अपनी मसीही स्वतंत्रता का बुद्धिमानी से प्रयोग करें
“अपने आप को स्वतंत्र जानो और अपनी इस स्वतंत्रता का . . . प्रयोग परमेश्वर के दास समझकर करो।”—१ पतरस २:१६, NW.
१. आदम ने किस स्वतंत्रता को खो दिया, और यहोवा मानवजाति को कौनसी स्वतंत्रता वापस करेंगे?
जब हमारे प्रथम माता-पिता ने पाप किया, तब उन्होंने अपने बच्चों के लिए एक शानदार विरासत—पाप और विनाश से स्वतंत्रता खो दी। इसके परिणामस्वरूप, हम सब ने विनाश और मृत्यु के दासत्व में जन्म लिया। फिर भी, यह आनन्द की बात है, कि यहोवा विश्वासी मनुष्यों को एक अद्भुत स्वतंत्रता लौटाने का उद्देश्य रखता है। आज, सही हृदय वाले उत्सुकता से “परमेश्वर के पुत्रों के प्रगट होने की बाट जोह” रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप वे “विनाश के दासत्व से छुटकारा पाकर, परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता प्राप्त” करेंगे।—रोमियों ८:१९-२१.
‘प्रचार करने के लिए अभिषिक्त’
२, ३. (क) “परमेश्वर के पुत्र” कौन हैं? (ख) वे किस अद्भुत स्थिति का आनंद लेते हैं, और इससे क्या दायित्व आता है?
२ ये “परमेश्वर के पुत्र” कौन हैं? ये यीशु के आत्मा से अभिषिक्त भाई हैं जो उसके साथ स्वर्गीय राज्य में राज्य करेंगे। इन में से पहिले सा.यु. प्रथम शताब्दी के दौरान प्रगट हुए। उन्होंने यीशु द्वारा सिखाये गये स्वतंत्रता देनेवाले सत्य को स्वीकार किया, और सा.यु. ३३ के पिन्तेकुस्त से, उन्होंने उन गौरवपूर्ण विशेषाधिकारों में भाग लिया जिनके विषय में पतरस ने उनको लिखते समय कहा: “तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी, याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और (परमेश्वर की) निज प्रजा हो।”—१ पतरस २:९क; यूहन्ना ८:३२.
३ परमेश्वर की निज प्रजा होना—क्या ही अद्भुत आशीष! परमेश्वर के इन अभिषिक्त पुत्रों के आधुनिक समय के शेष जन वैसी ही आशीष-भरी स्थिति का आनंद लेते हैं। लेकिन ऐसे उच्चाधिकार के साथ दायित्व आते हैं। पतरस ने इन में से एक दायित्व की तरफ़ ध्यान आकर्षित किया, जब उसने यह कहा: “जिस ने तुम्हें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, उसके गुण प्रगट करो।”—१ पतरस २:९ख.
४. अभिषिक्त मसीहियों ने मसीही स्वतंत्रता के साथ आने वाले दायित्व को किस प्रकार पूरा किया है?
४ क्या अभिषिक्त मसीहियों ने परमेश्वर के गुण प्रगट करने के दायित्व को पूरा किया है? हाँ। १९१९ से अभिषिक्त जनों के विषय में पूर्वकथन करते हुए, यशायाह ने कहा: “प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर हैं; क्योंकि यहोवा ने सुसमाचार सुनाने के लिए मेरा अभिषेक किया और मुझे इसलिए भेजा है कि खेदित मन के लोगों को शान्ति दूं; कि बंधुओं के लिए स्वतन्त्रता का और क़ैदियों के लिए छुटकारे का प्रचार करूँ; कि यहोवा के प्रसन्न रहने के वर्ष का और हमारे परमेश्वर के पलटा लेने के दिन का प्रचार करूँ।” (यशायाह ६१:१, २) आज, शेष अभिषिक्त जन, यीशु के उदाहरण पर चलते हुए, जिस पर यह शास्त्र वचन मुख्यता लागू होता है, दूसरों को उत्साह से स्वतंत्रता का सुसमाचार दे रहे हैं।—मत्ती ४:२३-२५; लूका ४:१४-२१.
