पवित्र सेवा करती एक बड़ी भीड़
“वे . . . उसके मन्दिर में दिन रात उस की [पवित्र, NW] सेवा करते हैं।” —प्रकाशितवाक्य ७:१५.
१. वर्ष १९३५ में कौन-सी घटना आध्यात्मिक समझ का मील-पत्थर साबित हुई?
मई ३१, १९३५ के दिन वॉशिंगटन, डी.सी. में यहोवा के गवाहों के एक अधिवेशन में प्रतिनिधियों के बीच बहुत आनन्द था। वहाँ, पहली बार प्रकाशितवाक्य ७:९ के बहुसंख्यक लोगों (या, बड़ी भीड़) की पहचान स्पष्ट रूप से करायी गयी। यह पहचान शेष बाइबल के सामंजस्य में और उन घटनाओं के मेल में थी जो घटित होना शुरू हो चुकी थीं।
२. किस बात से सूचित हुआ कि एक बढ़ती संख्या को एहसास हुआ था कि परमेश्वर ने उन्हें स्वर्गीय जीवन के लिए नहीं बुलाया था?
२ लगभग छः सप्ताह पहले, यहोवा के गवाहों की कलीसियाओं में प्रभु के संध्या भोज के समारोह में उपस्थित लोगों में से १०,६८१ लोगों (लगभग ६ में से १) ने प्रतीकात्मक रोटी और दाखरस में भाग नहीं लिया था, और इनमें से ३,६८८ लोग परमेश्वर के राज्य के सक्रिय उद्घोषक थे। उन्होंने प्रतीकों में भाग क्यों नहीं लिया? क्योंकि उन्होंने बाइबल से जो सीखा था उसके आधार पर उन्हें एहसास हुआ कि परमेश्वर ने उन्हें स्वर्गीय जीवन के लिए नहीं बुलाया था लेकिन वे दूसरे तरीक़े से यहोवा के प्रेममय प्रबन्धों में हिस्सा ले सकते थे। इसलिए उस अधिवेशन में जब वक्ता ने पूछा: “कृपया वे सभी खड़े हो जाएँ जिनके पास पृथ्वी पर सर्वदा जीने की आशा है,” तो क्या हुआ? हज़ारों लोग खड़े हो गए, और दर्शकों ने देर तक तालियाँ बजायीं।
३. बहुसंख्यक लोगों की पहचान होने से क्षेत्र सेवकाई को नयी प्रेरणा क्यों मिली, और गवाहों ने इसके बारे में कैसा महसूस किया?
३ प्रतिनिधियों ने उस अधिवेशन में जो सीखा उससे उनकी सेवकाई को नयी प्रेरणा मिली। उन्होंने इस बात का मूल्यांकन किया कि अब, पुरानी व्यवस्था के अन्त से पहले, मात्र कुछ हज़ार लोगों को ही नहीं बल्कि एक बहुत बड़ी संख्या में लोगों को जीवन के बचाव के लिए यहोवा के प्रबन्ध के अन्दर आने का अवसर दिया जाएगा। इन लोगों को परादीस पृथ्वी पर सर्वदा जीने की आशा होगी। वहाँ सत्य के प्रेमियों को क्या ही आनन्दमय संदेश दिया गया था! यहोवा के गवाहों को एहसास हुआ कि बहुत कार्य किया जाना था—आनन्दमय कार्य। वर्षों बाद, शासी निकाय के एक सदस्य बने, जॉन बूथ ने याद किया: “उस सम्मेलन ने हमें आनन्द मनाने के लिए काफ़ी कुछ दिया।”
४. (क) वर्ष १९३५ से वास्तव में किस हद तक बड़ी भीड़ एकत्रित हुई है? (ख) बड़ी भीड़ के लोग किस प्रकार प्रमाण दे रहे हैं कि उनका विश्वास जीवित विश्वास है?
