बड़ी वेश्या बेनक़ाब की जाती है
शैतान के नियंत्रण में इस वर्तमान रीति-व्यवस्था के तीन प्रमुख तत्त्व हैं, जिन्हें ‘इस संसार का ईश्वर’ तिकड़मबाज़ी से चलाता है। ये हैं राजनीतिक शासन, बड़े व्यापार का नियंत्रण और असर, तथा धर्म। इतिहास के कई सहस्राब्दियों के दौरान, ये तीन तत्त्व लगभग सभी शासक-व्यवस्थाओं के स्थिरांक रहे हैं। “वेश्याओं की माता” इन प्रभावशाली शक्तियों में से कौनसी शक्ति का प्रतीक है?—२ कुरिन्थियों ४:३, ४, द जेरूसलेम बाइबल; प्रकाशितवाक्य १२:९; १७:५.
यूहन्ना के दर्शन के अनुसार जो यहाँ विचाराधीन है, शासक, ‘पृथ्वी के राजा,’ स्वेच्छा से उसके व्यभिचार के बिस्तर पर जाकर लेटे हैं। (प्रकाशितवाक्य १८:३) (इसका ऐतिहासिक प्रमाण अगले पृष्ठों पर प्रस्तुत किया जाएगा।) इसीलिए, बड़ी बाबेलोन विश्व व्यवस्था में राजनीतिक शासक तत्त्व का प्रतीक नहीं हो सकती।
क्या यह बड़ा व्यापार क्षेत्र हो सकती है, जो कि आज मनुष्यों के मामलों में इतनी अत्यावश्यक भूमिका अदा करता है? कई राष्ट्रों में यह निश्चय ही एक शक्तिशाली असर है और, असल में, यह निश्चित करता है कि कौन अमीर होगा और कौन ग़रीब। क्या यही बड़ी बाबेलोन हो सकती है? एक स्वर्गदूत ने यूहन्ना को एक ऐसा अत्यावश्यक सुराग़ दिया, जो इस प्रश्न का उत्तर देता है। उसने एक चौंका देनेवाली घटना घोषित की—बाबेलोन का अनुग्रह से वंचित होना! वह अपने गाहकों और उपपतियों को खो देती है, जो अचानक उसे बेहद घिनावना पाते हैं। “पृथ्वी के राजाओं” के अलावा, और कौन उस से नियमित मुलाक़ात करनेवालों में रहे हैं? स्वर्गदूत कहता है: “उसके व्यभिचार के भयानक मदिरा के कारण सब जातियाँ गिर गई हैं, और पृथ्वी के राजाओं ने उसके साथ व्यभिचार किया है, और पृथ्वी के व्योपारी उसके सुख-विलास की बहुतायत के कारण धनवान हुए हैं।” जी हाँ, इस दुनिया के व्यापारियों ने उस के साथ व्यापार चलाकर और उसके साथ संग करके तथा उसके “सुख-विलास की बहुतायत” को बढ़ाकर लाभ प्राप्त किया है। इस प्रकार, वह विश्व पैमाने पर बड़े व्यापार का भी प्रतीक नहीं हो सकती।—प्रकाशितवाक्य १८:३.
इसलिए, विलोपन की प्रक्रिया से, राजनीतिक शासन और बड़े व्यापार का नियंत्रण और असर इसके वर्णन में नहीं बैठते। तो अब बाक़ी क्या बचा है? यह प्रभावकारिता का वह क्षेत्र ही होना चाहिए, जो इस अभ्यारोपण के भी तुल्य है कि, “तेरे टोने से सब जातियाँ भरमाई गईं थीं।” यह किसी वक्त के प्रभावशाली पर अब कमज़ोर होता जा रहा तत्त्व है, जिस ने प्राचीन बाबेलोन के दिनों से अब तक राष्ट्रों की विचारणा और गतिविधियों पर गहरे रीति से असर किया है। यह वही है जिसका “पृथ्वी के राजाओं पर राज्य” रहा है—अर्थात, झूठा धर्म!—प्रकाशितवाक्य १७:१८; १८:२३.
जी हाँ, कुछ सत्हृदय धार्मिक लोगों को यह जितना ही दहलाने वाला लगे, दरअसल बड़ी बाबेलोन, वेश्याओं की माता, शैतान के झूठे धर्म के जगव्याप्त साम्राज्य का ही प्रतीक है। वह इस दुनिया के उन धर्मों का प्रतीक है, जिन्होंने किसी न किसी तरह पूरे इतिहास में राजनीतिक और वित्तीय शासक तत्त्वों से समझौता किया है।
युद्धप्रिय बाबेलोन
भविष्यसूचक दर्शन के अनुसार, बड़ी बाबेलोन वही बड़ी रंडी है जिस ने राष्ट्रों, लोगों, और प्रजातियों को रक्तरंजित युद्ध, धर्म-युद्ध, और कुलवैर करने तक आगे बढ़ाकर उन्हें मंत्र-प्रयोग, पवित्र जल, प्रार्थनाएँ, और जोशीले देशभक्तिपूर्ण भाषणों से आशीर्वाद प्राप्त किया है।a—प्रकाशितवाक्य १८:२४.
उसका पादरी वर्ग, ख़ास तौर से उसके चॅप्लेन, दो विश्व युद्ध और अन्य मुख्य लड़ाइयों की हत्याकांड में तोप-चारा बनने के लिए जनता को हाँककर, शासकों के हाथों सहर्ष कठपुतली बने हैं। कैथोलिक ने कैथोलिक को मारा है, और प्रोटेस्टेन्ट ने कर्तव्यनिष्ठा से प्रोटेस्टेन्ट को वध किया है, जिस से दो विश्व युद्धों में ही कुछ ५ से ६ करोड़ जानें गयीं हैं।
इस जानकारी से दीप्त २०वीं सदी में, धर्म की विरासत द्वेष और मृत्यु पैदा करती रहती है—न केवल मसीहीजगत् के क्षेत्र में, जहाँ कैथोलिक विरुद्ध प्रोटेस्टेन्ट का सामना है, लेकिन ग़ैर-ईसाई दुनिया में भी, जहाँ मुस्लिम धर्म विरुद्ध यहूदी धर्म, हिंदू धर्म विरुद्ध मुस्लिम धर्म, बौध धर्म विरुद्ध हिंदू धर्म, सिख धर्म विरुद्ध हिंदू धर्म, इत्यादि, झगड़े हैं।
इसके अतिरिक्त, धर्म ने “पृथ्वी के राजाओं” की भवितव्यता और उनके उत्तराधिकारी निश्चित करने की कोशिश करके उन पर हमेशा एक शक्तिशाली असर का ज़ोर डालना चाहा है। आईए, हम संक्षिप्त में कुछेक उदाहरणों पर ग़ौर करें।
[फुटनोट]
a “पवित्र” क्रूसेड्स (१०९६-१२७०), यूरोप में तीस वर्षीय युद्ध (१६१८-४८), दो विश्व युद्ध, और भारत के बँटवारे के दौरान (१९४८) कुछ २,००,००० हिंदू और मुसलमानों की हत्याकांड, ये धर्म के हत्यारेपन के सिर्फ़ थोड़े ही नमूने हैं।
[पेज 4 पर तसवीरें]
राजनीति, बड़ा व्यापार, या धर्म—“बड़ी बाबेलोन” इन में से किसे चित्रित करती है?