अध्ययन लेख 21
प्रकाशितवाक्य में हमारे भविष्य के लिए आशा
“आमीन! प्रभु यीशु, आ।”—प्रका. 22:20.
गीत 142 अपनी आशा कसकर थामे रहें
एक झलकa
1. आज सभी इंसानों को कौन-सा ज़रूरी फैसला लेना है?
आज सभी लोगों को एक ज़रूरी फैसला लेना है। क्या वे सारे जहान के मालिक यहोवा का साथ देंगे या उसके दुश्मन शैतान का? वे दो नाव में सवार नहीं हो सकते। आज वे जो फैसला लेंगे, उससे तय होगा कि उनका भविष्य कैसा होगा। (मत्ती 25:31-33, 46) “महा-संकट” के दौरान जब इंसानों का न्याय होगा, तो यह तय किया जाएगा कि कौन बचेगा और किसका नाश कर दिया जाएगा।—प्रका. 7:14; 14:9-11; यहे. 9:4, 6.
2. (क) इब्रानियों 10:35-39 में हमें क्या करने का बढ़ावा दिया गया है? (ख) प्रकाशितवाक्य की बातें ध्यान में रखने से हम क्या कर पाएँगे?
2 इब्रानियों 10:35-39 पढ़िए। अगर आपने यहोवा के राज का साथ देने का फैसला किया है, तो आपने सही किया है। अब शायद आप दूसरों की मदद करना चाहेंगे कि वे भी यह फैसला लें। इसके लिए आप प्रकाशितवाक्य की किताब में दी बातें ध्यान में रख सकते हैं। इसमें न सिर्फ यह बताया है कि परमेश्वर के दुश्मनों का क्या होगा बल्कि यह भी बताया है कि जो लोग यहोवा के वफादार रहेंगे, उन्हें क्या-क्या आशीषें मिलेंगी। अगर आप इन बातों को पढ़ेंगे और इनके बारे में सोचेंगे, तो मुश्किलें आने पर आप यहोवा की सेवा करते रह पाएँगे। साथ ही, आप दूसरों की भी मदद कर पाएँगे कि वे यहोवा की सेवा करने का फैसला करें और उस पर बने रहें।
3. इस लेख में हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?
3 इस लेख में हम खासकर दो सवालों पर चर्चा करेंगे। (1) जो लोग यहोवा के राज का साथ देंगे, उनका क्या होगा? (2) उन लोगों का क्या होगा, जो सुर्ख लाल रंग के जंगली जानवर का साथ देंगे?
वफादार लोगों के लिए इनाम
4. यूहन्ना स्वर्ग में यीशु के साथ किन्हें खड़ा देखता है?
4 एक दर्शन में प्रेषित यूहन्ना दो समूह के लोगों को देखता है, जो यहोवा के राज का साथ देते हैं और जिन्हें हमेशा की ज़िंदगी दी जाएगी। पहले समूह में 1,44,000 लोग हैं। (प्रका. 7:4) उन्हें धरती पर से चुना गया है ताकि वे स्वर्ग जाएँ और यीशु के साथ मिलकर धरती पर राज करें। (प्रका. 5:9, 10; 14:3, 4) यूहन्ना देखता है कि ये 1,44,000 जन यीशु के साथ सिय्योन पहाड़ पर यानी स्वर्ग में खड़े हैं।—प्रका. 14:1.
5. बचे हुए अभिषिक्त जनों का भविष्य में क्या होगा?
5 इन 1,44,000 जनों का चुना जाना पहली सदी से शुरू हो गया था और अब तक इनमें से हज़ारों स्वर्ग जा चुके हैं। (लूका 12:32; रोमि. 8:17) यूहन्ना को बताया गया कि आखिरी दिनों में धरती पर इनमें से सिर्फ कुछ ‘बचे हुए’ होंगे। महा-संकट शुरू होने से पहले उन पर आखिरी “मुहर” लगायी जाएगी। (प्रका. 7:2, 3; 12:17) फिर महा-संकट के दौरान उन्हें स्वर्ग उठा लिया जाएगा। सभी 1,44,000 जन यीशु के साथ मिलकर परमेश्वर के राज में राज करेंगे।—मत्ती 24:31; प्रका. 5:9, 10.
6-7. (क) अभिषिक्त मसीहियों को देखने के बाद, यूहन्ना ने क्या देखा? (ख) चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, हम सब क्यों प्रकाशितवाक्य अध्याय 7 की भविष्यवाणी पूरी होते देखना चाहते हैं?
