चौकन्ने रहिए—शैतान आपको निगल जाना चाहता है!
“चौकन्ने रहो। तुम्हारा दुश्मन शैतान, गरजते हुए शेर की तरह इस ताक में घूम रहा है कि किसे निगल जाए।”—1 पत. 5:8.
1. समझाइए कि किस तरह एक स्वर्गदूत शैतान बना।
एक वक्त पर वह एक ऐसा स्वर्गदूत था जिसका यहोवा की नज़र में अच्छा नाम था। मगर कुछ समय बाद, वह चाहने लगा कि इंसान उसकी उपासना करे। यह गलत इच्छा ठुकराने के बजाय, उसने यह इच्छा अपने अंदर बढ़ने दी। नतीजा यह हुआ कि वह पाप कर बैठा। (याकू. 1:14, 15) उस स्वर्गदूत को हम शैतान के नाम से जानते हैं। वह “सच्चाई में टिका न रहा,” बल्कि उसने यहोवा के खिलाफ बगावत की और “झूठ का पिता” बन गया।—यूह. 8:44.
2, 3. शब्द “शैतान,” “इब्लीस,” “साँप” और “अजगर” यहोवा के सबसे बड़े दुश्मन के बारे में क्या ज़ाहिर करते हैं?
2 शैतान ने जब यहोवा के खिलाफ बगावत की, तब से उसके कामों से यह साबित हुआ है कि वह यहोवा का सबसे बड़ा दुश्मन है। और ऐसा नहीं कि वह इंसानों का दोस्त बन गया, वह उनका भी दुश्मन है। शैतान को जो दूसरे नाम मिले हैं, उनसे ज़ाहिर होता है कि वह कितना भ्रष्ट और गिरा हुआ है। शैतान का मतलब है, “विरोधी।” इससे पता चलता है कि यह दुष्ट स्वर्गदूत परमेश्वर की हुकूमत से नफरत करता है और इससे लड़ने में जी-जान से लगा हुआ है। वह बस यहोवा की हुकूमत को खत्म होते देखना चाहता है।
3 प्रकाशितवाक्य 12:9 के मुताबिक, शैतान को इब्लीस भी कहा गया है, जिसका मतलब है “निंदा करनेवाला।” इससे हमें याद आता है कि कैसे शैतान ने यहोवा को झूठा कहकर उसे बदनाम किया। शब्द “पुराना साँप” उस बुरे दिन की याद दिलाते हैं जब शैतान ने साँप का इस्तेमाल करके हव्वा को बहकाया था। “बड़ा भयानक अजगर,” इन शब्दों से हमारे मन में एक डरावने और खूँखार जानवर की तसवीर उभर आती है। ये शब्द शैतान के लिए एकदम सही बैठते हैं, क्योंकि वह यहोवा के मकसद और उसके लोगों को बड़ी बेरहमी से मिटाने पर तुला हुआ है।
4. इस लेख में किस बारे में चर्चा की जाएगी?
4 यह साफ ज़ाहिर है कि हमारी खराई के लिए शैतान सबसे बड़ा खतरा है। इसीलिए बाइबल हमें खबरदार करती है, “अपने होश-हवास बनाए रखो, चौकन्ने रहो। तुम्हारा दुश्मन शैतान, गरजते हुए शेर की तरह इस ताक में घूम रहा है कि किसे निगल जाए।” (1 पत. 5:8) इस चेतावनी को ध्यान में रखते हुए, इस लेख में ऐसी तीन बातों पर चर्चा की जाएगी जो शैतान में पायी जाती हैं। ये ऐसी बातें हैं जिनकी वजह से हमें यहोवा के इस दुश्मन से बचने के लिए चौकस रहना और भी ज़रूरी है।
शैतान ताकतवर है
5, 6. (क) उदाहरण देकर समझाइए कि स्वर्गदूत बहुत ताकतवर हैं। (ख) किस मायने में शैतान के पास “मौत देने का ज़रिया है”?
