मसीही ज़िंदगी और सेवा सभा पुस्तिका के लिए हवाले
7-13 अक्टूबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना |याकूब 3-5
“दिखाइए कि आपमें परमेश्वर की बुद्धि है”
यहोवा के करीब पेज 221-222 पै 9-10
‘बुद्धि जो ऊपर से आती है,’ क्या यह आपकी ज़िंदगी में काम कर रही है?
9 “पहिले तो पवित्र।” पवित्र होने का मतलब है सिर्फ बाहर से नहीं बल्कि अंदर से भी शुद्ध और निष्कलंक होना। बाइबल बताती है कि बुद्धि का हृदय के साथ नाता है, इसलिए स्वर्ग से आनेवाली बुद्धि ऐसे हृदय में दाखिल नहीं हो सकती जो बुरे विचारों, अभिलाषाओं और गंदे इरादों से भ्रष्ट हो चुका है। (नीतिवचन 2:10; मत्ती 15:19, 20) लेकिन, अगर हमारा हृदय पवित्र है यानी उतना पवित्र जितना असिद्ध इंसान बनाए रख सकता है, तो हम “बुराई को छोड़” देंगे और ‘भलाई करेंगे।’ (भजन 37:27; नीतिवचन 3:7) क्या यह सही नहीं कि बुद्धि के गुणों में पवित्रता सबसे पहले नंबर पर आती है? क्यों न हो, अगर हम अपने चालचलन और उपासना में पवित्र नहीं होंगे, तो हम ऊपर से आनेवाली बुद्धि के बाकी गुणों को भला सही मायनों में कैसे दिखा पाएँगे?
10 “फिर मिलनसार।” स्वर्ग से आनेवाली बुद्धि हमें मेल-मिलाप का पीछा करने या शांति रखने के लिए उकसाती है, और मेल या शांति परमेश्वर की आत्मा का एक फल है। (गलतियों 5:22) हम यत्न करते हैं कि यहोवा के लोगों को एक करनेवाले “मेल के बन्धन” को हम किसी भी हाल में न तोड़ें। (इफिसियों 4:3, NHT) और अगर शांति भंग हो जाए तो हमारी पूरी कोशिश रहती है कि इसे फिर से कायम करें। यह इतना ज़रूरी क्यों है? बाइबल कहती है: “मेल से रहो, और प्रेम और शान्ति का दाता परमेश्वर तुम्हारे साथ होगा।” (2 कुरिन्थियों 13:11) तो फिर, जब तक हम मेल-मिलाप या शांति से रहते हैं तब तक शांति का परमेश्वर हमारे साथ रहेगा। अपने मसीही भाई-बहनों के साथ हम कैसा सलूक करते हैं, इसका यहोवा के साथ हमारे रिश्ते पर सीधा असर पड़ता है। हम कैसे इस बात का सबूत दे सकते हैं कि हम मेल-मिलाप करनेवाले हैं? एक मिसाल लीजिए।
यहोवा के करीब पेज 223-224 पै 12
‘बुद्धि जो ऊपर से आती है,’ क्या यह आपकी ज़िंदगी में काम कर रही है?
12 “कोमल।” कोमल होने का क्या मतलब है? विद्वानों के मुताबिक याकूब 3:17 में जिस मूल यूनानी शब्द का अनुवाद “कोमल” किया है, उसका अनुवाद करना बहुत मुश्किल है। अनुवादकों ने इसके लिए ये शब्द इस्तेमाल किए हैं, “मृदु,” “धैर्यवान्” और “दूसरे का लिहाज़ करनेवाला।” इस यूनानी शब्द का शाब्दिक अर्थ है, “दूसरों की मानना।” हम यह कैसे ज़ाहिर करेंगे कि ऊपर से आनेवाली बुद्धि का यह पहलू हमारे अंदर काम कर रहा है?
यहोवा के करीब पेज 224-225 पै 14-15
‘बुद्धि जो ऊपर से आती है,’ क्या यह आपकी ज़िंदगी में काम कर रही है?