५, ६. (क) अभिषिक्त मसीहियों के उत्साहपूर्ण प्रचार का क्या परिणाम हुआ है? (ख) बड़ी भीड़ के लोगों को किन विशेषाधिकारों और दायित्वों का आनंद प्राप्त है?
५ उनके उत्साहपूर्ण प्रचार के परिणामस्वरूप, इन मौजूदा दिनों में अन्य भेड़ों की एक बड़ी भीड़ संसार के परदे पर उभरी है। अभिषिक्त जन के साथ यहोवा की सेवा करने के लिए ये हर राष्ट्र से निकले हैं, और सत्य ने इन्हें भी स्वतंत्रता दी है। (जकर्याह ८:२३; यूहन्ना १०:१६) इब्राहीम की तरह उन्हें विश्वास के आधार पर धर्मी घोषित किया गया है और वे परमेश्वर के साथ एक घनिष्ठ संबंध में आ गये हैं। और राहाब की तरह उनका धर्मी घोषित होना उन्हें बचने की स्थिति में रखता है—उनके संदर्भ में, हर-मगिदोन से बचने की स्थिति में रखता है। (याकूब २:२३-२५; प्रकाशितवाक्य १६:१४, १६) लेकिन इतने उन्नत विशेषाधिकारों से दूसरों को परमेश्वर की महिमा के विषय में बताने का दायित्व भी आवश्यक होता है। इसी कारण यूहन्ना ने उन्हें सार्वजनिक रूप से यहोवा की महिमा करते हुए देखा, ‘बड़े शब्द से पुकारकर यह कहते हुए, उद्धार के लिए हमारे परमेश्वर का जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने का जय-जयकार हो।’—प्रकाशितवाक्य ७:९, १०, १४.
६ पिछले वर्ष बड़ी भीड़ ने, जो अब चालीस लाख से भी अधिक है, अभिषिक्त मसीहियों के बचे हुए छोटे झुण्ड के साथ, यहोवा के गुण प्रगट करने में लगभग एक अरब घंटे लगाये। यह उनकी आध्यात्मिक स्वतंत्रता का सबसे अच्छा संभव प्रयोग था।
“राजा का सम्मान करो”
७, ८. सांसारिक शासकों के प्रति मसीही स्वतंत्रता क्या दायित्व लाती है, और इस संदर्भ में, हमें किस रवैये से बचना चाहिए?
७ हमारी मसीही स्वतंत्रता दूसरे दायित्वों को सम्मिलित करती है। पतरस ने कुछेक की तरफ़ संकेत किया जब उसने यह लिखा: “सब का आदर करो, भाइयों से प्रेम रखो, परमेश्वर से डरो, राजा का सम्मान करो।” (१ पतरस २:१७) “राजा का सम्मान करो,” इस अभिव्यक्ति का क्या अर्थ है?
८ “राजा” सांसारिक शासकों को चित्रित करता है। आज संसार में अधिकार के प्रति अनादर की भावना बढ़ गयी है, और यह आसानी से मसीहियों पर असर कर सकती है। एक मसीही यह भी कल्पना कर सकता है कि वह “राजा” का सम्मान क्यों करे जब “सारा संसार उस दुष्ट के वश में पड़ा है।” (१ यूहन्ना ५:१९) इन शब्दों को ध्यान में रखते हुए, वह शायद असुविधाजनक नियम भंग करने और अगर वह कर देने से बच सकता है, तो उसे अदा न करने के लिए ख़ुद को स्वतंत्र समझ सकता है। लेकिन यह यीशु के सुस्पष्ट निर्देश कि “जो कैसर का है, वह कैसर को . . . दो” के ख़िलाफ होगा। वस्तुतः, यह ‘अपनी स्वतंत्रता को बुराई के लिए आड़’ बनाना होगा।—मत्ती २२:२१; १ पतरस २:१६.
