली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त मीरास को प्राप्त करें।” (इब्रानियों ९:१५) नई वाचा ने इब्रानी मसीहियों को पुरानी वाचा से आज़ाद किया, और इसने उनके पापी स्वभाव का परदाफ़ाश भी किया। शुक्र है नई वाचा का, क्योंकि वे “प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त [स्वर्गीय] मीरास को” हासिल कर सके।
१०. अभिषिक्त जन और अन्य भेड़ें किस लिए परमेश्वर का शुक्र अदा करते हैं?
१० “जो कोई” “पुत्र पर विश्वास करता है,” वह छुड़ौती बलिदान से फ़ायदा उठाएगा। (यूहन्ना ३:१६, ३६) पौलुस ने कहा: “मसीह . . . बहुतों के पापों को उठा लेने के लिये एक बार बलिदान हुआ और जो लोग उस की बाट जोहते हैं, उन के उद्धार के लिये दूसरी बार बिना पाप के दिखाई देगा।” (इब्रानियों ९:२८) आज, यीशु की बाट जोहनेवालों में परमेश्वर के इस्राएल के बचे हुए अभिषिक्त मसीही और ऐसे लाखों लोग शामिल हैं जिनसे बड़ी भीड़ बनती है, और इनके पास भी अनंत मीरास है। दोनों ही वर्ग नई वाचा के लिए और उससे जुड़ी हुई जीवन-दायक आशीषों के लिए, साथ ही बड़े प्रायश्चित्त दिन और स्वर्गीय परमपवित्र स्थान में महायाजक, यीशु की सेवकाई के लिए परमेश्वर का शुक्र अदा करते हैं।
पवित्र सेवा में व्यस्त
११. यीशु के बलिदान से अपने-अपने विवेक को शुद्ध करके, अभिषिक्त जन और अन्य भेड़ें ख़ुशी-ख़ुशी क्या करते हैं?
११ इब्रानियों को लिखे अपने ख़त में, पौलुस ने पुरानी वाचा के अधीन पाप बलियों की तुलना में नए वाचा प्रबंध के अधीन यीशु के बलिदान के श्रेष्ठ मूल्य पर ज़ोर दिया। (इब्रानियों ९:१३-१५) यीशु का बेहतर बलिदान ‘हमारे विवेक को मरे हुए कामों से शुद्ध कर पाएगा, ताकि हम जीवते परमेश्वर की सेवा करें।’ इब्रानी मसीहियों के लिए, “मरे हुए कामों” में ‘पहिली वाचा के समय के अपराध’ शामिल थे। आज के मसीहियों के लिए, इनमें अतीत में किए गए पाप शामिल हैं जिनके लिए सच्चा पश्चाताप किया गया है और जिन्हें परमेश्वर ने माफ़ किया है। (१ कुरिन्थियों ६:९-११) शुद्ध विवेक के साथ, ये अभिषिक्त मसीही “जीवते परमेश्वर की [पवित्र] सेवा” करते हैं। और बड़ी भीड़ भी ऐसा ही करती है। उन्होंने “मेम्ने के लोहू” से अपने-अपने विवेक को शुद्ध किया है, और वे परमेश्वर के महान आत्मिक मंदिर में हैं “और [वहाँ] दिन रात उस की [पवित्र] सेवा करते हैं।”—प्रकाशितवाक्य ७:१४, १५.
१२. हम कैसे दिखाते हैं कि हमारे पास ‘पूरा विश्वास’ है?
१२ इसके अलावा, पौलुस ने कहा: “आओ; हम सच्चे मन, और पूरे विश्वास के साथ, और विवेक का दोष दूर करने के लिये हृदय पर छिड़काव लेकर, और देह को शुद्ध जल से धुलवाकर परमेश्वर के समीप जाएं।” (इब्रानियों १०:२२) हम कैसे दिखा सकते हैं कि हमारे पास ‘पूरा विश्वास’ है? पौलुस ने इब्रानी मसीहियों से आग्रह किया कि “अपनी [स्वर्गीय] आशा के अंगीकार को दृढ़ता से थामे रहें; क्योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है, वह सच्चा है। और प्रेम, और भले कामों में उस्काने के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।” (इब्रानियों १०:२३-२५) अगर हमारा विश्वास जीवित है, तो हम भी ‘एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना न छोड़ेंगे।’ हम प्रेम और भले कामों के लिए अपने भाइयों को उस्काने और उनके द्वारा उस्काए जाने और अपनी आशा का सार्वजनिक अंगीकार करने के बहुत ही ज़रूरी काम के लिए शक्ति पाने से ख़ुश होंगे, चाहे हमारी आशा पृथ्वी की हो या स्वर्ग की।—यूहन्ना १३:३५.
“सनातन वाचा”
१३, १४. किन तरीक़ों से नई वाचा सनातन है?
