एक पति के रूप में प्रेम और आदर दिखाना
“तुम में से हर एक अपनी पत्नी से अपने समान प्रेम रखें।”—इफिसियों ५:३३.
१, २. (अ) संसार में किस हद तक तलाक एक समस्या है? (ब) तुलना में, दूसरी कौनसी स्थिति है?
मध्य १९८० में साइकॉलॉजी टुडे ने रिपोर्ट दी: “दस लाख से अधिक जोड़े प्रति वर्ष (यू. एस. ए. में) आनन्द की अपनी प्रत्यशाओं को तलाक में बदल देते हैं; युनाइटेड स्टेट्स में विवाह की औसत अवधि ९.४ वर्ष है। . . . सचमुच, कभी कभी ऐसा लगता है कि वहाँ कोई भी आनन्दपूर्वक विवाहित नहीं है।” (जून १९८५) वयस्कों के साथ साथ बच्चों को भी ध्यान में रखते हुए, इसका अर्थ है कि कम से कम ३०,००,००० व्यक्ति प्रति वर्ष सिर्फ एक देश में टूटे हुए विवाह से प्रभावित होते हैं। लेकिन तलाक एक संसार भर की समस्या है, जो दिखाता है कि लाखों विवाहों में प्रेम और आदर का अभाव है।
२ दूसरी तरफ है, “और एक झुण्ड जिस पर ध्यान नहीं दिया जाता है: वे जोड़े जो किसी तरह साथ रहने में कामयाब होते हैं जो सिर्फ मृत्यु को ही अपने को एक दूसरे से अलग करने देते हैं।” (साइकॉलॉजी टुडे) इस प्रकार, लाखों जोड़े ऐसे भी हैं जो अपने विवाह को बनाए रखने के लिए कठिन परिश्रम करते हैं।
३. हम अपने आप से क्या सवाल पूछ सकते हैं?
३ आपका विवाह कैसा है? क्या पति और पत्नी के बीच में प्रेम और आदर की कोमल भावना है? क्या इस तरह का प्रेम आप के परिवार में माता-पिता और बच्चों के बीच है? या क्या आप कभी कभी अपने को रोष और अविश्वास के कठिन मार्ग पर चलते हुए पाते हैं? चुंकि हममें से कोई भी सिद्ध नहीं है, कठिन परिस्थितियाँ किसी भी परिवार में आ सकती हैं, वहाँ भी जहाँ सभी मसीही बनने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि “सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।”—रोमियों ३:२३.
४. पौलुस और पतरस कैसे सूचित करते हैं कि एक सुखी परिवार में मुख्य भूमिका किसकी है?
४ इस तथ्य को देखते हुए कि कठिनाइयाँ किसी भी परिवार में आ सकती हैं, परिवार को शान्तिपूर्ण और मेल के मार्ग पर चलाने की मुख्य भूमिका किसकी है? प्रेरित पौलुस और पतरस उत्तर देते हैं प्रत्यक्ष सलाह में जो उनकी पत्रियों में पाया जाता है। पौलुस ने लिखा: “सो मैं चाहता हूँ, कि तुम यह जान लो, कि हर एक पुरूष का सिर मसीह है: और स्त्री का सिर पुरुष हे: और मसीह का सिर परमेश्वर है।” उसने यह भी कहा: “और मसीह के भय से एक दूसरे के आधीन रहो। हे पत्नियों, अपने अपने पति के ऐसे आधीन रहो, जैसे प्रभु के। क्योंकि पति पत्नी का सिर है जैसे कि मसीह कलीसिया का सिर है।” (१ कुरिन्थियों ११:३; इफिसियों ५:२१-२३) इसी सिलसिले में, पतरस ने लिखा: “हे पत्नियों, तुम भी [मसीह के नमूने पर चलते हुए] अपने पति के आधीन रहो।”—१ पतरस २:२१–३:१.
मसीह—ताजगी देने वाला उदाहरण
५, ६. सिर बनने में कैसे यीशु मसीह एक उदाहरण है?