४ उसके बाद आए वर्षों के दौरान, यहोवा के गवाहों की संख्या में उल्लेखनीय रूप से वृद्धि हुई। दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उन पर अकसर हिंसक सताहट अत्यधिकता में आने के बावजूद, उनकी संख्या एक दशक के अन्दर लगभग तीन गुना हो गयी। और १९३५ में जो ५६,१५३ प्रकाशक सार्वजनिक गवाही दे रहे थे उनमें वृद्धि हुई। वर्ष १९९४ में ४७,००,००० से अधिक राज्य उद्घोषक २३० से भी अधिक देशों में थे। इनमें से अधिकांश लोग उन लोगों में सम्मिलित होने की उत्सुक प्रत्याशा के साथ आशा करते हैं जिन्हें यहोवा परादीस पृथ्वी पर परिपूर्ण जीवन का अनुग्रह देगा। छोटे झुण्ड की तुलना में, वे सचमुच एक बड़ी भीड़ बन गए हैं। वे ऐसे लोग नहीं हैं जो कहते हैं कि वे विश्वास रखते हैं और फिर भी उसे प्रदर्शित नहीं करते। (याकूब १:२२; २:१४-१७) वे सभी लोग दूसरों के साथ परमेश्वर के राज्य के बारे में सुसमाचार बाँटते हैं। क्या आप उस ख़ुश भीड़ में से एक हैं? सक्रिय गवाह होना एक महत्त्वपूर्ण पहचान चिह्न है, लेकिन उससे अधिक अंतर्ग्रस्त है।
‘सिंहासन के साम्हने खड़े’
५. यह तथ्य कि बड़ी भीड़ ‘सिंहासन के साम्हने खड़ी है’ क्या सूचित करता है?
५ प्रेरित यूहन्ना को दिए गए दर्शन में उसने उन्हें ‘सिंहासन के साम्हने और मेम्ने के साम्हने खड़े’ देखा। (प्रकाशितवाक्य ७:९) जैसे इस संदर्भ में वर्णन किया गया है, उनका परमेश्वर के सिंहासन के सामने खड़ा होना सूचित करता है कि वे यहोवा की सर्वसत्ता को पूरी तरह स्वीकार करते हैं। इसमें काफ़ी कुछ सम्मिलित है। उदाहरण के लिए: (१) वे स्वीकार करते हैं कि यहोवा को अपने सेवकों के लिए भले और बुरे का निर्णय करने का अधिकार है। (उत्पत्ति २:१६, १७; यशायाह ५:२०, २१) (२) जब यहोवा अपने वचन के द्वारा उनसे बात करता है वे उसकी सुनते हैं। (व्यवस्थाविवरण ६:१-३; २ पतरस १:१९-२१) (३) वे उन लोगों के प्रति अधीनता दिखाने के महत्त्व का मूल्यांकन करते हैं जिन्हें यहोवा ने निगरानी का कार्य सौंपा है। (१ कुरिन्थियों ११:३; इफिसियों ५:२२, २३; ६:१-३; इब्रानियों १३:१७) (४) अपरिपूर्ण होते हुए भी वे ईश्वरशासित निर्देशन के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाने का निष्कपटता से प्रयास करते हैं, कुड़कुड़ाकर नहीं, बल्कि तत्परता से, हृदय से ऐसा करते हैं। (नीतिवचन ३:१; याकूब ३:१७, १८) वे सिंहासन के सामने यहोवा की पवित्र सेवा करने के लिए हैं, जिसे वे बहुत आदर देते और गहरा प्रेम करते हैं। इस बड़ी भीड़ के मामले में, उनका सिंहासन के सामने ‘खड़ा’ होना सिंहासन पर बैठे हुए व्यक्ति का अनुमोदन सूचित करता है। (प्रकाशितवाक्य ६:१६, १७ से तुलना कीजिए।) किस आधार पर अनुमोदन?