९. सांसारिक अधिकारियों का आज्ञापालन करने के दो अच्छे कारण क्या हैं?
९ मसीही अधिकारियों का सम्मान करने और उनके आधीन रहने के लिए बाध्य हैं—चाहे यह तुलनात्मक रीत से ही क्यों न हो। (प्रेरितों ५:२९) क्यों? १ पतरस २:१४, १५ में, पतरस तीन कारणों की तरफ़ संकेत करता है जब वह कहता है कि हाकिम “कुकर्मियों को दण्ड देने और सुकर्मियों की प्रशंसा के लिए [परमेश्वर के] भेजे हुए हैं।” दण्ड का भय अधिकार की आज्ञा मानने के लिए काफ़ी ठोस कारण है। यह कितने शर्म की बात होगी कि एक यहोवा के गवाह को आक्रमण, चोरी या किसी दूसरे अपराध के लिए ज़ुर्माना देना पड़ा या क़ैद हो गयी। कल्पना कीजिए कि कुछ लोग ऐसी चीज़ का प्रचार करने में कितने ख़ुश होंगे! दूसरी तरफ, जैसे-जैसे हम नागरिक आज्ञाकारिता के लिए प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं, हमें न्यायप्रिय प्रशासकों की तरफ़ से वाह-वाही मिलती है। हमें अपने सुसमाचार के प्रचार करने के लिए ज़्यादा स्वतंत्रता मिल सकती है। और, ‘हम भले काम करने से निर्बुद्धि लोगों की अज्ञानता की बातों को बन्द कर’ सकते हैं। (१ पतरस २:१५ख) अधिकार का आज्ञापालन करने का यह दूसरा कारण है।—रोमियों १३:३.
१०. सांसारिक अधिकारियों का आज्ञापालन करने का सबसे दमदार कारण क्या है?
१० लेकिन एक ज़्यादा दमदार कारण है। ये अधिकारी यहोवा की अनुमति से सत्ता में हैं। जैसा कि पतरस कहता है, राजनीतिक शासक यहोवा के “भेजे हुए हैं,” और यह “परमेश्वर की इच्छा” है कि मसीही इनके अधीन रहे। (१ पतरस २:१५क) इसी तरह, प्रेरित पौलुस कहता है: “जो अधिकार हैं, वे परमेश्वर के ठहराए हुए हैं।” इसलिए, हमारा बाइबल-प्रशिक्षित विवेक हमें इन अधिकारियों का आज्ञापालन करने को प्रेरित करता है। यदि हम इनके अधीन होने से इन्कार करते हैं तो हम ‘परमेश्वर की विधि का साम्हना करते हैं।’ (रोमियों १३:१, २, ५) हम में से कौन अपनी इच्छा से परमेश्वर की विधि का साम्हना करना चाहेगा? अपनी मसीही स्वतंत्रता का वह क्या ही दुरुपयोग होगा!
“भाइयों से प्रेम रखो”
११, १२. (क) हमारी मसीही स्वतंत्रता के साथ संगी विश्वासियों के प्रति क्या दायित्व आता है? (ख) कौन ख़ासकर हमारे प्रेममय लिहाज़ के पात्र हैं, और क्यों?
११ पतरस ने यह भी कहा कि एक मसीही को “भाइयों से प्रेम” रखना चाहिए। (१ पतरस २:१७) यह एक दूसरा दायित्व है जो मसीही स्वतंत्रता के साथ आता है। हम में से अधिकतर किसी कलीसिया के सदस्य हैं। वस्तुतः, हम सब भाइयों के अंतर्राष्ट्रीय संघ या संस्था के सदस्य हैं। इनके प्रति प्रेम दिखाना हमारी स्वतंत्रता का बुद्धिमानी से प्रयोग करना होगा।—यूहन्ना १५:१२, १३.
