अध्याय एक
‘हालाँकि वह मर चुका है, मगर वह आज भी बोलता है’
1. (क) आदम और हव्वा के परिवार को अदन के बाग में जाने से क्या चीज़ रोकती थी? (ख) हाबिल का क्या अरमान था?
हाबिल अपनी भेड़ों के साथ एक पहाड़ की ढलान पर है। वह अपनी भेड़ों को देख रहा है जो चुपचाप घास चर रही हैं। फिर उसकी नज़र उनसे हटकर दूर एक ऐसी जगह जा टिकती है जहाँ धुँधली-सी रौशनी दिखायी दे रही है। वह जानता है कि यह रौशनी लगातार घूमनेवाली एक तलवार की वजह से है जिससे आग की लपटें निकल रही हैं। वह तलवार अदन के बाग का रास्ता रोके हुए है। एक वक्त था जब उसके माँ-बाप उस बाग में रहते थे। लेकिन अब न तो वे और न ही उनके बच्चे उस बाग में कदम रख सकते हैं। कल्पना कीजिए, शाम का समय है। हलकी हवा चल रही है जिससे हाबिल के बाल उड़ रहे हैं। वह आकाश की तरफ देखते हुए अपने सृष्टिकर्ता के बारे में सोचता है, ‘क्या परमेश्वर और इंसान के बीच यह दूरी कभी मिटेगी?’ उसका बस एक ही अरमान है कि यह दूरी किसी तरह मिट जाए।
2-4. आज हाबिल हमसे किस तरह बात करता है?
2 हाबिल आज भी आपसे बात करता है। क्या आप उसे सुन सकते हैं? आप शायद सोचें, यह कैसे हो सकता है? आदम के इस बेटे को मरे हुए सदियाँ बीत चुकी हैं। उसका शरीर करीब 6,000 साल पहले ही मिट्टी में मिल गया था। बाइबल भी तो बताती है, “मरे हुए कुछ नहीं जानते।” (सभो. 9:5, 10) यही नहीं, हाबिल की कही एक भी बात बाइबल में दर्ज़ नहीं है। तो फिर वह हमसे कैसे बात कर सकता है?
3 प्रेषित पौलुस ने परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा, “हालाँकि हाबिल मर चुका है मगर अपने विश्वास की वजह से वह आज भी बोलता है।” (इब्रानियों 11:4 पढ़िए।) जी हाँ, हाबिल अपने विश्वास की वजह से हमसे बात करता है। वह पहला इंसान था जिसने यह बेहतरीन गुण अपने अंदर पैदा किया। उसने इतने ज़बरदस्त तरीके से अपना विश्वास ज़ाहिर किया कि आज भी वह हमारे लिए एक जीती-जागती मिसाल और आदर्श है। अगर हम हाबिल के विश्वास से सीखें तो यह ऐसा होगा मानो वह हमसे बात कर रहा है।
4 लेकिन जब बाइबल में हाबिल के बारे में इतनी कम जानकारी है, तो हम उसके और उसके विश्वास के बारे में क्या सीख सकते हैं? आइए देखें।
वह “दुनिया की शुरूआत” के समय पला-बढ़ा
5. यीशु ने “दुनिया की शुरूआत” के बारे में बात करते वक्त हाबिल का ज़िक्र क्यों किया था? (फुटनोट भी देखें।)
5 हाबिल का जन्म इंसान की सृष्टि के कुछ समय बाद हुआ था। यीशु ने “दुनिया की शुरूआत” के बारे में बात करते वक्त हाबिल का ज़िक्र किया था। (लूका 11:50, 51 पढ़िए।) ज़ाहिर है कि यीशु ने जिस “दुनिया” की बात की उसका मतलब ऐसे इंसान हैं जिन्हें पाप से छुड़ाया जाएगा। हालाँकि हाबिल धरती पर रहनेवाला चौथा इंसान था, मगर ऐसा लगता है कि परमेश्वर की नज़र में वही पहला इंसान था जो पाप से छुड़ाए जाने के लायक था।a इससे साफ है कि हाबिल ऐसे लोगों के बीच पला-बढ़ा था जो उसके लिए अच्छी मिसाल नहीं थे।
6. हाबिल के माँ-बाप के बारे में क्या कहा जा सकता है?
