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आशा की हुई चीज़ों पर अपना विश्वास मज़बूत कीजिएप्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2016 | अक्टूबर
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10. परमेश्वर के बहुत-से सेवकों को हिम्मत रखने और उसका वफादार बने रहने में किस बात ने मदद दी?
10 इब्रानियों अध्याय 11 में प्रेषित पौलुस ने कहा, “स्त्रियों ने उन अपनों को वापस पाया जो मर चुके थे। और दूसरे ऐसे थे जिन्हें यातनाएँ दे-देकर मार डाला गया क्योंकि वे किसी तरह की फिरौती देकर इन यातनाओं से छुटकारा नहीं पाना चाहते थे ताकि वे एक बेहतर पुनरुत्थान पा सकें।” (इब्रा. 11:35) इन सभी लोगों ने परीक्षाओं में धीरज धरा और परमेश्वर के वफादार बने रहे क्योंकि उन्हें पुनरुत्थान के वादे पर पक्का विश्वास था। उन्हें यकीन था कि भविष्य में यहोवा उन्हें ज़िंदा करेगा और वे हमेशा-हमेशा के लिए धरती पर जीएँगे। ज़रा नाबोत और जकर्याह के बारे में सोचिए। उन्हें पत्थरों से मार डाला गया था क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा मानी थी। (1 राजा 21:3, 15; 2 इति. 24:20, 21) दानिय्येल को भूखे शेरों की माँद में डाल दिया गया और उसके दोस्तों को धधकती आग में फेंक दिया गया। झूठे देवताओं के आगे झुकने के बजाय उन्हें मरना मंज़ूर था। उन्हें पूरा विश्वास था कि यहोवा उन्हें अपनी पवित्र शक्ति देगा और उन तकलीफों को सहने की ताकत देगा।—दानि. 3:16-18, 20, 28; 6:13, 16, 21-23; इब्रा. 11:33, 34.
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आशा की हुई चीज़ों पर अपना विश्वास मज़बूत कीजिएप्रहरीदुर्ग (अध्ययन)—2016 | अक्टूबर
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12. (क) हमारे लिए किसने सबसे बेहतरीन मिसाल रखी है? (ख) यीशु को धीरज धरने में किस बात ने मदद दी?
12 यीशु मसीह ने सबसे मुश्किल परीक्षा में धीरज धरा और यहोवा का वफादार बना रहा। किस बात ने उसे धीरज धरने में मदद दी? पौलुस बताता है, “उसने उस खुशी के लिए जो उसके सामने थी, यातना की सूली पर मौत सह ली और शर्मिंदगी की ज़रा भी परवाह न की और अब वह परमेश्वर की राजगद्दी की दायीं तरफ बैठ गया है।” (इब्रा. 12:2) फिर पौलुस ने मसीहियों को बढ़ावा दिया कि वे यीशु की मिसाल पर अच्छी तरह ‘ध्यान दें।’ (इब्रानियों 12:3 पढ़िए।) यीशु की तरह पहली सदी के कई मसीहियों को मार डाला गया था क्योंकि वे यहोवा के वफादार थे। उनमें से एक था अन्तिपास। (प्रका. 2:13) इन मसीहियों को स्वर्ग में अपना इनाम मिल चुका है, जबकि उनसे पहले जीनेवाले परमेश्वर के सेवक अभी-भी मौत की नींद सो रहे हैं क्योंकि उनकी आशा इस धरती पर जीने की है। (इब्रा. 11:35) सन् 1914 में यीशु के राजा बनने के कुछ समय बाद उन अभिषिक्त मसीहियों को स्वर्ग में ज़िंदा किया गया जो मर चुके थे। वे भविष्य में यीशु के साथ मिलकर इंसानों पर राज करेंगे।—प्रका. 20:4.
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