आपके सवाल
परमेश्वर ने अब्राहम से अपने बेटे की बलि चढ़ाने को क्यों कहा?
▪ बाइबल में उत्पत्ति की किताब में एक वाकया दर्ज़ है, जहाँ यहोवा परमेश्वर ने अब्राहम से कहा कि वह अपने बेटे इसहाक की बलि चढ़ाए। (उत्पत्ति 22:2) बाइबल पढ़नेवाले कुछ लोगों को यह समझना मुश्किल लगता है कि परमेश्वर एक पिता से ऐसी माँग कैसे कर सकता है। कैरल नाम की एक प्रोफेसर कहती है: “बचपन में जब मैंने यह कहानी पहली बार सुनी, तो मुझे बहुत गुस्सा आया। मैंने सोचा, यह किस तरह का परमेश्वर है जो एक बाप से अपने बेटे की जान लेने को कह रहा है?” यह सच है कि जो कोई इस वाकये को पहली बार पढ़ता है, उसे ऐसा ही लगता है। लेकिन किसी नतीजे पर पहुँचने से पहले अच्छा होगा कि हम कुछ बातों पर गौर करें।
पहली बात, ध्यान दीजिए कि यहोवा ने क्या नहीं किया। हालाँकि अब्राहम अपने बेटे की बलि चढ़ाने के लिए तैयार था लेकिन परमेश्वर ने उसे बलि नहीं चढ़ाने दी, न ही परमेश्वर ने दोबारा किसी और से ऐसा करने को कहा। यहोवा चाहता है कि उसके सभी उपासक, जिनमें बच्चे भी शामिल हैं, ज़िंदा रहें और एक लंबी और खुशहाल ज़िंदगी जीएँ।
दूसरी बात, बाइबल हमें यह समझने में मदद देती है कि यहोवा ने एक खास वजह से अब्राहम से इसहाक की बलि चढ़ाने को कहा था। परमेश्वर जानता था कि सदियों बाद, वह हमारी खातिर अपने बेटेa यीशु को मरने देगा। (मत्ती 20:28) वह चाहता था कि हम इस बात को समझें कि यह कुरबानी देना उसके लिए आसान नहीं होगा। और अब्राहम की मिसाल के ज़रिए यहोवा ने यह बात बहुत ज़बरदस्त तरीके से हमें समझायी। वह कैसे?
अब्राहम से कहे यहोवा के शब्दों पर गौर कीजिए: “अपने पुत्र को अर्थात् एकलौते पुत्र इसहाक को, जिस से तू प्रेम रखता है . . . होमबलि करके चढ़ा।” (उत्पत्ति 22:2) ध्यान दीजिए, यहोवा ने कहा तेरा पुत्र इसहाक “जिस से तू प्रेम रखता है।” यहोवा जानता था कि इसहाक, अब्राहम के कलेजे का टुकड़ा है। परमेश्वर भी अपने बेटे यीशु से बहुत प्यार करता है। इतना कि उसने दो बार स्वर्ग से बात करते वक्त यीशु को “मेरा प्यारा बेटा” कहा।—मरकुस 1:11; 9:7.
इस बात पर भी ध्यान दीजिए कि जब यहोवा ने अब्राहम से इसहाक की बलि चढ़ाने को कहा, तो मूल भाषा में उसने एक ऐसे शब्द का इस्तेमाल किया जो दिखाता है कि वह अब्राहम को हुक्म नहीं दे रहा था, बल्कि उससे प्यार-भरी गुज़ारिश कर रहा था। एक बाइबल विद्वान कहता है कि परमेश्वर का यह शब्द इस्तेमाल करना ज़ाहिर करता है कि “प्रभु को एहसास था कि वह अब्राहम से कितनी बड़ी कुरबानी माँग रहा है।” परमेश्वर की इस गुज़ारिश से अब्राहम का दिल ज़रूर तड़प उठा होगा। जब इस गुज़ारिश से एक पिता सिहर उठता है, तो हम सोच भी नहीं सकते कि उस वक्त यहोवा को कितना दर्द हुआ होगा जब उसने अपने अज़ीज़ बेटे को तकलीफें सहते और मरते देखा। इतना दर्द यहोवा को न तो पहले कभी हुआ, न ही आगे कभी होगा।
जैसा कि हमने इस लेख में देखा, यहोवा ने अब्राहम से जो करने के लिए कहा था उसे पढ़कर शायद हमें गुस्सा आए। मगर यह याद रखना अच्छा होगा कि यहोवा ने उस वफादार इंसान को अपने बेटे की कुरबानी नहीं देने दी। उसने अब्राहम को उस दर्द से नहीं गुज़रने दिया जो किसी भी माँ-बाप के लिए सबसे बड़ा दर्द होता। यहोवा ने इसहाक को मरने नहीं दिया। लेकिन अपने बेटे यीशु को उसने ‘हम सबके लिए मौत के हवाले कर दिया।’ (रोमियों 8:32) यहोवा ने इतना दर्द क्यों सहा? ‘ताकि हम जीवन पा सकें।’ (1 यूहन्ना 4:9) यह इस बात का ज़बरदस्त सबूत है कि परमेश्वर हमसे बेइंतिहा प्यार करता है! क्या यहोवा का प्यार हमें नहीं उभारता कि हम भी उससे प्यार करें?b (w12-E 01/01)
[फुटनोट]
a बाइबल यह नहीं सिखाती कि परमेश्वर ने किसी औरत के साथ संबंध बनाकर यीशु को पैदा किया था। इसके बजाय, यहोवा ने उसकी सृष्टि एक आत्मिक प्राणी के तौर पर की थी और बाद में उसका जीवन कुँवारी मरियम के गर्भ में डाला ताकि वह इंसान बनकर धरती पर पैदा हो। परमेश्वर, यीशु का सृष्टिकर्ता है इसलिए यह कहना सही होगा कि वह यीशु का पिता है।
b यीशु को क्यों मरना पड़ा और हम कैसे उसके बलिदान के लिए कदरदानी दिखा सकते हैं, यह जानने के लिए बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब का अध्याय 5 देखिए।