6 इंसानी परिवार की शुरूआत हुए अभी कुछ ही समय हुआ था कि दुख के काले बादल छा गए। हाबिल के माँ-बाप, आदम और हव्वा ज़रूर खूबसूरत और चुस्त-दुरुस्त रहे होंगे। मगर वे अपनी ज़िंदगी में नाकाम हो गए थे और यह बात उन्हें अच्छी तरह पता थी। एक वक्त था जब वे परिपूर्ण थे और उनके आगे हमेशा की ज़िंदगी की आशा थी। फिर उन्होंने जानबूझकर यहोवा परमेश्वर से बगावत की, इसलिए उन्हें अदन के बाग से बाहर निकाल दिया गया। उन्होंने सिर्फ अपनी इच्छाएँ पूरी करने की सोची, अपने आनेवाले बच्चों तक के बारे में नहीं सोचा। इसलिए उन्होंने परिपूर्ण जीवन और हमेशा जीने का मौका गँवा दिया।—उत्प. 2:15–3:24.
7, 8. (क) कैन के जन्म के वक्त हव्वा ने क्या कहा? (ख) उसने क्यों ऐसा कहा होगा?
7 अदन के बाग के बाहर आदम और हव्वा के लिए अपनी ज़िंदगी चलाना मुश्किल हो गया। फिर भी, जब उनका पहला बच्चा पैदा हुआ तो उन्होंने उसका नाम कैन रखा, जिसका मतलब है “कुछ पाया।” हव्वा ने कहा, “मैंने यहोवा की मदद से एक बेटे को जन्म दिया है।” उसके शब्दों से लगता है कि उसने यह बात यहोवा के उस वादे को ध्यान में रखकर कही होगी जो उसने अदन के बाग में किया था। यहोवा ने भविष्यवाणी की थी कि एक औरत एक “वंश” पैदा करेगी, जो एक दिन उस दुष्ट को खत्म कर देगा जिसने आदम और हव्वा को बहकाया था। (उत्प. 3:15; 4:1) क्या हव्वा यह मान बैठी थी कि उस भविष्यवाणी में बतायी औरत वही है और कैन वादा किया गया “वंश” है?
8 अगर हाँ, तो वह बड़ी गलतफहमी में थी। यही नहीं, अगर उसने और आदम ने कैन के छुटपन से ही उसके दिमाग में ये सारी बातें भरी होंगी, तो कैन का पापी मन घमंड से फूल गया होगा। कुछ समय बाद हव्वा का दूसरा बेटा हुआ, लेकिन उसके बारे में कुछ भी बढ़-चढ़कर नहीं कहा गया। उन्होंने उसका नाम हाबिल रखा जिसका शायद मतलब है, “साँस” या “व्यर्थ।” (उत्प. 4:2) क्या यह नाम रखना दिखाता है कि आदम और हव्वा को हाबिल से उतनी उम्मीदें नहीं थीं जितनी कैन से थीं? शायद, लेकिन हम पक्के तौर पर नहीं कह सकते।
9. हमारे पहले माँ-बाप की गलती से आज माता-पिता क्या सीख सकते हैं?
9 आज माता-पिता, आदम और हव्वा से एक सबक सीख सकते हैं। क्या आप अपनी बातों और कामों से अपने बच्चों को घमंडी होना, सबसे बड़ा बनना और अपना स्वार्थ पूरा करना सिखाएँगे? या क्या आप उन्हें यहोवा परमेश्वर से प्यार करना और उससे दोस्ती करना सिखाएँगे? अफसोस, हमारे पहले माँ-बाप ने अपनी यह ज़िम्मेदारी नहीं निभायी। फिर भी, उनके बच्चों के लिए एक आशा थी।
हाबिल ने अपना विश्वास कैसे बढ़ाया?
10, 11. (क) कैन और हाबिल ने क्या काम किया? (ख) हाबिल ने अपने अंदर कौन-सा गुण बढ़ाया?
