अध्ययन लेख 5
गीत 27 जल्द ज़ाहिर होंगे याह के बेटे
“मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा”!
“परमेश्वर ने कहा है, ‘मैं तुझे कभी नहीं छोड़ूँगा, न कभी त्यागूँगा।’”—इब्रा. 13:5ख.
क्या सीखेंगे?
धरती पर जीने की आशा रखनेवाले परमेश्वर के सभी सेवक क्यों यह भरोसा रख सकते हैं कि जब बचे हुए सभी अभिषिक्त मसीही स्वर्ग चले जाएँगे, तो यहोवा उन्हें अकेला नहीं छोड़ेगा?
1. सभी अभिषिक्त मसीही कब स्वर्ग जा चुके होंगे?
सालों पहले यहोवा के लोगों के मन में अकसर यह सवाल आता था: ‘आखिर में जो अभिषिक्त मसीही बच जाएँगे, वे कब स्वर्ग जाएँगे?’ एक वक्त पर हमारा मानना था कि कुछ अभिषिक्त मसीही शायद हर-मगिदोन के बाद भी इस धरती पर फिरदौस में कुछ समय के लिए रहेंगे। लेकिन फिर 15 जुलाई 2013 की प्रहरीदुर्ग में समझाया गया कि हर-मगिदोन शुरू होने से पहले ही बचे हुए सभी अभिषिक्त मसीही स्वर्ग जा चुके होंगे।—मत्ती 24:31.
2. कुछ लोगों के मन में शायद क्या सवाल आए और इस लेख में हम क्या जानेंगे?
2 लेकिन शायद कुछ लोगों के मन में यह भी सवाल आए: मसीह की ‘दूसरी भेड़ों’ का क्या होगा जो “महा-संकट” के दौरान वफादारी से यहोवा की सेवा कर रही होंगी? (यूह. 10:16; मत्ती 24:21) हमें अभिषिक्त मसीहियों से बहुत लगाव है। तो शायद कुछ लोगों को यह चिंता हो कि जब सभी अभिषिक्त भाई-बहन स्वर्ग चले जाएँगे, तो वे अकेले रह जाएँगे, उन्हें राह दिखानेवाला कोई नहीं होगा। आइए बाइबल से ऐसे दो किस्सों पर ध्यान दें जिनकी वजह से शायद ये भाई-बहन ऐसा सोचते हैं। फिर हम कुछ वजहों पर ध्यान देंगे कि हमें क्यों इस बारे में इतनी चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।
दूसरी भेड़ों के साथ क्या नहीं होगा?
3-4. कुछ भाई-बहन शायद क्या सोचें और क्यों?
3 कुछ भाई-बहन शायद सोचें कि जब शासी निकाय के भाई धरती पर उनके साथ नहीं होंगे, तो दूसरी भेड़ें कहीं सच्चाई की राह से भटक तो नहीं जाएँगी। शायद बाइबल के कुछ किस्से पढ़कर उनके मन में ऐसा खयाल आए। आइए ऐसे ही दो किस्सों पर ध्यान दें। एक किस्सा उस वक्त का है जब यहोयादा महायाजक था। वह यहोवा का एक वफादार सेवक था। उसने और उसकी पत्नी यहोशावत ने नन्हे यहोआश की जान बचायी थी। उन्होंने उसे सही राह पर चलना सिखाया, इसलिए वह आगे चलकर एक अच्छा राजा बना। जब तक यह बुज़ुर्ग महायाजक ज़िंदा था, यहोआश यहोवा का वफादार रहा और सही काम करता रहा। लेकिन यहोयादा की मौत के बाद वह यहूदा के दुष्ट हाकिमों की सुनने लगा और उसने यहोवा की उपासना करनी छोड़ दी।—2 इति. 24:2, 15-19.