१३ तब क्या होगा जब १,४४,००० में से आख़िरी व्यक्ति अपनी स्वर्गीय आशा पा लेगा? क्या नई वाचा मिट जाएगी? उस वक़्त, धरती पर परमेश्वर के इस्राएल का एक भी सदस्य बाक़ी न होगा। वाचा के सभी सहभागी यीशु के साथ उसके “पिता के राज्य में” होंगे। (मत्ती २६:२९) लेकिन हमें पौलुस की बातें याद हैं जो उसने इब्रानियों को अपने ख़त में लिखीं: “शान्तिदाता परमेश्वर . . . [उस] को जो भेड़ों का महान रखवाला है सनातन वाचा के लोहू के गुण से मरे हुओं में से जिलाकर ले आया।” (तिरछे टाइप हमारे) (इब्रानियों १३:२०; यशायाह ५५:३) किस मायने में यह नई वाचा सनातन है?
१४ पहली बात। व्यवस्था वाचा से भिन्न, इसे कभी बदला नहीं जाएगा। दूसरा। इसके कामों के परिणाम स्थायी हैं, ठीक जैसे यीशु का राजकत्व भी स्थायी है। (लूका १:३३ की तुलना १ कुरिन्थियों १५:२७, २८ के साथ कीजिए।) यहोवा के उद्देश्यों में स्वर्गीय राज्य की हमेशा-हमेशा के लिए एक जगह है। (प्रकाशितवाक्य २२:५) और तीसरी बात, अन्य भेड़ें नई वाचा के प्रबंध से लाभ प्राप्त करती रहेंगी। मसीह के हज़ार साल के शासन के दौरान, वफ़ादार लोग यहोवा के “मन्दिर में दिन रात उस की [पवित्र] सेवा करते” रहेंगे, ठीक जैसे वे आज करते हैं। यहोवा फिर से उनके अतीत के पापों को याद नहीं करेगा जिन्हें यीशु के ‘वाचा के लोहू’ के आधार पर माफ़ किया गया था। वे लोग यहोवा के मित्रों के तौर पर एक धर्मी स्थिति का आनंद लेते रहेंगे, और उसके नियम तब भी उनके दिलों में लिखे होंगे।
१५. नए संसार में यहोवा के पार्थिव उपासकों के साथ उसके संबंध का वर्णन कीजिए।
१५ क्या तब यहोवा इन मानवी सेवकों के बारे में कह सकेगा: ‘मैं उनका परमेश्वर हूँ और ये मेरे लोग हैं’? जी हाँ। “वह उन के साथ डेरा करेगा, और वे उसके लोग होंगे, और परमेश्वर आप उन के साथ रहेगा।” (तिरछे टाइप हमारे।) (प्रकाशितवाक्य २१:३) वे “पवित्र लोगों की छावनी” बन जाएँगे, यानी यीशु मसीह की स्वर्गीय दुल्हन, “प्रिय नगर” के पार्थिव प्रतिनिधि। (प्रकाशितवाक्य १४:१; २०:९; २१:२) यह सब यीशु के बहाए गए ‘वाचा के लोहू’ पर उनके विश्वास के कारण और उन स्वर्गीय राजाओं और याजकों के प्रति उनकी अधीनता के कारण मुमकिन होगा, जो इस पृथ्वी पर रहते वक़्त परमेश्वर के इस्राएल थे।—प्रकाशितवाक्य ५:१०.
१६. (क) जो लोग पृथ्वी पर पुनरुत्थित किए जाएँगे उनके लिए कौन-सी संभावनाएँ रखी हैं? (ख) हज़ार साल के अंत में कौन-सी आशीषें मिलेंगी?
१६ उन मरे हुए लोगों के बारे में क्या जिन्हें पृथ्वी पर पुनरुत्थित किया जाएगा? (यूहन्ना ५:२८, २९) उन्हें भी इब्राहीम के वंश, यीशु के ज़रिए ‘अपने को धन्य मानने’ के लिए आमंत्रित किया जाएगा। (उत्पत्ति २२:१८) उन्हें भी यहोवा के नाम से प्रेम करना होगा, उसकी सेवा करनी होगी, स्वीकार्य बलि चढ़ाने होंगे, और उसके प्रार्थना के घर में पवित्र सेवा करनी होगी। ऐसा करनेवाले लोग परमेश्वर के विश्राम में प्रवेश कर पाएँगे। (यशायाह ५६:६, ७) हज़ार साल के अंत के बाद, सभी वफ़ादार लोगों को यीशु मसीह और उसके १,४४,००० संगी याजकों की सेवा के ज़रिए मानवी परिपूर्णता तक लाया जाएगा। वे परमेश्वर के मित्रों के रूप में न सिर्फ़ धर्मी घोषित किए जाएँगे, बल्कि वे धर्मी होंगे। वे आदम से विरासत में मिले पाप और मौत से पूरी तरह आज़ाद होकर ‘जी उठेंगे।’ (प्रकाशितवाक्य २०:५; २२:२) वह क्या ही आशीष होगी! आज हमारी नज़र से, ऐसा लगता है कि यीशु का और १,४४,००० का याजकीय काम उस वक़्त पूरा हो चुका होगा। बड़े प्रायश्चित्त दिन की आशीषें पूरी तरह से प्रयोग में आ चुकी होंगी। इसके बाद, यीशु “राज्य को परमेश्वर पिता के हाथ में सौंप देगा।” (१ कुरिन्थियों १५:२४) मनुष्यजाति के लिए एक आख़िरी परीक्षा होगी, और फिर शैतान और उसके पिशाचों को हमेशा के लिए नाश कर दिया जाएगा।—प्रकाशितवाक्य २०:७, १०.