“श्वेत वस्त्र पहिने”
६. (क) बड़ी भीड़ का “श्वेत वस्त्र पहिने” होने का क्या अर्थ है? (ख) बड़ी भीड़ यहोवा के सम्मुख कैसे एक धर्मी स्थिति प्राप्त करती है? (ग) मसीह के बहाए गए लहू में विश्वास किस हद तक बड़ी भीड़ के जीवन को प्रभावित करता है?
६ प्रेरित यूहन्ना ने जो देखा उसके बारे में उसका विवरण कहता है कि इस बड़ी भीड़ के सदस्य “श्वेत वस्त्र पहिने” हुए हैं। ये श्वेत वस्त्र यहोवा के सम्मुख उनकी स्वच्छ, धर्मी स्थिति को चिह्नित करते हैं। उन्होंने ऐसी स्थिति कैसे प्राप्त की? हम देख चुके हैं कि यूहन्ना के दर्शन में वे “मेम्ने के साम्हने” खड़े थे। वे यीशु मसीह को ‘परमेश्वर के मेम्ने’ के रूप में स्वीकार करते हैं “जो जगत का पाप उठा ले जाता है।” (यूहन्ना १:२९) दर्शन में परमेश्वर के सिंहासन के सामने उपस्थित एक प्राचीन को यूहन्ना ने यह समझाते हुए सुना: “इन्हों ने अपने अपने वस्त्र मेम्ने के लोहू में धोकर श्वेत किए हैं। इसी कारण वे परमेश्वर के सिंहासन के साम्हने हैं।” (प्रकाशितवाक्य ७:१४, १५) लाक्षणिक रूप से, उन्होंने मसीह के छुटकारा देनेवाले लहू में विश्वास रखने के द्वारा अपने वस्त्र धोए हैं। वे छुड़ौती के बारे में बाइबल की शिक्षा को मात्र मानसिक सहमति नहीं देते हैं। उसके प्रति मूल्यांकन उनके आन्तरिक व्यक्ति को प्रभावित करता है; अतः, वे ‘हृदय से’ विश्वास रखते हैं। (रोमियों १०:९, १०, NW) वे अपने जीवन के साथ क्या करते हैं उस पर इसका व्यापक प्रभाव पड़ता है। विश्वास के साथ, वे मसीह के बलिदान के आधार पर अपने आपको यहोवा को समर्पित करते हैं, पानी में निमज्जन के द्वारा उस समर्पण को चिह्नित करते हैं, सचमुच अपने समर्पण के सामंजस्य में जीते हैं, और इस प्रकार परमेश्वर के साथ एक अनुमोदित सम्बन्ध का आनन्द उठाते हैं। क्या ही उत्तम विशेषाधिकार—जिसकी ध्यानपूर्वक सुरक्षा की जानी चाहिए!—२ कुरिन्थियों ५:१४, १५.
७, ८. यहोवा के संगठन ने बड़ी भीड़ को अपने वस्त्र निष्कलंक रखने में कैसे मदद दी है?
७ उनके स्थायी कल्याण के प्रति प्रेममय चिन्ता के कारण, यहोवा के संगठन ने बारंबार ऐसी मनोवृत्तियों और आचरण के प्रति ध्यान आकर्षित किया है जो एक व्यक्ति के पहचान के वस्त्रों पर दाग़, या कलंक लगा सकते हैं जिससे कि बाहरी दावे के बावजूद, व्यक्ति वास्तव में प्रकाशितवाक्य ७:९, १० के भविष्यसूचक विवरण पर ठीक नहीं बैठता। (१ पतरस १:१५, १६) पहले प्रकाशित बातों की पुष्टि करते हुए, द वॉचटावर ने १९४१ में और उसके बाद भी, बारंबार दिखाया है कि दूसरों को प्रचार करना और फिर अन्य समय में व्यभिचार या परस्त्रीगमन जैसे आचरण में लगना बहुत ही अनुचित होगा। (१ थिस्सलुनीकियों ४:३; इब्रानियों १३:४) वर्ष १९४७ में इस बात पर ज़ोर दिया गया था कि मसीही विवाह के बारे में यहोवा के स्तर सभी देशों में लागू होते हैं; चाहे स्थानीय प्रथा के अनुसार कुछ भी स्वीकार्य क्यों न हो, अतः जो लोग बहुविवाह प्रथा को मानते रहे वे यहोवा के गवाह नहीं हो सकते थे।—मत्ती १९:४-६; तीतुस १:५, ६.
