जो बुरा है उसकी रिपोर्ट क्यों करें?
“जो किसी बात का खुलासा करता है, वह लोगों का दुश्मन बन जाता है,” पश्चिम अफ्रीका के कुछ लोग यों कहते हैं। ऐसा ही ओलू के साथ हुआ जब उसने अपने बड़े भाई पर अपनी बहन के साथ कौटुंबिक व्यभिचार करने का आरोप लगाया। “तुम झूठे हो!” उसका भाई चीखा। इसके बाद उसने ओलू को बुरी तरह पीटा, उसे घर से निकाल बाहर किया, और ओलू के सारे कपड़े जला दिए। गाँववालों ने उसके भाई का साथ दिया। गाँव के लोगों ने ओलू को और स्वीकार नहीं किया, सो उसे गाँव छोड़ना पड़ा। जब लड़की के पैर भारी हो गए और वह लोगों की नज़रों में पड़ी, तब कहीं जाकर लोगों को एहसास हुआ कि ओलू ने सच कहा था। भाई ने क़बूल किया, और ओलू को फिर से मान-सम्मान मिलने लगा। मामले का परिणाम कुछ और भी हो सकता था। ओलू की हत्या हो सकती थी।
स्पष्टतया, जिन लोगों को यहोवा के प्रति प्रेम नहीं है, बहुत संभव है कि वे अपनी ग़लती का खुलासा होना पसंद नहीं करेंगे। पापमय मानवी प्रवृत्ति यह होती है कि ताड़ना का विरोध करें और ताड़ना देनेवाले से चिढ़ जाएँ। (यूहन्ना ७:७ से तुलना कीजिए।) इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि अनेक लोग पत्थरों के माफ़िक़ चुप्पी साध लेते हैं जब दूसरों की ग़लतियों का ऐसे लोगों के सामने खुलासा करने की बात आती है जिनके पास उन्हें सुधारने का आधिकार होता है।
ताड़ना के महत्त्व की क़दर करना
लेकिन, यहोवा के लोगों के बीच ताड़ना के प्रति एक भिन्न मनोवृत्ति होती है। धर्मपरायण पुरुष और स्त्रियाँ मसीही कलीसिया के अंदर, ग़लती करनेवालों की मदद करने के लिए यहोवा ने जो प्रबंध किया है, उसके लिए गहरी क़दर दिखाते हैं। वे ऐसे अनुशासन को उसकी प्रेममय-कृपा की अभिव्यक्ति समझते हैं।—इब्रानियों १२:६-११.
इस बात को राजा दाऊद की ज़िंदगी में हुई एक घटना से सचित्रित किया जा सकता है। हालाँकि वह अपनी युवावस्था से एक धर्मी पुरुष था, एक समय ऐसा आया जब वह गंभीर पाप कर बैठा। पहले, उसने परस्त्रीगमन किया। उसके बाद, अपनी ग़लती पर परदा डालने के प्रयास में, उसने उस स्त्री के पति को मरवाने का बंदोबस्त किया। लेकिन यहोवा ने भविष्यवक्ता नातान द्वारा दाऊद के पाप का खुलासा किया, जिसने इस विषय के बारे में साहसपूर्वक दाऊद का सामना किया। एक प्रभावशाली दृष्टांत का प्रयोग करते हुए, नातान ने दाऊद से पूछा कि ऐसे धनी पुरुष के साथ क्या करना चाहिए जिसके पास अनेक भेड़ें थीं लेकिन जिसने अपने मित्र का अतिथि-सत्कार करने के लिए एक निर्धन पुरुष के एकमात्र मेम्ने, एक प्यारे पालतू जानवर का वध किया। दाऊद, एक भूतपूर्व चरवाहा, रोष और कोप से भड़क उठा। उसने कहा: “जिस मनुष्य ने ऐसा काम किया वह प्राण दण्ड के योग्य है।” नातान ने तब इस दृष्टांत को दाऊद पर लागू किया और कहा: “तू ही वह मनुष्य है”!—२ शमूएल १२:१-७.
दाऊद नातान पर गुस्से से टूट नहीं पड़ा; न तो उसने अपनी सफ़ाई देने की कोशिश की ना ही उसने प्रत्यारोप की आड़ ली। इसके बजाय, नातान की फटकार ने उसके अंतःकरण को गहराई तक छुआ। बहुत ही दुःख महसूस करते हुए, दाऊद ने क़बूल किया: “मैं ने यहोवा के विरुद्ध पाप किया है।”—२ शमूएल १२:१३.