4 एक और किस्सा दूसरी सदी (ईसवी सन् 100 के बाद) के मसीहियों के बारे में है। जब तक यीशु के प्रेषित ज़िंदा थे, उन्होंने वफादारी से यहोवा की सेवा करने में मसीहियों की बहुत मदद की थी। यूहन्ना ने भी ऐसा ही किया था जो प्रेषितों में सबसे आखिर तक जीया। (3 यूह. 4) उस वक्त लोग मंडलियों में झूठी शिक्षाएँ सिखा रहे थे। उनसे मसीहियों को बचाने के लिए बाकी प्रेषितों की तरह यूहन्ना ने कड़ी मेहनत की, वह मानो उन्हें “रोके हुए” था। (1 यूह. 2:18; 2 थिस्स. 2:7) लेकिन यूहन्ना की मौत के बाद झूठी शिक्षाएँ मंडलियों में आग की तरह फैल गयीं और कुछ ही सालों में मसीही मंडलियाँ पूरी तरह दूषित हो गयीं।
5. बाइबल के ये दो किस्से पढ़कर हमें क्या नहीं सोचना चाहिए?
5 क्या इन दोनों किस्सों का यह मतलब है कि जब अभिषिक्त मसीही स्वर्ग चले जाएँगे, तो यीशु की दूसरी भेड़ों के साथ भी कुछ ऐसा ही होगा? क्या उस वक्त वफादार मसीही यहोआश की तरह सही राह से भटक जाएँगे या दूसरी सदी के मसीहियों की तरह सच्चे धर्म से बगावत करेंगे? जी नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं होगा! हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि अभिषिक्त मसीहियों के स्वर्ग जाने के बाद, दूसरी भेड़ें वफादारी से यहोवा की सेवा करती रहेंगी और यहोवा उनका खयाल रखेगा। पर हम क्यों इस बात का यकीन रख सकते हैं?
शुद्ध उपासना कभी-भी दूषित नहीं होगी
6. हम किन तीन दौर के बारे में बात करेंगे?
6 हम क्यों यकीन रख सकते हैं कि आगे चलकर जब मुश्किलें आएँगी, तब भी शुद्ध उपासना दूषित नहीं होगी? क्योंकि बाइबल से हमने जाना है कि हम एक खास दौर में जी रहे हैं। यह दौर इसराएलियों के समय से और दूसरी सदी के मसीहियों के समय से बहुत अलग है। तो आइए एक-एक करके इन तीनों दौर के बारे में बात करें। (1) इसराएलियों का दौर, (2) प्रेषितों की मौत के बाद का दौर और (3) हमारा समय यानी वह दौर ‘जब सबकुछ पहले जैसा कर दिया जाएगा।’—प्रेषि. 3:21.
7. जब इसराएली राजा और बाकी लोग बुरे-बुरे काम करने लगे, तो वफादार इसराएलियों ने क्यों हिम्मत नहीं हारी?
7 इसराएलियों का दौर। अपनी मौत से कुछ समय पहले मूसा ने इसराएलियों से कहा, “मैं अच्छी तरह जानता हूँ कि मेरे मरने के बाद तुम ज़रूर दुष्ट काम करोगे और मैंने तुम्हें जिस राह पर चलने की आज्ञा दी है, उससे हटकर दूर चले जाओगे।” (व्यव. 31:29) मूसा ने इसराएलियों को यह चेतावनी भी दी कि अगर वे यहोवा की बात नहीं मानेंगे, तो वे बंदी बना लिए जाएँगे। (व्यव. 28:35, 36) और ठीक ऐसा ही हुआ। आनेवाली सदियों में इसराएल में ऐसे कई राजा हुए, जिन्होंने बुरे-बुरे काम किए और अपने लोगों को यहोवा से दूर ले गए। इस वजह से यहोवा ने उन दुष्ट लोगों को ठुकरा दिया और इसराएल में राजाओं को ठहराना बंद कर दिया। (यहे. 21:25-27) लेकिन जब वफादार इसराएलियों ने देखा कि कैसे यहोवा की कही हर बात पूरी हुई है, तो इससे उन्हें हिम्मत मिली और वे सच्चाई की राह पर चलते रहे।—यशा. 55:10, 11.
