अभी और सर्वदा के लिए आनन्दित
“जो मैं उत्पन्न करने पर हूं, उसके कारण तुम हर्षित हो और सदा सर्वदा मगन रहो; क्योंकि देखो, मैं यरूशलेम को मगन और उसकी प्रजा को आनन्दित बनाऊंगा।”—यशायाह ६५:१८.
१. शताब्दियों के दौरान सच्ची उपासना ने व्यक्तियों को कैसे प्रभावित किया है?
शताब्दियों से, अनगिनत संख्या में लोगों ने सच्चे परमेश्वर, यहोवा की सेवा करने में भरपूर आनन्द पाया है। दाऊद उन अनेकों में से एक था जो सच्ची उपासना में आनन्दित थे। बाइबल बताती है कि जब वाचा का सन्दूक यरूशलेम में लाया गया, तब “दाऊद और इस्राएल का समस्त घराना यहोवा के सन्दूक को जय जयकार करते . . . हुए ले चला।” (२ शमूएल ६:१५) यहोवा की सेवा करने में ऐसा आनन्द अतीत की कोई साधारण बात नहीं है। आप इसमें हिस्सा ले सकते हैं। और आनन्द के नए अंश भी जल्द ही आपके हो सकते हैं!
२. लौटनेवाले यहूदियों पर यशायाह अध्याय ३५ की प्रारंभिक पूर्ति के अलावा, एक और पूर्ति में आज कौन शामिल हैं?
२ पिछले लेख में, हमने यशायाह अध्याय ३५ में अभिलिखित उत्प्रेरक भविष्यवाणी की प्रारम्भिक पूर्ति को जाँचा। हम इसे उचित रूप से एक पुनःस्थापना की भविष्यवाणी कह सकते हैं क्योंकि इसका परिणाम प्राचीनकाल के यहूदियों के लिए यही साबित हुआ। हमारे समय में इसकी एक समान पूर्ति है। यह कैसे? सामान्य युग ३३ के पिन्तेकुस्त के दिन यीशु के प्रेरितों और अन्य लोगों से शुरूआत करते हुए, यहोवा आत्मिक इस्राएलियों के साथ व्यवहार करता रहा है। ये परमेश्वर की पवित्र आत्मा से अभिषिक्त किए गए मनुष्य हैं, जो उसका एक भाग बनते हैं जिसे प्रेरित पौलुस ‘परमेश्वर का इस्राएल’ कहता है। (गलतियों ६:१६; रोमियों ८:१५-१७) इसे भी याद कीजिए कि १ पतरस २:९, में इन मसीहियों को “एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी, याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा” कहा गया है। पतरस आगे आत्मिक इस्राएल को दी गयी उस नियुक्ति की पहचान कराता है: “जिस ने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो।”
हमारे समय में एक पूर्ति
३, ४. जब यशायाह अध्याय ३४ की आधुनिक समय में पूर्ति हुई, तब परिस्थिति क्या थी?
३ इस शताब्दी की शुरूआत में एक ऐसा समय था जब पृथ्वी पर आत्मिक इस्राएल के शेषजन ऐसे एक सन्देश की घोषणा करने में लगातार सक्रिय नहीं थे। वे परमेश्वर की अद्भुत ज्योति में पूरी तरह से हर्ष नहीं मना रहे थे। दरअसल, वे घोर अन्धकार में थे। यह कब था? और यहोवा परमेश्वर ने इसके बारे में क्या किया?
४ यह प्रथम विश्व युद्ध के समय में था, १९१४ में स्वर्ग में परमेश्वर के मसीहाई राज्य की स्थापना के तुरन्त बाद। राष्ट्र, विभिन्न देशों के गिरजों के पादरियों के समर्थन के साथ, एक दूसरे से क्रुद्ध थे। (प्रकाशितवाक्य ११:१७, १८) निश्चय ही, परमेश्वर धर्मत्यागी मसीहीजगत के उन्नत पादरी वर्ग के ऐसे विरोध में था जैसे वह एदोम की हठधर्मी जाति के साथ रहा था। अतः, इसके बाद मसीहीजगत, अर्थात् प्रतिप्ररूपी एदोम को यशायाह अध्याय ३४ की आधुनिक-दिन पूर्ति को सहना है। स्थायी विनाश के ज़रिए यह पूर्ति ठीक उसी तरह निश्चित है जैसे प्राचीन एदोम के विरुद्ध प्रथम पूर्ति निश्चित थी।—प्रकाशितवाक्य १८:४-८, १९-२१.
