परमेश्वर के न्याय करने का समय आ पहुँचा है
“परमेश्वर से डरो और उस की महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है।”—प्रकाशितवाक्य १४:७.
१. प्रकाशितवाक्य के आरंभिक अध्यायों के अंतर्गत कौनसी बातें हैं?
प्रकाशितवाक्य की किताब में रोमांचक भविष्यवाणियाँ हैं जिनकी परिपूर्णता हमारे समय में हो रही हैं। पूर्ववर्ती लेख में, छः प्रतीकात्मक मुहरों के उद्घाटन समेत, उन में से कुछेकों पर ग़ौर किया गया। ये खुली हुई मुहरों ने इन “अंतिम दिनों” में चार अंतर्भासिक घुड़सवारों की विनाशक सवारी प्रकट की। (२ तीमुथियुस ३:१; प्रकाशितवाक्य ६:१-८) उन्होंने उन के बारे में भी बताया जो मसीह के साथ स्वर्ग में राज्य करेंगे और जो “बड़े क्लेश” से बचकर अनन्त काल तक इस पृथ्वी पर जीएँगे। छः मुहरें दिखाती हैं कि न्यायदंड करने के लिए परमेश्वर का “नियत समय” “निकट आ पहुँचा है।”—प्रकाशितवाक्य १:३; ७:४, ९-१७.
२. प्रकाशितवाक्य अध्याय ८ के सात प्रतीकात्मक तुरहियों का किस तरह इस्तेमाल किया जाना चाहिए?
२ लेकिन एक और मुहर है, सातवीं मुहर। प्रकाशितवाक्य ८:२ हमें बताता है कि जब यह खोल दी जाती है तब क्या प्रकट होता है: “और मैं ने उन सातों स्वर्गदूतों को जो परमेश्वर के सामने खड़े रहते हैं, देखा, और उन्हें सात तुरहियाँ दी गयीं।” आयत ६ कहता है: “और वे सातों स्वर्गदूत जिन के पास सात तुरहियाँ थीं, फूँकने को तैयार हुए।” बाइबल समय में, तुरहियाँ महत्त्वपूर्ण घटनाओं को संकेत करने के लिए इस्तेमाल की जाती थी। उसी तरह, ये सात तुरही-नाद हमारे समय में जीवन-मृत्यु के महत्त्व के मामलों की ओर ध्यान आकृष्ट करते हैं। और जब कि स्वर्गदूत ही तुरही बजाते हैं, पृथ्वी पर मानवी गवाह प्रत्येक तुरही-नाद से उद्घोषित अत्यावश्यक ख़बर चारों तरफ़ फैलाने के द्वारा, शुरू किए गए काम को अंत तक लाने के लिए उसे चलाए चलते हैं।
तुरही-नादों का क्या अर्थ है?
३. सात तुरही-नादों का मतलब क्या है?
३ ये तुरही-नाद हमें उन विपत्तियों के बारे में याद दिलाते हैं जो यहोवा ने प्राचीन मिस्र पर उँडेले। वे विपत्तियाँ उस प्रथम विश्व शक्ति और उसके झूठे धर्म पर यहोवा के न्यायदंड की अभिव्यक्तियाँ तो थीं ही, पर उन से परमेश्वर के लोगों को निकल भागने का रास्ता भी खुल गया। उसी तरह, प्रकाशितवाक्य के तुरही-नाद आधुनिक समय की विपत्तियाँ हैं, पर अब की बार शैतान के संपूर्ण संसार और उसके झूठे धर्म पर। तो भी, वे वास्तविक विपत्तियाँ नहीं, पर यहोवा के न्यायदंड के तंग करनेवाले संदेश हैं। वे परमेश्वर के लोगों को निकल भागने का रास्ता स्पष्ट रूप से बतलाते भी हैं।
४. सात तुरही-नादों की परिपूर्णता हमारे समय में किस तरह हुई है?