14 “आज्ञा मानने को तैयार।” जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “आज्ञा मानने को तैयार” किया गया है, वह शब्द मसीही यूनानी शास्त्र में और कहीं नहीं पाया जाता। एक विद्वान के मुताबिक, यह शब्द “अकसर फौजी अनुशासन के लिए इस्तेमाल होता है।” यह शब्द “आसानी से कायल होने” और “अधीनता दिखाने” का विचार देता है। जो इंसान ऊपर से आनेवाली बुद्धि के मुताबिक चलता है, वह शास्त्र में जो लिखा है उसे फौरन मान लेता है। वह ऐसा इंसान होने का नाम नहीं कमाता जो एक बार फैसला कर ले तो फिर हरगिज़ उसे बदलने को तैयार नहीं होता, फिर चाहे यह दिखाने के लिए उसे कितने ही सबूत क्यों न दिए जाएँ कि उसका फैसला गलत था। इसके बजाय, जब उसे शास्त्र से साफ-साफ दिखाया जाता है कि वह सरासर गलत काम कर रहा है या गलत नतीजे पर पहुँचा है, तो वह फौरन खुद को बदल लेता है। क्या दूसरे आपको ऐसा ही इंसान समझते हैं?
“दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ”
15 “दया, और अच्छे फलों से लदा हुआ।” ऊपर से आनेवाली बुद्धि का एक अहम हिस्सा है दया, क्योंकि कहा गया है कि ऐसी बुद्धि ‘दया से लदी हुई’ होती है। (तिरछे टाइप हमारे।) गौर कीजिए कि “दया” और “अच्छे फलों” का ज़िक्र साथ-साथ किया गया है। यह सही भी है, क्योंकि बाइबल में दया अकसर दूसरों के लिए ऐसी परवाह है जो कामों से ज़ाहिर होती है, ऐसी करुणा जिससे भलाई के ढेरों काम पैदा होते हैं। एक किताब दया की परिभाषा यूँ देती है, “किसी की बुरी हालत देखकर दुःखी होना और उसे ठीक करने के लिए कुछ करना।” इसलिए, हम कह सकते हैं कि परमेश्वर की बुद्धि, रूखी, निर्दयी और सिर्फ दिमागी नहीं है। इसके बजाय, इसमें प्यार होता है, यह दिल से निकलती है और दूसरों की भावनाओं को महसूस कर सकती है। हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम दया से लदे हुए हैं?
यहोवा के करीब पेज 226-227 पै 18-19
‘बुद्धि जो ऊपर से आती है,’ क्या यह आपकी ज़िंदगी में काम कर रही है?
18 ‘पक्षपात रहित।’ परमेश्वर की बुद्धि की वजह से हम जाति-भेद और अपने देश पर घमंड करने से दूर रहते हैं। अगर हम इस बुद्धि के मुताबिक चलें, तो हम अपने दिलों से भेदभाव की भावना को उखाड़ फेकेंगे। (याकूब 2:9) लोगों के लिए हमारा प्यार इस बात से तय नहीं होता कि वे कितने पढ़े-लिखे हैं, कितने अमीर हैं या कलीसिया में उनकी क्या ज़िम्मेदारी है; न ही हम अपने संगी मसीहियों को नीची नज़र से देखते हैं, भले ही वे कितने गरीब या दीन-हीन क्यों न हों। अगर यहोवा ने उन्हें अपने प्यार के लायक समझा है, तो बेशक वे हमारे भी प्रेम के लायक हैं।