८ वर्ष १९७३ में, संसार-भर में यहोवा के गवाहों को दिखाया गया कि उन्हें निश्चित रूप से दूषित करनेवाली लतों, जैसे कि तम्बाकू के दुरुपयोग से पूरी तरह से दूर रहना है, चाहे वे कहीं भी क्यों न हों—न सिर्फ़ राज्यगृह में या क्षेत्र सेवा में बल्कि नौकरी में या लोगों की दृष्टि से दूर किसी एकान्त स्थान में भी। (२ कुरिन्थियों ७:१) वर्ष १९८७ में यहोवा के गवाहों के ज़िला अधिवेशनों में, मसीही युवाओं को सख़्ती से सलाह दी गयी थी कि परमेश्वर के सम्मुख एक स्वच्छ स्थिति बनाए रखने के लिए उन्हें दोहरा जीवन जीने से दूर रहना है। (भजन २६:१, ४) बार-बार, प्रहरीदुर्ग ने संसार की आत्मा के विभिन्न पहलुओं के विरुद्ध चेतावनी दी है क्योंकि “हमारे परमेश्वर और पिता के निकट शुद्ध और निर्मल भक्ति” में अपने आपको ‘संसार से निष्कलंक रखना’ सम्मिलित है।—याकूब १:२७.
९. बड़े क्लेश के बाद परमेश्वर के सिंहासन के सामने कौन वास्तव में अनुमोदित स्थिति में खड़े होंगे?
९ जिन लोगों का विश्वास उन्हें आध्यात्मिक और नैतिक रूप से स्वच्छ जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करता है वे आनेवाले बड़े क्लेश के बाद भी परमेश्वर के अनुमोदित सेवकों के रूप में ‘सिंहासन के साम्हने खड़े’ रहेंगे। ये ऐसे लोग हैं जो मसीही जीवन में सिर्फ़ शुरूआत ही नहीं करते बल्कि निष्ठा से उसमें लगे रहते हैं।—इफिसियों ४:२४.
“अपने हाथों में खजूर की डालियां लिए हुए”
१०. यूहन्ना ने बड़ी भीड़ के हाथों में जो खजूर की डालियाँ देखीं उनका क्या महत्त्व है?
१० प्रेरित यूहन्ना द्वारा देखी गयी बड़ी भीड़ की उल्लेखनीय विशेषताओं में से एक यह है कि वे “अपने हाथों में खजूर की डालियां लिए हुए” थे। इसका क्या महत्त्व है? निःसंदेह उन खजूर की डालियों ने यूहन्ना को मण्डपों के यहूदी पर्व की याद दिलायी, जो इब्रानी कैलेंडर पर सबसे आनन्दपूर्ण पर्व था और गर्मियों की कटनी के बाद आता था। व्यवस्था के सामंजस्य में, अन्य पेड़ों की डालियों के साथ-साथ खजूर की पत्तियाँ झोपड़ियाँ बनाने के काम आती थीं जिनमें पर्व के दौरान वे रहते थे। (लैव्यव्यवस्था २३:३९, ४०; नहेमायाह ८:१४-१८) मन्दिर में हालेल (भजन ११३-११८) के गायन के दौरान भी उपासक उन्हें हिलाया करते थे। बड़ी भीड़ को खजूर की डालियाँ हिलाते देख शायद यूहन्ना को वह अवसर भी याद आया जब यीशु सवारी करके यरूशलेम आया और उपासकों की भीड़ आनन्द के साथ खजूर की डालियाँ हिला रही थी और पुकार रही थी: “धन्य इस्राएल का राजा, जो प्रभु के नाम से आता है।” (यूहन्ना १२:१२, १३) सो खजूर की डालियों को हिलाना सूचित करता है कि बड़ी भीड़ आनन्द के साथ यहोवा के राज्य और उसके अभिषिक्त राजा का स्वागत करती है।
११. परमेश्वर के सेवक यहोवा की सेवा करने में सचमुच आनन्द क्यों पाते हैं?