५. हमारे समय में यशायाह अध्याय ३५ की किस प्रकार की पूर्ति हुई है?
५ यशायाह की भविष्यवाणी के अध्याय ३५ के बारे में क्या जो आनन्द पर ज़ोर देता है? इसकी भी हमारे समय में पूर्ति हुई है। वह कैसे? यह एक प्रकार की बन्धुवाई से आत्मिक इस्राएल की पुनःस्थापना में पूरी हुई है। आइए हम वास्तव में हाल के ईश्वरशासित इतिहास में क्या है इसके तथ्यों की जाँच करें, जो अब भी जीवित अनेक लोगों के जीवनकाल में घटा है।
६. ऐसा क्यों कहा जा सकता है कि आत्मिक इस्राएल के शेषजन एक बन्दी स्थिति में आ गए?
६ प्रथम विश्व युद्ध काल के दौरान सापेक्षिक रूप से थोड़े समय के लिए, आत्मिक इस्राएल के शेषजन पूरी तरह से शुद्ध और परमेश्वर की इच्छा के सामंजस्य में नहीं रहे थे। उनमें से कुछ लोगों पर धर्म-सैद्धान्तिक त्रुटियों का दाग़ था और युद्धग्रस्त राष्ट्रों को समर्थन देने के लिए जब उन पर दबाव डाला गया तब यहोवा के लिए एक तटस्थ स्थिति न लेने के द्वारा उन्होंने समझौता किया। युद्ध के उन सालों के दौरान, उन्होंने हर प्रकार की सताहट को सहा, यहाँ तक कि अनेक जगहों में उनके बाइबल साहित्य पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। आख़िरकार, कुछ ज़्यादा प्रमुख भाइयों को झूठे आरोप लगाकर दोषी ठहराया गया और क़ैद किया गया। पिछली घटनाओं को मद्देनज़र रखते हुए यह देखना मुश्किल नहीं है कि ‘एक अर्थ में’ परमेश्वर के लोग, स्वतंत्र रहने के बजाय बन्दी स्थिति में थे। (यूहन्ना ८:३१, ३२ से तुलना कीजिए।) उनमें गम्भीर रूप से आध्यात्मिक दृष्टि की कमी थी। (इफिसियों १:१६-१८) परमेश्वर की स्तुति करने के सम्बन्ध में उन्होंने सापेक्षिक गूंगापन दिखाया, जिसके परिणामस्वरूप वे आध्यात्मिक रूप से फलदायी नहीं थे। (यशायाह ३२:३, ४; रोमियों १४:११; फिलिप्पियों २:११) क्या आप देखते हैं कि कैसे यह परिस्थिति बाबुल की बन्धुवाई में प्राचीन यहूदियों की परिस्थिति के समान है?
७, ८. आधुनिक-दिन के शेषजनों ने किस प्रकार की पुनःस्थापना का अनुभव किया?
७ लेकिन क्या परमेश्वर अपने आधुनिक-दिन सेवकों को उस दशा में छोड़ता? जी नहीं, यशायाह के ज़रिए जो पूर्वबताया गया था, उसके सामंजस्य में वह उन्हें पुनःस्थापित करने के लिए दृढ़संकल्प था। अतः, आध्यात्मिक परादीस में समृद्धता और स्वास्थ्य में आत्मिक इस्राएल के शेषजन की पुनःस्थापना के साथ, अध्याय ३५ की इसी भविष्यवाणी की हमारे समय में एक सुस्पष्ट पूर्ति होती है। इब्रानियों १२:१२ में, यशायाह की भविष्यवाणी के इस भाग के हमारे आध्यात्मिक अनुप्रयोग की यथार्थता का समर्थन करते हुए पौलुस ने यशायाह ३५:३ को एक लाक्षणिक अर्थ में लागू किया।
८ युद्धोपरान्त समय में, लाक्षणिक रूप से कहें तो, आत्मिक इस्राएल के शेष अभिषिक्त जन बन्धुवाई से बाहर आ गए। यहोवा परमेश्वर ने उन्हें मुक्त करने के लिए यीशु मसीह, अर्थात् महान कुस्रू का प्रयोग किया। अतः, ये शेषजन पुनःनिर्माण का कार्य कर सकते थे, जिसकी तुलना प्राचीन यहूदियों के शेषजनों के कार्य से की जा सकती है, जो यरूशलेम के शाब्दिक मन्दिर का पुनःनिर्माण करने के लिए अपने देश को वापस गए थे। इसके अतिरिक्त, आधुनिक समय में ये आत्मिक इस्राएली एक हरे-भरे आध्यात्मिक परादीस, अर्थात् एक लाक्षणिक अदन की वाटिका को विकसित करना और बढ़ाना शुरू कर सकते थे।
९. यशायाह ३५:१, २, ५-७ में वर्णित बात की ही तरह कुछ हमारे समय में कैसे विकसित हुआ?
