गीत 122
अटल रहें!
1. फैली है देखो दहशत हर कहीं।
होगा कल क्या करते फिक्र सभी।
है ज़रूरी रहें बेखौफ, अटल,
याह की सेवा में हर पल।
(कोरस)
हर दिन डटे हम रहें;
ना इस जहाँ में फँसें।
आखिर में पाएँगे
जीवन अनंत याह से।
2. खींचे ज़माना अपनी ओर हमें,
हो दुरुस्त मन तो किसका ज़ोर चले?
प्यार करेंगे जब सच्-चा-ई से हम,
बहकेंगे ना ये कदम।
(कोरस)
हर दिन डटे हम रहें;
ना इस जहाँ में फँसें।
आखिर में पाएँगे
जीवन अनंत याह से।
3. होंठों का फल है चढ़ाना हमें,
काम है बहुत हम ढीले ना पड़ें।
हम अगर मंज़िल पे रखें नज़र,
जाएँगे दिन ये गुज़र।
(कोरस)
हर दिन डटे हम रहें;
ना इस जहाँ में फँसें।
आखिर में पाएँगे
जीवन अनंत याह से।
(लूका 21:9; 1 पत. 4:7 भी देखें।)