8. क्या हमें इस बात से हैरान होना चाहिए कि दूसरी सदी की मसीही मंडलियाँ दूषित हो गयी थीं? समझाइए।
8 प्रेषितों की मौत के बाद का दौर। दूसरी सदी में मसीही मंडलियाँ पूरी तरह दूषित हो गयी थीं। क्या यह जानकर हमें हैरान होना चाहिए? जी नहीं, यीशु ने पहले ही बता दिया था कि बहुत-से लोग सच्चे मसीही धर्म से बगावत करेंगे। (मत्ती 7:21-23; 13:24-30, 36-43) और पहली सदी में ही यीशु की यह भविष्यवाणी पूरी होने लगी थी। प्रेषित पौलुस, पतरस और यूहन्ना ने भी इस बारे में लिखा। (2 थिस्स. 2:3, 7; 2 पत. 2:1-3, 17-19; 1 यूह. 2:18) और दूसरी सदी में मसीही मंडलियाँ पूरी तरह दूषित हो गयीं। इस तरह झूठे मसीही धर्म की शुरूआत हुई, जो महानगरी बैबिलोन (झूठे धर्मों का साम्राज्य) का एक बड़ा हिस्सा बन गया। यीशु ने जो कहा था, ठीक वैसा ही हुआ।
9. हम जिस दौर में जी रहे हैं, वह इसराएलियों और दूसरी सदी के मसीहियों के दौर से कैसे अलग है?
9 वह दौर ‘जब सबकुछ पहले जैसा कर दिया जाएगा।’ आज हम जिस दौर में जी रहे हैं, वह ना तो बीते ज़माने के इसराएल के दौर की तरह है और ना ही दूसरी सदी के दौर की तरह जब बहुत-से लोग सच्चे मसीही धर्म से बगावत करने लगे थे। तो हम किस दौर में जी रहे हैं? आम तौर पर हम इसे इस दुष्ट दुनिया के ‘आखिरी दिन’ कहते हैं। (2 तीमु. 3:1) पर बाइबल से पता चलता है कि 1914 में एक और खास दौर की शुरूआत हुई जो काफी लंबा है। यह दौर मसीह के 1,000 साल के राज के आखिर तक चलेगा जब तक कि सभी इंसान परिपूर्ण नहीं हो जाते और धरती फिरदौस नहीं बन जाती। इस दौर में ‘सबकुछ पहले जैसा कर दिया जाएगा।’ (प्रेषि. 3:21) तो अब तक क्या-क्या पहले जैसा हो चुका है? 1914 में यीशु को स्वर्ग में राजा बनाया गया। इस तरह एक बार फिर एक राजा यहोवा की तरफ से राज करने लगा जो वफादार राजा दाविद के खानदान से है। इसके कुछ ही समय बाद यहोवा ने कुछ और भी पहले जैसा किया। उसकी मदद से एक बार फिर उसके लोग शुद्ध उपासना करने लगे। (यशा. 2:2-4; यहे. 11:17-20) लेकिन क्या शुद्ध उपासना फिर दूषित हो जाएगी?
10. (क) हमारे समय में की जा रही शुद्ध उपासना के बारे में क्या भविष्यवाणी की गयी थी? (यशायाह 54:17) (ख) इन भविष्यवाणियों से हमें क्यों हिम्मत मिलती है?
10 यशायाह 54:17 पढ़िए। ज़रा इस भविष्यवाणी के बारे में सोचिए: “तुम्हारे खिलाफ उठनेवाला कोई भी हथियार कामयाब नहीं होगा”! यहोवा की कही यह बात आज पूरी हो रही है। एक और भविष्यवाणी भी हमारे समय में पूरी हो रही है: “तेरे सारे बेटे यहोवा के सिखाए हुए होंगे और उन्हें भरपूर शांति मिलेगी। नेकी के दम पर तुझे मज़बूती से कायम किया जाएगा। . . . तुझे किसी बात का डर नहीं होगा, न ही तू खौफ खाएगी, डर तेरे पास भी नहीं फटकेगा।” (यशा. 54:13, 14) आज यहोवा के लोग दुनिया-भर में सिखाने का जो काम कर रहे हैं, उसे ‘इस दुनिया की व्यवस्था का ईश्वर’ शैतान भी नहीं रोक सकता। (2 कुरिं. 4:4) एक बार फिर से शुद्ध उपासना की जा रही है और यह फिर कभी दूषित नहीं होगी। यहोवा के लोग हमेशा-हमेशा तक उसकी शुद्ध उपासना करते रहेंगे। हमारे खिलाफ उठनेवाला कोई भी हथियार कामयाब नहीं होगा।
अभिषिक्त मसीहियों के स्वर्ग जाने के बाद क्या होगा?
