गीत 50
यहोवा के प्यार की मिसाल
1. य-हो-वा ने दी मि-साल ह-में प्यार की
जो क-माल,
बे-मि-साल!
कर बै-ठें गु-नाह, अ-गर को-ई भा-री
कर दे ब-हाल,
हों-गे नि-हाल!
तो ऐ-सा ही प्यार, दू-जे से क-रें-गे
नेक का-मों से हम, ना पी-छे ह-टें-गे
अ-मन की इस राह पे चल-ते र-हें-गे
याह की ड-गर,
है प्यार की ड-गर।
2. च-लें-गे जब हम य-हो-वा की राह पे
अक़्स ब-नें,
या-ह के।
क-रें-गे फिर प्यार सा-रे भा-इ-यों से
त-हे-दिल से,
सच्-चे मन से।
ख़-ता-एँ उन-की हम ना याद क-रें-गे
म-दद दे-ने को हा-ज़िर हम र-हें-गे
तब कह-ला-एँ-गे य-हो-वा के बं-दे
सच्-चे बं-दे,
हाँ, प्या-रे बं-दे।
3. य-हो-वा का प्यार जै-से धूप सु-हा-नी
जो खि-ले,
और फै-ले,
जब कर-ते से-वा पू-रे मन से उस-की
दे-ते भक्-ति,
कर-ते स्तु-ति।
तो च-लो च-लें, सं-देश हम सु-ना-एँ
सच्-चा-ई का दीप, हर दिल में ज-ला-एँ
यूँ हों-ठों के फूल, हम नित दिन च-ढ़ा-एँ
य-ही है प्यार,
य-ही सच्-चा प्यार।
(रोमि. 12:10; इफि. 4:3; 2 पत. 1:7 भी देखिए।)