5 स्वर्गदूत इंसानों से महान हैं। इसलिए वे इंसानों से ज़्यादा बुद्धिमान और ताकतवर हैं। बाइबल उन्हें “शक्तिशाली” दूत कहती है। (भज. 103:20, वाल्द-बुल्के अनुवाद) हाँ, यह सच है कि वफादार स्वर्गदूत अपनी ताकत अच्छे कामों में लगाते हैं। जैसे, एक बार यहोवा के एक स्वर्गदूत ने 1,85,000 अश्शूरी सैनिकों को मार गिराया था। यह दुश्मन सेना पर एक ज़बरदस्त जीत थी! ऐसी जीत एक इंसान के लिए नामुमकिन थी, यहाँ तक कि एक पूरी सेना के लिए बहुत मुश्किल थी। (2 राजा 19:35) एक और मौके पर, एक स्वर्गदूत ने अपनी ताकत और बुद्धि से ऐसा काम किया, जो इंसान के बस की बात नहीं थी। उसने जेल के फाटक खोलकर प्रेषितों को बाहर निकाला और उसके बाद फिर से फाटक बंद कर दिए। सुरक्षा के सारे इंतज़ाम नाकाम हो गए। वहाँ तैनात पहरेदार भी उसका कुछ नहीं बिगाड़ सके!—प्रेषि. 5:18-23.
6 हालाँकि वफादार स्वर्गदूत अपनी ताकत अच्छे कामों में लगाते हैं, लेकिन शैतान अपनी ताकत बुरे कामों में लगाता है। शैतान के पास ज़बरदस्त ताकत है और उसका काफी दबदबा है। बाइबल उसे “इस दुनिया का राजा” और ‘इस दुनिया की व्यवस्था का ईश्वर’ कहती है। (यूह. 12:31; 2 कुरिं. 4:4) यहाँ तक कि शैतान इब्लीस के पास “मौत देने का ज़रिया है।” (इब्रा. 2:14) लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वह खुद सभी लोगों की जान लेता है। वह दरअसल ऐसा करने के लिए इस दुनिया को मोहरा बनाता है। एक और बात, हव्वा ने शैतान के झूठ पर यकीन किया और उसने और आदम ने परमेश्वर की आज्ञा तोड़ दी। नतीजा, पाप और मौत सब इंसानों में फैल गयी। (रोमि. 5:12) इस मायने में इब्लीस के पास “मौत देने का ज़रिया है।” यीशु ने एकदम ठीक ही कहा, वह “हत्यारा” है। (यूह. 8:44) सच में, शैतान कितना ताकतवर दुश्मन है!
7. दुष्ट दूतों ने कैसे दिखाया है कि वे बहुत ताकतवर हैं?