९ उपरोक्त को मन में रखते हुए, आइए हम एक बार फिर यशायाह अध्याय ३५ पर ग़ौर करें, और पहले आयत १ और २ को देखें। जो एक निर्जल देश लगता था वह वास्तव में फलने-फूलने लगा और शारोन के प्राचीन मैदानों की तरह उत्पादक होने लगा। फिर, आयत ५ से ७ को देखिए। शेषजन, जिनमें से कुछ लोग अब भी जीवित और यहोवा की सेवा में सक्रिय हैं, की समझ की आँखें खोली गयीं। वे १९१४ में और उसके बाद जो हुआ उसके अर्थ को बेहतर देख सकते थे। उसका प्रभाव हम में से अनेकों पर भी रहा है जिनसे “बड़ी भीड़” बनती है, और जो अब शेषजन के साथ-साथ सेवा कर रहे हैं।—प्रकाशितवाक्य ७:९.
क्या आप पूर्ति का भाग हैं?
१०, ११. (क) यशायाह ३५:५-७ की पूर्ति में आप कैसे सम्मिलित रहे हैं? (ख) इन परिवर्तनों के बारे में व्यक्तिगत रूप से आप कैसा महसूस करते हैं?
१० अपने आप को उदाहरण के तौर पर लीजिए। यहोवा के साक्षियों के साथ आपका संपर्क में आने से पहले, क्या आप नियमित रूप से बाइबल पढ़ते थे? यदि आप पढ़ते थे, तो आपके पास कितनी समझ थी? उदाहरण के लिए, मृत जनों की स्थिति के बारे में आप अब सच्चाई जानते हैं। संभवतः आप विषय में दिलचस्पी लेनेवाले किसी व्यक्ति से उत्पत्ति अध्याय २, सभोपदेशक अध्याय ९, और यहेजकेल अध्याय १८, साथ ही साथ अनेक शास्त्रवचनों से संबद्ध पाठों को दिखा सकते हैं। जी हाँ, अनेक विषयों या प्रश्नों पर बाइबल क्या शिक्षा देती है, इसे आप संभवतः समझते हैं। सरल रीति से कहें तो, बाइबल आपको समझ आती है। और आप इसकी अधिकांश बातों को दूसरों को समझा सकते हैं, जैसा आपने निःसंदेह किया है।
११ लेकिन, हम में से प्रत्येक जन को यह पूछना अच्छा होगा, ‘बाइबल सच्चाई के बारे में जितना मैं जानता हूँ, उसे मैंने कैसे सीखा? यहोवा के लोगों के साथ अध्ययन करने से पहले, क्या मैंने अभी-अभी उल्लेख किए गए सभी शास्त्रवचनों को पाया था? क्या मैंने उनके अर्थ को समझा और उनके महत्त्व के सम्बन्ध में सही निष्कर्ष तक पहुँचा?’ संभवतः इन सवालों का निष्कपट जवाब है, नहीं। किसी को ऐसे एक कथन पर खफ़ा नहीं होना चाहिए, लेकिन यह कहा जा सकता है कि बुनियादी तौर पर इन पाठों और इनके अर्थ के सम्बन्ध में आप अन्धे थे। क्या ऐसा नहीं था? वे बाइबल में थे, लेकिन आप उन्हें देख नहीं सके ना ही उनके महत्त्व को समझ सके? तो फिर, आध्यात्मिक रूप से आपकी आँखें कैसे खोली गयीं? यह अभिषिक्त शेषजन पर यशायाह ३५:५ को पूरा करने में यहोवा ने जो किया है, उसके द्वारा हुआ। बदले में, आपकी आँखें खोली गयीं। अब आप और आध्यात्मिक अन्धकार में नहीं हैं। आप देख सकते हैं।—प्रकाशितवाक्य ३:१७, १८ से तुलना कीजिए।
१२. (क) हम क्यों कह सकते हैं कि यह समय चमत्कारिक शारीरिक चंगाई का नहीं है? (ख) भाई एफ़. डब्ल्यू. फ्रान्ज़ का मामला हमारे समय में जिस तरह से यशायाह ३५:५ पूरा हुआ है, उसे कैसे सचित्रित करता है?