५ पूर्व-कथित सलाह के अनुसार, पति परिवार का शास्त्रीय सिर हैं। लेकिन वह किस अर्थ में सिर हैं? सिर होने का कार्य किस प्रकार किया जाना चाहिए? कुछ पति यह कह कर आदर की मांग करना आसान समझ सकते हैं कि वे ‘परिवार का सिर है, ओर बाइबल ऐसा कहती है।’ लेकिन यह मसीह के उदाहरण से किस तरह मेल खाता है? क्या मसीह ने अपने अनुयायियों से घमंडपूर्वक आदर की मांग की? क्या हम ऐसा मौका पाते हैं जब उसने अभिमान से कहा: “कौन यहाँ परमेश्वर का पुत्र है? तुम्हें मेरा आदर करना होगा!” इसके विपरीत, यीशु ने आदर का उपार्जन किया। कैसे? चाल-चलन, बात-चीत, और दूसरों को सहानुभूति दिखाने के अच्छे उदाहरण के जरियें।—मरकुस ६:३०-३४.
६ अतः एक पति और पिता के रूप में सही तरीके से प्रधान का कार्य निभाने की कुँजी है यीशु मसीह के उदाहरण पर चलना। तौभी यीशु ने विवाह नहीं किया, जिस प्रकार से उसने चेलों से बर्त्ताव किया पतियों के लिए एक चुनौती प्रस्तुत करता है, क्योंकि यीशु एक सिद्ध नमुना है। (इब्रानियों ४:१५; १२:१-३) फिर भी, एक पति जितना अधिक मसीह के उदाहरण के अनुरूप चलता है, उतना अधिक गहरा प्रेम और आदर उसे दिखाया जाएगा। इसलिए, आइये हम और निकट से देखें कि यीशु किस प्रकार का व्यक्ति था।—इफिसियों ५:२५-२९; १ पतरस २:२१, २२.
७. यीशु ने अपने अनुयायियों को क्या प्रदान किया, और किस श्रोत से?
७ एक अवसर पर, यीशु ने एक भीड़ से कहा: “हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगों, मेरे पास आओ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा। मेरा जुआ अपने ऊपर उठा लो; और मुझ से सीखो; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ; और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे। क्योंकि मेरा जुआ सहज और मेरा बोझ हलका है।” अब, यीशु ने अपने सुनने वालों को क्या दिया? आत्मिक विश्राम! लेकिन यह विश्राम किस स्रोत से आएगी? उसने थोड़ी देर पहले कहा था: “ओर कोई पिता को नहीं जानता, केवल पुत्र; और वह जिस पर पुत्र उसे प्रगट करना चाहे।” यह सूचित किया कि यीशु आत्मिक विश्राम प्रदान करता अपने सच्चे अनुयायियों को अपने पिता को प्रगट करने के द्वारा। लेकिन यीशु की बातों ने यह भी स्पष्ट किया कि विश्राम आयेगा उसके साथ संति करने के जरिये, क्योंकि वह “नम्र और मन में दीन” था।—मत्ती ११:२५-३०.
कैसे विश्राम देनेवाले पति और पिता बनना
८. किन तरीकों से एक पति और पिता को विश्राम देना चाहिए?
८ यीशु के वचन हमें यह समझने में सहायता देती हैं कि एक मसीही पति ने अपने परिवार को ताजगी देना चाहिए आत्मिक और व्यक्तिगत दोनों तरीकों से। अपने नम्र उदाहरण और शिक्षा के द्वारा से, उसे अपने परिवार की सहायता करनी चाहिए स्वर्गीय पिता को अधिक अच्छी तरह जानने के लिए। उसके आचरण में परमेश्वर के पुत्र के विचार और कार्य दिखाई देने चाहिए। (यूहन्ना १५:८-१०; १ कुरिन्थियों २:१६) इस प्रकार के पुरष के साथ संगति करना परिवार के सभी लोगों के लिए ताजगी देता है क्योंकि वह एक प्रेमपूर्ण पति, पिता और मित्र है। उसे दूसरो को अपने निकट आने देना चाहिए और पूछताछ के लिए कभी भी अत्यधिक रूप से व्यस्त नहीं होना चाहिए। सचमुच, उसे ध्यान से कैसे सुनना यह जानना चाहिए, सिर्फ सुनना नहीं।—याकूब १:१९.
