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मुकद्दमे के बाद पीलातुस के पासयीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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अध्याय 127
मुकद्दमे के बाद पीलातुस के पास
मत्ती 27:1-11 मरकुस 15:1 लूका 22:66–23:3 यूहन्ना 18:28-35
सुबह महासभा के सामने मुकद्दमा
यहूदा इस्करियोती फाँसी लगाने की कोशिश करता है
यीशु को पीलातुस के पास भेजा जाता है
महासभा के सदस्य मुकद्दमा खत्म करके जा चुके हैं। पर जैसे ही शुक्रवार की सुबह होती है, वे फिर से जमा हो जाते हैं। रात को उन्होंने जो फैसला सुनाया था, उसे वे शायद पक्का करना चाहते हैं। उन्होंने रात को मुकद्दमा चलाकर कानून तोड़ा था। अब वे उस बात पर परदा डालना चाहते हैं। यीशु को उनके सामने लाया जाता है।
अदालत दोबारा उससे कहती है, “अगर तू मसीह है, तो हमें बता दे।” यीशु कहता है, “अगर मैं तुम्हें बताऊँ तो भी तुम हरगिज़ यकीन नहीं करोगे। और अगर मैं तुमसे सवाल करूँ, तो तुम मुझे जवाब नहीं दोगे।” फिर यीशु निडर होकर बताता है कि वही इंसान का बेटा है जिसका ज़िक्र दानियेल 7:13 में किया गया है। वह कहता है, “अब से इंसान का बेटा परमेश्वर के शक्तिशाली दाएँ हाथ बैठा हुआ होगा।”—लूका 22:67-69; मत्ती 26:63.
वे उससे दोबारा वही सवाल करते हैं, “तो क्या तू परमेश्वर का बेटा है?” वह कहता है, “तुम खुद कह रहे हो कि मैं हूँ।” अब उन्हें लगता है कि वे यीशु को परमेश्वर की निंदा करने के इलज़ाम पर मौत की सज़ा सुना सकते हैं। वे कहते हैं, “अब हमें और गवाही की क्या ज़रूरत है?” (लूका 22:70, 71; मरकुस 14:64) वे यीशु को बाँध देते हैं और रोमी राज्यपाल पीलातुस के पास ले जाते हैं।
यहूदा इस्करियोती ने देखा होगा कि यीशु को पीलातुस के पास ले जाया जा रहा है। वह समझ जाता है कि यीशु को अब मार डाला जाएगा। उसे पछतावा होता है कि यह मैंने क्या कर दिया। लेकिन वह दिल से पश्चाताप करके परमेश्वर से माफी नहीं माँगता। वह प्रधान याजकों के पास जाता है और उन्हें चाँदी के 30 सिक्के लौटाना चाहता है। यहूदा उनसे कहता है, “मैंने एक निर्दोष आदमी के खून का सौदा करके पाप किया है।” मगर वे कहते हैं, “इससे हमें क्या लेना? तू ही जान!”—मत्ती 27:4.
यहूदा उन सिक्कों को मंदिर में फेंक देता है। इसके बाद वह एक पेड़ की डाली से रस्सी लटकाकर फाँसी लगाने की कोशिश करता है। मगर डाली शायद टूट जाती है। वह नीचे गिर जाता है और उसका पेट फट जाता है।—प्रेषितों 1:17, 18.
जब यीशु को पीलातुस के महल ले जाया जाता है, तो वह शुक्रवार की सुबह का ही समय है। इसलिए जो यहूदी यीशु को वहाँ ले जाते हैं, वे महल के अंदर नहीं जाते। उनका मानना है कि गैर-यहूदियों के संपर्क में आने से वे अशुद्ध हो जाएँगे। फिर वे नीसान 15 का भोज नहीं खा पाएँगे। नीसान 15 बिन खमीर की रोटियों के त्योहार का पहला दिन है और उसे फसह का हिस्सा माना जाता है।
पीलातुस बाहर आकर उनसे पूछता है, “तुम इस आदमी को किस इलज़ाम में मेरे पास लाए हो?” वे कहते हैं, “अगर यह अपराधी न होता, तो हम इसे तेरे हवाले नहीं करते।” पीलातुस को शायद लगता है कि वे उसे यीशु को सज़ा देने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इसलिए वह कहता है, “तुम्हीं इसे ले जाओ और अपने कानून के मुताबिक इसका न्याय करो।” यहूदी कहते हैं, “कानून के हिसाब से हमें किसी को जान से मारने का अधिकार नहीं है।” (यूहन्ना 18:29-31) इससे उनकी नीयत सामने आ जाती है। वे यीशु को इसीलिए लाए हैं कि पीलातुस उसे मौत की सज़ा सुनाए।
अगर यहूदी फसह के वक्त यीशु को मार डालेंगे, तो लोग हंगामा मचा देंगे क्योंकि वे उसकी बहुत इज़्ज़त करते हैं। लेकिन अगर वे यीशु पर इलज़ाम लगाएँ कि उसने रोम की सरकार के खिलाफ कुछ किया है, तो रोमी अधिकारी उसे मौत की सज़ा देंगे, क्योंकि उनके पास ऐसा करने का अधिकार है। तब यहूदी यीशु को मार डालने के दोषी नहीं होंगे और लोग उन्हें कुछ नहीं कहेंगे।
धर्म गुरु पीलातुस से यह नहीं कहते कि यीशु ने परमेश्वर की निंदा की है। वे उस पर कुछ और इलज़ाम लगाते हैं, “यह आदमी हमारे राष्ट्र को बगावत के लिए भड़काता है, सम्राट को कर देने से मना करता है और कहता है कि मैं मसीह हूँ, मैं राजा हूँ।”—लूका 23:2.
पीलातुस रोम की सरकार की तरफ से हुकूमत करता है। इसलिए उसे चिंता होने लगती है कि यहूदी जो कह रहे हैं वह सच तो नहीं है। पीलातुस महल के अंदर जाता है और यीशु को बुलाकर उससे पूछता है, “क्या तू यहूदियों का राजा है?” दूसरे शब्दों में वह यीशु से पूछ रहा है, ‘क्या तूने सम्राट का कानून तोड़कर खुद को राजा बना लिया है?’ यीशु जानना चाहता है कि पीलातुस को उसके बारे में कितना पता है। इसलिए वह पीलातुस से कहता है, “क्या तू यह अपनी तरफ से कह रहा है या दूसरों ने तुझे मेरे बारे में बताया है?”—यूहन्ना 18:33, 34.