नातान द्वारा दाऊद के पाप का खुलासा करने और साथ ही ईश्वरीय ताड़ना दिए जाने के परिणाम अच्छे रहे। हालाँकि दाऊद को उसके पाप के अंजामों से छुटकारा नहीं मिला, उसने पश्चाताप किया और यहोवा के साथ पुनर्मेल कर लिया। दाऊद ने ऐसी ताड़ना के बारे में कैसा महसूस किया? उसने लिखा: “धर्मी मुझ को मारे तो यह कृपा मानी जाएगी, और वह मुझे ताड़ना दे, तो यह मेरे सिर पर का तेल ठहरेगा; मेरा सिर उस से इन्कार न करेगा।”—भजन १४१:५.
हमारे दिन में भी, यहोवा के सेवक गंभीर ग़लती कर सकते हैं, ऐसे जन भी जो अनेक सालों से वफ़ादार रहे हैं। यह समझते हुए कि प्राचीन सहायता कर सकते हैं, अधिकांश जन मदद के लिए उनके पास जाने की पहल करते हैं। (याकूब ५:१३-१६) लेकिन कभी-कभी राजा दाऊद की तरह, ग़लती करनेवाला शायद अपने पाप पर परदा डालने की कोशिश करे। हमें क्या करना चाहिए यदि कलीसिया में हुए किसी गंभीर पाप के बारे में हमें पता चल जाता है?
यह किसकी ज़िम्मेदारी है?
जब प्राचीनों को किसी गंभीर पाप के बारे में पता चलता है, तब वे उस व्यक्ति के पास आवश्यक मदद देने और सुधार के लिए जाते हैं। मसीही कलीसिया के अंदर ऐसे जनों का न्याय करने की ज़िम्मेदारी प्राचीनों की है। कलीसिया की आध्यात्मिक स्थिति पर क़रीबी नज़र रखते हुए, वे ऐसे किसी भी व्यक्ति की सहायता करते और उसको ताड़ना देते हैं, जो एक मूर्खतापूर्ण या ग़लत क़दम उठा रहा है।—१ कुरिन्थियों ५:१२, १३; २ तीमुथियुस ४:२; १ पतरस ५:१, २.
लेकिन तब क्या जब आप एक प्राचीन नहीं हैं और किसी दूसरे मसीही द्वारा किए गए किसी गंभीर पाप के बारे में आपको जानकारी मिलती है? व्यवस्था में मार्गदर्शन दिए गए हैं जिन्हें यहोवा ने इस्राएल के राष्ट्र को दिया। व्यवस्था में लिखा था कि यदि एक व्यक्ति धर्मत्यागी कार्यों, द्रोह, हत्या, या दूसरे अमुक गंभीर अपराधों का गवाह था, तो यह उसकी ज़िम्मेदारी थी कि वह इस बात की रिपोर्ट करे और जो वह जानता था उसकी गवाही दे। लैव्यव्यवस्था ५:१ कहता है: “यदि कोई साक्षी होकर ऐसा पाप करे कि शपथ खिलाकर पूछने पर भी, कि क्या तू ने यह सुना अथवा जानता है, और वह बात प्रगट न करे, तो उसको अपने अधर्म का भार उठाना पड़ेगा।”—व्यवस्थाविवरण १३:६-८; एस्तेर ६:२; नीतिवचन २९:२४ से तुलना कीजिए।
हालाँकि मसीही मूसा की व्यवस्था के अधीन नहीं हैं, फिर भी वे आज इसके पीछे जो सिद्धांत हैं उनके द्वारा मार्गदर्शित हो सकते हैं। (भजन १९:७, ८) सो यदि आप किसी संगी मसीही के गंभीर पाप के बारे में जान जाते हैं, तो आपको क्या करना चाहिए?
मामले से निपटना
सर्वप्रथम, यह मानने के लिए उचित कारण होना चाहिए कि गंभीर पाप वास्तव में हुआ है। “अकारण अपने पड़ोसी के विरुद्ध साक्षी न देना,” बुद्धिमान पुरुष ने कहा। “और अपने होठों से छल न करना।”—नीतिवचन २४:२८, NHT.
