गीत 18
परमेश्वर का सच्चा प्यार
1. प्यार सच्-चा है याह का
धर-ती पे बे-टा भे-जा।
पाप की क़ैद से कर रि-हा
टू-टा रिश्-ता जोड़ दि-या।
पा-एँ-गे सब ज़िं-द-गी;
याह ते-री व-फ़ा दे-खी।
(कोरस)
प्या-से य-हाँ जो भी हों
आ-कर जी-वन जल पी लो।
आ-ओ सच्-चा-ई सी-खो
याह की कृ-पा दे-खो।
2. प्यार सच्-चा है याह का
सा-रे काम कर-ते ब-याँ।
वा-चा बाँ-धी बे-टे से
पू-री अब कर दी उ-से।
देख, शु-रू हु-आ है राज
बन ग-या यी-शु सर-ताज।
(कोरस)
प्या-से य-हाँ जो भी हों
आ-कर जी-वन जल पी लो।
आ-ओ सच्-चा-ई सी-खो
याह की कृ-पा दे-खो।
3. प्यार सच्-चा है याह का
तो ब-नें उस-के जै-सा।
प्यार, व-फ़ा से हम च-लें
दी-नों की म-दद क-रें
कि उन्-हें आ-राम मि-ले
याह के सा-ए में प-लें।
(कोरस)
प्या-से य-हाँ जो भी हों
आ-कर जी-वन जल पी लो।
आ-ओ सच्-चा-ई सी-खो
याह की कृ-पा दे-खो।