10 जैसे-जैसे कैन और हाबिल बड़े होते गए, आदम ने ज़रूर उन दोनों को काम सिखाया होगा ताकि वे भी परिवार के लिए खाने-पहनने का इंतज़ाम कर सकें। कैन किसान बना और हाबिल एक चरवाहा।
11 लेकिन हाबिल ने चरवाहे का काम करने के साथ-साथ कुछ और भी किया जो बहुत ज़रूरी था। उसने सालों के गुज़रते अपने अंदर विश्वास बढ़ाया। यह ऐसा लाजवाब गुण है जिसके बारे में पौलुस ने सदियों बाद लिखा था। मगर ज़रा सोचिए, हाबिल के सामने ऐसा एक भी इंसान नहीं था जो उसके लिए विश्वास की अच्छी मिसाल रहा हो, तो फिर उसने कैसे परमेश्वर पर विश्वास बढ़ाया? आइए ऐसी तीन बातों पर गौर करें जिनकी मदद से शायद हाबिल विश्वास बढ़ा पाया।
12, 13. यहोवा की सृष्टि पर गौर करने से कैसे हाबिल का विश्वास मज़बूत हुआ होगा?
12 यहोवा की सृष्टि। यह सच है कि यहोवा ने ज़मीन को शाप दिया था कि इस पर सिर्फ काँटे और कँटीली झाड़ियाँ उगेंगी जिस वजह से खेती-बाड़ी करना आसान नहीं होगा। फिर भी, ज़मीन से इतनी उपज ज़रूर मिली होगी जिससे हाबिल के परिवार का गुज़ारा हुआ होगा। और परमेश्वर ने जानवरों, पक्षियों और मछलियों को शाप नहीं दिया था, न ही पहाड़ों, झीलों, नदियों, समुंदर, आकाश, बादलों, सूरज, चाँद और तारों को कोई शाप दिया था। इसलिए जहाँ कहीं भी हाबिल की नज़र जाती उसे सृष्टिकर्ता यहोवा के बेमिसाल प्यार, बुद्धि और भलाई के सबूत दिखायी देते। (रोमियों 1:20 पढ़िए।) बेशक जब उसने सृष्टि और परमेश्वर के गुणों पर मनन किया तो उसका विश्वास मज़बूत होता गया।
13 हाबिल ने यहोवा के बारे में गहराई से सोचने में ज़रूर समय बिताया होगा। कल्पना कीजिए, वह अपनी भेड़ों को चरा रहा है। झुंड को चराने के लिए एक चरवाहे को बहुत चलना पड़ता था। उसे उनके लिए ऐसी जगह ढूँढ़नी पड़ती थी जहाँ हरे-भरे चरागाह और भरपूर पानी हो, साथ ही छाँव हो ताकि वे आराम कर सकें। इसलिए हाबिल उन्हें कभी पहाड़ों पर ले जाता, तो कभी घाटियों से ले जाता और कभी-कभी नदियाँ पार ले जाता। परमेश्वर के बनाए सभी जानवरों में भेड़ें सबसे नाज़ुक दिखायी देती हैं, मानो उन्हें इस तरह बनाया गया हो कि इंसान उनकी हिफाज़त करे और उन्हें रास्ता दिखाए। क्या उन भेड़ों को देखकर हाबिल ने महसूस किया कि उसे सही रास्ते पर ले जाने, उसकी हिफाज़त और देखभाल करने के लिए परमेश्वर की ज़रूरत है जो इंसानों से कहीं ज़्यादा बुद्धिमान और ताकतवर है? ऐसी कई बातों के बारे में उसने ज़रूर परमेश्वर से प्रार्थना की होगी। नतीजा, उसका विश्वास मज़बूत होता गया।
14, 15. यहोवा के किन वादों के बारे में हाबिल ने मनन किया होगा?
14 यहोवा के वादे। आदम और हव्वा ने ज़रूर अपने बेटों को बताया होगा कि अदन के बाग में क्या-क्या हुआ था जिस वजह से उन्हें बाहर निकाल दिया गया था। इसलिए हाबिल के पास मनन करने के लिए कई सारी बातें थीं।
15 यहोवा ने कहा था कि ज़मीन शापित होगी। हाबिल साफ देख सकता था कि यहोवा की यह बात सच निकली है क्योंकि चारों तरफ काँटे और कँटीली झाड़ियाँ थीं। यहोवा ने यह भी कहा था कि हव्वा को गर्भावस्था के दौरान और बच्चा जनते वक्त बहुत दर्द होगा। जब हव्वा ने हाबिल के भाई-बहनों को जन्म दिया तो हाबिल ने ज़रूर देखा होगा कि यहोवा की यह बात भी सच निकली है। यहोवा पहले से जानता था कि हव्वा अपने पति आदम के प्यार के लिए तरसती रहेगी, मगर आदम उस पर हुक्म चलाएगा। हाबिल ने अपनी आँखों से यह होते देखा। वह जान गया कि यहोवा की कही हर बात सच होती है। इसलिए वह परमेश्वर के इस वादे पर पूरा विश्वास कर पाया कि एक “वंश” आएगा जो अदन के बाग में शुरू हुई समस्याओं का एक दिन हल कर देगा।—उत्प. 3:15-19.
