गीत 50
सब अर्पण तुझे
1. पेश करूँ ये दिल, पिता,
प्यार करे तुझ से गहरा।
पेश करूँ आवाज़ मेरी,
जो करे स्तुति तेरी।
2. पेश करूँ हाथ-पैर मेरे,
सेवा तेरी ये करें;
धन-दौलत जो भी मेरी,
है अर्पण तुझे सारी।
3. पेश करूँ जीवन मेरा,
हो खुश तू इस से सदा।
पेश करूँ खुद को, ऐ याह,
जीतूँ दिल जिस से तेरा।
(भज. 40:8; यूह. 8:29; 2 कुरिं. 10:5 भी देखें।)