पीलातुस कहता है, “क्या मैं यहूदी हूँ? तेरे अपने लोगों ने और प्रधान याजकों ने तुझे मेरे हवाले किया है। बता तूने क्या किया है?” (यूहन्ना 18:35) तो पीलातुस कह रहा है कि वह यीशु के बारे में सच्ची बात क्या है नहीं जानता, मगर वह जानना चाहता है।
फिर यीशु पीलातुस से राज के बारे में बात करता है जो कि सबसे अहम मसला है। उसकी बातें सुनकर राज्यपाल पीलातुस दंग रह गया होगा।
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पीलातुस और हेरोदेस यीशु को निर्दोष पाते हैंयीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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अध्याय 128
पीलातुस और हेरोदेस यीशु को निर्दोष पाते हैं
मत्ती 27:12-14, 18, 19 मरकुस 15:2-5 लूका 23:4-16 यूहन्ना 18:36-38
पीलातुस और हेरोदेस यीशु से सवाल करते हैं
यीशु पीलातुस से यह बात नहीं छिपाता कि वह एक राजा है। मगर उसके राज से रोमी सरकार को कोई खतरा नहीं है। वह कहता है, “मेरा राज इस दुनिया का नहीं है। अगर मेरा राज इस दुनिया का होता तो मेरे सेवक लड़ते कि मुझे यहूदियों के हवाले न किया जाए। मगर सच तो यह है कि मेरा राज इस दुनिया का नहीं।” (यूहन्ना 18:36) तो यीशु का एक राज ज़रूर है, मगर इस दुनिया का नहीं है।
पीलातुस उससे पूछता है, “तो क्या तू एक राजा है?” यीशु कहता है, “तू खुद कह रहा है कि मैं एक राजा हूँ। मैं इसीलिए पैदा हुआ हूँ और इस दुनिया में आया हूँ कि सच्चाई की गवाही दूँ। हर कोई जो सच्चाई के पक्ष में है वह मेरी आवाज़ सुनता है।”—यूहन्ना 18:37.
यीशु ने एक बार थोमा से कहा था, “मैं ही वह राह, सच्चाई और जीवन हूँ।” अब वह पीलातुस को भी यही बताता है कि वह धरती पर “सच्चाई” की गवाही देने आया है, खासकर अपने राज के बारे में सच्चाई बताने। यीशु हमेशा उस सच्चाई के मुताबिक जीएगा, फिर चाहे उसे जान ही क्यों न देनी पड़े। पीलातुस यीशु से पूछता है, “सच्चाई क्या है?” मगर वह जवाब के लिए रुकता नहीं। उसे लगता है कि उसने अब तक जो सुना है वह काफी है यीशु का फैसला सुनाने के लिए।—यूहन्ना 14:6; 18:38.
अब पीलातुस महल के बाहर आता है और शायद यीशु उसकी बगल में होता है। पीलातुस प्रधान याजकों और बाकी लोगों से कहता है, “मुझे इस आदमी में कोई दोष नज़र नहीं आता।” तब सब लोग भड़क जाते हैं और चिल्लाने लगते हैं, “यह सारे यहूदिया में, गलील से लेकर इस जगह तक लोगों को सिखा-सिखाकर भड़का रहा है।”—लूका 23:4, 5.
पीलातुस यह देखकर चौंक गया होगा कि ये लोग कितने ढीठ हैं। प्रधान याजक और लोगों के मुखिया चिल्लाते रहते हैं। पीलातुस यीशु से कहता है, “क्या तू सुन नहीं रहा कि ये तुझ पर क्या-क्या इलज़ाम लगा रहे हैं?” (मत्ती 27:13) यीशु कुछ नहीं कहता।। लोग यीशु पर इलज़ाम-पर-इलज़ाम लगाए जा रहे हैं, फिर भी वह शांत है। उसकी गरिमा देखकर पीलातुस हैरान रह जाता है।
अभी-अभी लोगों ने कहा था कि यीशु ने ‘गलील से लोगों को सिखाना शुरू किया है।’ इससे पीलातुस को पता चलता है कि यीशु गलील का रहनेवाला है। अब पीलातुस को एक तरकीब सूझती है कि वह कैसे यीशु के बारे में फैसला सुनाने की ज़िम्मेदारी से बच सकता है। वह यीशु को हेरोदेस अन्तिपास के पास भेज देता है जो गलील का ज़िला शासक है। हेरोदेस ने ही यूहन्ना बपतिस्मा देनेवाले का सिर कटवाया था। बाद में जब उसने सुना कि यीशु बड़े-बड़े चमत्कार कर रहा है, तो वह यह सोचकर डर गया कि कहीं यह यूहन्ना तो नहीं है जो ज़िंदा हो गया है।—लूका 9:7-9.
जब हेरोदेस को पता चलता है कि यीशु को उसके पास लाया जाएगा, तो वह बहुत खुश होता है। इसलिए नहीं कि वह यीशु की कुछ मदद करे या जाने कि उस पर लगाए गए इलज़ाम सही हैं या नहीं। वह बस यीशु को देखना चाहता है और सोचता है कि यीशु उसके सामने “कोई चमत्कार दिखाएगा।” (लूका 23:8) लेकिन यीशु हेरोदेस के सामने कोई चमत्कार नहीं करता। वह तो हेरोदेस के किसी सवाल का जवाब भी नहीं देता। हेरोदेस और उसके सैनिक निराश हो जाते हैं और उसकी “बेइज़्ज़ती” करते हैं। (लूका 23:11) वे उसे एक शानदार कपड़ा पहनाकर उसकी खिल्ली उड़ाते हैं। फिर हेरोदेस यीशु को वापस पीलातुस के पास भेज देता है। अब तक हेरोदेस और पीलातुस एक-दूसरे के दुश्मन थे, लेकिन अब वे अच्छे दोस्त बन जाते हैं।
जब यीशु को वापस पीलातुस के सामने लाया जाता है, तो पीलातुस प्रधान याजकों, यहूदियों के अधिकारियों और लोगों को बुलाता है और उनसे कहता है, “मैंने तुम्हारे सामने इससे सवाल-जवाब किए, मगर तुम इस पर जो इलज़ाम लगा रहे हो उसका मुझे कोई सबूत नहीं मिला। यहाँ तक कि हेरोदेस को भी कोई सबूत नहीं मिला, इसलिए उसने इसे वापस हमारे पास भेज दिया है। इसने ऐसा कोई काम नहीं किया कि इसे मौत की सज़ा दी जाए। इसलिए मैं इसे कोड़े लगवाकर छोड़ देता हूँ।”—लूका 23:14-16.