16, 17. यहोवा के करूबों से हाबिल ने क्या सीखा होगा?
16 यहोवा के सेवक। इंसानी परिवार में ऐसा कोई भी नहीं था जो हाबिल के लिए अच्छी मिसाल हो। लेकिन उस समय धरती पर सिर्फ इंसान ही नहीं थे, स्वर्गदूत भी थे। यहोवा ने आदम और हव्वा को बाग से निकालने के बाद उसके अंदर जानेवाले रास्ते पर करूबों को तैनात किया ताकि न तो आदम और हव्वा, न ही उनके बच्चे उसमें कदम रख सकें। उसने करूबों के अलावा लगातार घूमनेवाली एक तलवार भी रखी जिससे आग की लपटें निकलती थीं।—उत्पत्ति 3:24 पढ़िए।
17 कल्पना कीजिए, हाबिल जब छोटा था तो उसे उन करूबों को देखना कैसा लगा होगा। करूब इंसानी शरीर धारण किए हुए थे, इसलिए हाबिल देख सकता था कि वे बहुत शक्तिशाली हैं। साथ ही, जब हाबिल उस “तलवार” को देखता जो लगातार घूमती थी और जिससे लगातार लपटें निकल रही थीं, तो उसके दिल में श्रद्धा पैदा हुई होगी। हाबिल बचपन से उन करूबों को देख रहा था, मगर क्या कभी उसने यह देखा कि वे इस काम से ऊब गए हैं और अपनी जगह छोड़कर चले गए हैं? बिलकुल नहीं। दिन और रात, साल-दर-साल ये बुद्धिमान और शक्तिशाली प्राणी अपनी जगह पर तैनात रहे। उन्हें देखकर हाबिल ने जाना कि यहोवा परमेश्वर के ऐसे सेवक भी हैं जो नेक हैं और अपने काम में डटे रहते हैं। हाबिल ने उन करूबों में ऐसे गुण देखे जो उसके परिवार के किसी भी व्यक्ति में नहीं थे। वे गुण थे, यहोवा का वफादार रहना और उसकी आज्ञा मानना। बेशक उन स्वर्गदूतों की अच्छी मिसाल से हाबिल का विश्वास और भी बढ़ा होगा।
18. आज हमारे पास अपना विश्वास मज़बूत करने के लिए क्या-क्या है?
18 परमेश्वर की सृष्टि और उसके वादों पर मनन करके हाबिल ने परमेश्वर के बारे में जो सीखा और स्वर्गदूतों की मिसाल से जो सीखा उससे उसका विश्वास और भी बढ़ता गया। वाकई, हम हाबिल से बहुत कुछ सीख सकते हैं। खास तौर से जवान लोग भरोसा रख सकते हैं कि वे यहोवा परमेश्वर पर सच्चा विश्वास बढ़ा सकते हैं, फिर चाहे उनके परिवार में कोई उनके लिए अच्छी मिसाल न हो। आज हम भी चारों तरफ सृष्टि के अजूबे देखते हैं, हमारे पास पूरी बाइबल है और इंसानों में ऐसे कई सेवक हैं जो विश्वास की अच्छी मिसाल हैं। सचमुच, अपना विश्वास मज़बूत करने के लिए हमारे पास बहुत कुछ है।
हाबिल का बलिदान क्यों बढ़िया था?
19. हाबिल ने कौन-सी अहम सच्चाई समझी?