१२ प्रेरित पौलुस ने एक वर्ग को अलग से बताया जो ख़ासकर हमारे प्रेम के पात्र हैं। उसने कहा: “अपने अगुवों की मानो, और उन के आधीन रहो, क्योंकि वे उन की नाईं तुम्हारे प्राणों के लिए जागते रहते, जिन्हें लेखा देना पड़ेगा, कि वे यह काम आनन्द से करें न कि ठंडी सांस ले लेकर, क्योंकि इस दशा में तुम्हें कुछ लाभ नहीं।” (इब्रानियों १३:१७) कलीसिया में प्राचीन अगुवाई करते हैं। यह सच है कि ये पुरुष परिपूर्ण नहीं हैं। फिर भी, इनकी नियुक्ति शासी निकाय की देखरेख में होती है। वे उदाहरण के द्वारा और लिहाज़ के साथ अगुवाई करते हैं, और उन्हें हमारे प्राणों के लिए जागते रहने का काम सौंपा गया है। क्या ही भारी कार्यभार! (इब्रानियों १३:७) यह ख़ुशी की बात है कि अधिकतर कलीसियाओं में एक बढ़िया, सहयोगी भावना है, और उनके साथ काम करना प्राचीनों के लिए आनंदकारी है। जब लोग सहयोग नहीं देना चाहते हैं तब यह ज़्यादा कठिन हो जाता है। प्राचीन फिर भी अपना काम करता है, लेकिन जैसे पौलुस कहता है, वह इसे “ठंडी सांस ले लेकर” करता है। निश्चित रूप से हम नहीं चाहते कि प्राचीन ठंडी सांस लें! हम चाहते हैं कि उन्हें अपने काम में आनंद मिले जिससे कि वे हमें समुन्नत कर सकें।
१३. कुछेक तरीक़े क्या हैं जिनके द्वारा हम प्राचीनों को सहयोग दे सकते हैं?
१३ वह कौन से कुछ तरीके हैं जिनसे हम प्राचीनों को सहयोग दे सकते हैं? राजगृह के रख-रखाव और सफ़ाई में मदद करना एक तरीक़ा है। दूसरा है, बीमारों को मिलने और विकलांगों की सहायता करने के कार्य में सहयोग देना। इसके साथ, हम आध्यात्मिक रूप से मज़बूत बने रहने का प्रयास कर सकते हैं, जिससे कि हम बोझ न बनें। सहयोग देने का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र कलीसिया की नैतिक और आध्यात्मिक सफ़ाई बनाए रखने में है, दोनों, अपने व्यवहार से, और घोर पाप के मामलों की सूचना देकर जो हमारे ध्यान में आते हैं।
१४. प्राचीनों द्वारा की गयी अनुशासनिक कार्यवाही को सहयोग हमें किस प्रकार देना चाहिए?
१४ कभी-कभी, कलीसिया को साफ़ रखने के लिए प्राचीनों को किसी पश्चात्तापहीन ग़लत कार्य करने वाले को बहिष्कृत करना पड़ता है। (१ कुरिन्थियों ५:१-५) यह कलीसिया को सुरक्षित रखता है। इससे ग़लत कार्य करनेवाले को भी मदद मिल सकती है। अकसर, ऐसे अनुशासन ने पापी को अपने होश में आने के लिए मदद की है। फिर भी, क्या होगा यदि निष्कासित जन गहरा मित्र या संबंधी है? मान लीजिए वह व्यक्ति हमारा पिता या माता या हमारा पुत्र या पुत्री है। क्या हम इसके बावजूद भी प्राचीनों द्वारा की गयी कार्यवाही का आदर करते हैं? यह सच है कि यह कठिन हो सकता है। पर अपनी स्वतंत्रता का यह क्या ही दुरुपयोग होगा यदि हम प्राचीनों के निर्णय पर प्रश्न उठाते हैं और उसके साथ आध्यात्मिक संगति बनाए रखते हैं जो कलीसिया में एक भ्रष्ट प्रभाव साबित हुआ है! (२ यूहन्ना १०, ११) सामूहिक रूप से यहोवा के लोग जिस तरह इन मामलों में सहयोग देते हैं, उसके लिए उन्हें शाबाशी मिलनी चाहिए। इसके परिणामस्वरूप, यहोवा की संस्था इस गंदे संसार में बेदाग़ बनी हुई है।—याकूब १:२७.
