बाइबल का दृष्टिकोण
पिशितोत्सव सही या ग़लत?
“आप इसे बिलकुल रोक नहीं सकते,” मायकल कहता है। “संगीत आपको कुर्सी पर से उठने पर मज़बूर कर देता है, आपके पैरों में गति लाता है, आपके दिमाग़ को उत्तेजित कर देता है—आपको पिशितोत्सव का बुख़ार चढ़ गया है!” वाक़ई, हर साल पिशितोत्सव (कार्निवल) पूरे संसार में करोड़ों लोगों के दिल की धड़कनों को बढ़ा देता है, लेकिन यह बुख़ार कहीं और इतना तेज़ नहीं होता जितना कि उस देश में जहाँ मायकल रहता है, ब्रज़िल। ऐश वॆड्नज़्डे के पहले एक सप्ताह के दौरान, ब्रज़िल अपने सबसे शानदार कपड़े पहनता है, अपनी घड़ियों और कैलॆंडरों को फेंक देता है, और एक ऐसे शानदार समारोह में डूब जाता है जो ऐमॆज़ोन जंगल से लेकर रियो डॆ जनॆरो के सागर-तटों तक देश को हिला देता है। यह गाने, साम्बा करने, और भूल जाने का समय है।
“इसके लोकप्रिय होने का यह एक कारण है,” मायकल समझाता है, जो बरसों से पिशितोत्सव का एक उत्साही मनानेवाला था। “पिशितोत्सव लोगों को अपने दुःख-तकलीफ़ भूलने का एक मौक़ा देता है।” और ख़ासकर करोड़ों ग़रीबों के पास—जो पर्याप्त पानी के बिना, बिजली के बिना, रोज़गार के बिना, और उम्मीद के बिना जीते हैं—भूलने के लिए बहुत कुछ है। उनके लिए पिशितोत्सव एक ऐस्पिरिन की तरह है: यह शायद समस्याओं को ठीक न करे, लेकिन कम-से-कम यह दुःख-दर्द को सुन्न कर देता है। इसमें ज़रा पिशितोत्सव के बारे में कुछ रोमन कैथोलिक पादरियों के दृष्टिकोण को जोड़िए—एक बिशप ने कहा कि पिशितोत्सव “लोगों के मनोवैज्ञानिक संतुलन के लिए बहुत उपयोगी है।” सो यह देखना आसान है कि क्यों अनेक लोग महसूस करते हैं कि पिशितोत्सव एक सहायक और अनुमोदित विकर्षण है। लेकिन, पिशितोत्सवों के बारे में बाइबल का क्या दृष्टिकोण है?
मौज-मस्ती या लीला-क्रीड़ा?
परमेश्वर का वचन कहता है कि “हंसने का . . . और नाचने का भी समय है।” (सभोपदेशक ३:४) चूँकि “हंसने” के लिए इब्रानी शब्द को “उत्सव मनाना” भी अनुवादित किया जा सकता है, यह स्पष्ट है कि जहाँ तक हमारे सृष्टिकर्ता का सवाल है, हमारे द्वारा हितकर, आनन्दपूर्ण समय बिताने में कोई ख़राबी नहीं है। (१ शमूएल १८:६, ७ देखिए।) वस्तुतः, परमेश्वर का वचन हमसे आनन्दित और हर्षपूर्ण होने के लिए कहता है। (सभोपदेशक ३:२२; ९:७) सो बाइबल उचित मौज-मस्ती को अनुमोदन देती है।
किन्तु, बाइबल सभी तरह की मौज-मस्ती को अनुमोदित नहीं करती। प्रेरित पौलुस कहता है कि लीला-क्रीड़ा, या ऊधमी मौज-मस्ती करना “शरीर के काम” हैं और लीला-क्रीड़ा करनेवाले “परमेश्वर के राज्य के वारिस न” होंगे। (गलतियों ५:१९-२१) अतः, पौलुस ने मसीहियों को सलाह दी कि ‘सीधी चाल चलें; न कि लीला क्रीड़ा में।’ (रोमियों १३:१३) सो सवाल है, पिशितोत्सव किस श्रेणी में आता है—निष्कपट मौज-मस्ती करने में या स्वेच्छाचारी लीला-क्रीड़ा करने में? इसका उत्तर देने के लिए, आइए पहले और समझाएँ कि किस बात को बाइबल लीला-क्रीड़ा समझती है।
शब्द “लीला-क्रीड़ा” अथवा यूनानी में कोमोस, मसीही यूनानी शास्त्र में तीन बार आता है, हमेशा एक प्रतिकूल अर्थ में। (रोमियों १३:१३; गलतियों ५:२१; १ पतरस ४:३) और इसमें कोई आश्चर्य नहीं क्योंकि कोमोस कुख्यात उत्सवों से आता है जो यूनानी-बोलनेवाले प्रारम्भिक मसीहियों के लिए जाने-माने थे। कौन-से उत्सव?
इतिहासकार विल ड्यूरंट समझाता है: “यूनानी शब्दावली में, एक कॉमोस, अथवा लीला-क्रीड़ा में . . . लोगों का एक समूह शामिल था, जो पवित्र फाली [नर लिंग अवयव का प्रतीक] ले जाते थे और डायोनिसस के लिए आवेशपूर्ण गीत [मंत्र] गाते थे।” यूनानी पौराणिक-कथाओं में मद्य के ईश्वर, डायोनिसस को बाद में रोमियों द्वारा अपना लिया गया, जिन्होंने उसका नाम बदलकर बैकस नाम रखा। फिर भी, नाम के परिवर्तन के बावजूद कोमोस का सम्बन्ध बच गया। बाइबल विद्वान डॉ. जेम्स मैक्नाईट कहता है: ‘शब्द कोमोइस [कोमोस का एक बहुवचनीय रूप], भोज और लीला-क्रीड़ा के ईश्वर, कोमस से आता है। ये लीला-क्रीड़ाएँ बैकस के सम्मान में की जाती थीं, जिसका उस कारण कोमास्टस नाम रखा गया।’ जी हाँ, डायोनिसस और बैकस के लिए मनाए गए उत्सव लीला-क्रीड़ा का मूर्त रूप थे। इन भोजों की विशेषताएँ क्या थीं?