१२ बाइबल और शताब्दियों के दौरान परमेश्वर के व्यवहार के समझदार विद्यार्थी जानते हैं कि इतिहास में यह चंगाई के शारीरिक चमत्कारों की अवधि नहीं है। (१ कुरिन्थियों १३:८-१०) सो हम ऐसी उम्मीद नहीं करते कि यीशु मसीह यह साबित करने के लिए कि वह मसीहा अर्थात् परमेश्वर का भविष्यवक्ता है, अन्धी आँखों को खोले। (यूहन्ना ९:१-७, ३०-३३) ना ही वह सभी बहरों को फिर से सुनने के लिए समर्थ कर रहा है। जैसे-जैसे फ्रेडरिक डब्ल्यू. फ्रान्ज़, एक अभिषिक्त और उस वक़्त वॉच टावर सोसाइटी के अध्यक्ष, १०० साल की उम्र के क़रीब पहुँचे, वो लगभग अन्धे थे और उन्हें एक श्रवण-सहाय इस्तेमाल करना पड़ता था। कुछ सालों तक कमज़ोर दृष्टि की वजह से वे पढ़ नहीं पाते थे; फिर भी, यशायाह ३५:५ के अर्थ में उनके बारे में अन्धे या बहरे के तौर पर कौन सोचता? उनकी तेज़ आध्यात्मिक दृष्टि पृथ्वी-भर में परमेश्वर के लोगों के लिए एक आशीष थी।
१३. परमेश्वर के आधुनिक-दिन लोगों ने कौन-से पलटाव या पुनःस्थापना का अनुभव किया है?
१३ या आपकी जीभ के बारे में क्या? उनकी आध्यात्मिक बन्धुवाई के दौरान परमेश्वर के अभिषिक्त जनों को शायद गूँगा कर दिया गया था। लेकिन एक मर्तबा जब परमेश्वर ने उस परिस्थिति को पलट दिया, तो उनकी जीभें ख़ुशी से परमेश्वर के स्थापित राज्य और भविष्य के लिए उसकी प्रतिज्ञाओं के बारे में जो वे जानते थे, उसके बारे में जयजयकार करने लगीं। उन्होंने शायद आपकी ज़ुबान को भी खोलने में आपकी मदद की होगी। अतीत में आपने दूसरों के साथ बाइबल सच्चाई के बारे में कितनी बात की है? शायद किसी समय आपने सोचा होगा, ‘अध्ययन करने में मुझे मज़ा आता है, लेकिन मैं कभी भी अजनबियों के पास जाकर बात नहीं करूँगा।’ लेकिन, क्या यह सही नहीं है कि “गूंगे अपनी जीभ से” अब ख़ुशी से ‘जयजयकार कर रहे हैं’?—यशायाह ३५:६.
१४, १५. हमारे समय में कैसे अनेक लोग “पवित्र मार्ग” पर चले हैं?