19 “कपट रहित।” “कपटी” के लिए यूनानी शब्द “एक ऐसे कलाकार” के लिए इस्तेमाल होता है “जो किसी भूमिका को निभाता है।” प्राचीन काल में, यूनानी और रोमी कलाकार अभिनय करते वक्त बड़े-बड़े मुखौटे लगाते थे। इसलिए, “कपटी” के लिए यूनानी शब्द एक ऐसे इंसान के लिए इस्तेमाल होने लगा, जो नाटक या दिखावा करता है। परमेश्वर की बुद्धि के इस पहलू का न सिर्फ मसीही भाई-बहनों के साथ हमारे व्यवहार पर बल्कि उनके बारे में हमारे नज़रिए या हमारी भावनाओं पर भी असर होना चाहिए।
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याकूब और पतरस की पत्रियों की झलकियाँ
4:5—याकूब यहाँ पवित्र शास्त्र की किस आयत का हवाला दे रहा था? याकूब किसी खास आयत का हवाला नहीं दे रहा था। लेकिन ईश्वर-प्रेरणा से लिखे ये शब्द शायद उत्पत्ति 6:5; 8:21; नीतिवचन 21:10 और गलतियों 5:17 में दिए विचार पर आधारित हैं।
विश्वास हमें धीरजवंत और प्रार्थनापूर्ण बनाता है
8 एक संगी विश्वासी की बदनामी करना पाप है। (याकूब 4:11, 12) फिर भी कुछ लोग संगी मसीहियों की आलोचना करते हैं, संभवतः अपनी ख़ुद की आत्म-धर्मी मनोवृत्ति के कारण या फिर वे दूसरों को नीचा दिखाकर ख़ुद को बड़ा बनाना चाहते हैं। (भजन 50:20; नीतिवचन 3:29) ‘बदनामी करना’ अनुवादित यूनानी शब्द, शत्रुता की ओर इशारा करता है और बढ़ा-चढ़ाकर बोलना या झूठा दोष लगाना सूचित करता है। यह अपने भाई को कठोरता से दोषी ठहराने के बराबर है। यह व्यवस्था की ‘बदनामी करना और व्यवस्था पर दोष लगाना’ कैसे है? शास्त्रियों और फरीसियों ने ‘अच्छी तरह परमेश्वर की आज्ञा को टाल दिया’ और अपने ही स्तरों के अनुसार न्याय किया। (मरकुस 7:1-13) इसी तरह, अगर हम एक भाई को दोषी ठहराते हैं जिसे यहोवा दोषी नहीं ठहराता, तो क्या हम ‘व्यवस्था पर दोष नहीं लगा रहे हैं’ और पापपूर्ण रूप से यह निष्कर्ष नहीं निकाल रहे कि इसमें ख़ामियाँ हैं? इसके अलावा अनुचित रूप से अपने भाई की आलोचना करने से हम प्रेम की व्यवस्था को पूरा नहीं कर रहे होंगे।—रोमियों 13:8-10.
14-20 अक्टूबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना 1 पतरस 1-2
“तुम्हें पवित्र बने रहना है”
फिरौती—पिता की तरफ से एक “उत्तम देन”
5 हम कैसे दिखा सकते हैं कि हम यहोवा के नाम से प्यार करते हैं? अपने चालचलन से। यहोवा चाहता है कि हम पवित्र बने रहें। (1 पतरस 1:15, 16 पढ़िए।) इसलिए हम सिर्फ यहोवा की उपासना करते हैं और पूरे दिल से उसकी आज्ञा मानते हैं। यहाँ तक कि जब हम पर ज़ुल्म किए जाते हैं, तब भी हम उसके स्तरों पर चलने की पूरी कोशिश करते हैं। इस तरह हम यहोवा के नाम की महिमा करते हैं। (मत्ती 5:14-16) हम यह भी साबित करते हैं कि यहोवा के नियम अच्छे हैं और शैतान झूठा है। हम परिपूर्ण नहीं हैं इसलिए हम गलतियाँ करेंगे। लेकिन जब हम कोई गलत काम कर देते हैं, तो हमें पश्चाताप करना चाहिए और उस काम को छोड़ देना चाहिए जिससे परमेश्वर के नाम का अनादर होता है।—भज. 79:9.
अच्छा मनोरंजन क्या है—कैसे जानें?