लीला-क्रीड़ा प्रस्तुत की गयी
ड्यूरंट के अनुसार, डायोनिसस का सम्मान करनेवाले यूनानी उत्सवों के दौरान, उत्सव मनानेवाले “बेरोक पीते थे, और . . . उसे बेवकूफ़ समझते थे जो अपना होश नहीं खोता था। वे लोग अनियंत्रित जुलूसों में जाते थे, . . . और जैसे-जैसे वे पीते और नाचते थे एक ऐसे पागलपन में पड़ जाते जहाँ सारी बंदिशें मुक्त की जातीं।” उसी विचार-धारा में, (बैकनेलिया नामक) बैकस का सम्मान करनेवाले रोमी उत्सवों की विशेषता थी पीना और कामोत्तेजक गीत और संगीत और ये “बहुत ही अनादरपूर्ण कार्यों” के दृश्य थे, मैक्नाईट लिखता है। अतः पागल भीड़, अत्यधिक मद्यपान, कामोत्तेजक नाच और संगीत, और अनैतिक यौन सम्बन्ध यूनानी-रोमी लीला-क्रीड़ाओं के मूल कार्य थे।
क्या आज के पिशितोत्सवों में ये लीला-क्रीड़ा उत्पन्न करनेवाले कार्य होते हैं? पिशितोत्सवों पर समाचार रिपोर्टों में से कुछ उद्धरणों पर ग़ौर कीजिए: “पूरी तरह से ही ऊधमी भीड़।” “पीने और पूर्ण-रात्री पार्टी करने का चार-दिवसीय झोंक।” “पिशितोत्सव का ख़ुमार लीला-क्रीड़ा करनेवालों के लिए कई दिनों तक बना रह सकता है।” “अति-समीप की लगभग-बधिर करनेवाली आवाज़ ‘हॆवी मॆटल’ समूहों के प्रदर्शनों . . . को तुलना में मन्द बना देती है।” “आज, समलिंगकामुकों के बिना कोई भी पिशितोत्सव मिर्च के बिना स्टेक ऑ प्वाव्रे की तरह है।” “पिशितोत्सव सम्पूर्ण नग्नता का एक समानार्थ बन चुका है।” पिशितोत्सव नृत्यों ने “हस्तमैथुन . . . और विभिन्न प्रकार के लैंगिक समागम के दृश्यों” को विशिष्ट किया है।
वाक़ई, आज के पिशितोत्सवों और उन प्राचीन भोजों के बीच की समानताएँ इतनी उल्लेखनीय हैं कि बैकस लीला-क्रीड़ा करनेवाला शायद ही कोई ताल चूकता यदि वह एक आधुनिक-दिवसीय पिशितोत्सव पार्टी के बीच में पुनःजीवित हो जाता। और इससे हमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए, ब्रज़िल के टॆलिविज़न निर्माता क्लॉउद्यू पेट्रॉल्या टिप्पणी करता है क्योंकि वह कहता है कि आज का पिशितोत्सव “डायोनिसस और बैकस के भोजों से उत्पन्न होता है और, वस्तुतः, यही पिशितोत्सव का स्वभाव है।” द न्यू एन्साइक्लोपीडिया ब्रिटानिका कहती है कि पिशितोत्सव प्राचीन रोम के विधर्मी सतरनालिया उत्सव के साथ जोड़ा जा सकता है। सो पिशितोत्सव, जबकि एक अलग युग का है, अपने पूर्ववर्तियों की तरह उसी परिवार से है। परिवार का नाम? लीला-क्रीड़ा।
इस ज्ञान का आज मसीहियों पर क्या प्रभाव होना चाहिए? वही प्रभाव जो एशिया मायनर के यूनानी-प्रभावित प्रान्तों में रहनेवाले प्रारम्भिक मसीहियों पर हुआ था। मसीही बनने से पहले वे “लुचपन की बुरी अभिलाषाओं, मतवालापन, लीला-क्रीड़ा [कोमोइस], पियक्कड़पन, और घृणित मूर्तिपूजा” में मशरूफ़ रहा करते थे। (१ पतरस १:१; ४:३, ४) लेकिन, यह जानने के पश्चात् कि परमेश्वर लीला-क्रीड़ाओं को ‘अन्धकार के काम’ समझता है, उन्होंने पिशितोत्सव-समान उत्सवों में भाग लेना बन्द कर दिया।—रोमियों १३:१२-१४.
पहले उल्लिखित मायकल ने ऐसा ही किया। वह समझाता है क्यों: “जैसे-जैसे मेरा बाइबल का ज्ञान बढ़ता गया, मैंने देखा कि पिशितोत्सव और बाइबल सिद्धान्त तेल और पानी की तरह हैं—वे किसी हालत नहीं घुलते।” १९७९ में मायकल ने ठान लिया। उसने पिशितोत्सवों को हमेशा के लिए छोड़ दिया। आप कौन-सा चुनाव करेंगे?
[पेज 10 पर तसवीरें]
डायोनिसस को चित्रित करनेवाला मसीही-पूर्व यूनानी दोहत्था कलश (बाँया चित्र)
[चित्र का श्रेय]
Courtesy of The British Museum