९.मंडली में प्राचीनों पर कभी कभी क्या समस्या असर डालती है?
९ यह एक समस्या की याद दिलाता है जो कभी-कभी मंडली के प्राचीनों और उनके परिवारों पर असर डालता है। एक प्राचीन साधारणतः मंडली की आत्मिक जरूरतों को पूरा करने में व्यस्त रहता है। उसे मसीही सभाओं, सेवकाई ओर चरवाही के कार्य में अच्छा उदाहरण देना पड़ता है। (इब्रानियों १३:७, १७) तथापि, कुछ प्राचीनों ने, परिणामस्वरूप, मंडली के लिए अपने आप को पूरी तरह डाल दिया है। इस क्रम में उन्होंने अपने परिवार की अवहेलना की है, कभी कभी दुःखपूर्ण परिणामों के साथ। एक मामले में एक प्राचीन अपने ही बेटे के साथ अध्ययन करने के लिए व्यस्थ था। उसने किसी और को ऐसा करने का प्रबन्ध किया!
१०. मंडली और घर में सिर का कार्य निभाने में कैसे प्राचीन संतुलन बनाए रख सकते हैं?
१० यह उदाहरण किस बात पर जोर दिता है? एक पुरुष को मंडली के प्रति और अपनी पत्नी तथा परिवार के प्रति कर्त्तव्यों के बीच संतुलन बनाए रखने की जरूरत हैं। उदाहरण के लिए, सभाओं के बाद अक्सर प्राचीन समस्याओं और वाद-विवाद में व्यस्त रहते हैं। यदि ऐसा संभव और व्यावहारिक है, क्या वह ताजगी नहीं देगा कि इस तरह का प्राचीन यह व्यवस्था करें कि कोई उसकी पत्नी और बच्चों को घर छोड़ दे, इसके बजाय कि वे घंटों किंगडम हॉल में इन्तजार करें? बाइबल की आवश्यकताओं के अनुसार यह कहा जा सकता है कि ‘चरवाही घर से शुरु होता है।’ यदि एक प्राचीन अपने परिवार की उपेक्षा करता है, वह अपनी नियुक्ति को खतरे में डाल सकता है। इसलियें, प्राचीनों, विचारवान बनें और अपने परिवार की भावात्मक, आत्मिक और अन्य आवश्यक्ताओं को ध्यान में रखें।—१ तीमुथियूस ३:४, ५; तीतुस १:५, ६.
११, १२. एक मसीही पति कैसे अपने परिवार का समर्थन पा सकता है, और हर एक पति अपने आप से किन सवालों को पूछ सकता है?
११ एक विश्राम देने वाला मसीही पति निरंकुश या अत्याचारी नहीं होगा, अपने परिवार से पूछे बिना निर्णय लेते हुए। शायद एक निर्णय लेना है नौकरी बदलने के सम्बन्ध में या घर बदलने या एक छोटी सी बात जैसे पारिवारिक मनोरंजन के बारे में। चूंकि परिवार के सभी सदस्यों पर इसका असर होगा, क्या यह बुद्धिमानी और दयालुता की बात नहीं होगी कि उन सभी से पूछा जाय? उनके विचार उसे एक अधिक बुद्धिमान, अधिक विचारवान निर्णय लेने में सहायता दे सकती है। तब परिवार के सभी लोगों को उनका समर्थन करने में आसानी होगी।—नीतिवचन १५:२२ से तुलना करें।
१२ पूर्ववर्ती बातों से यह स्पष्ट होता है कि एक मसीही पति और पिता घर में सिर्फ अनुशासन चलानेवाला व्यक्ति नहीं है। उसे विश्राम देनेवाला भी होना चाहिए। पतियों और पिताओं, क्या आप मसीह के समान हैं? क्या आप अपने परिवार के लिए ताजगी लाने वाले हैं?—इफिसियों ६:४; कुलुसियों ३:२१.
ज्ञान के अनुसार जीवन निर्वाह करना
१३. पतरस पतियों को कौन सी अच्छी सलाह देता है?
