गीत 6
परमेश्वर के सेवक की प्रार्थना
1. याह, ते-रे ला-खों रह-मो-क-रम!
पा-एँ सु-कून ते-री रा-हों में हम।
ते-री व-फ़ा-ओं का सिल-सि-ला
कर-ना ह-में ब-याँ हर ज-गह।
कर-ना हर ज-गह ब-याँ
व-फ़ा-ओं का सिल-सि-ला।
2. प्यार का चि-राग़ ज-ला तू हम-में
खो-जें हर घर ते-री प्या-री भे-ड़ें।
ते-रा व-चन उ-न्हें सि-खा-एँ
मर-ज़ी ते-री यूँ पू-री क-रें।
यूँ मर-ज़ी पू-री क-रें
सि-खा-एँ व-चन उ-न्हें।
3. याह तू ब-ड़ा ही है द-या-वान!
माँ-गें तुझ-से बुद्-धि का हम वर-दान।
ते-रे गु-णों का दर-पन ब-नें
प्यार, क-रु-णा सब-को दि-खा-एँ।
क-रु-णा, प्यार वो दे-खें
जब ते-रा दर-पन ब-नें।
(भज. 143:10; यूह. 21:15-17; याकू. 1:5 भी देखिए।)