गीत 144
लोगों की ज़िंदगी दाँव पर लगी!
अब स-मय है सब पा लें
मं-ज़ू-री या-ह की,
सुन लें लोग, इं-ति-काम का
वो दिन अब दूर न-हीं।
(कोरस)
ल-गी है दाँव पे ज़िं-द-गी,
दे-ना सं-देश है अ-भी।
ब-चें-गे हम, वो भी ब-चें
गर या-ह का मा-नें क-हा,
हाँ, अ-भी।
दि-लो-जाँ से गु-ज़ा-रिश
हम कर-ते लो-गों से,
वो य-हो-वा से कर लें सु-लह,
ना देर क-रें।
(कोरस)
ल-गी है दाँव पे ज़िं-द-गी,
दे-ना सं-देश है अ-भी।
ब-चें-गे हम, वो भी ब-चें
गर या-ह का मा-नें क-हा,
हाँ, अ-भी।
(खास पंक्तियाँ)
सब सुन लें, है ज़-रू-री,
खुल-के सब को हम दे-ते ज्ञान।
सी-खें सच, पा-एँ जी-वन,
य-ही तो याह का है अर-मान।
(कोरस)
ल-गी है दाँव पे ज़िं-द-गी,
दे-ना सं-देश है अ-भी।
ब-चें-गे हम, वो भी ब-चें
गर या-ह का मा-नें क-हा,
हाँ, अ-भी।
(2 इति. 36:15; यशा. 61:2; यहे. 33:6; 2 थिस्स. 1:8 भी देखिए।)