१५. यदि कोई व्यक्ति घोर पाप करता है तो उसे तुरंत क्या करना चाहिए?
१५ यदि हम कोई घोर पाप करें, तब क्या? राजा दाऊद उनका वर्णन कर रहा था जिनका पक्ष यहोवा लेता है, जब उसने कहा: “यहोवा के पर्वत पर कौन चढ़ सकता है? और उसके पवित्रस्थान में कौन खड़ा हो सकता है? जिसके काम निर्दोष और हृदय शुद्ध है, जिस ने अपने मन को व्यर्थ बात की ओर नहीं लगाया, और न कपट से शपथ खाई है।” (भजन २४:३, ४) यदि किसी कारणवश हमारा “काम निर्दोष और हृदय शुद्ध” नहीं रहा है, तो हमें तुरंत कार्यवाही करनी चाहिए। हमारा अनंत जीवन ख़तरे में है।
१६, १७. जो घोर पाप का दोषी है उसे मामले का समाधान अपने आप करने की कोशिश क्यों नहीं करनी चाहिए?
१६ कुछ लोग घोर पापों को छुपाने के लिए प्रवृत्त रहे हैं, शायद यह तर्क करते हुए: ‘मैं ने यहोवा के सामने पाप स्वीकार कर लिया है, और प्रायश्चित्त कर लिया है। तो प्राचीनों को क्यों बीच में लाऊँ?’ ग़लत काम करने वाला शर्मिंदा हो सकता है या डर सकता है कि प्राचीन क्या करेंगे। फिर भी, उसे याद रखना चाहिए कि जबकि केवल यहोवा ही हमें पाप से साफ़ कर सकता है, उसने कलीसिया की शुद्धता का दायित्व मुख्यतः प्राचीनों को दिया है। (भजन ५१:२) ये यहाँ चंगाई के लिए हैं, ताकि “पवित्र लोग सिद्ध हो जाएं।” (इफिसियों ४:१२) आध्यात्मिक सहायता की आवश्यकता होने पर उनके पास नहीं जाना उस प्रकार है जैसे बीमार होकर भी हम डॉक्टर के पास न जाएँ।
१७ कुछ लोग जो मामलों से अकेले ही निपटाना चाहते हैं, महीनों या वर्षों के बाद पाते हैं कि उनका विवेक उन्हें अब भी बुरी तरह परेशान कर रहा है। उससे भी बुरा, कई दूसरे जो घोर पाप छुपाते हैं दूसरी और तीसरी बार भी पाप में पड़ जाते हैं। अंत में जब मामला प्राचीनों के ध्यान में आता है, वह बार-बार किए गये ग़लत काम का मसला होता है। याकूब की सलाह पर चलना कितना बेहतर होगा! उसने लिखा: “यदि तुम में कोई रोगी हो, तो कलीसिया के प्राचीनों को बुलाए, और वे प्रभु के नाम से उस पर तेल मल कर उसके लिए प्रार्थना करें।” (याकूब ५:१४) प्राचीनों के पास जाओ जब तक चंगाई के लिए समय बाक़ी है। यदि हम ज़्यादा समय तक रुकेंगे, तो हम पाप के मार्ग में कठोर बन सकते हैं।—सभोपदेशक ३:३; यशायाह ३२:१, २.
दिखाब-बनाव और मनोरंजन
१८, १९. एक पादरी ने यहोवा के गवाहों के पक्ष में टिप्पणी क्यों की?