१३ जैसा पहले ही देखा गया हे, पतरस और पौलुस दोनों ही विवाहित जोड़ों के लिए अच्छी सलाह देते हैं। एक विवाहित पुरुष होने के नाते, पतरस की सलाह में दोहरा लाभ था—अनुभव और पवित्र आत्मा की अगुवाई। (मत्ती ८:१४) उसने सभी पतियों को निश्चित सलाह दी, यह कहते हुए: “वैसे ही हे पतियों, तुम भी बुद्धिमानी से पत्नियों के साथ जीवन निर्वाह करो और स्त्री को निर्बल पात्र जानकर उसका आदर करो।” जे. डब्ल्यू. सी. वैंड का भाषान्तर लिखता है: “पतियों को इसी प्रकार से अपनी पत्नियों के साथ अपने सम्बन्ध में बुध्दिमानी के साथ मसीही सिद्धान्तों को लागु करना चाहिए।”—१ पतरस ३:७.
१४. अब कौन से प्रश्न उठते हैं?
१४ अब, एक पत्नी के साथ “बुद्धिमानी से” जीवन निर्वाह करने या “बुद्धिमानी के साथ मसीही सिद्धान्तों को लागु” करने का अर्थ क्या है? एक पति अपनी पत्नी का आदर कैसे कर सकता हे? सचमुच, कैसे एक मसीही पति को पतरस की सलाह को समझना चाहिए?
१५. (अ) क्यों कुछ विवाह असफल हो जाते हैं? (ब) एक विवाह में असली चुनौती क्या है?
१५ बहुत से विवाह सिर्फ शारीरिक पहलुओं और लैंगिक आकर्षण पर आधारित होते हैं। तथापि, सिर्फ सुन्दरता के आधार पर एक स्थायी विवाह की गारंटी नहीं दी जा सकती, क्योंकि ये टिकाऊ नहीं है। जो बहुत सालों से विवाहित हें उनकी आखिर में झुर्रियां और पके बाल आ ही जाते हैं। लेकिन याद रखिये विवाह दो मनों का मिलन है, दो व्यक्तित्व का, दो पृष्ठभूमि और आत्मिक मूल्यों का, ओर दो भाषाओं का। यह बहुत बड़ी चुनौती खड़ी करता है! फिर भी, एक सुखमय विवाह के लिए इसे समझना अत्यावश्यक है।—नीतिवचन १७:१; २१:९.
१६. ‘उसे बुद्धिमानी से जीवन निर्वाह करने’ में क्या शामिल है?
१६ अन्य बातों के अन्तर्गत, एक मसीही पति का अपनी पत्नी के साथ “बुद्धिमानी से” जीवन निर्वाह करने का मतलब है कि उसे सचमुच उसकी जरूरतों को समझना चाहिए। ये सिर्फ उसकी शारीरिक जरूरतें नहीं हैं, लेकिन अधिक महत्त्वपूर्ण, उसकी भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक ओर आत्मिक जरूरतें हैं। यदि वह ‘बुद्धिमानी से उसके साथ जीवन निर्वाह करता है’ वह परमेश्वर के द्वारा निर्धारित किए गए अपने कर्तव्य को समझेगा। इसका मतलब यह भी होगा कि वह उसकी स्त्री सुलभ मर्यादा का आदर करेगा। यह पतरस के दिनों के कुछ नॉस्टिक्स लोगों के दृष्टिकोण के बिल्कुल विपरीत था, जिनके बीच में “स्त्रियों को निम्न, भोग-विलास की और अशुद्ध व्यक्ति की तरह घृणा किया जाता था।” (दि ऍन्कर बाइबल) एक आधुनिक स्पैनिश अनुवाद पतरस के शब्दों को इस प्रकार लिखता है: “पतियों के बारे: अपने सम्मिलित जीवन में युक्ति से काम करें, स्त्री के लिए विचारवन बनें, क्योंकि उसकी बनावट अधिक नाजुक है।” (न्यूवा बिब्लिया एस्पॅन्योला) यह एक सुन्दर बात प्रगट करता है जिसे कभी कभी पति भूल जाते हैं।
१७. (अ) अन्य बातों के साथ साथ ‘निर्बल पात्र’ स्त्री की “बनावट अधिक नाजुक” होने में क्या अन्तर्ग्रस्त है? (ब) एक तरीका क्या है जिससे एक पति अपनी पत्नी की मर्यादा का आदर कर सकता है?
