गीत 42
‘कमज़ोरों की मदद करो’
1. हैं कित्-नी कम-ज़ो-रि-याँ
हम इं-सा-नों में
फिर भी माँ जै-सा ही प्यार
कर-ता याह हम-से।
मा-यूस य-हाँ क-ई
आँ-खों में है न-मी।
उन पे याह के जै-से ही
प्यार हम बर-सा-एँ।
2. ना मु-कम्-मल है को-ई
क्या छो-टा-ब-ड़ा।
पाप के हा-थों हम बि-के
याह ने मोल लि-या।
कम-ज़ोर भी याह के हैं
ता-क़त वो दे उन्-हें।
उन-के आँ-सू मो-ती से
याह ने सं-जो-ए।
3. ना कम-ज़ो-रों को क-भी
दो-षी ठह-रा-एँ।
भर दें उन-में हौ-स-ला
बोल मी-ठे बो-लें।
मन उन-का गर उ-दास
हाथ थाम के दें हम आस।
दू-जे का ग़म सी-ने में
हम मह-सूस क-रें।
(यशा. 35:3, 4; 2 कुरिं. 11:29; गला. 6:2 भी देखिए।)