6 यहोवा हमसे कहता है, “तुम्हें पवित्र बने रहना है क्योंकि मैं पवित्र हूँ।” (1 पतरस 1:14-16; 2 पतरस 3:11) यहोवा हमारी उपासना तभी स्वीकार करेगा, जब वह पवित्र या शुद्ध होगी। (व्यवस्थाविवरण 15:21) यहोवा को अनैतिकता, हिंसा, जादू-टोने जैसी बातों से नफरत है। अगर हम ऐसे काम करें, तो हमारी उपासना अशुद्ध हो जाएगी। (रोमियों 6:12-14; 8:13) हो सकता है कि हम खुद ऐसे काम न करें, लेकिन फिल्मों वगैरह में इन्हीं बातों का मज़ा लें। ऐसे में हमारी उपासना दूषित हो जाएगी। यहोवा उसे स्वीकार नहीं करेगा और उसके साथ हमारा जो रिश्ता है, वह भी टूट सकता है।
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याकूब और पतरस की पत्रियों की झलकियाँ
1:10-12. स्वर्गदूत, परमेश्वर की उन गूढ़ सच्चाइयों के बारे में जानने की लालसा रखते थे, जिनके बारे में प्राचीन समय के भविष्यवक्ताओं ने लिखा था। ये सच्चाइयाँ, अभिषिक्त मसीहियों की कलीसिया के बारे में थीं। मगर उन सच्चाइयों की समझ तब खुलकर ज़ाहिर हुई जब यहोवा, मसीही कलीसिया को वजूद में लाया। (इफि. 3:10) क्या हमें भी स्वर्गदूतों की मिसाल पर चलकर ‘परमेश्वर की गूढ़ बातों की जाँच’ नहीं करनी चाहिए?—1 कुरि. 2:10.
इंसाइट-2 पेज 565 पै 3
निगरान
सबसे बड़ा निगरान। पहला पतरस 2:25 में पतरस यशायाह 53:6 का हवाला देकर कहता है, “तुम उन भेड़ों की तरह थे जो भटक गयी थीं।” वह आगे कहता है, “मगर अब तुम अपने चरवाहे और तुम्हारे जीवन की निगरानी करनेवाले के पास लौट आए हो।” यहाँ जिसकी बात की गयी है वह यहोवा परमेश्वर ही हो सकता है। पतरस ने जिन लोगों से यह बात कही वे दरअसल मसीह यीशु से दूर नहीं चले गए थे बल्कि उसके ज़रिए दोबारा यहोवा परमेश्वर के पास लौट आए थे, जो अपने लोगों का महान चरवाहा है। (भज 23:1; 80:1; यिर्म 23:3; यहे 34:12) यहोवा इस मायने में एक निगरान है कि वह परखता और जाँचता है। (भज 17:3) परमेश्वर के परखने में (यूनानी में एपीस्कोपी) उसकी तरफ से न्यायदंड शामिल है। जैसे जब पहली सदी में यरूशलेम का न्याय हुआ था तब यरूशलेम ने उस वक्त को नहीं पहचाना था जब उसे “जाँचा जा रहा था [यूनानी में एपीस्कोपिस]।” (लूक 19:44) यहोवा के परखने से अच्छे नतीजे भी निकल सकते हैं, जैसे लोग परमेश्वर की महिमा करेंगे जब वह “जाँच करने आएगा।”—1पत 2:12.
21-27 अक्टूबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 1 पतरस 3-5
“सब बातों का अंत पास आ गया है”
“प्रार्थना करने के लिए चौकस रहो”
रात को काम करनेवालों के लिए जागते रहने का जो सबसे मुश्किल समय होता है, वह है सूरज निकलने से बस कुछ ही देर पहले। जिन लोगों को रात-भर जागना पड़ता है, वे इस बात से ज़रूर सहमत होंगे। आज के मसीही भी कुछ ऐसे ही समय में जी रहे हैं, क्योंकि शैतान की दुष्ट व्यवस्था की लंबी काली रात बस खत्म होने ही वाली है। (रोमि. 13:12) ऐसे नाज़ुक समय पर आध्यात्मिक रूप से सो जाना हमारे लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है! इसलिए यह बेहद ज़रूरी है कि हम “स्वस्थ मन” रखें और “प्रार्थना करने के लिए चौकस” रहने के बारे में बाइबल में दी हिदायत पर अमल करें।—1 पत. 4:7.