४ इन सात तुरही-नादों के अनुसार, १९२२ से १९२८ तक यहोवा के लोगों के सात विशेष वार्षिक सम्मेलनों में शैतान के संसार के विरुद्ध ज़ोरदार संकल्प प्रस्तुत किए गए। उन संकल्पों की करोड़ों कापियाँ वितरित किए गए। परंतु, उन झुलसाने वाले संदेशों की उद्घोषणा केवल उन वर्षों तक ही सीमित न थी, लेकिन इन अंतिम दिनों में यह निरंतर हो रही है। और आज पहले से कहीं ज़्यादा, जैसे जैसे विश्व युद्ध I के बाद शुरू-शुरू में प्रचार करने वाले अभिषिक्त जनों के छोटे समूह के साथ “बड़ी भीड़” के लाखों लोगों ने अपनी आवाज़ें जोड़ दी हैं, उनकी उद्घोषणा अधिक शक्तिशाली है। (प्रकाशितवाक्य ७:९) अब हर वर्ष, बढ़नेवाली शक्ति और संख्याओं में, ये लोखों लोग घोषित करते हैं कि शैतान का संसार संपूर्णतया दंड प्राप्ति के लिए नियत है।
५. संसार की “एक तिहाई” कौन है जिस पर सर्वप्रथम प्रतिकूल न्यायदंड आता है, और क्यों?
५ प्रकाशितवाक्य ८:६-१२ में, पहले चार तुरहियाँ बजती हैं। ओले, आग, और लहू उँडेले जाते हैं, जिसके फलस्वरूप दुनिया की “एक तिहाई” उजाड़ दी गई। प्रतिकूल न्यायदंड अकस्मात् प्रथम प्राप्त करनेवाली दुनिया के कसूरवार हिस्से के तौर से “एक तिहाई” का ज़िक्र क्यों किया गया है? क्योंकि जब कि शैतान की पूरी व्यवस्था परमेश्वर के नज़रों में धिक्कार्य है, एक हिस्सा कहीं ज़्यादा धिक्कार्य है। कौनसा हिस्सा? वही हिस्सा जिस ने मसीह का नाम अपना लिया—मसीहीजगत्। और जब विश्व युद्ध I के बाद उसके ख़िलाफ़ परमेश्वर के न्यायदंड आए, उस समय के मसीहीजगत् का क्षेत्र मानवजाति के एक तिहाई को शामिल करता था।
६. यहोवा ने मसीहीजगत् को विनष्ट होने के लिए क्यों छोड़ दिया है?
६ मसीहीजगत् का धर्म, सच्ची ईसाईयत से १,९००-वर्ष पुराने धर्मत्याग का फल है, जिसके बारे में यीशु और उसके चेलों ने पूर्वबतलाया। (मत्ती १३:२४-३०; प्रेरितों के काम २०:२९, ३०) मसीहीजगत् का पादरी वर्ग ईसाईयत के शिक्षकों के रूप में खुद को चित्रित करते हैं, लेकिन उनके धर्मसिद्धांत बाइबल की सच्चाई से बहुत दूर हैं, और उनके भ्रष्ट कर्मों से परमेश्वर के नाम पर सतत बदनामी लायी जाती है। इस २०वीं सदी के युद्धों को समर्थित करने की वजह से उनके हत्यारेपन का भेद खोल दिया गया है। मसीहीजगत् पूर्ण रूप से शैतान की रीति-व्यवस्था का हिस्सा है। इस प्रकार, उसे यहोवा से शक्तिशाली, तंग करनेवाले संदेश प्राप्त होते हैं जो दिखाते हैं कि वह बिल्कुल ही कोई दैवी कृपा के योग्य नहीं। यहोवा ने मसीहीजगत् के प्रतिष्ठान को तबाही के लिए छोड़ दिया है, उतने ही निश्चित रूप से जैसे उसने पहली सदी के यहूदी प्रतिष्ठान को छोड़ दिया था!—मत्ती २३:३८.
सार्वभौमिक प्राचार-कार्य के लिए पुनरुज्जीवित
७, ८. (अ) प्रकाशितवाक्य अध्याय ९ में, पाँचवाँ तुरही-नाद क्या प्रकट करता है? (ब) टिड्डियाँ किस के प्रतीक हैं?