पीलातुस यीशु को रिहा करना चाहता है, क्योंकि वह समझ गया है कि प्रधान याजक यीशु से जलते हैं, इसीलिए उन्होंने यीशु को उसके हवाले किया है। तभी पीलातुस की पत्नी उसके पास एक खबर भेजती है, “तू उस नेक इंसान के मामले में दखल मत देना, क्योंकि उसकी वजह से मुझे एक डरावना सपना आया और आज मैं बहुत परेशान हूँ।” (मत्ती 27:19) वह सपना शायद परमेश्वर की तरफ से था। अब पीलातुस को लगता है कि यीशु को रिहा कर ही देना चाहिए।
पीलातुस जान गया है कि यीशु निर्दोष है। मगर वह उसे कैसे रिहा करेगा?
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पीलातुस कहता है, “देखो इस आदमी को!”यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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अध्याय 129
पीलातुस कहता है, “देखो इस आदमी को!”
मत्ती 27:15-17, 20-30 मरकुस 15:6-19 लूका 23:18-25 यूहन्ना 18:39–19:5
पीलातुस यीशु को छोड़ देने की कोशिश करता है
लोग बरअब्बा को छोड़ने की माँग करते हैं
यीशु की खिल्ली उड़ायी जाती है
पीलातुस ने भीड़ से कहा था, “तुम इस पर जो इलज़ाम लगा रहे हो उसका मुझे कोई सबूत नहीं मिला। यहाँ तक कि हेरोदेस को भी कोई सबूत नहीं मिला।” (लूका 23:14, 15) अब पीलातुस यीशु को बचाने के लिए लोगों से कहता है, “तुम्हारे दस्तूर के मुताबिक मुझे फसह के त्योहार पर एक आदमी को कैद से रिहा करना चाहिए। क्या तुम चाहते हो कि मैं तुम्हारे लिए यहूदियों के इस राजा को रिहा करूँ?”—यूहन्ना 18:39.
पीलातुस जानता है कि बरअब्बा नाम का एक आदमी कैद में है। वह डाकू और खूनी है और उसने सरकार से बगावत की थी। पीलातुस लोगों से पूछता है, “तुम क्या चाहते हो, मैं तुम्हारे लिए किसे रिहा करूँ, बरअब्बा को या यीशु को जिसे मसीह कहा जाता है?” प्रधान याजकों ने लोगों को भड़काकर रखा है, इसलिए वे कहते हैं कि बरअब्बा को रिहा किया जाए।—मत्ती 27:17, 21.
पीलातुस लोगों से पूछता है, “तो फिर मैं इस यीशु के साथ, जिसे मसीह कहा जाता है, क्या करूँ?” वे एक-साथ चिल्ला उठते हैं, “इसे काठ पर लटका दे!” (मत्ती 27:22) कितनी शर्म की बात है! वे एक ऐसे आदमी को मार डालने की माँग कर रहे हैं जिसने कुछ गलत नहीं किया। पीलातुस उनसे पूछता है, “क्यों, इस आदमी ने ऐसा क्या बुरा किया है? इसने ऐसा कोई काम नहीं किया कि इसे मौत की सज़ा दी जाए। इसलिए मैं इसे कोड़े लगवाकर छोड़ देता हूँ।”—लूका 23:22.
लोग भड़के हुए हैं और पीलातुस के बार-बार कोशिश करने पर भी वे नहीं मानते और कहते रहते हैं, “इसे काठ पर लटका दे!” (मत्ती 27:23) धर्म गुरुओं ने उन्हें इतना भड़का दिया है कि वे यीशु की मौत की माँग कर रहे हैं। वह कोई अपराधी या खूनी नहीं है बल्कि निर्दोष है। और पाँच दिन पहले लोगों ने राजा के तौर पर उसका स्वागत किया था। यीशु के चेले वहाँ नज़र नहीं आते। अगर वे वहाँ हैं भी तो चुप हैं।
पीलातुस देखता है कि अब कोई फायदा नहीं। लोग अपनी बात पर अड़े हुए हैं। इसलिए वह पानी लेता है और भीड़ के सामने अपने हाथ धोकर कहता है, “मैं इस आदमी के खून से निर्दोष हूँ। तुम ही जानो।” इसके बाद भी लोग कहते हैं, “इसका खून हमारे और हमारे बच्चों के सिर आ पड़े।”—मत्ती 27:24, 25.
राज्यपाल पीलातुस जो सही है वह नहीं करता। वह लोगों को खुश करने के लिए उनकी माँग पूरी कर देता है। वह उनके लिए बरअब्बा को रिहा करवा देता है। फिर वह हुक्म देता है कि यीशु के कपड़े उतारकर उसे कोड़े लगाए जाएँ।
सैनिक बड़ी बेरहमी से यीशु को कोड़े लगाते हैं और फिर उसे राज्यपाल के महल में ले जाते हैं। वहाँ सैनिक फिर से उसके साथ बुरा सलूक करते हैं। वे उसकी बेइज़्ज़ती करने के लिए काँटों का एक ताज बनाकर उसके सिर पर रखते हैं। और उसके दाएँ हाथ में एक नरकट देते हैं। वे उसे एक ऐसा कपड़ा पहनाते हैं जो राजा-महाराजा पहनते हैं। और उसका मज़ाक उड़ाते हुए कहते हैं, “हे यहूदियों के राजा, सलाम!” (मत्ती 27:28, 29) फिर वे उस पर थूकते हैं और उसे थप्पड़ मारते हैं। वे उसके हाथ से नरकट लेकर उसके सिर पर मारते हैं। तब उसके ताज के काँटे उसे और अंदर तक चुभते हैं।
पीलातुस यह देखकर दंग रह जाता है कि यीशु कैसे चुपचाप यह सब बरदाश्त कर रहा है। उसकी गरिमा देखकर वह हैरान रह जाता है। वह एक बार फिर दिखाना चाहता है कि यीशु की मौत के लिए वह ज़िम्मेदार नहीं है। इसलिए वह एक बार फिर बाहर आकर लोगों से कहता है, “देखो! मैं उसे बाहर लाता हूँ ताकि तुम जानो कि मैंने उसमें कोई दोष नहीं पाया।” अब जब पीलातुस यीशु को बाहर लाएगा और वे देखेंगे कि यीशु कैसे लहू-लुहान हो गया है, तो क्या उनका मन पिघल जाएगा? पीलातुस यीशु को उन पत्थरदिल लोगों के सामने लाकर कहता है, “देखो इस आदमी को!”—यूहन्ना 19:4, 5.