१८ पाँच वर्ष पहले, इटली में एक कैथोलिक पादरी ने किसी पैरिश पत्रिका में यहोवा के गवाहों के विषय में स्नेहपूर्वक बोला।a उसने कहा: “मैं ख़ुद यहोवा के गवाहों को पसंद करता हूँ; मैं निस्संकोच इस बात को क़बूल करता हूँ। . . . जिन्हें मैं जानता हूँ वे निर्दोष चाल-चलन के, मृदु-भाषी, . . . [और] सबसे अधिक विश्वासोत्पादक हैं। हम कब यह समझेंगे की सत्य को स्वीकार योग्य प्रदर्शन चाहिए? कि जो सत्य की घोषणा करते हैं उन्हें आधे मन वाला, बदबूदार, अस्तव्यस्त, बेढंगा नहीं होना चाहिए?”
१९ इन शब्दों के अनुसार, वह पादरी दूसरी चीज़ों के संग, गवाहों के पहनावे और प्रदर्शन के ढंग भी से प्रभावित हुआ था। ज़ाहिर है कि जिन्हें वह मिला था उन्होंने सालों से “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” द्वारा दी गयी सलाह को माना था। (मत्ती २४:४५) बाइबल कहती है कि स्त्रियों को संमय के साथ ‘सुहावने वस्त्रों से अपने आप को संवारना’ चाहिए। (१ तीमुथियुस २:९) इस गिरे हुए समय में, वह सलाह पुरुषों के लिए भी आवश्यक है। क्या यह तर्कसंगत नहीं है कि परमेश्वर के राज्य के प्रतिनिधि अपने आपको बाहर के लोगों के सामने ढंग से प्रस्तुत करें?
२०. एक मसीही की अपने पहनावे के बारे में हर समय क्यों अवगत होना चाहिए?
२० कुछ लोग इस बात से सहमत होंगे कि सभाओं और क्षेत्र सेवा में उन्हें अपने पहनावे के बारे में ध्यान रखना चाहिए, लेकिन वे यह सोच सकते हैं कि बाइबल सिद्धान्त दूसरे समयों में लागू नहीं होते। लेकिन क्या कोई ऐसा समय है जब हम परमेश्वर के राज्य का प्रतिनिधित्व नहीं करते? यह सच है कि परिस्थितियाँ भिन्न होती हैं। यदि हम राजगृह के निर्माण में सहायता कर रहे हैं तो उस समय हमारे वस्त्र उन वस्त्रों से अलग होंगे जो हम उसी राजगृह की एक सभा में उपस्थित होते समय पहनेंगे। जब हम फ़ुरसत में हैं, तो संभव है कि हम ज़्यादा आरामदेह ढंग के वस्त्र पहनेंगे। लेकिन जब भी हम दूसरों द्वारा देखे जाते हैं तब हमारा पहनावा हमेशा संयम के साथ सुहावना होना चाहिए।
२१, २२. हमें नुक़सानदेह मनोरंजन से किस प्रकार सुरक्षा मिली है, और इन मामलों पर दी गयी सलाहों के प्रति हमारा क्या दृष्टिकोण होना चाहिए?
२१ मनोरंजन एक दूसरा क्षेत्र है जिसे काफ़ी ध्यान मिला है। मनुष्यों को—ख़ासकर जवानों को—मनोरंजन की आवश्यकता है। परिवार के लिए आराम का समय नियत करना कोई पाप या समय की बरबादी नहीं है। यीशु ने भी अपने चेलों को “थोड़ा विश्राम” करने के लिए आमंत्रित किया था। (मरकुस ६:३१) लेकिन ध्यान दें कि मनोरंजन आध्यात्मिक संदूषण का अवसर न दे। हम एक ऐसे संसार में जी रहे हैं जहाँ मनोरंजन लैंगिक अनैतिकता, घोर हिंसा, दहशत और प्रेतात्मवाद को विशिष्ट करता है। (२ तीमुथियुस ३:३; प्रकाशितवाक्य २२:१५) विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास इन ख़तरों के प्रति सतर्क है और इनके ख़िलाफ़ निरंतर चेतावनी देता है। क्या आप महसूस करते हैं कि ये अनुस्मारक आपकी स्वतंत्रता में कटौती करते हैं? या क्या आप आभारी हैं कि यहोवा का संगठन आपकी इतनी देख-रेख करता है कि ऐसे ख़तरों को निरंतर आपके ध्यान में लाता है?—भजन १९:७; ११९:९५.
