अध्ययन लेख 5
“हर आदमी का सिर मसीह है”
“हर आदमी का सिर मसीह है।”—1 कुरिं. 11:3.
गीत 12 यहोवा, महान परमेश्वर
लेख की एक झलकa
1. ज़्यादातर आदमी अपने बीवी-बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं और क्यों?
आपको क्या लगता है, एक परिवार के मुखिया को अपने बीवी-बच्चों के साथ कैसे पेश आना चाहिए? कुछ आदमी वैसा ही व्यवहार करते हैं, जैसा उन्होंने अपने परिवार और समाज में लोगों को औरतों और बच्चों के साथ व्यवहार करते देखा है। यूरोप की रहनेवाली बहन यानिता कहती है, “हमारे यहाँ लोग औरतों को आदमियों से कमतर समझते हैं, उनके साथ नौकरों जैसा व्यवहार करते हैं।” अमरीका में रहनेवाला भाई लूक कहता है, “कुछ पिता अपने लड़कों को सिखाते हैं कि औरतों को अपनी राय देने का हक नहीं, उन्हें चुप रहना चाहिए।” लेकिन यहोवा नहीं चाहता कि एक पति अपनी पत्नी के साथ ऐसा व्यवहार करे। (मरकुस 7:13 से तुलना करें।) तो फिर एक पति अच्छा मुखिया कैसे बन सकता है?
2. परिवार के मुखिया को क्या बातें पता होनी चाहिए और क्यों?
2 अच्छा मुखिया बनने के लिए एक पति को यह पता होना चाहिए कि यहोवा उससे क्या चाहता है। उसे यह भी पता होना चाहिए कि यहोवा ने उसे मुखिया क्यों बनाया है और इस मामले में वह यहोवा और यीशु की तरह कैसे बन सकता है। उसे यह जानना क्यों ज़रूरी है? क्योंकि अधिकार देनेवाला यहोवा ही है और वह चाहता है कि परिवार का मुखिया अपने अधिकार का सही इस्तेमाल करे।—लूका 12:48ख.
यहोवा ने अपने परिवार को कैसे संगठित किया है?
3. पहला कुरिंथियों 11:3 के मुताबिक यहोवा ने अपने परिवार को किस तरह संगठित किया है?
3 पहला कुरिंथियों 11:3 पढ़िए। यह आयत बताती है कि यहोवा ने किस तरह स्वर्ग में और धरती पर अपने परिवार को संगठित किया है। वह इस परिवार का मुखिया है। इस वजह से उसे अपने परिवार पर पूरा अधिकार है। उसने दूसरों को भी कुछ अधिकार दिए हैं। लेकिन वे जिस तरह अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हैं उसके लिए उन्हें यहोवा को जवाब देना होगा। (रोमि. 14:10; इफि. 3:14, 15) जैसे, यहोवा ने यीशु को मंडली का मुखिया बनाया है और उसे भी यहोवा को लेखा देना होगा। (1 कुरिं. 15:27) यहोवा ने आदमी को अपने बीवी-बच्चों पर अधिकार दिया है। लेकिन वह जिस तरह उनके साथ व्यवहार करता है, उसके लिए उसे यहोवा और यीशु दोनों को जवाब देना होगा।—1 पत. 3:7.
4. यहोवा और यीशु के पास क्या अधिकार है?
4 अपने परिवार का मुखिया होने के नाते, यहोवा के पास अधिकार है कि वह अपने बच्चों के लिए नियम बनाए। वह इस बात का भी ध्यान रखता है कि वे इन नियमों को मानें। (यशा. 33:22) यीशु मंडली का मुखिया है इसलिए उसे भी अधिकार है कि वह मंडली के लिए नियम बनाए और ध्यान रखे कि मंडली उन नियमों को माने।—गला. 6:2; कुलु. 1:18-20.
5. क्या परिवार का मुखिया अपने अधिकार का जैसा चाहे इस्तेमाल कर सकता है?
5 यहोवा और यीशु की तरह पति के पास यह अधिकार होता है कि वह अपने परिवार के लिए नियम बनाए। (रोमि. 7:2; इफि. 6:4) इसका यह मतलब नहीं है कि वह अपना अधिकार जैसा चाहे इस्तेमाल कर सकता है। उदाहरण के लिए, अगर वह परिवार के लिए कोई नियम बनाता है, तो वह बाइबल के सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए। (नीति. 3:5, 6) वह उन लोगों के लिए नियम नहीं बना सकता जो उसके परिवार के सदस्य नहीं हैं। (रोमि. 14:4) और जब बच्चे बड़े होकर शादी कर लेते हैं, तो वह उनका मुखिया नहीं रहता। हालाँकि बच्चे अपने पिता के अधिकार के अधीन नहीं हैं, लेकिन वे अब भी अपने पिता की इज़्ज़त करते हैं।—मत्ती 19:5.