१७. उस ख़ुशी के मद्देनज़र जो हमारे लिए रखी गयी है, हममें से हरेक व्यक्ति को क्या करने के लिए निश्चित होना चाहिए?
१७ यह “सनातन वाचा” उस रोचक युग में कौन-सी भूमिका निभाएगी जो उस समय शुरू होगा? यह हम नहीं कह सकते। यहोवा ने अभी तक जो कुछ प्रकट किया है वही काफ़ी है। यह हमें विस्मित छोड़ देता है। ज़रा सोचिए—“नए आकाश और नई पृथ्वी” के भाग के रूप में अनंत जीवन! (२ पतरस ३:१३) ऐसा हो कि उस प्रतिज्ञा को पाने की हमारी इच्छा को कोई भी बात कमज़ोर न करे। स्थिर खड़े रहना शायद आसान न हो। पौलुस ने कहा: “तुम्हें धीरज धरना अवश्य है, ताकि परमेश्वर की इच्छा को पूरी करके तुम प्रतिज्ञा का फल पाओ।” (इब्रानियों १०:३६) मगर, याद रखिए कि चाहे किसी भी मुसीबत पर विजय पानी हो या किसी भी विरोध को पार करना हो, वे सब उस ख़ुशी के आगे फीके पड़ जाते हैं जो हमारे लिए रखी गयी है। (२ कुरिन्थियों ४:१७) सो, हम सभी ऐसे हों जो पीछे “हटनेवाले नहीं, कि नाश हो जाएं।” इसके बजाय, आइए हम ऐसे हों जो “विश्वास करनेवाले हैं, कि प्राणों को बचाएं।” (इब्रानियों १०:३९) ऐसा हो कि हम सभी लोग वाचाओं के परमेश्वर, यहोवा पर पूरा भरोसा रखें, ताकि हममें से हरेक को अनंत आशीष मिले।
[फुटनोट]
a वॉचटावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी द्वारा प्रकाशित एक नयी पृथ्वी में उत्तरजीविता, अध्याय १३ (अंग्रेज़ी) देखिए।
क्या आप समझ पाए?
◻ अभिषिक्त मसीहियों के अलावा, इब्राहीम के वंश के द्वारा कौन-कौन आशीष पा रहे हैं?
◻ नई वाचा के ज़रिए आशीष पाने में, अन्य भेड़ें पुरानी वाचा के अधीन मतधारकों की तरह कैसे हैं?
◻ अन्य भेड़ें महान प्रायश्चित्त दिन प्रबंध के ज़रिए कैसे आशीष पाएँगी?
◻ पौलुस ने नई वाचा को “सनातन वाचा” क्यों कहा?
[पेज 21 पर बक्स]
मंदिर में पवित्र सेवा
बड़ी भीड़ अभिषिक्त मसीहियों के साथ यहोवा के बड़े आत्मिक मंदिर के पार्थिव आँगन में उपासना करती है। (प्रकाशितवाक्य ७:१४, १५; ११:२) इस निष्कर्ष पर पहुँचने का कोई कारण नहीं है कि वे अन्यजातियों के एक अलग आँगन में हैं। जब यीशु पृथ्वी पर था, तो मंदिर में अन्यजातियों का एक आँगन था। लेकिन, सुलैमान और यहेजकेल के मंदिरों के ईश्वर-प्रेरित नक़्शों में, अन्यजातियों के आँगन के लिए कोई प्रावधान नहीं था। सुलैमान के मंदिर में, एक बाहरी आँगन था जहाँ इस्राएली और मतधारक, पुरुष और स्त्रियाँ एक साथ उपासना करते थे। यह उस आत्मिक मंदिर के पार्थिव आँगन का एक भविष्यसूचक नमूना है जहाँ यूहन्ना ने बड़ी भीड़ को पवित्र सेवा करते देखा।
लेकिन, भीतरी आँगन में सिर्फ़ याजक और लेवी प्रवेश कर सकते थे, जहाँ बड़ी वेदी थी; पवित्रस्थान में सिर्फ़ याजक प्रवेश कर सकते थे; और परमपवित्र स्थान में सिर्फ़ महायाजक ही प्रवेश कर सकता था। समझा जाता है कि भीतरी आँगन और पवित्रस्थान पृथ्वी पर अभिषिक्त मसीहियों की अनोखी आध्यात्मिक स्थिति का पूर्वसंकेत करते हैं। और परमपवित्र स्थान स्वर्ग को चित्रित करता है, जहाँ अभिषिक्त मसीही अपने स्वर्गीय महायाजक के साथ अमर जीवन पाते हैं।—इब्रानियों १०:१९, २०.
[पेज 23 पर तसवीर]
उन ख़ुशियों के मद्देनज़र जो हमारे लिए रखी गयी हैं, आइए हम ‘विश्वास करें कि प्राणों को बचाएं’