6 स्वर्ग में 1,44,000 जनों को देखने के बाद, यूहन्ना “एक बड़ी भीड़” को देखता है जिसे कोई आदमी गिन नहीं सकता। (प्रका. 7:9, 10) इस “बड़ी भीड़” में कौन लोग हैं? यूहन्ना ने लिखा, “ये वे हैं जो उस महा-संकट से निकलकर आए हैं और इन्होंने अपने चोगे मेम्ने के खून में धोकर सफेद किए हैं।” (प्रका. 7:14) महा-संकट से बच निकलने के बाद इस “बड़ी भीड़” के लोग धरती पर हमेशा-हमेशा तक जीएँगे और उन्हें कई आशीषें मिलेंगी।—भज. 37:9-11, 27-29; नीति. 2:21, 22; प्रका. 7:16, 17.
7 ज़रा सोचिए, जब प्रकाशितवाक्य अध्याय 7 में दी बातें पूरी होंगी, तो हमें कैसा लगेगा? वह क्या ही खुशी का समाँ होगा! चाहे हमारी आशा स्वर्ग में जीने की हो या धरती पर, उस वक्त हम सभी बहुत खुश होंगे कि हमने यहोवा के राज का साथ दिया। पर आइए जानें कि महा-संकट के दौरान परमेश्वर के दुश्मनों का क्या होगा।—मत्ती 24:21.
विरोधियों का बुरा अंजाम
8. किस घटना से महा-संकट की शुरूआत होगी और ज़्यादातर लोग क्या करेंगे?
8 जैसे हमने पिछले लेख में सीखा था, दुनिया की सरकारें बहुत जल्द महानगरी बैबिलोन यानी दुनिया-भर में फैले झूठे धर्मों को खत्म कर देंगी। (प्रका. 17:16, 17) इस घटना से महा-संकट की शुरूआत होगी। जब सभी धर्मों का नाश हो जाएगा, तब क्या बहुत सारे लोग यहोवा की उपासना करना चाहेंगे? नहीं। प्रकाशितवाक्य अध्याय 6 में लिखा है कि वे पहाड़ों में जा छिपेंगे, यानी वे सरकारों और व्यापार जगत पर भरोसा करेंगे। वे परमेश्वर के राज का साथ नहीं देंगे, इसलिए यहोवा उन्हें विरोधी मानेगा।—लूका 11:23; प्रका. 6:15-17.
9. महा-संकट के दौरान यहोवा के लोग क्यों सबसे अलग नज़र आएँगे और उनके साथ क्या होगा?
9 महा-संकट के उस मुश्किल दौर में यहोवा के लोग सबसे अलग नज़र आएँगे। सिर्फ वे ही अपने परमेश्वर यहोवा की उपासना कर रहे होंगे और “जंगली जानवर” का साथ नहीं देंगे। (प्रका. 13:14-17) यह देखकर परमेश्वर के विरोधी गुस्से से पागल हो जाएँगे और कई राष्ट्र मिलकर परमेश्वर के लोगों पर हमला करेंगे। बाइबल में इसे मागोग देश के गोग का हमला कहा गया है।—यहे. 38:14-16.
10. जब यहोवा के लोगों पर हमला होगा तो वह क्या करेगा? (प्रकाशितवाक्य 19:19-21)
10 जब यहोवा के लोगों पर हमला होगा तो उसे कैसा लगेगा? वह कहता है, “मेरे क्रोध की ज्वाला भड़क उठेगी।” (यहे. 38:18, 21-23) प्रकाशितवाक्य अध्याय 19 में बताया गया है कि यहोवा क्या करेगा। वह अपने लोगों को बचाने के लिए और दुश्मनों का नाश करने के लिए अपने बेटे को भेजेगा। यीशु के साथ “स्वर्ग की सेनाएँ” भी होंगी, यानी वफादार स्वर्गदूत और 1,44,000 साथी राजा। (प्रका. 17:14; 19:11-15) इस युद्ध का क्या नतीजा निकलेगा? जितने भी लोग और संगठन यहोवा के खिलाफ खड़े होंगे, उन सबका नाश कर दिया जाएगा।—प्रकाशितवाक्य 19:19-21 पढ़िए।
युद्ध के बाद, एक शादी
11. प्रकाशितवाक्य के आखिर में कौन-सी खास घटना के बारे में बताया गया है?
11 जब परमेश्वर के दुश्मनों का नाश हो जाएगा, तब धरती पर वफादार लोग खुशी से झूम उठेंगे। तब स्वर्ग में कैसा माहौल होगा? महानगरी बैबिलोन के नाश के वक्त स्वर्ग में बहुत खुशियाँ मनायी गयीं, पर अब कुछ ऐसा होगा जिस वजह से स्वर्ग में और ज़्यादा खुशियाँ मनायी जाएँगी। (प्रका. 19:1-3) प्रकाशितवाक्य की किताब के आखिर में बताया गया है कि “मेम्ने की शादी” होगी।—प्रका. 19:6-9.