11. किस बात से हमें यकीन हो जाता है कि जब अभिषिक्त मसीही स्वर्ग चले जाएँगे, तो बड़ी भीड़ को छोड़ नहीं दिया जाएगा?
11 जब अभिषिक्त मसीही स्वर्ग चले जाएँगे तब क्या होगा? याद रखिए, यीशु हमारा चरवाहा है, वही मसीही मंडली का मुखिया है। और उसने कहा था, “तुम्हारा एक ही नेता या अगुवा है, मसीह।” (मत्ती 23:10) मसीह यीशु स्वर्ग में राज कर रहा है और वह हमेशा अपने लोगों का खयाल रखेगा। जब मसीह हमें राह दिखाएगा, तो फिर चिंता की क्या बात? हम यह तो नहीं जानते कि उस वक्त मसीह ठीक किस तरह हमें राह दिखाएगा, लेकिन हम यकीन रख सकते हैं कि वह अपनी ज़िम्मेदारी अच्छी तरह पूरी करेगा। आइए बाइबल से कुछ ऐसे उदाहरणों पर गौर करें, जिससे हमें इस बात का और भी यकीन हो जाएगा।
12. (क) मूसा की मौत के बाद यहोवा ने कैसे अपने लोगों का खयाल रखा? (ख) जब एलियाह को कहीं और भेज दिया गया, तो यहोवा ने कैसे अपने लोगों का खयाल रखा? (तसवीर भी देखें।)
12 इसराएलियों के वादा किए गए देश में जाने से पहले ही मूसा की मौत हो गयी थी। तो जब मूसा नहीं रहा, क्या यहोवा ने अपने लोगों को अकेला छोड़ दिया? जी नहीं। जब तक वे यहोवा के वफादार रहे, यहोवा ने उनका पूरा खयाल रखा। मूसा की मौत से पहले ही यहोवा ने उससे कहा था कि वह यहोशू को लोगों का अगुवा ठहराए। और मूसा कई सालों से यहोशू को सिखा रहा था। (निर्ग. 33:11; व्यव. 34:9) इसके अलावा इसराएल में ऐसे बहुत-से तजुरबेकार लोग थे, जिन्हें हज़ारों, सैकड़ों, पचास-पचास, यहाँ तक कि दस-दस की टोली पर भी प्रधान ठहराया गया था। (व्यव. 1:15) यहोवा ने अपने लोगों का बहुत अच्छा खयाल रखा। ज़रा एक और उदाहरण पर ध्यान दीजिए। यह उस वक्त की बात है जब एलियाह इसराएल में भविष्यवक्ता था। उसने कई सालों तक यहोवा की उपासना करते रहने में इसराएलियों की बहुत मदद की थी। लेकिन फिर यहोवा ने उसे दक्षिण में यहूदा भेज दिया। (2 राजा 2:1; 2 इति. 21:12) तब क्या दस गोत्रवाले इसराएल राज्य के वफादार लोगों को यूँ ही छोड़ दिया गया था? उन्हें राह दिखानेवाला कोई नहीं था? जी नहीं, एलियाह कई सालों से एलीशा को सिखा रहा था। इसके अलावा “भविष्यवक्ताओं के बेटे” भी थे जिन्हें बहुत कायदे से सिखाया गया था या तालीम दी गयी थी। (2 राजा 2:3, फु.) इससे पता चलता है कि यहोवा के लोगों की अगुवाई करने के लिए हमेशा बहुत-से वफादार लोग रहे हैं। उनके ज़रिए यहोवा ने अपने लोगों का अच्छी तरह खयाल रखा और इस तरह अपना मकसद पूरा किया।