७ प्रकाशितवाक्य ९:१ में, पाँचवाँ स्वर्गदूत अपनी तुरही बजाता है, और दर्शन पृथ्वी पर आ रहे एक तारे को प्रकट करता है। इस तारे के हाथ में एक चाबी है। उस से वह एक गड्ढा खोलता है जिस में टिड्डियाँ क़ैद की गयी थीं। वह तारा यहोवा का हाल ही का पदारूढ राजा, यीशु मसीह, है। वे टिड्डियाँ परमेश्वर के सेवक हैं, जिन्हें उत्पीड़ित किया गया, और प्रतीयमान रूप से रास्ते से हटा दिया गया, जब १९१८ में उनके प्रधान अधिकारी क़ैद किए गए। लेकिन मसीह, जो अब स्वर्ग में राज्य सत्ताधिकार धारण किए हुए है, उन्हें रिहा कर देता है ताकि वे उनके सार्वभौमिक प्रचार-कार्य फिर से आरंभ कर सकें, जिस से पादरी वर्ग, जिसने उनके काम को ख़त्म करने का षड्यंत्र किया था, हैरान रह गया।—मत्ती २४:१४.
८ प्रकाशितवाक्य ९:७ में टिड्डियों का वर्णन कुछ इस प्रकार किया गया है: “और उन टिड्डियों के आकार लड़ाई के लिए तैयार किए हुए घोड़ों के से थे, और उन के सिरों पर मानों सोने के मुकुट थे, और उनके मुँह मनुष्यों के से थे।” आयत १० कहता है: “और उन की पूँछ बिच्छुओं की सी थीं, और उन में डंक थे।” ये टिड्डियाँ, १९१९ से आत्मिक संग्राम में फिर से प्रवेश करनेवाले राज्य वारिसों के पुनरुज्जीवित अवशेष को भली-भाँति चित्रित करती हैं। नवीकृत शक्ति से, उन्होंने परमेश्वर के डँसनेवाले न्यायदंड के संदेश घोषित किए, ख़ास तौर से भ्रष्ट मसीहीजगत् के ख़िलाफ़।
९, १०. (अ) छठा तुरही-नाद क्या प्रकट करता है? (ब) असंख्य शक्तिशाली घोड़ों में कौन शामिल हैं?
९ फिर, छठाँ स्वर्गदूत अपनी तुरही फूँकता है। (प्रकाशितवाक्य ९:१३) यह अश्वसेनाओं को स्वतंत्र छोड़ना प्रकट करता है। आयत १६ कहता है कि उनकी गिनती “दस हज़ार गुणा दस हज़ार गुणा दो” (या, “अनन्त गुना दो” “two myriads of myriads”; न्यू.व.) है, जो कि बीस करोड़ है! और उनका वर्णन आयत १७ और १९ में इस तरह हुआ है: “उन घोड़ों के सिर सिंहों के सिरों के से थे, और उन के मुँह से आग, और धुआँ, और गन्धक निकलती थी। . . . उनकी पूँछे साँपों की सी थीं।” ये सेनाएँ राजा, यीशु मसीह, के निर्देश में मानों वज्र प्रहार करती हुई आगे आती हैं। और वे क्या ही भयानक नज़ारा हैं!
१० ये ताक़तवर घोड़े किस को चित्रित करते हैं? चूँकि उनकी गिनती करोड़ों में होती है, वे केवल अभिषिक्त अवशेष नहीं हो सकते, जिन में से सिर्फ लगभग ८,८०० लोग पृथ्वी पर हैं। इन असंख्य घोड़ों में प्रकाशितवाक्य अध्याय ७ की “बड़ी भीड़” भी शामिल होगी, जिनकी पृथ्वी पर अनन्त काल तक जीने की आशा है। बाइबल में, “मिरियड्” [myriad], यह शब्द, अक़्सर एक असीम, अनिश्चित संख्या का उल्लेख करता है। इस प्रकार, ये प्रतीकात्मक घोड़ों की संख्या न केवल अभिषिक्त जनों की घटती हुई संख्या शामिल करेगी, पर बढ़ती हुई और ज़ोरदार रीति से स्पष्टवादी, लाखों “अन्य भेड़ों” की “बड़ी भीड़” भी शामिल करेगी, जो कि वह सार्वजनिक कार्य जारी रखते हैं जो टिड्डियों जैसे अभिषिक्त अवशेष ने शुरू किया था।—यूहन्ना १०:१६.