यीशु को इतना मारा गया है कि वह बुरी तरह ज़ख्मी हो गया है। फिर भी वह शांत खड़ा है। उसमें ऐसी गरिमा है कि पीलातुस भी उसकी तारीफ किए बिना नहीं रह पाता। और उसे यीशु पर दया आती है।
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यीशु को मार डालने के लिए सौंप दिया जाता हैयीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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अध्याय 130
यीशु को मार डालने के लिए सौंप दिया जाता है
मत्ती 27:31, 32 मरकुस 15:20, 21 लूका 23:24-31 यूहन्ना 19:6-17
पीलातुस यीशु को रिहा करने की कोशिश करता है
यीशु को मौत की सज़ा सुनायी जाती है
पीलातुस के बहुत कोशिश करने पर भी प्रधान याजक और बाकी लोग यीशु को रिहा करने के लिए नहीं मानते। वे अड़े हुए हैं कि यीशु को हर हाल में मार डाला जाए। वे चिल्लाते रहते हैं, “इसे काठ पर लटका दे! इसे काठ पर लटका दे!” पीलातुस उनसे कहता है, “तुम खुद ही इसे ले जाकर काठ पर लटका दो क्योंकि मुझे इस आदमी में कोई दोष नहीं मिला।”—यूहन्ना 19:6.
यहूदी पीलातुस को यकीन नहीं दिला पाए कि यीशु ने रोमी सरकार के खिलाफ बगावत की है, इसलिए उसे मौत की सज़ा मिलनी चाहिए। जब महासभा में यीशु का मुकद्दमा हुआ था, तो वहाँ उन्होंने यीशु पर इलज़ाम लगाया था कि उसने परमेश्वर की निंदा की है। अब वे पीलातुस से भी यही कहते हैं, “हमारा एक कानून है और उस कानून के मुताबिक यह मौत की सज़ा के लायक है क्योंकि इसने खुद को परमेश्वर का बेटा कहा है।” (यूहन्ना 19:7) पीलातुस देख सकता है कि अब वे यीशु पर एक नया इलज़ाम लगा रहे हैं।
पीलातुस फिर से महल के अंदर जाता है और यीशु को रिहा करने की कोई और तरकीब सोचता है। वह जब देखता है कि यीशु इतना दर्द सहते हुए भी शांत खड़ा है और फिर उसकी पत्नी ने भी उसके बारे में एक सपना देखा है, तो वह उसे किसी तरह रिहा कर देना चाहता है। (मत्ती 27:19) मगर वह अब उलझन में है, क्योंकि यहूदी यीशु पर एक नया इलज़ाम लगा रहे हैं कि यीशु खुद को “परमेश्वर का बेटा” कहता है। पीलातुस को समझ में नहीं आ रहा है कि इसका क्या मतलब है। वह जानता है कि यीशु गलील का रहनेवाला है। (लूका 23:5-7) फिर भी वह उससे पूछता है, “तू कहाँ का है?” (यूहन्ना 19:9) शायद पीलातुस सोचता है कि यीशु स्वर्ग से आया होगा। वह पहले कोई ईश्वर रहा होगा।
कुछ देर पहले पीलातुस ने खुद यीशु के मुँह से सुना था कि वह एक राजा है और उसका राज इस दुनिया का नहीं है। अब यीशु पीलातुस के सवाल का जवाब नहीं देता। वह चुप रहता है। इससे पीलातुस के अहं को ठेस पहुँचती है और वह गुस्सा होकर यीशु से कहता है, “क्या तू मुझे जवाब नहीं देगा? क्या तुझे नहीं मालूम कि मेरे पास तुझे रिहा करने का भी अधिकार है और तुझे मार डालने का भी?”—यूहन्ना 19:10.
यीशु जवाब में सिर्फ इतना कहता है, “अगर तुझे यह अधिकार ऊपर से न दिया गया होता, तो मुझ पर तेरा कोई अधिकार नहीं होता। इसीलिए जिस आदमी ने मुझे तेरे हवाले किया है, उसका पाप ज़्यादा बड़ा है।” (यूहन्ना 19:11) यीशु किसी एक आदमी की बात नहीं कर रहा है। वह कह रहा है कि पीलातुस से ज़्यादा कैफा, बाकी धर्म गुरु और यहूदा इस्करियोती यीशु को पकड़वाने के लिए ज़िम्मेदार हैं।
यीशु की गरिमा देखकर और उसकी बातें सुनकर पीलातुस हैरान रह जाता है। और उसे डर लगता है कि कहीं यीशु स्वर्ग से तो नहीं आया। इसलिए वह उसे रिहा करने की कोशिश करता है। मगर यहूदी अब एक ऐसी बात कहते हैं जिससे पीलातुस और डर जाता है: “अगर तूने इस आदमी को रिहा किया, तो तू सम्राट का दोस्त नहीं। हर कोई जो खुद को राजा बनाता है वह सम्राट के खिलाफ बोलता है।”—यूहन्ना 19:12.