7 जब हम शैतान का विरोध करते हैं, तो हम उसके खिलाफ तो होते ही हैं, मगर साथ-साथ उन सबके खिलाफ हो जाते हैं जो शैतान का साथ देते हैं और परमेश्वर की हुकूमत के खिलाफ बगावत करते हैं। इन सब में काफी तादाद में बगावत करनेवाले स्वर्गदूत भी हैं, जिन्हें दुष्ट दूत कहा जाता है। (प्रका. 12:3, 4) इन दुष्ट दूतों ने कई बार यह साबित किया है कि वे इंसानों से कहीं ज़्यादा ताकतवर हैं और वे उन्हें बहुत तड़पाते हैं। (मत्ती 8:28-32; मर. 5:1-5) इन दुष्ट दूतों या इनके “राजा” की ताकत को कभी कम मत आँकिए। (मत्ती 9:34) शैतान से हमारी जो लड़ाई है, उसमें हम अपने बलबूते नहीं जीत सकते। हमें हमेशा यहोवा की मदद की ज़रूरत है।
शैतान बेरहम है
8. (क) शैतान का मकसद क्या है? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।) (ख) अपने अनुभव से बताइए कि यह दुनिया कैसे शैतान की तरह बेरहम है।
8 प्रेषित पतरस ने शैतान को ‘गरजता हुआ शेर’ कहा। एक किताब के मुताबिक, शब्द ‘गरजता’ जिस यूनानी शब्द का अनुवाद है, उससे एक ऐसे जानवर की तसवीर मन में उभर आती है, जो भूख के मारे ज़ोर-ज़ोर से दहाड़ता है। बेरहम शैतान की क्या ही सही तसवीर! हालाँकि पूरी दुनिया उसके कब्ज़े में है, फिर भी उसकी भूख मिटी नहीं है, वह और लोगों को अपना शिकार बनाना चाहता है। (1 यूह. 5:19) शैतान के लिए यह दुनिया मानो भूख बढ़ानेवाले पकवान की तरह है। इसलिए अब उसका ध्यान खाने पर लगा है, यानी धरती पर बचे अभिषिक्त मसीहियों पर और उनके साथी यानी ‘दूसरी भेड़ों’ पर। (यूह. 10:16; प्रका. 12:17) शैतान का मकसद है, यहोवा के लोगों को फाड़ खाना। पहली सदी से लेकर आज तक वह लगातार यीशु के चेलों पर ज़ुल्म ढा रहा है। यह दिखाता है कि वह कितना बेरहम, कितना ज़ालिम है!
9, 10. (क) इसराएल राष्ट्र के मामले में यहोवा का जो मकसद था, उसे नाकाम करने के लिए शैतान ने क्या कोशिशें कीं? (उदाहरण दीजिए।) (ख) शैतान ने प्राचीन इसराएल को क्यों अपना खास निशाना बनाया? (ग) आज जब परमेश्वर का एक सेवक कोई गंभीर पाप करता है, तो शैतान कैसा महसूस करता है?
9 शैतान, परमेश्वर के मकसद को किसी-न-किसी तरह नाकाम करना चाहता है। ऐसा करते वक्त उसने एक और तरीके से दिखाया है कि वह कितना बेरहम है। कैसे? एक भूखा शेर अपने शिकार पर ज़रा भी तरस नहीं खाता। वह न तो शिकार को मारने से पहले कोई तरस खाता है, न ही मारने के बाद उसे कोई अफसोस होता है। उसी तरह, शैतान उन पर कोई तरस नहीं खाता, जिन्हें वह फाड़ खाने की फिराक में है। उदाहरण के लिए, क्या आप सोच सकते हैं कि जब इसराएलियों ने लैंगिक अनैतिकता और लालच में पड़कर पाप किया, या ऐसे ही दूसरे पाप किए, तो शैतान ने कैसा महसूस किया होगा? क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि जब शैतान ने अनैतिक काम करनेवाले जिम्री और लालची गेहजी को बुरे अंजाम भुगतते देखा होगा तो उसे अपनी जीत पर कितनी खुशी हुई होगी?—गिन. 25:6-8, 14, 15; 2 राजा 5:20-27.
10 शैतान ने प्राचीन इसराएल को अपना खास निशाना बनाया। वह इसलिए कि इसराएल राष्ट्र से ही मसीहा आना था, यानी वह शख्स जो शैतान को कुचल देता और यह साबित करता कि यहोवा को ही हुकूमत करने का हक है। (उत्प. 3:15) मगर शैतान नहीं चाहता था कि इसराएली फलें-फूलें। उसकी कोशिश थी कि वे किसी तरह पाप करके भ्रष्ट हो जाएँ। ऐसा करने में भी उसने बड़ी बेरहमी दिखायी। इसलिए यह मत सोचिए कि जब दाविद ने व्यभिचार किया तो शैतान को बुरा लगा होगा या जब मूसा ने गलती की और वादा किए गए देश में जाने के योग्य नहीं रहा, तो शैतान ने उससे हमदर्दी जतायी होगी। इसके बजाय, जब परमेश्वर का एक सेवक कोई गंभीर पाप करता है, तो शैतान बहुत खुश होता है! दरअसल ऐसी ही कुछ बातों से शैतान यहोवा पर ताने मारता है।—नीति. 27:11.