११. ऐसा क्यों कहा गया है कि “घोड़ों की सामर्थ उनके मुँह में है,” और किस तरह वे ‘अपनी पूँछों से पीड़ा पहुँचाते’ हैं?
११ प्रकाशितवाक्य ९:१९ कहता है: “उन घोड़ों की सामर्थ उन के मुँह में है,” और “[उनके पूँछों] से वे पीड़ा पहुँचाते हैं।” किस तरह उनकी सामर्थ उन के मुँह में है? इस से कि दशकों से, थिओक्रॅटिक मिनिस्ट्री स्कूल और अन्य सभाओं के ज़रिए, परमेश्वर के सेवक मौखिक रूप से सामर्थ से उसके न्यायदंड संदेश प्रचार करने के लिए सिखाए गए हैं। और किस तरीक़े से वे अपने पूँछों से पीड़ा पहुँचाते हैं? इस तरह कि उन्होंने दुनियाभर में लाखों करोड़ों बाइबल-आधारित प्रकाशन वितरित किए हैं, और इस प्रकार शैतान के संसार के ख़िलाफ़ डँसनेवाले संदेश पीछे छोड़ गए हैं। उनके विरोधियों को, ये अश्वसेनाएँ सचमुच ही अनन्त गुना लगती हैं।
१२. प्रतीकात्मक टिड्डियों और घोड़ों को क्या करते रहना चाहिए, और इस का कैसा असर होगा?
१२ इस प्रकार, जैसे जैसे परमेश्वर का बदला लेने का दिन निकट आता है, प्रतीकत्मक टिड्डयों और घोड़ों को उसके न्यायदंड संदेशों को अधिक स्पष्टता और अधिक ज़ोर से घोषित करना चाहिए। सच्चे दिलवालों को, ये संदेश पृथ्वी पर सबसे अच्छी खुशख़बरी है। लेकिन जो लोग शैतान की रीति-व्यवस्था ज़्यादा पसंद करते हैं, उनके लिए यह बुरी ख़बर है, क्योंकि उनका अर्थ है कि उनकी दुनिया जल्द ही नष्ट होनेवाली है।
१३. सातवें तुरही-नाद से संबंधित “तीसरी विपत्ति” के अंतर्गत क्या है, और यह एक “विपत्ति” किस तरह है?
१३ तंग करनेवाली टिड्डियाँ और अश्वसेनाएँ तीन दैवी रूप से निश्चित “विपत्तियों” की पहली और दूसरी विपत्तियों के तौर से वर्णित हैं। (प्रकाशितवाक्य ९:१२; ११:१४) “तीसरी विपत्ति” क्या है? प्रकाशितवाक्य १०:७ (न्यू.व.) में हमें बताया जाता है: “सातवें स्वर्गदूत के शब्द देने के दिनों में, . . . परमेश्वर का पवित्र भेद उस सुसमाचार के अनुसार जो उस ने अपने दास भविष्यद्वक्ताओं को दिया पूरा होगा।” इस पवित्र भेद के अंतर्गत वह “वंश” है, जिसकी प्रतिज्ञा प्रथम अदन में की गयी। (उत्पत्ति ३:१५) वह “वंश” मूलतः यीशु है, लेकिन यह उसके अभिषिक्त साथियों को भी समाविष्ट करता है जो उसके साथ स्वर्ग में राज्य करेंगे। तो यह पवित्र भेद परमेश्वर के स्वर्गीय राज्य से संबंधित है। यही राज्य दैवी रूप से संकल्प की गई तीसरी “विपत्ति” लाएगा, क्योंकि यह शैतान के संसार के ख़िलाफ़ परमेश्वर के न्यायदंड परिसमाप्ति तक निष्पादित करेगा।
राज्य स्थापित होता है
१४. प्रकाशितवाक्य ११:१५ के सातवें तुरही-नाद से क्या घोषित हुआ?