पीलातुस एक बार फिर यीशु को बाहर लाता है और न्याय-आसन पर बैठकर लोगों से कहता है, “देखो! तुम्हारा राजा!” मगर यहूदी टस-से-मस नहीं होते और चिल्ला-चिल्लाकर कहते हैं, “इसे मार डाल! इसे मार डाल! काठ पर लटका दे इसे!” पीलातुस उनसे पूछता है, “क्या मैं तुम्हारे राजा को काठ पर लटका दूँ?” वे कहते हैं, “सम्राट को छोड़ हमारा कोई राजा नहीं।” (यूहन्ना 19:14, 15) यहूदी बरसों से रोम की गुलामी करते-करते तंग आ गए हैं। फिर भी प्रधान याजक कहते हैं कि रोमी सम्राट ही उनका राजा है।
पीलातुस यहूदियों से डर जाता है और उनके आगे झुक जाता है। वह उनकी माँग पूरी कर देता है और यीशु को रोमी सैनिकों के हवाले कर देता है कि वे उसे मार डालें। वे उसके ऊपर से शाही कपड़ा उतार देते हैं और उसी के कपड़े उसे पहना देते हैं। यीशु को मार डालने के लिए ले जाया जाता है। उसे अपना यातना काठ खुद ढोकर ले जाना पड़ता है।
अब शुक्रवार नीसान 14 की सुबह होनेवाली है। यीशु गुरुवार की सुबह से जागा हुआ है। और उसने एक-के-बाद-एक कई यातनाएँ झेली हैं। उससे काठ उठाया नहीं जाता। इसलिए सैनिक वहाँ से गुज़रनेवाले एक आदमी से कहते हैं कि वह यीशु का काठ ढोकर ले चले। उस आदमी का नाम शमौन है और वह अफ्रीका के कुरेने का रहनेवाला है। यीशु के पीछे भीड़-की-भीड़ आ रही है। कुछ लोग दुख के मारे छाती पीट रहे हैं और बिलख-बिलखकर रो रहे हैं।
जो औरतें रो रही हैं, उनसे यीशु कहता है, “यरूशलेम की बेटियो, मेरे लिए मत रोओ। इसके बजाय, अपने और अपने बच्चों के लिए रोओ। क्योंकि देखो! वे दिन आ रहे हैं जब लोग कहेंगे, ‘सुखी हैं वे औरतें जो बाँझ हैं और जिन्होंने किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया और किसी को दूध नहीं पिलाया!’ तब वे पहाड़ों से कहने लगेंगे, ‘हम पर गिर पड़ो!’ और पहाड़ियों से कहेंगे, ‘हमें ढक लो!’ जब पेड़ हरा है तब वे ऐसा कर रहे हैं, तो उस वक्त क्या करेंगे जब यह सूख जाएगा?”—लूका 23:28-31.
यीशु जिस पेड़ की बात कर रहा है, वह यहूदी राष्ट्र है। यह पेड़ अभी तक थोड़ा-बहुत हरा है, क्योंकि यीशु अभी ज़िंदा है और कुछ यहूदी उस पर विश्वास करते हैं। लेकिन जब यीशु की मौत हो जाएगी और उसके चेले यहूदी धर्म छोड़ देंगे, तो यहूदी राष्ट्र एक मरे हुए पेड़ जैसा हो जाएगा यानी यहोवा के साथ उसका कोई रिश्ता नहीं रहेगा। जब रोम की सेनाएँ परमेश्वर की तरफ से आकर इस राष्ट्र को सज़ा देंगी, तो देश के कोने-कोने में रोना-बिलखना होगा।
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एक निर्दोष राजा काठ पर दुख झेलता हैयीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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अध्याय 131
एक निर्दोष राजा काठ पर दुख झेलता है
मत्ती 27:33-44 मरकुस 15:22-32 लूका 23:32-43 यूहन्ना 19:17-24
यीशु को काठ पर ठोंक दिया जाता है
काठ पर लिखी बात देखकर लोग मज़ाक उड़ाते हैं
यीशु फिरदौस में जीने की आशा देता है
यीशु को शहर से थोड़ी दूर गुलगुता नाम की जगह ले जाया जाता है जिसका मतलब है खोपड़ी स्थान। वहाँ यीशु और दो अपराधियों को मार डाला जाएगा।—मरकुस 15:40.
तीनों आदमियों के कपड़े उतार दिए जाते हैं। फिर उन्हें दाख-मदिरा दी जाती है जिसमें नशीली गंधरस और कड़वा पित्त मिलाया गया है। शायद यह दाख-मदिरा यरूशलेम की औरतों ने बनायी है। जब उन तीनों को दाख-मदिरा दी जाती है, तो रोमी सैनिक मना नहीं करते, क्योंकि इसे पीने से उन्हें दर्द का एहसास नहीं होगा। लेकिन जब यीशु उसे चखता है, तो उसे पीने से इनकार कर देता है, क्योंकि वह चाहता है कि उसे दर्द का पूरा-पूरा एहसास रहे और वह मौत तक वफादार रहे।
यीशु को काठ पर लिटा दिया जाता है। (मरकुस 15:25) फिर सैनिक उसके हाथों और पैरों पर कीलें ठोंक देते हैं। कीलों से उसके हाथों और पैरों का माँस चिर जाता है। उसका दर्द बरदाश्त से बाहर है। जब काठ को सीधा खड़ा किया जाता है, तो दर्द और बढ़ जाता है क्योंकि उसके शरीर के वज़न से घाव और भी चिर जाते हैं। फिर भी यीशु सैनिकों पर भड़क नहीं जाता, बल्कि प्रार्थना करता है, “पिता, इन्हें माफ कर दे क्योंकि ये नहीं जानते कि ये क्या कर रहे हैं।”—लूका 23:34.
रोमी जब भी किसी अपराधी को काठ पर लटकाते हैं तो ऊपर लिखते हैं कि उसने क्या अपराध किया है। पीलातुस यीशु के काठ पर लिखवाता है, “यीशु नासरी, यहूदियों का राजा।” यह बात इब्रानी, लातीनी और यूनानी में लिखी जाती है ताकि ज़्यादा-से-ज़्यादा लोग पढ़ सकें। पीलातुस यह बात लिखवाकर दिखा रहा है कि वह उन यहूदियों को पसंद नहीं करता जिन्होंने उसे यीशु को मौत की सज़ा देने के लिए मजबूर किया है। प्रधान याजकों को लगता है कि पीलातुस ने जो लिखा है, वह सही नहीं है। वे कहते हैं, “यह मत लिख: ‘यहूदियों का राजा,’ मगर यह लिख कि उसने कहा, ‘मैं यहूदियों का राजा हूँ।’” मगर पीलातुस इस बार उनके आगे नहीं झुकता। वह कहता है, “मैंने जो लिखवा दिया सो लिखवा दिया।”—यूहन्ना 19:19-22.