11. सारा को अपना निशाना बनाते वक्त शैतान ने शायद क्या सोचा होगा?
11 शैतान को उस खानदान से खास दुश्मनी थी जिससे मसीहा आनेवाला था। गौर कीजिए, जब अब्राहम को बताया गया कि उससे “एक बड़ी जाति” बनेगी, उसके कुछ ही समय बाद क्या हुआ। (उत्प. 12:1-3) अब्राहम और सारा जब मिस्र में थे, तो फिरौन सारा को अपने घर ले आया। ज़ाहिर है वह सारा को अपनी पत्नी बनाना चाहता था। मगर यहोवा ने सारा को उस अनैतिक जाल में फँसने से बचा लिया। (उत्पत्ति 12:14-20 पढ़िए।) फिर इसहाक के जन्म से कुछ समय पहले, गरार में भी कुछ ऐसा ही हुआ। (उत्प. 20:1-7) क्या इस सबके पीछे शैतान का हाथ था? क्या उसने यह सोचा होगा कि सारा ऊर के अपने ठाठ-बाट छोड़कर तंबुओं में रहने लगी है, इसलिए वह फिरौन और अबीमेलेक के आलीशान महल देखकर बहक जाएगी? क्या उसने यह सोचा होगा कि सारा अपने पति और यहोवा के साथ विश्वासघात करके दूसरे आदमी से शादी कर लेगी? बाइबल इस बारे में कुछ नहीं कहती। फिर भी यह मानने की हमारे पास वजह है कि शैतान, सारा के साथ कुछ ऐसा करवाना चाहता था जिससे वह वादा किए हुए वंश को पैदा करने के लायक न रहे। शैतान को इस बात का कोई गम नहीं था कि एक भली औरत की शादीशुदा ज़िंदगी, उसकी इज़्ज़त और यहोवा के साथ उसका रिश्ता बरबाद हो जाएगा। वाकई, शैतान कितना बेरहम है!
12, 13. (क) यीशु का जन्म होने पर शैतान ने कैसे दिखाया कि वह बड़ा बेरहम है? (ख) आज जो बच्चे यहोवा से प्यार करते हैं और उसकी सेवा कर रहे हैं, उन्हें देखकर शैतान को कैसा महसूस होता होगा?
12 अब्राहम के जीने के कई सदियों बाद यीशु का जन्म हुआ। यह कल्पना मत कीजिए कि यीशु को देखकर शैतान ने सोचा होगा कि यह बच्चा कितना प्यारा है, इसे गले लगाने का मन करता है। नहीं, कभी नहीं क्योंकि वह जानता था कि यह बच्चा बड़ा होकर वादा किया गया मसीहा बनेगा। दरअसल यीशु अब्राहम के वंश का मुख्य भाग था। वही आगे चलकर “शैतान के कामों को नष्ट” करेगा। (1 यूह. 3:8) क्या शैतान ने सोचा होगा कि एक मासूम बच्चे की जान लेना बहुत गिरी हुई हरकत है? कभी नहीं, वह कोई नेक उसूलों पर चलनेवाला व्यक्ति नहीं, जो ऐसा सोचे। और रही बात अभी-अभी जन्मे यीशु की, तो उसे मिटाने के लिए शैतान ने फौरन कदम उठाया। कैसे?