१४ फिर यह होता है! प्रकाशितवाक्य ११:१५ कहता है: “और जब सातवें स्वर्गदूत ने तुरही फूँकी, तो स्वर्ग में इस विषय के बड़े-बड़े शब्द होने लगे कि ‘जगत का राज्य हमारे प्रभु [यहोवा] का, और उसके मसीह का हो गया, और वह युगानुयुग राज्य करेगा।’” जी हाँ, यह घोषित किया जाता है कि सन् १९१४ में मसीह के द्वारा परमेश्वर का राज्य स्वर्ग में स्थापित हुआ। और जब विश्व युद्ध I के बाद अवशेष को पुनरुज्जीवित किया गया, उन्होंने इस समाचार को सबके सामने लाया।
१५. १९२२ में, किस घटना से राज्य प्रचार कार्य में एक नयी लहर इंगित हुई?
१५ यू.एस.ए. के सीडर पॉईंट, ओहायो में यहोवा के सेवकों के एक १९२२ सम्मेलन में, वहाँ उपस्थित हज़ारों ने यह रोमांचक घोषणा सुनी: “यह सबसे महत्त्वपूर्ण दिन है! देखो, राजा राज्य करता है! तुम लोग उसके लोक प्रचारक हो। इसलिए, राजा और उसके राज्य का प्रचार करो, प्रचार करो, प्रचार करो।” उस से सार्वजनिक राज्य प्रचार कार्य की एक बड़ी लहर उत्पन्न हुई जिस में उन सात स्वर्गदूतीय तुरही फूँकनेवालों द्वारा घोषित हुए न्यायदंड समाविष्ट हुए हैं। आज, दुनिया भर में ५७,००० से ज़्यादा कलीसियाओं में यहोवा के लगभग पैंतीस लाख सेवक इस सार्वभौमिक प्रचार कार्य में शामिल हैं। सचमुच असंख्य लोग!
१६. प्रकाशितवाक्य अध्याय १२ में, सातवें तुरही-नाद से स्वर्ग और पृथ्वी को अंतर्ग्रस्त करने वाली कौनसी अगली परिस्थिति प्रकट की गयी?
१६ लेकिन सातवें स्वर्गदूत को और भी कुछ प्रकट करना है। प्रकाशितवाक्य १२:७ कहता है कि फिर “स्वर्ग पर लड़ाई हुई।” आयत ९ हमें मसीह-राजा के कार्य का यह नतीजा बताता है: “और वह बड़ा अजगर, अर्थात् वही पुराना साँप, जो इब्लीस और शैतान कहलाता है, और सारे संसार का भरमानेवाला है, पृथ्वी पर गिरा दिया गया; और उसके दूत उसके साथ गिरा दिए गए।” आयत १२ आगे कहता है: “इस कारण, हे स्वर्गों, और उन में रहनेवालो मगन हो!” जी हाँ, स्वर्ग शैतान के प्रभाव से साफ़ कर दिए गए, जो कि विश्वसनीय स्वर्गदूतों के बीच बड़े हर्षोल्लास का कारण बन गया। लेकिन मानवजाति के लिए यह क्या अर्थ रखता है? वही आयत जवाब देता है: “हे पृथ्वी, और समुद्र, तुम पर हाय! क्योंकि इब्लीस बड़े क्रोध के साथ तुम्हारे पास उतर आया है, क्योंकि जानता है, कि उसका थोड़ा ही समय और बाक़ी है।”
१७. प्रकाशितवाक्य अध्याय १३ में विश्व शासन को “एक जंगली पशु” के तौर से चित्रित करना उपयुक्त क्यों है?
१७ प्रकाशितवाक्य १२:३ शैतान का वर्णन ‘सात सिर और दस सींगों समेत एक बड़े अजगर,’ एक विकट रूप, पशु-सा विनाशक के तौर से करता है। यह दिखाता है कि वही पार्थीव राजनीतिक “जंगली पशु” का रचयिता है जिसका वर्णन अध्याय १३, आयत १ और २ में हुआ है। शैतान की नक़ल करके, उस पशु के भी सात सिर और दस सींग हैं। आयत २ कहता है: “और उस अजगर ने अपनी सामर्थ, और अपना सिंहासन, और बड़ा अधिकार, उसे दे दिया।” राजनीतिक सरकारों को एक जंगली पशु के रूप में चित्रित करना निश्चय ही उपयुक्त है, इसलिए कि केवल इस २०वीं सदी में ही, राष्ट्रों के युद्धों में दस करोड़ से ज़्यादा लोगों की हत्या हुई हैं
१८. प्रकाशितवाक्य १३:११ का दो-सींग वाला पशु क्या है, और उसकी पहचान कराने के लिए उसके कर्म किस तरह मददपूर्ण होते हैं?