याजकों को बहुत गुस्सा आता है और वे फिर से वही बात कहते हैं जो महासभा में मुकद्दमों के वक्त कही गयी थी। तब वहाँ से आने-जानेवाले सिर हिला-हिलाकर यीशु की बेइज़्ज़ती करते हैं और कहते हैं, “अरे ओ मंदिर को ढानेवाले, उसे तीन दिन के अंदर बनानेवाले! यातना के काठ से नीचे उतरकर खुद को बचा ले।” प्रधान याजक और शास्त्री भी कहते हैं, “ज़रा इसराएल का राजा मसीह अब यातना के काठ से नीचे तो उतरे ताकि हम देखें और यकीन करें।” (मरकुस 15:29-32) यीशु के दोनों तरफ लटकाए गए अपराधी भी उसे बुरा-भला कहते हैं जबकि यीशु निर्दोष है।
रोमी सैनिक शायद खट्टी दाख-मदिरा पी रहे हैं। वे यीशु का मज़ाक उड़ाने के लिए उसके सामने दाख-मदिरा ऐसे लाते हैं जैसे वे उसे दे रहे हों, क्योंकि वे जानते हैं कि यीशु नहीं ले सकता। और काठ के ऊपर जो लिखा है, शायद उसे देखकर वे ताना मारते हैं, “अगर तू यहूदियों का राजा है, तो खुद को बचा ले।” (लूका 23:36, 37) ज़रा सोचिए, जो आदमी राह, सच्चाई और जीवन है, उसके साथ कितना बुरा सलूक किया जा रहा है, कैसे उसकी खिल्ली उड़ायी जा रही है। लेकिन वह शांत रहकर सबकुछ सह रहा है। और वह किसी को बुरा-भला नहीं कह रहा है, न उन यहूदियों को जो उसे देख रहे हैं, न रोमी सैनिकों को जो उसका मज़ाक उड़ा रहे हैं और न ही उन दो अपराधियों को जो उसके दोनों तरफ लटकाए गए हैं।
सैनिकों ने यीशु के कपड़े ले लिए हैं और उनके चार टुकड़े कर दिए हैं। वे चिट्ठियाँ डालकर तय करते हैं कि किसे कौन-सा टुकड़ा मिलना चाहिए। मगर वे यीशु के चोगे के टुकड़े नहीं करते, क्योंकि वह बहुत कीमती और बढ़िया है। उस ‘कुरते में कोई जोड़ नहीं है। वह ऊपर से नीचे तक बुना हुआ है।’ सैनिक कहते हैं, “हम इसे नहीं फाड़ेंगे बल्कि चिट्ठियाँ डालकर तय करेंगे कि यह किसका होगा।” सैनिकों ने जो किया उससे एक भविष्यवाणी पूरी होती है, “वे मेरी पोशाक आपस में बाँटते हैं और मेरे कपड़े के लिए चिट्ठियाँ डालते हैं।”—यूहन्ना 19:23, 24; भजन 22:18.
कुछ देर बाद यीशु के साथ लटकाए गए एक अपराधी को लगता है कि यीशु सच में राजा होगा। वह दूसरे अपराधी को डाँटता है, “क्या तुझे परमेश्वर का ज़रा भी डर नहीं, जबकि तू भी वही सज़ा पा रहा है? हमें जो सज़ा मिली वह सही है, क्योंकि हमने जो काम किए हैं उन्हीं का अंजाम भुगत रहे हैं। मगर इस आदमी ने तो कुछ बुरा नहीं किया।” फिर वह यीशु से मिन्नत करता है, “यीशु, जब तू अपने राज में आए तो मुझे याद करना।”—लूका 23:40-42.
यीशु उससे कहता है, “मैं आज तुझसे सच कहता हूँ, तू मेरे साथ फिरदौस में होगा।” (लूका 23:43) वह आदमी यीशु के साथ फिरदौस में होगा। वह उसके साथ राजगद्दी पर नहीं बैठेगा जैसे प्रेषित उसके साथ राजगद्दियों पर बैठेंगे। (मत्ती 19:28; लूका 22:29, 30) यह अपराधी एक यहूदी है। उसने ज़रूर सुना होगा कि धरती दोबारा फिरदौस बन जाएगी जैसे शुरू में यहोवा ने आदम, हव्वा और उनकी संतान के लिए चाहा था। अब यह अपराधी इत्मीनान से मर सकता है, क्योंकि उसे फिरदौस में दोबारा ज़िंदगी मिलेगी।
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“वाकई यह इंसान, परमेश्वर का बेटा था”यीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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अध्याय 132
“वाकई यह इंसान, परमेश्वर का बेटा था”
मत्ती 27:45-56 मरकुस 15:33-41 लूका 23:44-49 यूहन्ना 19:25-30
काठ पर यीशु की मौत हो जाती है
यीशु की मौत के समय कुछ अनोखी घटनाएँ होती हैं
अब यह “छठा घंटा” है यानी दोपहर का वक्त। इस समय एक अजीब घटना घटती है। पूरे देश में अंधकार छा जाता है और “नौवें घंटे” तक रहता है यानी दोपहर के तीन बजे तक। (मरकुस 15:33) यह अंधकार सूर्य-ग्रहण की वजह से नहीं हो सकता। सूर्य-ग्रहण तब होता है जब नया चाँद निकलता है। मगर यह तो फसह का वक्त है जब चाँद पूरा होता है। सूर्य-ग्रहण के वक्त सिर्फ कुछ मिनटों को लिए अंधकार होता है। लेकिन इस वक्त यह अंधकार करीब तीन घंटे तक रहा। इससे पता चलता है कि यह अंधकार परमेश्वर की तरफ से हुआ है।
यह देखकर उन लोगों के होश उड़ गए होंगे जो यीशु पर हँस रहे थे। इस अंधेरे में ही चार औरतें यातना काठ के पास आती हैं। यीशु की माँ, सलोमी, मरियम मगदलीनी और प्रेषित याकूब की माँ मरियम।
यीशु के “यातना के काठ के पास” मरियम के साथ प्रेषित यूहन्ना है। क्या आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मरियम पर क्या बीत रही होगी? जिस यीशु को उसने जन्म दिया और पाल-पोसकर बड़ा किया, वह उसकी आँखों के सामने काठ पर दर्द से तड़प रहा है। मरियम का दुख ऐसा है मानो ‘एक लंबी तलवार उसके आर-पार हो गयी हो।’ (यूहन्ना 19:25; लूका 2:35) यीशु दर्द से तड़प रहा है, फिर भी वह अपनी माँ के बारे में सोच रहा है। वह बड़ी मुश्किल से यूहन्ना की तरफ देखता है और अपनी माँ से कहता है, “देख! तेरा बेटा!” इसके बाद वह मरियम की तरफ देखता है और यूहन्ना से कहता है, “देख! तेरी माँ!”—यूहन्ना 19:26, 27.