13 जब ज्योतिषियों ने ‘यहूदियों के राजा के पैदा होने’ के बारे में पूछा, तो राजा हेरोदेस घबरा गया। उसने बच्चे को खत्म करने की ठान ली। (मत्ती 2:1-3, 13) वह किसी भी हाल में बच्चे को खत्म करना चाहता था। इसलिए उसने हुक्म दिया कि बेतलेहेम और उसके आस-पास के सभी ज़िलों में जितने लड़के दो साल और उससे कम उम्र के हैं उन सबको मार डाला जाए। (मत्ती 2:13-18 पढ़िए।) मगर यीशु इस कत्लेआम में बच गया। इस घटना से हमारे दुश्मन शैतान के बारे में क्या पता चलता है? यही कि शैतान, इंसान की ज़िंदगी को कुछ नहीं समझता। यहाँ तक कि बच्चों के लिए भी उसके दिल में कोई रहम नहीं। सचमुच शैतान ‘गरजता हुआ शेर’ है। वह कितना बेरहम है, इस बात को कभी हलके में मत लीजिए।
शैतान धोखेबाज़ है
14, 15. शैतान ने कैसे “अविश्वासियों के मन . . . अंधे कर दिए हैं”?
14 शैतान चाहे तो सिर्फ धोखेबाज़ी से लोगों को प्यार करनेवाले परमेश्वर यहोवा से दूर ले जा सकता है। (1 यूह. 4:8) धोखा देकर वह उन्हें “परमेश्वर से मार्गदर्शन पाने” से दूर रखता है, यानी उन्हें इस बात का एहसास नहीं होने देता कि उन्हें परमेश्वर के साथ रिश्ता बनाने की ज़रूरत है। (मत्ती 5:3) इस तरह उसने “अविश्वासियों के मन . . . अंधे कर दिए हैं, ताकि मसीह जो परमेश्वर की छवि है, उसके बारे में शानदार खुशखबरी की रौशनी उन पर न चमके।”—2 कुरिं. 4:4.
15 धोखा देकर लोगों को गुमराह करने में शैतान का एक अहम तरीका है, झूठा धर्म। शैतान जानता है कि यहोवा “जलन रखने वाला” परमेश्वर है, यानी वह चाहता है कि सिर्फ उसकी उपासना की जाए। (निर्ग. 20:5) इसलिए सोचिए यह देखकर शैतान को कितनी खुशी होती होगी कि लोग कैसे यहोवा को छोड़, अपने पुरखाओं, सृष्टि, जानवरों या किसी और की उपासना करते हैं! यहाँ तक कि बहुत-से लोग सोचते हैं कि वे सही तरीके से परमेश्वर की उपासना कर रहे हैं। मगर वे असल में झूठे विश्वास और बेकार के रीति-रिवाज़ों की बेड़ियों में जकड़े हुए हैं। उनकी हालत बहुत बदतर है, काफी हद तक उन इसराएलियों की तरह जिनके बारे में यहोवा ने कहा, “जो भोजनवस्तु नहीं है, उसके लिये तुम क्यों रुपया लगाते हो, और जिस से पेट नहीं भरता उसके लिये क्यों परिश्रम करते हो? मेरी ओर मन लगाकर सुनो, तब उत्तम वस्तुएँ खाने पाओगे और चिकनी चिकनी वस्तुएँ खाकर सन्तुष्ट हो जाओगे।”—यशा. 55:2.
16, 17. (क) यीशु ने पतरस से ऐसा क्यों कहा, “अरे शैतान, मेरे सामने से दूर हो जा”? (ख) वक्त की नज़ाकत के मामले में शैतान कैसे हमें धोखा दे सकता है?