२२ कभी न भूलें कि जबकि हमारी स्वतंत्रता यहोवा की तरफ़ से आती है, हम उसके प्रयोग के लिए उत्तरदायी हैं। यदि हम अच्छी सलाह को नज़रअंदाज़ करते हैं और ग़लत निर्णय लेते हैं तो हम किसी दूसरे को दोषी नहीं ठहरा सकते हैं। प्रेरित पौलुस कहता है: “हम में से हर एक परमेश्वर को अपना अपना लेखा देगा।”—रोमियों १४:१२; इब्रानियों ४:१३.
परमेश्वर के सन्तानों की स्वतंत्रता की प्रत्याशापूर्वक प्रतीक्षा करें
२३. (क) स्वतंत्रता के संबंध में आज हम किन आशीषों का आनंद लेते हैं? (ख) किन आशीषों का हमें उत्सुकता से इंतज़ार है?
२३ हम सचमुच ही धन्य लोग हैं। हम झूठे धर्म और अंधविश्वास से स्वतंत्र हैं। छुड़ौती बलिदान का शुक्र है कि हम पाप और मृत्यु के दासत्व से आध्यात्मिक रूप में स्वतंत्र होकर यहोवा के सम्मुख एक शुद्ध विवेक के साथ आ सकते हैं। और जल्द ही ‘परमेश्वर के पुत्र प्रगट’ होंगे। हर-मगिदोन में, यीशु के भाई अपनी स्वर्गीय महिमा में यहोवा के शत्रुओं के विनाशक के रूप में मुनष्यों पर प्रगट होंगे। (रोमियों ८:१९; २ थिस्सलुनीकियों १:६-८; प्रकाशितवाक्य २:२६, २७) उसके बाद, परमेश्वर के ये पुत्र, परमेश्वर के सिंहासन से मानवजाति के लिए प्रवाहित आशीषों के माध्यम के रूप में प्रगट होंगे। (प्रकाशितवाक्य २२:१-५) अंत में, परमेश्वर के पुत्रों के इस प्रकार प्रगट होने का परिणाम यह होगा कि विश्वासी मानवजाति को परमेश्वर की सन्तानों की महिमा की स्वतंत्रता की आशीष मिलेगी। क्या आप उस समय के लिए तरसते हैं? तब अपनी मसीही स्वतंत्रता का बुद्धिमानी से प्रयोग कीजिए। अभी परमेश्वर के दासत्व में रहिए, और आप उस अद्भुत स्वतंत्रता का आनंद अनंत काल तक लेते रहेंगे!
[फुटनोट]
a स्पष्टतया दबाव में आकर, पादरी ने बाद में इस शाबाशी को वापस ले लिया।
पुनर्विचार पेटी
▫ अभिषिक्त जन और दूसरी भेंड़ों ने यहोवा की महिमा किस प्रकार की है?
▫ मसीहियों को सांसारिक अधिकारियों का सम्मान क्यों करना चाहिए?
▫ एक मसीही किन तरीक़ों से प्राचीनों को सहयोग दे सकता है?
▫ पहनावे के संबंध में, यहोवा के गवाह संसार के बहुतेरों से भिन्न क्यों दिखाई देते हैं?
▫ मनोरंजन की बात आने पर हमें किन चीज़ों से बचना चाहिए?
[पेज 10 पर तसवीरें]
प्राचीन ख़ासकर हमारे प्रेम और सहयोग के पात्र हैं
[पेज 11 पर तसवीरें]
एक मसीही का पहनावा, सुहावना, संयम के साथ और अवसर के अनुकूल होना चाहिए