19 जैसे-जैसे हाबिल का विश्वास यहोवा पर बढ़ता गया, वह कुछ ऐसा करना चाहता था जिससे वह अपना विश्वास ज़ाहिर कर सके। लेकिन भला एक अदना इंसान इस पूरे जहान के बनानेवाले को क्या दे सकता है? यह साफ था कि परमेश्वर को इंसानों से न तो किसी तोहफे की, न ही मदद की ज़रूरत है। मगर फिर हाबिल ने एक अहम सच्चाई समझी कि वह यहोवा को ज़रूर कुछ दे सकता है। उसके पास जो भी है उसमें से अगर वह सबसे बढ़िया चीज़ चुने और उसे सही इरादे से अपने प्यारे पिता यहोवा को दे तो वह उससे खुश होगा।
20, 21. (क) कैन और हाबिल ने यहोवा को क्या बलिदान चढ़ाया? (ख) यहोवा ने उनका बलिदान देखकर क्या किया?
20 हाबिल, यहोवा के लिए बलिदान चढ़ाने की तैयारी करने लगा। उसने अपने झुंड में से सबसे अच्छी भेड़ें चुनीं यानी पहलौठे मेम्ने। उन्हें चढ़ाते वक्त उसने उनकी चरबी भी चढ़ायी क्योंकि उसे लगा कि यह जानवर का सबसे बढ़िया हिस्सा है। कैन भी यहोवा की आशीष और मंज़ूरी पाना चाहता था, इसलिए उसने अपनी उपज में से कुछ भेंट चढ़ायी। लेकिन उसका इरादा हाबिल की तरह नेक नहीं था। यह बात तब ज़ाहिर हुई जब उन दोनों ने यहोवा को अपना-अपना बलिदान चढ़ाया।
21 आदम के इन दोनों बेटों ने बलिदान चढ़ाने के लिए वेदियाँ बनायी होंगी और आग का इस्तेमाल किया होगा। उन्होंने शायद ये बलिदान करूबों के सामने चढ़ाए होंगे क्योंकि उस वक्त सिर्फ वे ही धरती पर यहोवा के प्रतिनिधि थे। उनका बलिदान देखकर यहोवा ने क्या किया? हम पढ़ते हैं, ‘यहोवा ने हाबिल और उसके बलिदान को मंज़ूर किया।’ (उत्प. 4:4) परमेश्वर ने कैसे दिखाया कि उसे हाबिल का बलिदान मंज़ूर था, इस बारे में बाइबल कुछ नहीं बताती।
22, 23. यहोवा ने हाबिल के बलिदान को क्यों मंज़ूर किया?
22 परमेश्वर ने हाबिल के बलिदान को क्यों मंज़ूर किया? क्या उसका बलिदान कुछ खास था? यह सच है कि हाबिल ने जानवरों का बलिदान चढ़ाया जो जीवित प्राणी होते हैं और उनका खून बहाया जो जीवन की निशानी है। क्या हाबिल जानता था कि ऐसा बलिदान कितना अनमोल है? हाबिल के समय के सदियों बाद, परमेश्वर ने अपने लोगों को आज्ञा दी कि वे एक निर्दोष मेम्ने की बलि चढ़ाया करें। यहोवा ने यह आज्ञा इसलिए दी क्योंकि ऐसा मेम्ना उसके परिपूर्ण बेटे को दर्शाता जो “परमेश्वर का मेम्ना” होता और जिसका खून बहाया जाता। (यूह. 1:29; निर्ग. 12:5-7) मगर हाबिल को शायद ही इन सारी बातों की समझ रही होगी।
23 लेकिन एक बात पक्की है कि हाबिल के पास जो था उसमें से सबसे बढ़िया चीज़ उसने यहोवा को दी। उसने ऐसा बलिदान इसलिए दिया क्योंकि उसे यहोवा से प्यार था और उस पर सच्चा विश्वास था। इसलिए यहोवा न सिर्फ उसके बलिदान से बल्कि उससे भी खुश हुआ।
24. (क) हम क्यों कहते हैं कि कैन के बलिदान में कोई खोट नहीं था? (ख) कैन किस तरह आज के ज़्यादातर लोगों जैसा था?