१४ बाबुल से मुक्त किए गए प्राचीन यहूदियों को वापस अपने स्वदेश जाने के लिए एक लम्बा रास्ता तय करना था। वह हमारे समय में किसके सदृश है? यशायाह ३५:८ देखिए: “वहां एक सड़क अर्थात् राजमार्ग होगा, उसका नाम पवित्र मार्ग होगा; कोई अशुद्ध जन उस पर से न चलने पाएगा।”
१५ आध्यात्मिक बन्धुवाई से उनकी रिहाई के समय से, अभिषिक्त शेषजन, अब लाखों अन्य भेड़ों के साथ-साथ, बड़े बाबुल से निकलकर एक लाक्षणिक राजमार्ग पर आ गए हैं, जो पवित्रता का एक स्वच्छ मार्ग है और जो आध्यात्मिक परादीस की ओर ले जाता है। हम पवित्रता के इस राजमार्ग के योग्य होने और उस पर बने रहने के लिए हर प्रयास कर रहे हैं। अपने बारे में सोचिए। जब आप संसार में थे उसकी तुलना में जिस नैतिक स्तर और सिद्धान्त का आप पालन करते हैं, क्या वे अब काफ़ी ऊँचे नहीं हैं? अपनी सोच और आचरण को परमेश्वर के अनुकूल करने के लिए क्या आप और ज़्यादा प्रयास नहीं करते?—रोमियों ८:१२, १३; इफिसियों ४:२२-२४.
१६. पवित्र मार्ग पर चलते वक़्त हम किन परिस्थितियों का आनन्द उठा सकते हैं?
१६ जैसे-जैसे आप इस पवित्र मार्ग पर चलना जारी रखते हैं, आप मूलतः पशुसमान मनुष्यों के बारे में चिन्तामुक्त हैं। माना कि संसार में आपको यह देखना पड़ता है कि लालची या घृणित लोग लाक्षणिक रूप से आपको कच्चा चबा न जाएँ। अनेक लोग दूसरों के साथ लालची रीति से व्यवहार करते हैं। परमेश्वर के लोगों के बीच क्या ही विषमता! वहाँ आप एक सुरक्षित वातावरण में हैं। निश्चय ही, आपके संगी मसीही परिपूर्ण नहीं हैं; कभी-कभी एक व्यक्ति ग़लती करता है या नाराज़गी का कारण बनता है। लेकिन आप जानते हैं कि आपके भाई आपको जानबूझकर ठेस पहुँचाने या आपको कच्चा चबाने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। (भजन ५७:४; यहेजकेल २२:२५; लूका २०:४५-४७; प्रेरितों २०:२९; २ कुरिन्थियों ११:१९, २०; गलतियों ५:१५) इसके बजाय, वे आप में दिलचस्पी लेते हैं; उन्होंने आपकी मदद की है; वे आपके साथ सेवा करना चाहते हैं।
१७, १८. किस अर्थ में, अब एक परादीस अस्तित्व में है, और इसका हम पर क्या असर होता है?
१७ सो हम आयत १ से ८ तक की वर्तमान पूर्ति को ध्यान में रखते हुए यशायाह अध्याय ३५ को देख सकते हैं। क्या यह स्पष्ट नहीं है कि हम ने उसे पाया है जिसे उचित रूप से एक आध्यात्मिक परादीस कहा जाता है? जी नहीं, यह परिपूर्ण नहीं है—अब तक तो नहीं। लेकिन यह वास्तव में एक परादीस है, क्योंकि यहाँ हम पहले ही, जैसे आयत २ में कहा गया है, ‘यहोवा की शोभा और हमारे परमेश्वर का तेज देख’ सकते हैं। और इसका असर क्या है? आयत १० कहती है: “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा; वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा।” सचमुच, झूठे धर्म से हमारा बाहर निकलना और परमेश्वर के अनुग्रह तले सच्ची उपासना में लगे रहना आनन्द उत्प्रेरक है।
१८ सच्ची उपासना से जुड़ा हुआ आनन्द बढ़ता ही जाता है, क्या नहीं? आप दिलचस्पी लेनेवाले नए-नए लोगों को परिवर्तन करते हुए और बाइबल सच्चाई में शिक्षित होते हुए देखते हैं। आप युवाओं को बड़ा होते हुए और कलीसिया में आध्यात्मिक प्रगति करते हुए देखते हैं। बपतिस्मे होते हैं, जहाँ आप अपने परिचित जनों को बपतिस्मा लेते हुए देखते हैं। क्या ये सब आज आनन्द, भरपूर आनन्द के कारण नहीं हैं? जी हाँ, हमारी आध्यात्मिक स्वतंत्रता और परादीस परिस्थितियों में दूसरों का हमारे साथ शामिल होने में क्या ही आनन्द है!