११ अभी भी यहोवा की सेवा में बड़ी भीड़ आनन्द की ऐसी ही आत्मा प्रकट करती है। इसका यह अर्थ नहीं है कि वे कठिनाइयों का सामना नहीं करते या उन्हें किसी शोक अथवा पीड़ा का अनुभव नहीं होता। लेकिन यहोवा की सेवा करने और उसे प्रसन्न करने से जो संतुष्टि मिलती है वह उन बातों की क्षतिपूर्ति करने में मदद देती है। अतः, एक मिशनरी, जिसने अपने पति के साथ ग्वाटेमाला में ४५ वर्ष सेवा की, उसने अपने आस-पास की आदिम परिस्थितियों, कठिन कार्य और जोखिम-भरी यात्रा के बारे में बताया जो राज्य संदेश के साथ आदिवासी गाँवों से संपर्क करने का प्रयास करते समय उनके जीवन का हिस्सा था। उसने अन्त में कहा: “वह हमारे जीवन का ऐसा समय था जब हम अत्यधिक ख़ुश थे।” जबकि वह बुढ़ापे और बीमारी के प्रभाव महसूस कर रही थी, उसकी डायरी में लिखी कुछ आख़िरी बातों में ये शब्द थे: “यह एक अच्छा, अति फलदायक जीवन था।” पृथ्वी-भर में, यहोवा के गवाह अपनी सेवकाई के बारे में ऐसा ही महसूस करते हैं।
‘दिन रात पवित्र सेवा’
१२. चाहे दिन के दौरान हो या रात के समय, यहोवा यहाँ पृथ्वी पर क्या देखता है?
१२ ये आनन्दित उपासक यहोवा के “मन्दिर में दिन रात उसकी [पवित्र, NW] सेवा करते हैं।” (प्रकाशितवाक्य ७:१५) पृथ्वी-भर में, लाखों लोग इस पवित्र सेवा में भाग ले रहे हैं। जब कुछ देशों में रात का समय होता है और वहाँ लोग सो रहे होते हैं, तो अन्य देशों में सूरज निकला होता है और यहोवा के गवाह गवाही देने में व्यस्त होते हैं। लगातार, दिन रात, जैसे-जैसे पृथ्वी घूमती है, वे यहोवा की स्तुति गा रहे हैं। (भजन ८६:९) लेकिन प्रकाशितवाक्य ७:१५ में उल्लिखित रात-दिन की सेवा और अधिक व्यक्तिगत है।
१३. शास्त्रवचन कैसे दिखाते हैं कि “दिन रात” सेवा करने का क्या अर्थ है?
१३ बड़ी भीड़ के लोग दिन रात पवित्र सेवा करते हैं। क्या इसका यह अर्थ है कि उनके हर कार्य को पवित्र सेवा समझा जाता है? यह सच है कि वे चाहे जो भी करें, वे उसे इस प्रकार करना सीखते हैं जिससे यहोवा को सम्मान मिले। (१ कुरिन्थियों १०:३१; कुलुस्सियों ३:२३) लेकिन, “पवित्र सेवा” केवल उन कार्यों पर लागू होता है जो एक व्यक्ति द्वारा परमेश्वर की उपासना में सीधे रूप से सम्बन्धित हैं। एक कार्य में “दिन रात” लगे रहने का अर्थ है नियमितता या संगतता और साथ ही निष्कपट प्रयास।—यहोशू १:८; लूका २:३७; प्रेरितों २०:३१; २ थिस्सलुनीकियों ३:८ से तुलना कीजिए।
१४. किस बात से हमारी व्यक्तिगत क्षेत्र सेवा “दिन रात” सेवा के विवरण पर ठीक बैठेगी?