आप शायद सीधे प्राचीनों के पास जाने का फ़ैसला करें। ऐसा करना ग़लत नहीं है। लेकिन, सामान्यतः सबसे प्रेममय तरीक़ा है, शामिल व्यक्ति के पास जाकर बात करना। शायद सच्चाई वह नहीं जो दिखती है। या शायद प्राचीन पहले ही स्थिति से निपट रहे हों। उस व्यक्ति के साथ शांत भाव से मामले की चर्चा कीजिए। यदि यह मानने का कोई कारण रह जाता है कि गंभीर पाप हुआ है, तो उसे प्रोत्साहित कीजिए कि वह मदद के लिए प्राचीनों के पास जाए, और ऐसा करने की अक्लमंदी को समझाइए। विषय के बारे में दूसरों से बात मत कीजिए, क्योंकि यह गपशप कहलाएगी।
यदि वह व्यक्ति यथोचित समावधि के अंदर प्राचीनों को रिपोर्ट नहीं करता है, तो आपको ऐसा करना चाहिए। तब एक या दो प्राचीन आरोपित व्यक्ति के साथ मामले की चर्चा करेंगे। प्राचीनों को यह देखने के लिए ‘पूछपाछ करने, और खोजने, और भली भांति पता लगाने’ की ज़रूरत है कि ग़लती वास्तव में की गयी है या नहीं। यदि की गयी है, तो वे शास्त्रीय मार्गदर्शनों के मुताबिक़ मामले को सुलझाएँगे।—व्यवस्थाविवरण १३:१२-१४.
पाप का आरोप सिद्ध करने के लिए कम-से-कम दो गवाहों की ज़रूरत है। (यूहन्ना ८:१७; इब्रानियों १०:२८) यदि व्यक्ति आरोप से मुक़र जाता है और आपका प्रमाण ही एकमात्र प्रमाण है, तो मामला यहोवा के हाथों छोड़ देना चाहिए। (१ तीमुथियुस ५:१९, २४, २५) यह इस ज्ञान की बिना पर किया जाता है कि सब बातें यहोवा के सामने “बेपरद” हैं और कि यदि व्यक्ति दोषी है, तो अंततः उसका पाप उसे “लगेगा।”—इब्रानियों ४:१३; गिनतियों ३२:२३.
लेकिन मान लीजिए कि व्यक्ति वाक़ई आरोप से मुक़र जाता है, और आप ही उसके ख़िलाफ़ एकमात्र गवाह हैं। तो क्या आप पर अभी झूठी निंदा का प्रत्यारोप लगाया जा सकता है? जी नहीं, तब नहीं यदि आपने मामले में सम्मिलित लोगों को छोड़ दूसरों के साथ इसके बारे में बातें न की हो। कलीसिया को प्रभावित करनेवाली ऐसी स्थितियों के बारे में उनको रिपोर्ट करना निंदात्मक नहीं है जो निरीक्षण करने और मामलों को सुधारने का अधिकार और ज़िम्मेदारी रखते हैं। दरअसल, यह हमारी उस इच्छा के सामंजस्य में है कि हम हमेशा वही करें जो सही और निष्ठा की बात है।—लूका १:७४, ७५ से तुलना कीजिए।
कलीसिया में पवित्रता क़ायम रखना
पाप की रिपोर्ट करने का एक कारण यह है कि यह कलीसिया की शुद्धता बनाए रखने के लिए कार्य करता है। यहोवा एक शुद्ध परमेश्वर, एक पवित्र परमेश्वर है। उसकी माँग है कि वे सभी जो उसकी उपासना करते हैं, आध्यात्मिक व नैतिक रूप से शुद्ध हों। उसका प्रेरित वचन सलाह देता है: “आज्ञाकारी बालकों की नाईं अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो। पर जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चालचलन में पवित्र बनो। क्योंकि लिखा है, कि पवित्र बनो, क्योंकि मैं पवित्र हूं।” (१ पतरस १:१४-१६) ऐसे व्यक्ति जो अशुद्ध काम या पाप करते रहते हैं, वे कलीसिया को मलीन कर देते हैं और पूरी कलीसिया पर यहोवा की नाराज़गी ला सकते हैं यदि इसे सुधारने या हटाने के लिए कार्यवाही नहीं की जाती है।—यहोशू, अध्याय ७ से तुलना कीजिए।
कुरिन्थ की मसीही कलीसिया को लिखी प्रेरित पौलुस की पत्रियों ने दिखाया कि कैसे पाप की रिपोर्ट करने से वहाँ पर परमेश्वर के लोगों का शुद्धिकरण हुआ। अपनी पहली पत्री में, पौलुस ने लिखा: “यहां तक सुनने में आता है कि तुम में व्यभिचार होता है, बरन ऐसा व्यभिचार जो अन्यजातियों में भी नहीं होता, कि एक मनुष्य अपने पिता की पत्नी को रखता है।”—१ कुरिन्थियों ५:१.