12. प्रकाशितवाक्य 21:1, 2 के मुताबिक मेम्ने की शादी कब होगी?
12 मेम्ने की शादी कब होगी? हर-मगिदोन का युद्ध शुरू होने से ठीक पहले, सभी 1,44,000 जन स्वर्ग में इकट्ठा हो जाएँगे। लेकिन यह शादी तब नहीं होगी। (प्रकाशितवाक्य 21:1, 2 पढ़िए।) हर-मगिदोन के युद्ध में जब सभी दुश्मनों का नाश हो जाएगा, तो उसके बाद मेम्ने की शादी होगी।—भज. 45:3, 4, 13-17.
13. मेम्ने की शादी का क्या मतलब है?
13 जब एक आदमी और औरत की शादी होती है तो वे एक हो जाते हैं। उसी तरह, जब मेम्ने की शादी होगी तो यीशु और उसकी “दुल्हन,” यानी 1,44,000 जन एक हो जाएँगे। वे मिलकर 1,000 साल के लिए धरती पर राज करना शुरू करेंगे।—प्रका. 20:6.
एक खूबसूरत नगरी और उससे मिलनेवाली आशीषें
14-15. प्रकाशितवाक्य अध्याय 21 में 1,44,000 जनों को किस तरह दर्शाया गया है? (बाहर दी तसवीर देखें।)
14 प्रकाशितवाक्य अध्याय 21 में 1,44,000 जनों को एक खूबसूरत नगरी के तौर पर दर्शाया गया है। इस नगरी का नाम “नयी यरूशलेम” है। (प्रका. 21:2, 9) यह नगरी नींव के 12 पत्थरों पर खड़ी है। इन 12 पत्थरों पर “मेम्ने के 12 प्रेषितों के नाम” लिखे हैं। जब यूहन्ना ने दर्शन में यह देखा होगा तो उसकी आँखें खुली-की-खुली रह गयी होंगी। एक पत्थर पर उसका खुद का नाम था! यह देखकर वह खुशी से फूला नहीं समाया होगा।—प्रका. 21:10-14; इफि. 2:20.
15 यह नगरी बहुत ही अलग है। उसकी लंबाई, चौड़ाई और ऊँचाई एक ही नाप की हैं। नगरी की मुख्य सड़क खरे सोने की बनी है, उसके 12 फाटक मोतियों के बने हैं और उसकी नींव और दीवारें कीमती रत्नों से सजी हुई हैं। (प्रका. 21:15-21) पर उस नगरी में एक चीज़ नहीं है। यूहन्ना आगे कहता है, “मुझे उस नगरी में कोई मंदिर नहीं दिखायी दिया क्योंकि सर्वशक्तिमान परमेश्वर यहोवा ही उसका मंदिर है और मेम्ना भी है। उस नगरी को सूरज और चाँद की रौशनी की ज़रूरत नहीं, क्योंकि वह परमेश्वर की महिमा से जगमगाती है और मेम्ना उसका दीपक है।” (प्रका. 21:22, 23) सभी अभिषिक्त मसीही स्वर्ग में यहोवा के साथ होंगे, इसलिए उन्हें किसी मंदिर की ज़रूरत नहीं होगी। (प्रका. 22:3, 4) इसके अलावा, यीशु स्वर्ग में महायाजक बन चुका है और उसकी अगुवाई में सभी अभिषिक्त यहोवा की पवित्र सेवा करेंगे। (इब्रा. 7:27) इन कारणों से यहोवा और यीशु को नयी यरूशलेम का मंदिर बताया गया है।
16. परमेश्वर के राज के हज़ार साल के शासन में इंसानों को क्या-क्या आशीषें मिलेंगी?
16 हालाँकि नयी यरूशलेम की भविष्यवाणी खासकर अभिषिक्त मसीहियों के बारे में है, लेकिन जिन लोगों की आशा धरती पर जीने की है, उन्हें भी इस पर ध्यान देना चाहिए। परमेश्वर के राज के हज़ार साल के शासन में नयी यरूशलेम की वजह से धरती पर रहनेवालों को बहुत-सी आशीषें मिलेंगी। यूहन्ना ने इन आशीषों को “जीवन देनेवाली पानी की नदी” के तौर पर बताया। उसने यह भी लिखा कि नदी के दोनों तरफ “जीवन के पेड़” लगे हैं, जिनकी पत्तियों से “राष्ट्रों के लोगों के रोग दूर” हो जाएँगे। (प्रका. 22:1, 2) “नदी” और ‘पेड़ों’ का मतलब है, परमेश्वर के ऐसे इंतज़ाम जिनके ज़रिए इंसान हज़ार साल के दौरान धीरे-धीरे परिपूर्ण हो जाएँगे। तब कोई बीमारी नहीं होगी, न ही कोई दुख-दर्द रहेगा।—प्रका. 21:3-5.