16 शैतान, यहोवा के जोशीले सेवकों को भी धोखा दे सकता है। उदाहरण के लिए, गौर कीजिए कि जब यीशु ने अपने चेलों से कहा कि उसे मार डाला जाएगा, तो क्या हुआ। प्रेषित पतरस उसे अलग ले गया और उससे कहा, “प्रभु, खुद पर दया कर; तेरे साथ ऐसा नहीं होगा।” बेशक, पतरस का इरादा नेक था। फिर भी यीशु ने उससे कड़े शब्दों में कहा, “अरे शैतान, मेरे सामने से दूर हो जा!” (मत्ती 16:22, 23) यीशु ने पतरस को “शैतान” क्यों कहा? यीशु जानता था कि उसके साथ क्या होनेवाला है। अब वह घड़ी आ गयी थी कि वह अपनी जान देकर फिरौती बलिदान दे और शैतान को झूठा साबित करे। पूरे इंसानी इतिहास में यह सबसे मुश्किल घड़ी थी। यह वक्त यीशु के लिए “खुद पर दया” करने का नहीं था। इस नाज़ुक वक्त में अगर यीशु हथियार डाल देता, तो वही होता जो शैतान उससे करवाना चाहता था।
17 जैसे-जैसे इस दुनिया का अंत करीब आ रहा है, हमारे लिए भी वक्त बहुत मुश्किल होता जा रहा है। शैतान चाहता है कि हम अपने हथियार डाल दें, हम “खुद पर दया” करें यानी इस दुनिया में आराम की ज़िंदगी जीएँ। वह चाहता है कि हम भूल जाएँ कि हम आखिरी दिनों में जी रहे हैं और हम चौकस रहना छोड़ दें। मगर अपने साथ ऐसा मत होने दीजिए! इसके बजाय, ‘जागते रहिए।’ (मत्ती 24:42) शैतान हमें इस धोखे में रखना चाहता है कि इस दुनिया का अंत अभी बहुत दूर है, या ऐसा कभी होगा ही नहीं। इस झूठ पर कभी यकीन मत कीजिए।
18, 19. (क) प्यार पाने और पापों की माफी के बारे में शैतान हमें किस धोखे में रखना चाहता है? (ख) यहोवा हमें कैसे अपने होश-हवास बनाए रखने और चौकन्ने रहने में मदद देता है?
18 शैतान हमें एक और तरीके से धोखा देने की कोशिश करता है। वह हमें यह यकीन दिलाना चाहता है कि हम परमेश्वर से प्यार पाने के लायक नहीं हैं और वह हमारे पाप कभी माफ नहीं करेगा। लेकिन यह धोखा है, यह शैतान की एक चाल है। देखा जाए तो असल में कौन यहोवा का प्यार पाने के लायक नहीं है? शैतान। और वह कौन है जिसे असल में माफ नहीं किया जा सकता? वह भी शैतान ही है। लेकिन हमें बाइबल यकीन दिलाती है, “परमेश्वर अन्यायी नहीं कि तुम्हारे काम और उस प्यार को भूल जाए जो तुमने उसके नाम के लिए दिखाया है।” (इब्रा. 6:10) हम यहोवा को खुश करने में जो मेहनत करते हैं, उसकी वह कदर करता है और हम जो सेवा करते हैं वह बेकार नहीं है। (1 कुरिंथियों 15:58 पढ़िए।) तो आइए हम कभी भी शैतान के धोखे में न आएँ।
19 हमने देखा कि शैतान बहुत ताकतवर है, वह बड़ा बेरहम और धोखेबाज़ है। तो फिर हम ऐसे खूँखार दुश्मन से कैसे जीत सकते हैं? यहोवा की मदद से। उसने हमें बेसहारा नहीं छोड़ा है। हम उसके वचन से शैतान के हथकंडों के बारे में सीखते हैं, इसलिए “हम उसकी चालबाज़ियों से अनजान नहीं।” (2 कुरिं. 2:11) जब हम शैतान के हथकंडे जान लेते हैं, तो हम और भी अच्छी तरह अपने होश-हवास बनाए रख पाते हैं और चौकन्ने रह पाते हैं। लेकिन सिर्फ शैतान की चालबाज़ियाँ जानना ही काफी नहीं है। बाइबल कहती है, “शैतान का सामना करो और वह तुम्हारे पास से भाग जाएगा।” (याकू. 4:7) अगले लेख में ऐसे तीन पहलुओं पर चर्चा की जाएगी जिनमें हमें शैतान से लड़ना है और जीत हासिल करनी है।