कैसे आध्यात्मिक कमज़ोरी को पहचानें और दूर करें
अन्त में, प्रेरित पतरस की प्रेममय सलाह हमें अच्छी तरह याद रखनी चाहिए: “सब बातों का अन्त तुरन्त होनेवाला है; इसलिये संयमी होकर प्रार्थना के लिये सचेत रहो। और सब में श्रेष्ठ बात यह है कि एक दूसरे से अधिक प्रेम रखो; क्योंकि प्रेम अनेक पापों को ढाँप देता है।” (1 पतरस 4:7, 8) अपनी और दूसरों की कमियाँ हमारे दिलो-दिमाग में आसानी से बैठ सकती हैं और बाधा या ठोकर का कारण बन सकती हैं। शैतान हमारी इस कमज़ोरी के बारे में अच्छी तरह जानता है। उसकी एक गंदी चाल है फूट डालो और राज करो। इसलिए हमें तुरंत ऐसे पापों को एक-दूसरे के प्रति गहरे प्रेम से ढाँपने की ज़रूरत है जिससे हम “शैतान को अवसर” न दें।—इफिसियों 4:25-27.
मेहमान-नवाज़ी—कितनी अच्छी और ज़रूरी!
2 पतरस ने खासकर एक बात पर ज़ोर दिया। उसने कहा, “एक-दूसरे की मेहमान-नवाज़ी किया करो।” (1 पत. 4:9) जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “मेहमान-नवाज़ी” किया गया है उसका शाब्दिक मतलब है, “अजनबियों से लगाव रखना या उन पर कृपा करना।” वहाँ के भाई-बहन एक-दूसरे के लिए अजनबी नहीं थे, फिर भी पतरस ने उन्हें बढ़ावा दिया कि वे “एक-दूसरे की” मेहमान-नवाज़ी करें। इससे उन्हें क्या फायदा हुआ?
3 मेहमान-नवाज़ी करने से वे एक-दूसरे के और भी करीब आए। आपके बारे में क्या? क्या आपके साथ ऐसा हुआ है कि किसी ने आपको अपने घर बुलाया हो और आपने उसके साथ अच्छा समय बिताया? या आपने किसी को अपने घर बुलाया हो और उसके बाद आपकी उससे अच्छी दोस्ती हो गयी? दरअसल भाई-बहनों से जान-पहचान बढ़ाने का एक बढ़िया तरीका है, उनकी मेहमान-नवाज़ी करना। पतरस के दिनों में जैसे-जैसे हालात बदतर होते जा रहे थे, मसीहियों के लिए ज़रूरी था कि वे एक-दूसरे के और भी करीब आएँ। इन “आखिरी दिनों” में हमें भी अपने भाई-बहनों के करीब रहना चाहिए।—2 तीमु. 3:1.
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आपने पूछा
बाइबल बताती है कि यीशु ने “कारावास में पड़े दुष्ट स्वर्गदूतों को प्रचार किया।” (1 पत. 3:19) इसका क्या मतलब है?
▪ प्रेषित पतरस ने बताया कि ये दुष्ट स्वर्गदूत वही हैं जिन्होंने “उस वक्त के दौरान परमेश्वर की आज्ञा के खिलाफ काम किया था, जब नूह के दिनों में परमेश्वर सब्र दिखाते हुए इंतज़ार कर रहा था।” (1 पत. 3:20) ज़ाहिर है पतरस उन दुष्ट स्वर्गदूतों की बात कर रहा था जिन्होंने परमेश्वर के खिलाफ बगावत करने में शैतान का साथ देने का फैसला किया। यहूदा इन स्वर्गदूतों के बारे में कहता है कि वे “सेवा की अपनी उस जगह पर, जो उन्हें दी गयी थी, कायम न रहे बल्कि अपने रहने की सही जगह छोड़ दी।” वह आगे कहता है कि परमेश्वर ने उन्हें “हमेशा के बंधनों में जकड़कर रखा है ताकि वे उसके महान दिन में सज़ा पाने तक घोर अंधकार में रहें।”—यहू. 6.
