गीत 152
हमारी ताकत, आशा और भरोसा
हे य-हो-वा, तू-ने दी ह-में
एक आ-शा ला-ज-वाब।
तो सब-को ख-बर ये दे-ने
हम हो-ते हैं बे-ताब।
प-रे-शा-नि-याँ जब आ घि-रें
जिन-से हम ल-गें डर-ने,
तब ह-मा-री टू-टे हिम्-मत,
धी-मे हम पड़ जा-एँ।
(कोरस)
तुझ-से ता-कत मिल-ती
और भ-रो-सा भी
तू पू-री क-रे हर क-मी।
हम सि-खा-ते सच्-चा-ई
बि-ना ड-रे
तुझ पे ही ह-में है य-कीं।
हम-में ऐ-सा दिल तू पै-दा कर,
जो भू-ले ना क-भी
कि सँ-भा-ला तू-ने हर-दम,
जब मुश्-कि-लें आ-यीं।
कर-के याद ते-री व-फ़ा-ओं को,
ह-में ता-क़त फिर मि-ले।
हिम्-मत से तब हम दो-बा-रा
ग-वा-ही दे पा-एँ।
(कोरस)
तुझ-से ता-कत मिल-ती
और भ-रो-सा भी
तू पू-री क-रे हर क-मी।
हम सि-खा-ते सच्-चा-ई
बि-ना ड-रे
तुझ पे ही ह-में है य-कीं।
(भज. 72:13, 14; नीति. 3:5, 6, 26; यिर्म. 17:7 भी देखिए।)