17. हज़ार साल के दौरान किन लोगों को आशीषें मिलेंगी? (प्रकाशितवाक्य 20:11-13)
17 हज़ार साल के दौरान किन-किन लोगों को ये आशीषें मिलेंगी? सबसे पहले तो बड़ी भीड़ के लोगों को, जो हर-मगिदोन से बच निकलेंगे। और अगर नयी दुनिया में उनके बच्चे होंगे, तो उन्हें भी ये आशीषें मिलेंगी। उनके अलावा, प्रकाशितवाक्य अध्याय 20 में बताया है कि मरे हुओं को ज़िंदा किया जाएगा। (प्रकाशितवाक्य 20:11-13 पढ़िए।) इनमें “अच्छे और बुरे” दोनों होंगे। पर क्या इसका यह मतलब है कि सभी मरे हुओं को ज़िंदा कर दिया जाएगा? नहीं। “अच्छे” लोगों का मतलब है, वे लोग जो यहोवा के वफादार थे और जिनकी मौत हो गयी। और “बुरे” लोगों का मतलब है, वे लोग जिन्हें यहोवा के बारे में सीखने का मौका नहीं मिला। (प्रेषि. 24:15; यूह. 5:28, 29) लेकिन जिन लोगों के पास यहोवा की सेवा करने का मौका था पर उन्होंने ऐसा नहीं किया, वे दुष्ट कहलाएँगे और उन्हें ज़िंदा नहीं किया जाएगा।—मत्ती 25:46; 2 थिस्स. 1:9; प्रका. 17:8; 20:15.
आखिरी परीक्षा
18. हज़ार साल के शासन के खत्म होते-होते क्या हो चुका होगा?
18 हज़ार साल के शासन के खत्म होते-होते धरती पर रहनेवाले सभी इंसान परिपूर्ण हो जाएँगे। आदम से मिला पाप और उसका असर पूरी तरह मिट चुका होगा। (रोमि. 5:12) इस तरह इंसान, जो पहले पाप की वजह से मानो मरे हुए थे, “1,000 साल के खत्म होने तक ज़िंदा” हो जाएँगे।—प्रका. 20:5.
19. आखिरी परीक्षा क्यों होगी?
19 हज़ार साल के पूरे होने पर शैतान को अथाह-कुंड से निकाला जाएगा और वह धरती पर रहनेवाले सभी परिपूर्ण इंसानों की परीक्षा लेगा। (प्रका. 20:7) उसने परिपूर्ण यीशु की भी परीक्षा ली थी। लेकिन यीशु, यहोवा का वफादार रहा। आखिरी परीक्षा के दौरान हरेक परिपूर्ण इंसान के पास यह साबित करने का मौका होगा कि वह यहोवा का वफादार रहेगा या नहीं। तब जो कोई यहोवा का वफादार रहेगा उसे हमेशा की ज़िंदगी और सच्ची आज़ादी मिलेगी। (रोमि. 8:21) लेकिन जो वफादार नहीं रहेगा उसे शैतान और उसके दुष्ट स्वर्गदूतों के साथ हमेशा-हमेशा के लिए मिटा दिया जाएगा।—प्रका. 20:8-10.
20. प्रकाशितवाक्य में दी भविष्यवाणियों के बारे में सोचकर आपको कैसा लगता है?
20 प्रकाशितवाक्य की किताब पर चर्चा करके आपको कैसा लगा? जब आपने सोचा कि इसमें दी भविष्यवाणियाँ किस तरह पूरी होंगी और आप भी वहाँ होंगे, तो क्या आपके रोंगटे नहीं खड़े हुए? क्या आपमें जोश नहीं भर आया कि आप दूसरों को बढ़ावा दें कि वे भी यहोवा की उपासना करें? (प्रका. 22:17) बेशक, हम सभी ने ऐसा महसूस किया होगा और प्रेषित यूहन्ना की तरह हम भी कहना चाहते हैं, “आमीन! प्रभु यीशु, आ।”—प्रका. 22:20.
गीत 27 परमेश्वर के बेटों का ज़ाहिर होना
[फुटनोट]
a इस लेख में हम प्रकाशितवाक्य की किताब से जानेंगे कि हमारा भविष्य कैसा होगा। जो लोग यहोवा के वफादार रहेंगे और उसके राज का साथ देंगे, उन्हें भविष्य में बहुत सारी आशीषें मिलेंगी। पर जो उसका विरोध करेंगे और उसके राज के खिलाफ खड़े होंगे, उनका नाश कर दिया जाएगा।