१८ प्रकाशितवाक्य १३ का अगला दृश्य प्रकट करता है, जैसे कि आयत ११ बताता है, ‘एक और जंगली पशु पृथ्वी में से निकलता आया, और उसके मेम्ने के से दो सींग थे, और उसने अजगर की नाई बोलना शुरू किया।’ ये दो-सींग वाला पशु अँग्लो-अमरीकन राजनीतिक सहमिलन है। यह इसलिए मेम्ने जैसा है कि यह अहानिकारक होने, सबसे प्रबुद्ध क़िस्म की सरकार होने का ढोंग करता है। लेकिन यह एक अजगर के जैसे, शैतान के जैसे बोलता है, और उसे “एक और जंगली पशु” कहा गया है इसलिए कि उसके शासक कार्य पशु-जैसे हैं। जहाँ कहीं उसके दृष्टिकोण के अनुसार शासन का विवरण स्वीकार नहीं किया जाता है, वहाँ यह दबाव डालता है और धमकी देता है हिंसा भी इस्तेमाल करता है। यह परमेश्वर के राज्य के सामने अधीनता-स्वीकरण नहीं, पर उसके बजाय, शैतान के संसार के सामने मातहती प्रोत्साहित करता है। इसीलिए आयत १४ कहता है: “वह पृथ्वी के रहनेवालों को भरमाता है।”
१९, २०. (अ) यहोवा के सेवकों की ख़राई क्या प्रदर्शित करती है? (ब) हम किस तरह जानते हैं कि अभिषिक्त अवशेष निश्चय ही शैतान के संसार पर विजय करेगा?
१९ शैतान की प्रभाविता के अधीनस्थ यह दुनिया रहने के लिए एक कठिन जगह है, उन के लिए जो, सच्चे मसीहियों को दिए यीशु की आज्ञानुसार, उसका कोई भाग नहीं। (यूहन्ना १७:१६) इस प्रकार, यह यहोवा की ताक़त और आशीर्वाद का एक विशिष्ट प्रदर्शन है कि आज दुनिया भर में उसके सेवक ख़राई रखते हैं और एक होकर यहोवा और उसकी धर्मी रीतियों की बड़ाई करते रहते हैं। वे अत्यधिक विरोध, उत्पीड़न, और मृत्यु के सम्मुख भी ऐसा करते हैं।
२० खास तौर से अभिषिक्त अवशेष शैतान का निशाना बने हैं क्योंकि ये मसीह के साथ सह-शासक बनने वाले हैं। लेकिन प्रकाशितवाक्य अध्याय १४ दिखाता है कि उनकी पूरी संख्या, १,४४,०००, राज्य सत्ताधिकार में विजयी होकर मसीह के साथ एकत्रित हुए हैं। वे अपने स्वामी के प्रति वफ़ादारी से निष्ठावान बने रहे हैं, क्योंकि आयत ४ कहता है: “ये वे ही हैं, कि जहाँ कहीं मेम्ना जाता है, वे उसके पीछे हो लेते हैं”—यह सब उस क्रूर उत्पीड़न के बावजूद जो शैतान ने उन पर लाया है।
पहले परमेश्वर के न्यायदंड प्राप्त करना
२१, २२. (अ) प्रकाशितवाक्य १४:७, ८ में स्वर्गदूत कौनसी घोषणाएँ करते हैं? (ब) एक स्वर्गदूत धार्मिक बाबेलोन की गिरावट क्यों घोषित करता है, जब कि यह अब भी अस्तित्व में है?