बाइबल हमें यह नहीं बताती कि प्रेरित को यह रिपोर्ट किससे प्राप्त हुई। ऐसा हो सकता है कि पौलुस को इस स्थिति के बारे में स्तिफनास, फूरतूनातुस, और अखइकुस से मालूम हुआ हो, जिन्होंने कुरिन्थ से इफिसुस तक यात्रा की, जहाँ पौलुस रह रहा था। पौलुस को कुरिन्थ की मसीही कलीसिया से सवालों का एक ख़त भी प्राप्त हुआ था। स्रोत चाहे जो भी हो, एक बार जब भरोसेमंद गवाहों द्वारा पौलुस को स्थिति की रिपोर्ट दी गयी, तब वह विषय पर निर्देशन देने में समर्थ हुआ। “उस कुकर्मी को अपने बीच में से निकाल दो,” उसने लिखा। उस व्यक्ति को कलीसिया से निकाल दिया गया।—१ कुरिन्थियों ५:१३; १६:१७, १८.
क्या पौलुस का उपदेश अच्छे परिणाम लाया? वाक़ई अच्छे परिणाम मिले! स्पष्टतया, पापी के होश ठिकाने लग गए। कुरिन्थियों को अपनी दूसरी पत्री में, पौलुस ने आग्रह किया कि कलीसिया उस पश्चातापी पुरुष को ‘क्षमा करे और शान्ति दे।’ (२ कुरिन्थियों २:६-८) इस प्रकार पाप की रिपोर्ट किए जाने से ऐसी कार्यवाही हुई जिसके परिणामस्वरूप कलीसिया को शुद्ध किया गया और एक ऐसे व्यक्ति को परमेश्वर का अनुग्रह फिर से प्राप्त हुआ जिसने परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते को ख़राब कर लिया था।
कुरिन्थ की मसीही कलीसिया को लिखी पौलुस की पहली पत्री में हमें दूसरा उदाहरण मिलता है। इस बार प्रेरित उन गवाहों के नाम बताता है जिन्होंने विषय की रिपोर्ट की। उसने लिखा: “हे मेरे भाइयो, खलोए के घराने के लोगों ने मुझे तुम्हारे विषय में बताया है, कि तुम में झगड़े हो रहे हैं।” (१ कुरिन्थियों १:११) पौलुस जानता था कि इस झगड़े-रगड़े, साथ ही मनुष्यों को अनुचित मान-सम्मान देने ने एक पंथवादी मनोवृत्ति पैदा कर दी थी, जिससे कलीसिया की एकता को ख़तरा हो गया था। अतः, वहाँ के अपने संगी विश्वासियों की आध्यात्मिक ख़ैरियत के लिए गहरी परवाह के कारण, पौलुस ने शीघ्रता से कार्य किया और कलीसिया को सुधारक सलाह लिखी।
आज, पूरी पृथ्वी की कलीसियाओं के भाई-बहनों की बड़ी संख्या, व्यक्तिगत तौर पर परमेश्वर के सामने एक अनुमोदित स्थिति क़ायम रखने के द्वारा कलीसिया की आध्यात्मिक शुद्धता को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत करती है। कुछ लोग ऐसा करने के लिए दुःख उठाते हैं; दूसरे खराई बनाए रखने की ख़ातिर मौत के आगोश में भी समा गए हैं। यक़ीनन, पाप को नज़रअंदाज़ करना या इस पर परदा डालना इन प्रयासों के लिए क़दरदानी की कमी दिखाएगा।
ग़लती करनेवालों के लिए मदद
ऐसा क्यों होता है कि घोर पाप में पड़नेवाले कुछ लोग कलीसिया के प्राचीनों के पास आने से कतराते हैं? ऐसा अकसर इसलिए होता है क्योंकि वे प्राचीनों के पास जाने के लाभों से अवगत नहीं हैं। कुछ लोगों को ग़लतफ़हमी है कि यदि वे क़बूल करेंगे, तो उनका पाप पूरी कलीसिया के सामने उजागर हो जाएगा। दूसरे अपने कार्य की गंभीरता के संबंध में अपने आपको धोखे में रखते हैं। और भी दूसरे लोग सोचते हैं कि वे प्राचीनों की सहायता के बिना अपने आपको सुधार सकते हैं।
लेकिन पाप करनेवाले ऐसे लोगों को कलीसिया के प्राचीनों से प्रेममय मदद की ज़रूरत होती है। याकूब ने लिखा: “यदि तुम में कोई रोगी हो, तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाए, और वे प्रभु के नाम से उस पर तेल मल कर उसके लिये प्रार्थना करें। और विश्वास की प्रार्थना के द्वारा रोगी बच जाएगा और प्रभु उस को उठाकर खड़ा करेगा; और यदि उस ने पाप भी किए हों, तो उन की भी क्षमा हो जाएगी।”—याकूब ५:१४, १५.