अब तक मरियम शायद विधवा हो चुकी है। यीशु उसकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी यूहन्ना को सौंपता है। वह सब प्रेषितों में सबसे ज़्यादा यूहन्ना से प्यार करता है। अब तक मरियम के दूसरे बेटे यीशु पर विश्वास नहीं करते। शायद इसी वजह से यीशु ने यह ज़िम्मेदारी यूहन्ना को दी। यूहन्ना न सिर्फ उसकी देखभाल करेगा बल्कि अपना विश्वास मज़बूत बनाए रखने में भी उसकी मदद करेगा। यीशु ने कितनी अच्छी मिसाल रखी।
दोपहर के करीब तीन बजे यीशु कहता है, “मैं प्यासा हूँ” और इससे एक भविष्यवाणी पूरी होती है। (यूहन्ना 19:28; भजन 22:15) यीशु जानता है कि इस वक्त परमेश्वर उसकी रक्षा नहीं करेगा ताकि यह साबित हो कि वह हर हाल में यहोवा का वफादार रहेगा। यीशु ज़ोर से पुकारता है, “एली, एली, लामा शबकतानी?” जिसका मतलब है, “मेरे परमेश्वर, मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” वहाँ खड़े कुछ लोग सोचते हैं कि वह एलियाह को पुकार रहा है। एक आदमी भागकर जाता है और एक स्पंज को खट्टी दाख-मदिरा में डुबाकर नरकट पर रखता है और यीशु को पीने के लिए देता है। मगर तभी दूसरे लोग कहते हैं, “देखते हैं, एलियाह इसे नीचे उतारने के लिए आता है या नहीं।”—मरकुस 15:34-36.
फिर यीशु कहता है, “पूरा हुआ!” (यूहन्ना 19:30) उसने वह सब पूरा कर दिया जिसके लिए पिता ने उसे धरती पर भेजा था। आखिर में यीशु कहता है, “पिता, मैं अपनी जान तेरे हवाले करता हूँ।” (लूका 23:46) यीशु को पूरा भरोसा है कि परमेश्वर उसे ज़िंदा कर सकता है। यह बात कहने के बाद वह सिर झुकाता है और दम तोड़ देता है।
उसी वक्त एक बहुत बड़ा भूकंप आता है और चट्टानें फट जाती हैं। भूकंप इतना ज़बरदस्त है कि यरूशलेम के बाहर जो कब्रें हैं वे खुल जाती हैं और लाशें बाहर आ जाती हैं। वहाँ से आने-जानेवाले जब उन लाशों को देखते हैं, तो वे यरूशलेम जाकर लोगों को बताते हैं।—मत्ती 12:11; 27:51-53.
जब यीशु दम तोड़ता है, तो मंदिर का वह परदा ऊपर से नीचे तक फटकर दो टुकड़े हो जाता है जो पवित्र भाग और परम-पवित्र भाग के बीच है। यह अनोखी घटना दिखाती है कि यहोवा उन लोगों से क्रोधित है जिन्होंने उसके बेटे को मार डाला। परदे के फटने से यह भी दर्शाया गया है कि इंसानों के लिए परम-पवित्र भाग यानी स्वर्ग में जाने का रास्ता अब खुल गया है।—इब्रानियों 9:2, 3; 10:19, 20.
लोग बहुत डर जाते हैं। यीशु को मौत की सज़ा देते समय जो सेना-अफसर था, वह कहता है, “वाकई यह इंसान, परमेश्वर का बेटा था।” (मरकुस 15:39) यह अफसर उस समय भी रहा होगा जब पीलातुस के सामने यीशु का मुकद्दमा चलाया गया था और यीशु से सवाल किया गया था कि क्या वह परमेश्वर का बेटा है। अब इस सेना-अफसर को पूरा यकीन हो गया है कि यीशु एक नेक इंसान है और सच में परमेश्वर का बेटा है।
जो लोग वहाँ आए हैं, वे यह सब देखने के बाद “छाती पीटते हुए” घर लौटते हैं। (लूका 23:48) वे बहुत दुखी और शर्मिंदा हैं। वहाँ कुछ औरतें भी हैं जो दूर से यह सब देख रही हैं। ये औरतें यीशु की शिष्या हैं। इन्होंने यीशु के साथ सफर करके प्रचार भी किया था। आज के दिन हुई घटनाओं ने इन स्त्रियों को भी हिलाकर रख दिया है।
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यीशु को दफनाया जाता हैयीशु—राह, सच्चाई, जीवन
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अध्याय 133
यीशु को दफनाया जाता है
मत्ती 27:57–28:2 मरकुस 15:42–16:4 लूका 23:50–24:3 यूहन्ना 19:31–20:1
काठ से यीशु की लाश उतारी जाती है
लाश को दफनाने के लिए तैयार किया जाता है
औरतें देखती हैं कि कब्र खाली है
नीसान 14 की शाम होनेवाली है। सूरज ढलने पर नीसान 15 का सब्त शुरू हो जाएगा। यीशु तो मर चुका है, मगर दोनों अपराधी अभी-भी ज़िंदा हैं। कानून के मुताबिक लाशों को उसी दिन दफनाना होता है। वे उन्हें पूरी रात काठ पर नहीं रहने दे सकते।—व्यवस्थाविवरण 21:22, 23.