२१ प्रकाशितवाक्य १४:७ में एक स्वर्गदूत बोल उठता है: “परमेश्वर से डरो और उस की महिमा करो, क्योंकि उसके न्याय करने का समय आ पहुँचा है, और उसका भजन करो, जिस ने स्वर्ग और पृथ्वी और समुद्र और जल के सोते बनाए।” कौन पहले परमेश्वर का प्रतिकूल न्यायदंड प्राप्त करता है? आयत ८ जवाब देता है: “फिर इस के बाद एक और दूसरा स्वर्गदूत यह कहता हुआ आया कि: ‘गिर पड़ी है! वह बड़ी बाबेलोन गिर पड़ी है, जिस ने अपने व्यभिचार की कोपमय मदिरा सारी जातियों को पिलाई है!’” यहाँ प्रथम बार, लेकिन आख़री बार नहीं, प्रकाशितवाक्य “बड़ी बाबेलोन,” झूठे धर्म के सार्वभौमिक साम्राज्य, के बारे में बोलता है।
२२ चूँकि धर्म अब भी पृथ्वी के अनेक हिस्सों में अपनी प्रभाविता का प्रयोग करती है, ऐसा क्यों है कि स्वर्गदूत घोषित करता है कि बड़ी बाबेलोन पहले ही गिर चुकी है? ख़ैर, सामान्य युग पूर्व ५३९ में प्राचीन बाबेलोन के कब्ज़े में आने, पर अब भी पूरी तरह नष्ट न कर दिए जाने के फलस्वरूप क्या हुआ? अजी, दो वर्ष बाद यहोवा के क़ैद सेवक अपने स्वदेश लौटे और सच्ची उपासना पुनःस्थापित की! उसी तरह, १९१९ में शुरू होनेवाली नवीकृत कार्यकलाप और आत्मिक समृद्धि की अवस्था तक परमेश्वर के सेवकों का पुनःस्थापन स्पष्ट प्रमाण है कि तब, १९१९ में, यहोवा की नज़रों मे बड़ी बाबेलोन ने एक अधोगामी गिरावट अनुभव की। तब उसने उसे एक बादवाले विध्वंस के लिए दोषी ठहराया।
२३. (अ) बड़ी बाबेलोन के विनाश के लिए रास्ता किस तरह सरल किया गया है? (ब) प्रहरीदुर्ग के अगले अंक में कौनसी अधिक भविष्यवाणियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा?
२३ आधुनिक बाबेलोन के आ रहे विनाश की एक प्रस्तावना के तौर से, वह पहले से ही गहरे संकट में है। उसका भ्रष्टाचार, अत्यधिक अनैतिकता, बेईमानी, और राजनीतिक दख़लंदाज़ी सब कहीं परदाफ़ाश किए गए हैं। यूरोप के अधिकांश जगहों में, आज-कल बहुत कम लोग चर्च जाते हैं। अनेक समाजवादी देशों में, धर्म को “जनता का अफ़ीम” माना जाता है। और, परमेश्वर के सत्य वचन के सभी प्रेमियों की नज़रों में आधुनिक बाबेलोन बेइज़्ज़त है। तो वह अब अपने योग्य प्राणदंड के लिए, मानो, एक क़ैदखाने की मृत्यु पंक्ति (डैथ रो) में ठहरी है। जी हाँ, जगत् की नींवों को हिला देने वाले परिस्थितियों के लिए “नियत समय निकट आया है!” और प्रहरीदुर्ग के अगले अंक में, और अधिक अध्ययन लेखों में धार्मिक “वेश्या,” और साथ साथ शैतान की संपूर्ण रीति-व्यवस्था के सन्निकट विनाश से संबंधित प्रकाशितवाक्य की भविष्यवाणियों पर विचार-विमर्श किया जाएगा।
आप किस तरह जवाब देंगे?
◻ प्रकाशितवाक्य अध्याय ८ पर से शुरू होनवाले सात तुरही-नाद हमारे समय के लिए क्या अर्थ रखते हैं?
◻ ऐसा क्यों है कि सर्वप्रथम मसीहीजगत् प्रतिकूल न्यायदंड प्राप्त करती है?
◻ प्रकाशितवाक्य अध्याय ९ में अभिषिक्त अवशेष और “बड़ी भीड़” के प्रचार कार्य का वर्णन किस तरह किया गया है?
◻ प्रकाशितवाक्य ११:१५ में की गयी घोषणा का अर्थ स्वर्ग और पृथ्वी के लिए क्या था?
◻ जैसे प्रकाशितवाक्य १४:८ में वर्णन हुआ है, १९१९ में धार्मिक बाबेलोन किस तरह गिर गयी, और उसके लिए इसका अर्थ क्या है?