13. इब्रानियों 13:5ख में हमें क्या यकीन दिलाया गया है? (तसवीर भी देखें।)
13 बाइबल के इन किस्सों को ध्यान में रखते हुए अब आप क्या कहेंगे? जब बचे हुए सभी अभिषिक्त मसीही स्वर्ग चले जाएँगे, तो क्या होगा? इस बारे में सोचकर हमें परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। बाइबल में हमें यकीन दिलाया गया है कि यहोवा कभी-भी अपने लोगों को उनके हाल पर नहीं छोड़ेगा। (इब्रानियों 13:5ख पढ़िए।) मूसा और एलियाह की तरह शासी निकाय के भाई भी समझते हैं कि दूसरों को ट्रेनिंग देना कितना ज़रूरी है। और सालों से वे दूसरी भेड़ के भाइयों को ट्रेनिंग देते आए हैं, ताकि वे यहोवा की भेड़ों की अगुवाई कर सकें। इसके लिए उन्होंने कई स्कूल शुरू किए हैं जैसे प्राचीनों के लिए, सर्किट निगरानों के लिए, शाखा समिति के सदस्यों के लिए, बेथेल में निगरानी करनेवाले भाइयों के लिए, मिशनरियों के लिए और दूसरों के लिए। इसके अलावा जो भाई शासी निकाय की समितियों में मददगार के तौर पर सेवा कर रहे हैं, उन्हें शासी निकाय के भाई खुद ट्रेनिंग देते हैं। ये भाई अभी से संगठन में बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियाँ सँभाल रहे हैं और वे आगे भी मसीह की भेड़ों की देखभाल करते रहने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।
14. अब तक हमने जो चर्चा की है, उससे हम किस बात का भरोसा रख सकते हैं?
14 सौ बात की एक बात: जब बचे हुए अभिषिक्त मसीही महा-संकट के करीब-करीब आखिर में स्वर्ग चले जाएँगे, तब भी धरती पर शुद्ध उपासना होती रहेगी। मसीह की निगरानी में यहोवा के लोग वफादारी से सेवा करते रहेंगे। हम जानते हैं कि उस वक्त मागोग देश का गोग यानी राष्ट्रों का गठबंधन बड़े गुस्से में आकर हम पर हमला करेगा। (यहे. 38:18-20) लेकिन यह हमला सिर्फ कुछ वक्त का होगा और दुश्मन कामयाब नहीं हो पाएँगे, यहोवा के लोग उसकी उपासना करते रहेंगे। यहोवा ज़रूर अपने लोगों को बचाएगा। प्रेषित यूहन्ना ने एक दर्शन में एक “बड़ी भीड़” देखी थी जो मसीह की दूसरी भेड़ों से मिलकर बनी थी। यूहन्ना को बताया गया था कि यह “बड़ी भीड़,” “महा-संकट से निकलकर” आयी है। (प्रका. 7:9, 14) इससे हमें यकीन हो जाता है कि यहोवा हर हाल में अपने लोगों की हिफाज़त करेगा!
15-16. प्रकाशितवाक्य 17:14 के मुताबिक अभिषिक्त मसीही हर-मगिदोन के दौरान क्या करेंगे? और यह जानकर हमें क्यों हिम्मत मिलती है?