ग़लती करनेवालों की आध्यात्मिक सेहत की बहाली के लिए क्या ही अद्भुत प्रबंध! परमेश्वर के वचन से प्राप्त शामक सलाह को लागू करने के द्वारा और उनके लिए प्रार्थना करने के द्वारा, प्राचीन आध्यात्मिक रूप से रोगग्रस्त जनों को ग़लत तरीक़ों से फिरने में मदद कर सकते हैं। अतः, जब पश्चातापी जन प्रेममय प्राचीनों से मिलते हैं तब निंदित महसूस करने के बजाय, वे अकसर तरोताज़ा और हलका महसूस करते हैं। एक पश्चिम अफ्रीकी युवक ने व्यभिचार किया और कुछ महीनों तक अपने पाप को छिपाए रखा। उसके पाप का खुलासा हो जाने के बाद उसने प्राचीनों से कहा: “काश, किसी ने उस लड़की के साथ मेरे संबंध के बारे में सवाल किया होता! इस बात का खुलासा करना क्या ही राहत है।”—भजन ३२:३-५ से तुलना कीजिए।
सिद्धांत-आधारित प्रेम का कार्य
परमेश्वर के बपतिस्मा-प्राप्त सेवक “मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुंचे हैं।” (१ यूहन्ना ३:१४) लेकिन यदि वे गंभीर पाप करते हैं, तो वे मृत्यु के मार्ग पर वापस चले गए हैं। यदि उनकी मदद नहीं की जाती है, तो वे शायद पाप के प्रति संवेदनहीन हो जाएँ, और पश्चाताप करके सच्चे परमेश्वर की उपासना के लिए फिर से लौटना ना चाहें।—इब्रानियों १०:२६-२९.
पाप की रिपोर्ट करना पापी के प्रति वास्तविक चिंता का कार्य है। याकूब ने लिखा: “हे मेरे भाइयो, यदि तुम में कोई सत्य के मार्ग से भटक जाए, और कोई उस को फेर लाए। तो वह यह जान ले, कि जो कोई किसी भटके हुए पापी को फेर लाएगा, वह एक प्राण को मृत्यु से बचाएगा, और अनेक पापों पर परदा डालेगा।”—याकूब ५:१९, २०.
तो फिर, जो बुरा है उसकी रिपोर्ट क्यों करें? क्योंकि इसके परिणाम अच्छे होते हैं। वास्तव में, पाप की रिपोर्ट करना परमेश्वर के प्रति, कलीसिया के प्रति, और पापी के प्रति दिखाए गए मसीही सिद्धांत-आधारित प्रेम का कार्य है। जैसे-जैसे कलीसिया का हरेक सदस्य परमेश्वर के धर्मी स्तरों को निष्ठापूर्वक समर्थन देता है, यहोवा पूरी कलीसिया को भरपूर आशीष देगा। प्रेरित पौलुस ने लिखा: “वह [यहोवा] तुम्हें अन्त तक दृढ़ भी करेगा, कि तुम हमारे प्रभु यीशु मसीह के दिन में निर्दोष ठहरो।”—१ कुरिन्थियों १:८.
[पेज 26 पर तसवीर]
एक पापी साक्षी को प्राचीनों से बात करने के लिए प्रोत्साहित करना प्रेम प्रदर्शित करता है
[पेज 28 पर तसवीर]
ग़लती करनेवाले को परमेश्वर का अनुग्रह फिर से प्राप्त करने में प्राचीन मदद करते हैं