१७ क्यों पत्नी की “बनाव अधिक नाजुक है?” अन्य बातों के अलावा, प्रजनन के उसके गुण के कारण। उसका प्रजनन जीवन माहवारी चक्रों के आधीन है जिसके अन्तर्गत कुछ दिन ऐसे हैं जिन में वह अपने को कुछ सीमितया या तनाव में पाती है। यदि पति इस बात को ध्यान में नहीं रखता है और महीने के हर दिन में अपनी पत्नी से समान मांग करता है, तो वह उसकी मर्यादा का आदर नहीं करेगा। इस हालत में वह यह दिखाएगा कि वह उसके साथ स्वार्थी अज्ञान के साथ जीता है, बुद्धिमानी के साथ नहीं।—लैव्यव्यवस्था १८:१९; १ कुरिन्थियों ७:५.
स्त्री पात्र का आदर करना
१८. (अ) कुछ दम्पत्ति किन नकारात्मक आदतों में पड़ जाते हैं? (ब) एक मसीही पति को कैसा व्यवहार करना चाहिए?
१८ और एक तरीका जिससे एक पति अपनी पत्नी को प्रेम और आदर दिखा सकता है वह है कि उसे और उसके गुणों के प्रति मूल्यांकन को प्रगट करना। अपनी पत्नी को नीचा दिखानेवाली टिप्पणी करने की आदत में एक पति पड़ सकता है या उसे अपने मजाक में ठट्ठा कर सकता है। शायद ऐसा पति यह सोचता है कि इससे वह स्वयं अधिक अच्छा दिखाई पड़ता है। तथापि, वास्तव में, असर इसका उल्टा होता है, क्योंकि यदि वह हमेशा अपनी पत्नी को मूर्ख दिखाता है, तो प्रत्यक्ष सवाल यह है: क्यों उसने ऐसी मूर्ख पत्नी से विवाह किया? सचमुच, ऐसा प्रतीत होगा कि सिर्फ एक असुरक्षित पति ही इस प्रकार की युक्ति करेगा। एक प्रेमी पति अपनी पत्नी का आदर करता हैं।—नीतिवचन १२:१८; १ कुरिन्थियों १३:४-८.
१९.अपनी पत्नी को नीचा दिखाना क्यों एक पति के लिए उचित नहीं होगा?
१९ कुछ देशों में सुशीलता दिखाने के लिए अपनी पत्नियों को नीचा दिखाना भी पुरुषों का रिवाज है। उदाहरण के लिए, एक जापानी पति अपनी पत्नी का परिचय “गुसाई” शब्द से देगा, जिसका मतलब है ‘मूर्ख या निर्बुद्धि पत्नी।’ इसका अभिप्राय यह है कि दूसरे व्यक्ति को स्त्री के बारे तारीफ की बात कह कर परिस्थिति को संतुलित करना चाहिए, सुधार लेना चाहिए। यदि एक मसीही पति इस तरह से परिचय कराता है, तो क्या वह सचमुच अपनी पत्नी का ‘आदर कर रहा है’ जैसे पतरस ने सलाह दी? दूसरे पहलु को देखते हुए, क्या वह सचमुच अपने पड़ोसी से सच कह रहा है? क्या वह सचमुच इस बात पर विश्वास करता है कि उसकी पत्नी मूर्ख है?—इफिसियों ४:१५, २५; ५:२८, २९.
२०. (अ) एक पति और पत्नी के बीच कौन सी विपरीत परिस्थिति उत्पन्न हो सकती हैं? (ब) यह कैसे बचाया जा सकता है?