24 लेकिन यहोवा ने “कैन और उसके चढ़ावे को मंज़ूर नहीं किया।” (उत्प. 4:5) ऐसा नहीं था कि कैन के बलिदान में कोई खोट था क्योंकि आगे चलकर परमेश्वर के कानून में धरती की उपज का चढ़ावा देने की इजाज़त दी गयी थी। (लैव्य. 6:14, 15) इसके बजाय, बाइबल कैन के बारे में बताती है कि “उसके खुद के काम दुष्ट थे।” (1 यूहन्ना 3:12 पढ़िए।) आज के ज़्यादातर लोगों की तरह, कैन ने सोचा होगा कि परमेश्वर की भक्ति का दिखावा करना काफी है। जल्द ही उसके कामों से साफ हो गया कि उसे न तो यहोवा से प्यार था, न ही उस पर सच्चा विश्वास था।
25, 26. (क) यहोवा ने कैन को क्या चेतावनी दी? (ख) मगर कैन ने क्या किया?
25 जब कैन ने देखा कि वह यहोवा की मंज़ूरी नहीं पा सका तो क्या उसने हाबिल से कुछ सीखने की कोशिश की? नहीं। इसके बजाय, वह मन-ही-मन अपने भाई से नफरत करने लगा। यहोवा ने देखा कि कैन के मन में क्या चल रहा है, इसलिए उसने कैन को समझाया। उसने कैन को खबरदार किया कि इस तरह नफरत करने से वह कोई गंभीर पाप कर सकता है। परमेश्वर ने उसे यह भी बताया कि अगर वह अपने तौर-तरीके बदलेगा तो वह ‘उसे मंज़ूर करेगा।’—उत्प. 4:6, 7.
26 मगर कैन ने परमेश्वर की चेतावनी अनसुनी कर दी। उसने अपने छोटे भाई को अपने साथ मैदान में चलने को कहा। हाबिल को उस पर ज़रा भी शक नहीं हुआ और वह उसके साथ गया। वहाँ कैन ने हाबिल पर हमला किया और उसे मार डाला। (उत्प. 4:8) इस तरह हाबिल वह पहला इंसान था जो अपने विश्वास की वजह से शहीद हो गया। हालाँकि हाबिल की मौत हो गयी, मगर परमेश्वर उसे नहीं भूला।
27. (क) हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि हाबिल को ज़िंदा किया जाएगा? (ख) अगर हम हाबिल से मिलना चाहते हैं तो हमें क्या करना होगा?
27 हाबिल का खून मानो चीख-चीखकर यहोवा से न्याय की दुहाई देने लगा। यहोवा ने यह दुहाई सुनकर न्याय किया। उसने दुष्ट कैन को उसके जुर्म की सज़ा दी। (उत्प. 4:9-12) मगर इससे भी ज़रूरी बात यह है कि हाबिल अपने विश्वास की वजह से आज भी हमसे बात करता है। हालाँकि वह उस ज़माने के लोगों के मुकाबले कम जीया था, शायद 100 साल, फिर भी उसने सारी ज़िंदगी यहोवा को खुश किया। वह जानता था कि स्वर्ग में रहनेवाला उसका पिता यहोवा उससे प्यार करता है और उससे खुश है। (इब्रा. 11:4) इसलिए हम यकीन के साथ कह सकते हैं कि हाबिल, यहोवा की याद में महफूज़ है और वह उस वक्त ज़िंदा किया जाएगा जब यह धरती फिरदौस बन जाएगी। (यूह. 5:28, 29) क्या आप हाबिल से मिलने के लिए वहाँ होंगे? अगर आप ठान लें कि आप हाबिल की सुनेंगे और उसके जैसा मज़बूत विश्वास पैदा करेंगे तो आप ज़रूर उससे मिल पाएँगे।
a मूल भाषा में शब्द “दुनिया की शुरूआत” का मतलब इंसान की सबसे पहली संतान हैं। मगर इंसान का सबसे पहला बच्चा तो कैन था, तो फिर यीशु ने “दुनिया की शुरूआत” का ज़िक्र करते वक्त हाबिल की बात क्यों की? क्योंकि कैन ने ऐसे फैसले लिए और ऐसे काम किए जिनसे साफ ज़ाहिर था कि वह यहोवा के खिलाफ था। ऐसा मालूम होता है कि अपने माँ-बाप की तरह वह भी माफी पाने के लायक नहीं था और उसे दोबारा ज़िंदा नहीं किया जाएगा।