एक और वजह से उन्हें लाशों को दफनाना होगा। शुक्रवार को तैयारी का दिन कहा जाता है। इस दिन लोग वे सारे काम पूरे कर लेते हैं जो वे सब्त शुरू होने पर नहीं कर सकते। खाना भी बना लेते हैं। सूरज ढलने पर बड़ा सब्त शुरू हो जाएगा। इस दिन दो सब्त एक-साथ होंगे, इसलिए इसे “बड़ा सब्त” कहा गया है। (यूहन्ना 19:31) नीसान 15 को बिन-खमीर की रोटी का त्योहार शुरू होगा जो सात दिन तक चलेगा। नीसान 15 चाहे शनिवार को पड़े या नहीं उसे सब्त ही माना जाता है। (लैव्यव्यवस्था 23:5, 6) मगर इस साल नीसान 15 सब्त के दिन यानी शनिवार को पड़ा है। तो एक ही दिन दो सब्त हैं, इसलिए इसे बड़ा सब्त कहा जाता है।
अब तक बताए कारणों से यहूदी पीलातुस के पास आकर कहते हैं कि यीशु और दोनों अपराधियों की टाँगें तोड़ दी जाएँ ताकि उन्हें साँस लेने में तकलीफ हो और वे जल्दी मर जाएँ। सैनिक आकर दोनों अपराधियों की टाँगें तोड़ देते हैं, मगर यीशु को देखने पर पता चलता है कि वह मर चुका है। इसलिए वे उसकी टाँगें नहीं तोड़ते। इससे भजन 34:20 की भविष्यवाणी पूरी होती है, “वह उसकी सारी हड्डियों की हिफाज़त करता है, उसकी एक भी हड्डी नहीं तोड़ी गयी।”
एक सैनिक यीशु की पसली में भाला भोंकता है, क्योंकि वह पक्का करना चाहता है कि यीशु सच में मर गया है या नहीं। तब ‘खून और पानी बहने लगता है।’ (यूहन्ना 19:34) अब एक और भविष्यवाणी पूरी होती है, “वे उसे देखेंगे जिसे उन्होंने भेदा है।”—जकरयाह 12:10.
जब यीशु को मार डाला जाता है, तो वहाँ अरिमतियाह शहर का यूसुफ भी होता है। (मत्ती 27:57) यूसुफ एक “अमीर आदमी” है और महासभा का एक माना हुआ सदस्य है। वह “एक अच्छा और नेक इंसान” है और वह “परमेश्वर के राज के आने का इंतज़ार कर रहा” है। दरअसल वह भी यीशु का चेला है मगर “यहूदियों के डर से यह बात छिपाए रखता” है। (लूका 23:50; मरकुस 15:43; यूहन्ना 19:38) जब महासभा ने यीशु को मौत की सज़ा सुनायी, तो यूसुफ ने इस फैसले का साथ नहीं दिया। अब यूसुफ हिम्मत करके पीलातुस के पास जाता है और उससे यीशु की लाश माँगता है। पीलातुस सेना-अफसर से पूछता है कि यीशु मर चुका है या नहीं। जब सेना-अफसर बताता है कि वह मर चुका है, तो वह यूसुफ को लाश ले जाने देता है।
यूसुफ एक बढ़िया-सा मलमल खरीदता है और यीशु की लाश उसमें लपेट देता है। वहाँ नीकुदेमुस भी आता है जो एक बार “यीशु के पास रात के वक्त आया था।” (यूहन्ना 19:39) वह यीशु की लाश तैयार करने के लिए करीब 30 किलो गंधरस और अगर का मिश्रण लाया है। यहूदियों की रीत के मुताबिक इन खुशबूदार मसालों के साथ यीशु की लाश मलमल के कपड़ों में लपेटी जाती है।
पास ही में यूसुफ की एक नयी कब्र है जो उसने चट्टान खुदवाकर बनवायी है। यीशु की लाश उस कब्र में रखी जाती है। फिर कब्र के सामने एक बड़ा-सा पत्थर लुढ़काकर रखा जाता है। यह सब जल्दी-जल्दी किया जाता है ताकि सब्त शुरू होने से पहले सबकुछ निपट जाए। मरियम मगदलीनी और याकूब की माँ मरियम ने भी लाश को तैयार करने में हाथ बँटाया होगा। इसके बाद ये औरतें जल्दी-जल्दी घर चली जाती हैं ताकि “मसाले और खुशबूदार तेल तैयार करें” और सब्त के बाद यीशु के शरीर पर फिर से लगाएँ।—लूका 23:56.
अगले दिन यानी सब्त के दिन प्रधान याजक और फरीसी पीलातुस के पास जाकर कहते हैं, “हमें याद है कि उस फरेबी ने जीते-जी कहा था, ‘तीन दिन बाद मुझे ज़िंदा कर दिया जाएगा।’ इसलिए हुक्म दे कि तीसरे दिन तक कब्र की चौकसी की जाए ताकि उसके चेले आकर उसे चुरा न लें और लोगों से कहें, ‘उसे मरे हुओं में से ज़िंदा कर दिया गया है!’ फिर यह आखिरी ढोंग, पहलेवाले ढोंग से भी बदतर होगा।” पीलातुस उनसे कहता है, “तुम पहरेदार ले जा सकते हो। और जैसा पहरा बिठाना चाहते हो वैसा बिठा दो।”—मत्ती 27:63-65.
रविवार को सुबह-सुबह मरियम मगदलीनी, याकूब की माँ मरियम और दूसरी औरतें मसाले लेकर कब्र के पास आती हैं ताकि यीशु की लाश पर लगा सकें। वे कहती हैं, “कौन हमारे लिए कब्र के मुँह से पत्थर हटाएगा?” (मरकुस 16:3) फिर वे देखती हैं कि पत्थर हटा दिया गया है। कुछ वक्त पहले वहाँ भूकंप आया था और यहोवा के एक स्वर्गदूत ने कब्र के सामने से पत्थर हटा दिया था। वहाँ कोई पहरेदार भी नहीं है और कब्र खाली दिख रही है।
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