१४ यहोवा के महान आत्मिक मन्दिर के पार्थिव आंगन में सेवा करते समय बड़ी भीड़ के लोग क्षेत्र सेवकाई में नियमित और संगत रूप से हिस्सा लेने का प्रयास करते हैं। अनेक लोगों ने यह अपना लक्ष्य बनाया है कि हर सप्ताह क्षेत्र सेवकाई में कुछ भाग लें। अन्य लोग नियमित पायनियर या सहयोगी पायनियर के रूप में यत्न करते हैं। अकसर ये सुबह-सुबह सड़कों पर और दुकानों में गवाही देने में व्यस्त होते हैं। दिलचस्पी दिखानेवालों की सहायता करने के लिए कुछ गवाह देर रात को बाइबल अध्ययन संचालित करते हैं। वे ख़रीदारी करते समय, यात्रा करते समय, भोजन अवकाश के दौरान, और टेलीफ़ोन के द्वारा गवाही देते हैं।
१५. क्षेत्र सेवकाई के अलावा, हमारी पवित्र सेवा में क्या सम्मिलित है?
१५ कलीसिया सभाओं में हिस्सा लेना भी हमारी पवित्र सेवा का भाग है; इसी प्रकार मसीही सम्मेलन के स्थानों के निर्माण और देखरेख में सम्मिलित कार्य भी हमारी पवित्र सेवा का भाग है। यहोवा की सेवा में सक्रिय रहने के लिए आध्यात्मिक और भौतिक रूप से अपने मसीही भाई-बहनों को प्रोत्साहित करने के लिए किए गए प्रयास भी सम्मिलित हैं। इसमें हमारी अस्पताल सम्पर्क कमेटियों का कार्य सम्मिलित है। अपने सभी विभिन्न रूपों में बेथेल सेवा, साथ ही हमारे अधिवेशनों में स्वयंसेवा, यह सभी पवित्र सेवा है। सचमुच, जब हमारा जीवन यहोवा के साथ हमारे सम्बन्ध पर केंद्रित होता है, तो वह पवित्र सेवा से भरा होता है। जैसे शास्त्रवचन कहता है, यहोवा के लोग ‘दिन रात पवित्र सेवा’ करते हैं, और ऐसा करने में उन्हें बड़ा आनन्द मिलता है।—प्रेरितों २०:३५; १ तीमुथियुस १:११.
‘हर एक जाति, कुल, लोग और भाषा में से’
१६. यह कैसे सच साबित हो रहा है कि बड़ी भीड़ ‘हर एक जाति में से’ आती है?
१६ बड़ी भीड़ के लोग हर एक जाति में से आ रहे हैं। परमेश्वर पक्षपाती नहीं है, और यीशु मसीह के द्वारा किया गया छुड़ौती प्रबन्ध उन सभी को लाभ पहुँचाने के लिए पर्याप्त है। जब १९३५ में पहली बार बड़ी भीड़ की शास्त्रीय रूप से पहचान की गयी, तो यहोवा के गवाह ११५ देशों में सक्रिय थे। दशक १९९० तक, उसके दुगुने से भी ज़्यादा देशों में भेड़-समान लोगों की खोज विस्तृत हो गयी थी।—मरकुस १३:१०.
१७. बड़ी भीड़ में सम्मिलित होने के लिए ‘हर एक कुल, लोग और भाषा’ के लोगों की मदद करने के लिए क्या किया जा रहा है?
