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ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों का छुटकारा नज़दीक़!प्रहरीदुर्ग—1990 | दिसंबर 1
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२, ३. (अ) हम आज ऐसा क्यों पाते हैं कि २ पतरस २:९ में कही गयी बात आश्वासन दिलाती है? (ब) प्रोत्साहन के एक आधार के रूप में बाइबल छुटकारे के कौनसे विशेष उदाहरणों की ओर संकेत करती है?
२ हमारे समय में जो कुछ हो रहा है, यह हमें मानव इतिहास के कुछ अन्य अति महत्त्वपूर्ण समयों के बारे में याद दिला देता है। प्रेरित पतरस छुटकारे के उन कार्यों की ओर ध्यान आकर्षित करते हैं, जो परमेश्वर ने उन अवसरों पर किए, और फिर इस आश्वासन देनेवाले निष्कर्ष पर पहुँचते हैं: “यहोवा ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों को परीक्षा में से निकाल लेना . . . जानते हैं।” (२ पतरस २:९, न्यू.व.) २ पतरस २:४-१० में, उस कथन के संदर्भ पर ग़ौर कीजिए:
३ “क्योंकि जब परमेश्वर ने उन स्वर्गदूतों को जिन्होंने पाप किया, नहीं छोड़ा, पर टारटरस में भेजकर अन्धेरे कुण्डों में डाल दिया, ताकि न्याय के दिन तक बन्दी रहें। और प्रथम युग के संसार को भी न छोड़ा, बरन भक्तिहीन संसार पर महा जलप्रलय भेजकर धर्म के प्रचारक नूह समेत आठ व्यक्तियों को बचा लिया। और सदोम और अमोराह के नगरों को विनाश का ऐसा दण्ड दिया, कि उन्हें भस्म करके राख में मिला दिया ताकि वे आनेवाले भक्तिहीन लोगों की शिक्षा के लिए एक दृष्टान्त बनें। और धर्मी लूत को जो अधर्मियों के अशुद्ध चाल-चलन से बहुत दुःखी था, छुटकारा दिया—क्योंकि वह धर्मी उन के बीच में रहते हुए और उन के अधर्म के कामों को देख-देखकर और सुन-सुनकर, हर दिन अपने सच्चे मन को पीड़ित करता था—तो यहोवा ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों को परीक्षा में से निकाल लेना और अधर्मियों को नाश होने के लिए न्याय के दिन तक दण्ड की दशा में रखना जानते हैं। निज करके उन्हें जो अशुद्ध अभिलाषाओं के पीछे शरीर के अनुसार चलते, और प्रभुता को तुच्छ जानते हैं।” (न्यू.व.) जैसा कि ये शास्त्रपद दिखाते हैं, नूह और लूत के समय में जो कुछ हुआ, वह बातें हमारे लिए बहुत अर्थ रखती हैं।
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ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों का छुटकारा नज़दीक़!प्रहरीदुर्ग—1990 | दिसंबर 1
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४. नहू के समय में, परमेश्वर की नज़रों में यह पृथ्वी तबाह क्यों थी? (भजन संहिता ११:५)
४ उत्पत्ति के अध्याय ६ में दिए ऐतिहासिक वृत्तान्त में हमें बताया जाता है कि नूह के दिनों में सच्चे परमेश्वर की नज़रों में यह पृथ्वी तबाह हो गयी थी। क्यों? हिंसा के कारण। यह सिर्फ़ अपराधिक हिंसा के कुछ इक्के-दुक्के मामलों की बात नहीं थी। उत्पत्ति ६:११ में बताया गया है कि “पृथ्वी . . . उपद्रव से भर गयी।”
५. (अ) नूह के समय में मनुष्यों की कौनसी मनोवृत्ति से हिंसा को सहयोग मिला? (ब) भक्तिहीनता के बारे में हनोक ने कौनसी चेतावनी दी थी?
५ इसके पीछे क्या था? २ पतरस से उद्धृत शास्त्रपद भक्तिहीन लोगों का ज़िक्र करता है। जी हाँ, मानवी मामलों में भक्तिहीनता की एक मनोवृत्ति फैल गयी थी। इस में न सिर्फ़ ईश्वरीय विधि के लिए आम अवहेलना शामिल थी, परन्तु स्वयं परमेश्वर के ख़िलाफ़ एक उद्धत मनोभाव भी शामिल था।a और जब मनुष्य परमेश्वर के प्रति उद्धत होते हैं, तो उन से यह अपेक्षा कैसे की जा सकती है कि वे अपने संगी मनुष्यों के प्रति दया से बरताव करेंगे? नूह के जन्म से पहले ही, यह भक्तिहीनता इतनी प्रचुर थी कि यहोवा ने हनोक को इसके परिणाम के बारे में भविष्यद्वाणी करने के लिए प्रेरित किया था। (यहूदा १४, १५) परमेश्वर के प्रति उनकी अवज्ञा से उन पर दैवी न्यायदण्ड का निष्पादन ज़रूर होता।
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ईश्वरीय भक्ति रखनेवालों का छुटकारा नज़दीक़!प्रहरीदुर्ग—1990 | दिसंबर 1
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a “एनोमिया परमेश्वर के नियमों के प्रति उपेक्षा, या उसकी अवज्ञा है; ॲसेबीया [उस शब्द का संज्ञा रूप जिसका अनुवाद ‘भक्तिहीन लोग’ किया गया है,] परमेश्वर की हस्ती के प्रति वही मनोवृत्ति है।”—वाईन्स एक्सपॉज़िटरी डिक्शनरी ऑफ ओल्ड ॲन्ड न्यू टेस्टामेन्ट वर्डस्, खण्ड ४, पृष्ठ १७०.
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