नूह के दिनों में स्वर्गदूतों ने किस तरह परमेश्वर की आज्ञा के खिलाफ काम किया था? जलप्रलय से पहले, इन दुष्ट स्वर्गदूतों ने इंसान का शरीर धारण किया लेकिन उनके लिए परमेश्वर का यह मकसद नहीं था। (उत्प. 6:2, 4) इसके अलावा, इन स्वर्गदूतों ने स्त्रियों के साथ अस्वाभाविक लैंगिक संबंध रखे। यहोवा ने इन आत्मिक प्राणियों को लैंगिक संबंध रखने के लिए नहीं बनाया था। (उत्प. 5:2) परमेश्वर इन आज्ञा न माननेवाले दुष्ट स्वर्गदूतों को अपने ठहराए समय पर नाश कर देगा। फिलहाल, जैसा यहूदा ने बताया वे “घोर अंधकार” में हैं या दूसरे शब्दों में कहें तो वे आध्यात्मिक कारावास में कैद हैं।
यीशु ने “कारावास में पड़े दुष्ट स्वर्गदूतों को” कब और कैसे “प्रचार किया”? पतरस ने लिखा कि यीशु के ‘आत्मिक शरीर में ज़िंदा किए जाने’ के बाद ऐसा हुआ। (1 पत. 3:18, 19) इस बात पर भी गौर कीजिए कि पतरस ने कहा कि यीशु ने “प्रचार किया।” पतरस ने इस बात को भूतकाल में लिखा जिससे ज़ाहिर होता है कि जब पतरस ने अपनी पहली चिट्ठी लिखी, तो यीशु इन दुष्ट स्वर्गदूतों को प्रचार कर चुका था। इसका मतलब यीशु के जी उठाए जाने के कुछ वक्त बाद, उसने दुष्ट स्वर्गदूतों को यह ऐलान किया कि उन्हें सज़ा मिलनेवाली है, जिसके वे लायक हैं। इस प्रचार के ज़रिए यीशु ने उन्हें कोई आशा नहीं दी बल्कि वह उन्हें न्यायदंड सुना रहा था। (योना 1:1, 2) यीशु ने अपना विश्वास ज़ाहिर किया, मौत तक वफादारी बनाए रखी और फिर उसे जी उठाया गया, जिससे साबित हो गया कि उस पर शैतान का कोई ज़ोर नहीं था। ये सब होने के बाद, यीशु के पास दुष्ट स्वर्गदूतों को न्यायदंड सुनाने का ठोस आधार था।—यूह. 14:30; 16:8-11.
यीशु भविष्य में शैतान और उन दुष्ट स्वर्गदूतों को बाँधकर अथाह-कुंड में फेंक देगा। (लूका 8:30, 31; प्रका. 20:1-3) तब तक, ये दुष्ट स्वर्गदूत घोर आध्यात्मिक अंधकार में हैं और इसमें कोई शक नहीं कि उनका हमेशा-हमेशा के लिए नाश कर दिया जाएगा।—प्रका. 20:7-10.
याकूब और पतरस की पत्रियों की झलकियाँ
4:6—वे ‘मरे हुए’ कौन हैं, जिन्हें ‘सुसमाचार सुनाया गया’? ये वे लोग हैं जो “अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे।” दूसरे शब्दों में कहें तो सुसमाचार सुनने से पहले इन लोगों का यहोवा के साथ कोई रिश्ता नहीं था। (इफि. 2:1) लेकिन सुसमाचार पर विश्वास करने से यहोवा के साथ उनका रिश्ता जुड़ गया और इस तरह वे “जीवित” हो गए।
28 अक्टूबर–3 नवंबर
पाएँ बाइबल का खज़ाना | 2 पतरस 1-3
“हमेशा ध्यान रखिए कि यहोवा का दिन जल्द आनेवाला है”
यहोवा ज़रूर ‘न्याय चुकाएगा’