15 लेकिन कुछ लोग शायद सोचें, ‘स्वर्ग जाने के बाद अभिषिक्त मसीही क्या करेंगे?’ बाइबल में इसका सीधे-सीधे जवाब दिया गया है। इसमें बताया गया है कि दुनिया की सरकारें ‘मेम्ने के साथ लड़ेंगी।’ और हम जानते हैं कि उनकी हार पक्की है। बाइबल में लिखा है “मेम्ना उन पर जीत हासिल करेगा।” और कौन मेम्ने की मदद करेंगे? आयत में आगे बताया गया है, वे “जो बुलाए गए और चुने हुए और विश्वासयोग्य” हैं। (प्रकाशितवाक्य 17:14 पढ़िए।) पर ये हैं कौन? सभी अभिषिक्त मसीही जिन्हें स्वर्ग में जीवन दिया जा चुका होगा। तो जब बचे हुए अभिषिक्त मसीही भी महा-संकट के करीब-करीब आखिर में स्वर्ग चले जाएँगे, तब उन्हें सबसे पहले क्या काम दिया जाएगा? उन्हें लड़ना होगा। वाह! क्या काम मिलेगा उन्हें! कुछ अभिषिक्त मसीही यहोवा के साक्षी बनने से पहले लोगों से लड़ाई करते थे और कुछ तो सेना वगैरह में भी थे। लेकिन बाद में जब वे मसीही बने, तो उन्होंने शांति की राह पर चलना सीखा। (गला. 5:22; 2 थिस्स. 3:16) उन्होंने युद्धों या लड़ाइयों में हिस्सा लेना छोड़ दिया। लेकिन जब वे स्वर्ग जाएँगे, तो वे मसीह और उसके पवित्र स्वर्गदूतों के साथ मिलकर यहोवा के दुश्मनों से आखिरी युद्ध करेंगे।
16 ज़रा इस बारे में भी सोचिए। आज तो कुछ अभिषिक्त मसीही बहुत बुज़ुर्ग हैं और कमज़ोर भी। लेकिन जब उन्हें स्वर्ग में जीवन दिया जाएगा, तो वे बहुत ताकतवर होंगे और अमर होंगे। वे अपने वीर राजा यीशु मसीह के साथ मिलकर युद्ध करेंगे। हर-मगिदोन के बाद वे यीशु के साथ मिलकर परिपूर्ण होने में इंसानों की मदद करेंगे। हम पूरा यकीन रख सकते हैं कि जब सभी अभिषिक्त मसीही स्वर्ग चले जाएँगे, तो वे हमारी खातिर ऐसे बड़े-बड़े काम करेंगे जो आज वे चाहकर भी नहीं कर सकते!
17. हम क्यों कह सकते हैं कि हर-मगिदोन के दौरान यहोवा के सभी सेवकों की हिफाज़त की जाएगी?
17 क्या आप दूसरी भेड़ों में से हैं? अगर हाँ, तो जब हर-मगिदोन का युद्ध शुरू होगा, तो आपको क्या करना होगा? आपको बस यहोवा पर भरोसा रखना होगा और उसकी हिदायतें माननी होंगी। और आपको वही करना होगा जैसा बाइबल में लिखा है: “अपने-अपने अंदरवाले कमरे में जाओ और दरवाज़ा बंद कर लो। थोड़ी देर के लिए छिप जाओ, जब तक कि मेरी जलजलाहट शांत नहीं हो जाती।” (यशा. 26:20) क्या यह जानकर आपको तसल्ली नहीं मिलती? उस वक्त परमेश्वर के सभी वफादार सेवकों की हिफाज़त की जाएगी, फिर चाहे वे स्वर्ग में हों या धरती पर। हमें भी प्रेषित पौलुस की तरह पूरा यकीन है कि ‘न सरकारें, न आज की चीज़ें, न आनेवाली चीज़ें, हमें परमेश्वर के प्यार से अलग कर सकेंगी।’ (रोमि. 8:38, 39) हमेशा याद रखिए: यहोवा आपसे बहुत प्यार करता है और वह आपका साथ कभी नहीं छोड़ेगा!
आपका जवाब क्या होगा?
जब बचे हुए सभी अभिषिक्त मसीही स्वर्ग चले जाएँगे, तब दूसरी भेड़ों के साथ क्या नहीं होगा?
हम क्यों इस बात का यकीन रख सकते हैं कि तब शुद्ध उपासना दूषित नहीं होगी?
हम क्यों इस बात का भरोसा रख सकते हैं कि तब भी यहोवा अपने लोगों का खयाल रखेगा?
गीत 8 यहोवा हमारा गढ़ है