एक पूर्ति अब भी आगे है!
१९. यशायाह अध्याय ३५ हमें कौन-सी आशापूर्ण प्रत्याशा से भर देता है?
१९ हम ने अब तक यशायाह अध्याय ३५ पर यहूदियों की वापसी के साथ इसकी प्रथम पूर्ति के सम्बन्ध में और आज जो आध्यात्मिक पूर्ति हो रही है, इसके सम्बन्ध में ग़ौर किया है। लेकिन यह इसका अन्त नहीं है। और भी बहुत कुछ है। यह पृथ्वी पर शाब्दिक परादीस परिस्थितियों की आनेवाली पुनःस्थापना के बाइबलीय आश्वासन से जुड़ा हुआ है।—भजन ३७:१०, ११; प्रकाशितवाक्य २१:४, ५.
२०, २१. यह विश्वास करना तर्कसंगत और शास्त्रीय क्यों है कि यशायाह अध्याय ३५ की एक और भी पूर्ति होगी?
२० यहोवा के लिए यह सुसंगत नहीं होगा कि वह परादीस का स्पष्ट वर्णन प्रदान करे और फिर पूर्तियों को आध्यात्मिक बातों तक ही सीमित रखे। निश्चय ही, इसका मतलब यह कहना नहीं है कि आध्यात्मिक पूर्तियाँ महत्त्वहीन हैं। यद्यपि एक शाब्दिक परादीस स्थापित किया जाता, वह हमें संतुष्ट नहीं करता यदि खूबसूरत दृश्य और शान्तिपूर्ण जानवरों के बीच हम आध्यात्मिक रूप से भ्रष्ट पुरुषों, ऐसे मनुष्य जो जंगली जानवरों की तरह कार्य करते हैं, से घिरे हुए होते। (तीतुस १:१२ से तुलना कीजिए।) जी हाँ, आध्यात्मिक बातों को पहले आना चाहिए, क्योंकि ये सबसे महत्त्वपूर्ण हैं।
२१ फिर भी, आनेवाला परादीस उन आध्यात्मिक पहलुओं के साथ अन्त नहीं होता जिसका आनन्द हम अभी उठाते हैं और भविष्य में और भी ज़्यादा उठाएँगे। यशायाह अध्याय ३५ जैसी भविष्यवाणियों की शाब्दिक पूर्ति की उम्मीद करने के लिए हमारे पास अच्छे कारण हैं। क्यों? अध्याय ६५ में, यशायाह ने ‘नए आकाश और नई पृथ्वी’ के बारे में पूर्वबताया। प्रेरित पतरस ने इस शास्त्रवचन का इस्तेमाल किया जब वह इसका वर्णन दे रहा था कि यहोवा के दिन के बाद क्या होगा। (यशायाह ६५:१७, १८; २ पतरस ३:१०-१३) पतरस सूचित कर रहा था कि जिन पहलुओं को यशायाह वर्णित कर रहा था, वे वास्तव में अस्तित्व में होते जब “नई पृथ्वी” एक वास्तविकता बन जाती। उनमें ऐसे वर्णन शामिल हैं जिनसे आप शायद परिचित हों—घर बनाना और उनमें बसना; दाख की बारियाँ लगाना और उनका फल खाना; अपने हाथों के परिश्रम का काफ़ी समय तक आनन्द उठाना; भेड़िए और मेम्ने का एक साथ रहना; और सारी पृथ्वी पर कोई हानि न होना। दूसरे शब्दों में, लम्बी आयु, सुरक्षित घर, प्रचुर भोजन, संतुष्टिदायक काम, और जानवरों में और जानवरों तथा मनुष्यों के बीच शान्ति।
२२, २३. यशायाह अध्याय ३५ की भावी पूर्ति में आनन्द के लिए कौन-सा आधार होगा?