11 यीशु ने यह भरोसा दिलाया कि यहोवा “तुरन्त” न्याय चुकाएगा। इससे हम क्या समझ सकते हैं? परमेश्वर का वचन बताता है कि हालाँकि यहोवा ‘धैर्य रखता है’ (NHT, फुटनोट), मगर सही वक्त आने पर वह फौरन न्याय करेगा। (लूका 18:7, 8; 2 पतरस 3:9, 10) नूह के दिनों में जलप्रलय आया और फुर्ती से दुष्टों का नाश किया गया। उसी तरह, लूत के दिनों में जब आसमान से आग बरसी तो देखते-ही-देखते दुष्टों का सफाया हो गया। यीशु ने कहा: “मनुष्य के पुत्र के प्रगट होने के दिन भी ऐसा ही होगा।” (लूका 17:27-30) एक बार फिर, दुष्टों का “एकाएक विनाश” किया जाएगा। (1 थिस्सलुनीकियों 5:2, 3) जी हाँ, हम पक्का यकीन रख सकते हैं कि जिस दिन इंसाफ यह माँग करेगा कि शैतान की दुनिया का अंत हो, उसी दिन इसका अंत कर दिया जाएगा। यहोवा इसे एक भी दिन ज़्यादा टिके रहने की मोहलत नहीं देगा।
“यहोवा का भयानक दिन निकट है”
18 इसलिए यह कोई ताज्जुब की बात नहीं कि प्रेरित पतरस ने हमें यह सलाह दी कि हम ‘परमेश्वर के दिन के जल्द आने’ के लिए यत्न करें, या उसे हमेशा मन में रखें। हम यह कैसे कर सकते हैं? एक तरीका है, “पवित्र चालचलन” बनाए रखने और “भक्ति” के काम करने के ज़रिए। (2 पतरस 3:11, 12) अगर हम इन कामों में लगे रहेंगे, तो हमें ‘यहोवा के दिन’ के आने का बेसब्री से इंतज़ार करने में मदद मिलेगी। दूसरा पतरस 3:12 में जिस यूनानी शब्द का अनुवाद “यत्न करना” किया गया है, उसका शब्द-ब-शब्द मतलब है, “रफ्तार तेज़ करना।” दरअसल, यहोवा के दिन के आने का जितना समय बचा है, हम उसकी रफ्तार तेज़ नहीं कर सकते। लेकिन अगर हम यहोवा की सेवा में अपने आपको व्यस्त रखें, तो इंतज़ार की घड़ियाँ देखते-ही-देखते बीत जाएँगी।—1 कुरिन्थियों 15:58.
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याकूब और पतरस की पत्रियों की झलकियाँ
1:16-19—“भोर का तारा” कौन है और वह कब चमक उठा? हम कैसे जानते हैं कि यह घटना घट चुकी है? “भोर का तारा” परमेश्वर के राज्य का राजा यीशु मसीह है। (प्रका. 22:16) यह तारा पूरे विश्वमंडल में तब चमक उठा, जब यीशु सन् 1914 में मसीहाई राजा बना और एक नए दिन की शुरूआत का पैगाम लाया। रूपांतरण का दर्शन इस बात की झलक था कि यीशु राजा बनने पर कैसी महिमा और अधिकार पाएगा। रूपांतरण ने इस बात को भी पुख्ता किया कि परमेश्वर के भविष्यवक्ताओं के वचन बिलकुल सच हैं। (मर. 9:1-3) इन वचनों पर ध्यान देने से हमारा हृदय रोशन होता है और हम जान जाते हैं कि भोर का तारा चमक उठा है।
याकूब और पतरस की पत्रियों की झलकियाँ
2:4 (NHT, फुटनोट)—“तारतरस” क्या है और बागी स्वर्गदूतों को कब वहाँ डाला गया था? तारतरस एक ऐसी दशा है जिसमें इंसानों को नहीं, सिर्फ आत्मिक प्राणियों को मानो कैद किया गया है। जो इस अंधकार-भरी दशा में जाते हैं, उन्हें न तो परमेश्वर के ज्ञान की रोशनी मिलती है, ना ही उसके मकसदों की समझ। इसके अलावा उनके पास भविष्य की कोई आशा भी नहीं होती। परमेश्वर ने नूह के दिनों में बागी स्वर्गदूतों को तारतरस में डाल दिया था। वे तब तक इसी दशा में रहेंगे जब तक कि उन्हें पूरी तरह नाश नहीं किया जाता।