२० कभी कभी एक पति प्रेम और आदर की कमी दिखाएगा इस बात को आसानी से भूलते हुए कि उसकी पत्नी उसकी मसीही बहन भी है, सिर्फ किंगडम हॉल में ही नहीं लेकिन घर में भी और हर मौके पर। यह कितना आसान है कि हॉल में दयालु और शिष्ट रहें और घर में अशिष्ट और कठोर रहें! अतः पौलुस की सलाह कितनी उपयुक्त हे! उसने लिखा: “हम उन बातों का प्रयत्न करें जिनसे मेल मिलाप और दूसरे का सुधार हो।” “हम में से हर एक अपने पड़ोसी को उस की भलाई के लिये सुधारने के निमित्त प्रसन्न करे।” (रोमियों १४:१९; १५:२) पति या पत्नी से ज्यादा निकट कोई पड़ोसी नहीं है।
२१. अपनी पत्नियों को उत्साहित करने के लिए पति क्या कर सकते हैं?
२१ इसलिये, एक प्रेमी पति शब्दों और कार्यों से अपनी पत्नी के लिए मूल्यांकन प्रगट करेगा। जैसा एक गुमनाम कवि ने कहा:
“वैवाहिक कलह के बीच में
मेहनत और व्यवसायिक जीवन के बावजूद
यदि आप अपनी प्रिय पत्नी का मूल्य समझते हैं—
उसे बताइये! . . .
आप उसके सिर्फ उसी के हैं;
आप अच्छी तरह जानते हैं कि वह आप की है;
इसे पत्थर पर लिखने का इन्तजार मत कीजिए—
उसे बताइये!”
प्राचीन राजा लमूएल की माता स्पष्टतः इन भावनाओं का समर्थन करती है। कुछ अंशों में उसने आदर्श पत्नी का वर्णन इन शब्दों मे किया: “उसके पुत्र उठ उठकर उसको धन्य कहते हैं; उसका पति भी उठकर उसकी ऐसी प्रशंसा करता है: ‘बहुत सी स्त्रियों ने अच्छे काम तो किये हैं; परन्तु तू उन सभों में श्रेष्ठ है।’” (नीतिवचन ३१:१, २८, २९, द न्यू इंगलिश बाइबल) पतियों क्या आप अपनी पत्नी की प्रशंसा नियमित रूप से करते हैं, या वह सिर्फ विवाह से पहले था?
२२, २३. एक सफल विवाह का आधार क्या है?
२२ इस संक्षिप्त विचार से, यह जाहिर होता है कि अपने विवाह में प्रेम और आदर दिखाने के लिए एक पति को, घर में सिर्फ तनख्वाह लाना ही काफी नहीं है। एक सफल विवाह एक प्रेमपूर्ण, वफादार, और विचारवान सम्बन्ध पर आधारित है। (१ पतरस ३:८, ९) जैसे जैसे साल बीतते जाते हैं, इस सम्बन्ध को और गहरा होना चाहिए जैसे जैसे पति और पत्नी एक दूसरे के गुणों और शक्तियों का मूल्यांकन करते हैं और एक दूसरे की कमजोरियों को नजरअन्दाज करना और क्षमा करना सीखते हैं।—इफिसियों ४:३२; कुलिसियों ३:१२-१४.
२३ यदि प्रेम और आदर दिखाने में पति अगुवाई लेता है, तो पूरा परिवार आशीष पाएगा। लेकिन एक सुखी परिवार में पत्नी को क्या भाग अदा करना चाहिए? हमारा अप्रैल अंक इस पर और सम्बन्धित सवालों पर वाद-विवाद करेगा।
क्या आप याद करते हैं?
◻ एक आनन्दपूर्ण विवाह में मुख्य भूमिका किसकी है और क्यों?
◻ पतियाँ मसीह के उत्तम उदाहरण का कैसे अनुकरण कर सकते हैं?
◻ मण्डली और पारिवारिक ज़िम्मेदारियों के बीच कैसा संतुलन की आवश्यकता है?
◻ एक पति अपनी पत्नी के साथ ‘विवेक के साथ कैसे जी सकता है?’
◻ ‘एक कमजोर पात्र के रूप में अपनी पत्नी को आदर देने’ का अर्थ क्या है?