२२ क्या यह प्रत्याशा आपको आनन्द से नहीं भर देती? ऐसा होना चाहिए क्योंकि परमेश्वर ने हमें ऐसे जीने के लिए ही सृष्ट किया था। (उत्पत्ति २:७-९) सो, यशायाह अध्याय ३५ की भविष्यवाणी के सम्बन्ध में, जिस पर हम ग़ौर कर रहे हैं, इसका क्या अर्थ है? इसका अर्थ है कि हमारे पास आनन्द से जयजयकार करने के लिए अतिरिक्त कारण हैं। शाब्दिक रेगिस्तान और निर्जल देश फल-फूल उठेंगे, जिसके कारण हम आनन्द करेंगे। फिर नीली आँखोंवाले, या भूरी आँखोंवाले, या कुछ अन्य मनभावनी रंग की आँखोंवाले लोग, लेकिन जो अब अन्धे हैं, देखने में समर्थ होंगे। हमारे संगी मसीही जो बहरे हैं, या हम में से वे भी जो ऊँचा सुनते हैं, स्पष्ट रूप से सुनने में समर्थ होंगे। इस क्षमता को परमेश्वर के वचन को पढ़े जाते और समझाए जाते हुए सुनने; साथ ही साथ पेड़ों में हवा की सरसराहट की आवाज़, एक बच्चे की किलकारी, एक पक्षी का गीत सुनने में इस्तेमाल करना क्या ही आनन्द की बात है!
२३ इसका यह भी अर्थ होगा कि लंगड़े जन, जिनमें संधिशोथ से अभी पीड़ित लोग शामिल हैं, बिना दर्द के घूमेंगे-फिरेंगे। क्या ही राहत! फिर रेगिस्तान से जल की शाब्दिक धाराएँ फूट पड़ेंगी। हम, दोनों उमड़ते जल को देखेंगे और उसकी कलकल को सुनेंगे। हम वहाँ चलने और हरी-हरी घास तथा सरकण्डे के पौधों को छूने में समर्थ होंगे। यह वाक़ई पुनःस्थापित परादीस होगा। बिना डर के शेर या ऐसे ही अन्य जानवर के आस-पास होने के आनन्द के बारे में क्या? हमें इसका वर्णन करना शुरू करने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि हम में से सभी ने इस दृश्य की कल्पना की है और इसका मज़ा पहले ही उठाया है।
२४. यशायाह ३५:१० में दी गयी अभिव्यक्ति के साथ आप क्यों सहमत हो सकते हैं?
२४ यशायाह हमें आश्वस्त करता है: “यहोवा के छुड़ाए हुए लोग लौटकर जयजयकार करते हुए सिय्योन में आएंगे; और उनके सिर पर सदा का आनन्द होगा।” सो हम सहमत हो सकते हैं कि हमारे पास आनन्द से जयजयकार करने के लिए कारण है। हमारे आध्यात्मिक परादीस में अपने लोगों के लिए यहोवा अब जो कर रहा है उस पर आनन्द, और निकट भविष्य में शाब्दिक परादीस में हम जिसकी प्रत्याशा कर सकते हैं उस पर आनन्द। आनन्दित लोगों के बारे में—हमारे बारे में—यशायाह लिखता है: “वे हर्ष और आनन्द पाएंगे और शोक और लम्बी सांस का लेना जाता रहेगा”—यशायाह ३५:१०.
क्या आपने ध्यान दिया?
◻ यशायाह अध्याय ३५ की कौन-सी दूसरी पूर्ति हुई है?
◻ आध्यात्मिक रूप से कौन-सी बात उन चमत्कारिक परिवर्तनों के साथ मेल खाती है, जिसे यशायाह ने पूर्वबताया?
◻ इस भविष्यवाणी की पूर्ति में आपने कैसे हिस्सा लिया है?
◻ हम क्यों कह सकते हैं कि यशायाह अध्याय ३५ हमें भविष्य के लिए आशा से भर देता है?
[पेज 15 पर तसवीरें]
ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क का रेमण्ड स्ट्रीट जेल, जहाँ जून, १९१८ में सात प्रमुख भाइयों को हवालात में रखा गया था
[पेज 16 पर तसवीरें]
हालाँकि भाई फ्रान्ज़ अपने बाद के सालों में लगभग अन्धे थे, उनकी आध्यात्मिक दृष्टि तेज़ रही
[पेज 17 पर तसवीरें]
आध्यात्मिक वृद्धि और प्रगति आनन्द के कारण हैं