१७ बड़ी भीड़ के भावी सदस्यों को ढूँढने में, यहोवा के गवाहों ने केवल राष्ट्रीय समूहों को ही नहीं बल्कि उन राष्ट्रों के अन्दर कुल और लोग और भाषा समूहों को भी ध्यान दिया है। इन लोगों तक पहुँचने के लिए, गवाह ३०० से अधिक भाषाओं में बाइबल साहित्य प्रकाशित करते हैं। इसमें योग्य अनुवादकों की टीमों को प्रशिक्षित करना और बनाए रखना, इन सभी भाषाओं को संसाधित करने में समर्थ कम्प्यूटर यंत्र प्रदान करना, साथ ही वास्तविक छपाई करना सम्मिलित है। पिछले मात्र पाँच वर्षों के दौरान, लगभग ९,८०,००,००० लोगों द्वारा बोली जानेवाली अन्य ३६ भाषाओं में अनुवाद शुरू हुआ है। इसके अतिरिक्त, गवाह इन लोगों से व्यक्तिगत रूप से भेंट करने और उन्हें परमेश्वर का वचन समझने में मदद करने का प्रयास करते हैं।—मत्ती २८:१९, २०.
“बड़े क्लेश में से निकलकर”
१८. (क) जब बड़ा क्लेश एकाएक आएगा तो कौन सुरक्षित रखे जाएँगे? (ख) उस समय ख़ुशी की कौन-सी घोषणाएँ की जाएँगी?
१८ जब स्वर्गदूत प्रकाशितवाक्य ७:१ में उल्लिखित विनाश की हवाओं को छोड़ते हैं, तो ‘हमारे परमेश्वर के’ केवल अभिषिक्त ‘दास’ ही नहीं बल्कि बड़ी भीड़ भी जो सच्ची उपासना में उनके साथ मिल गए हैं यहोवा की प्रेममय सुरक्षा का अनुभव करेंगे। जैसा प्रेरित यूहन्ना को बताया गया था, बड़ी भीड़ के लोग उत्तरजीवियों के रूप में ‘बड़े क्लेश में से निकलकर आएँगे।’ वे उस समय आभार और स्तुति के क्या ही ऊँचे शब्द से पुकारकर घोषित करेंगे: “उद्धार के लिये हमारे परमेश्वर का जो सिंहासन पर बैठा है, और मेम्ने का जय-जय-कार हो”! और स्वर्ग में परमेश्वर के सभी निष्ठावान सेवक बड़ी भीड़ के साथ मिलकर कहेंगे: “आमीन। हमारे परमेश्वर की स्तुति, और महिमा, और ज्ञान, और धन्यवाद, और आदर, और सामर्थ, और शक्ति युगानुयुग बनी रहें। आमीन।”—प्रकाशितवाक्य ७:१०-१४.
१९. उत्तरजीवी किस आनन्दपूर्ण कार्य में हिस्सा लेने के लिए उत्सुक होंगे?
१९ वह क्या ही ख़ुशी का समय होगा! जितने लोग भी जीवित होंगे वे सभी एकमात्र सच्चे परमेश्वर के सेवक होंगे! इन सभी को सबसे बड़ा आनन्द यहोवा की सेवा करने में मिलेगा। करने के लिए बहुत कार्य होगा—आनन्दपूर्ण कार्य! पृथ्वी को परादीस में परिवर्तित किया जाना है। लाखों-लाख मृत लोगों को पुनरुत्थित किया जाना है और फिर उन्हें यहोवा के मार्ग में शिक्षा दी जानी है। इसमें हिस्सा लेना क्या ही आनन्दपूर्ण विशेषाधिकार होगा!
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▫ वर्ष १९३५ की घटनाओं का यहोवा के गवाहों की क्षेत्र सेवकाई पर क्या प्रभाव पड़ा?
▫ यह तथ्य कि बड़ी भीड़ को ‘सिंहासन के साम्हने खड़ी’ हुई दिखाया गया है क्या सूचित करता है?
▫ मेम्ने के लहू के प्रति मूल्यांकन का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ना चाहिए?
▫ उनका खजूर की डालियाँ हिलाना क्या सूचित करता है?
▫ बड़ी भीड़ दिन रात पवित्र सेवा कैसे करती है?
[पेज 16, 17 पर तसवीरें]
उनकी पवित्र सेवा नियमितता, कर्मठता, और निष्कपट प्रयास को प्रतिबिम्बित करती है