यहोवा ने कुछ लोगों को अधिकार क्यों दिया है?
6. यहोवा ने कुछ लोगों को अधिकार क्यों दिया है?
6 यहोवा ने कुछ लोगों को दूसरों पर अधिकार इसलिए दिया है क्योंकि वह अपने परिवार से प्यार करता है। इस इंतज़ाम की वजह से यहोवा के परिवार में शांति रहती है और सबकुछ कायदे से होता है। (1 कुरिं. 14:33, 40) अगर किसी को मालूम ही न हो कि कौन परिवार को सँभालेगा, कौन फैसले करेगा, तो ज़रा सोचिए, परिवार में कितनी गड़बड़ी मचेगी और सब कितने दुखी होंगे।
7. इफिसियों 5:25, 28 के मुताबिक पति को अपनी पत्नी से कैसा व्यवहार करना चाहिए?
7 अगर यहोवा ने कुछ अच्छा सोचकर आदमियों को परिवार का मुखिया बनाया है, तो कई पत्नियाँ अपने पति के अधीन रहकर खुश क्यों नहीं हैं? वह इसलिए कि पति यहोवा के स्तर नहीं मानते। वे अपने परिवार के साथ वैसा ही व्यवहार करते हैं, जैसा उनके समाज में या संस्कृति में किया जाता है। वे अपने मतलब के लिए अपनी पत्नियों के साथ बुरा सलूक करते हैं। जैसे एक पति खुद को बड़ा दिखाने के लिए अपनी पत्नी को नीचा दिखाता है। या उस पर धौंस जमाता है ताकि लोगों को यह न लगे कि वह कमज़ोर है। वह शायद यह सोचे, ‘मुझे अपनी पत्नी का प्यार चाहिए, तो उसे डरा-धमकाकर रखना होगा।’ इसी डर के बल पर वह उसे अपनी मुट्ठी में रखता है।b जो पति अपनी पत्नी के साथ बुरा सलूक करता है, वह उसकी इज़्ज़त नहीं करता बल्कि यहोवा के खिलाफ काम करता है।—इफिसियों 5:25, 28 पढ़िए।
एक आदमी अच्छा मुखिया कैसे बन सकता है?
8. एक आदमी को अच्छा मुखिया बनने के लिए क्या करना चाहिए?
8 अगर एक आदमी अपने अधिकार का उसी तरह इस्तेमाल करे जैसे यहोवा और यीशु करते हैं, तो वह एक अच्छा मुखिया बन सकता है। अब आइए यहोवा और यीशु के दो गुणों पर चर्चा करें। हम यह भी सीखेंगे कि यही गुण पति कैसे दर्शा सकता है।
9. हमें कैसे पता चलता है कि यहोवा नम्र है?
9 नम्रता। यहोवा पूरे जहान में सबसे बुद्धिमान है। फिर भी वह उनकी सुनता है जो उसके अधीन हैं और उनसे सलाह भी लेता है। (उत्प. 18:23, 24, 32) बाइबल बताती है कि एक बार उसने किसी विषय पर स्वर्गदूतों से सलाह ली। (1 राजा 22:19-22) यहोवा परिपूर्ण है पर वह यह उम्मीद नहीं करता कि हमसे कोई गलती नहीं होगी। वह हमें खुश देखना चाहता है, इसलिए वह हमारी मदद करता है। (भज. 27:9; 113:6, 7; इब्रा. 13:6) राजा दाविद ने भी कहा कि वह यहोवा की नम्रता की वजह से ही अपनी ज़िंदगी में कामयाब हो पाया।—2 शमू. 22:36.
10. यीशु ने कैसे नम्रता की मिसाल रखी?
10 अब आइए यीशु की मिसाल पर ध्यान दें। हालाँकि यीशु अपने चेलों का प्रभु और मालिक था फिर भी उसने उनके पैर धोए। ज़रा सोचिए, यहोवा ने यह बात बाइबल में क्यों लिखवायी? ताकि सभी, परिवार के मुखिया भी यीशु की तरह नम्र रहना सीखें। यीशु ने खुद कहा, “मैंने तुम्हारे लिए नमूना छोड़ा है कि जैसा मैंने तुम्हारे साथ किया, तुम्हें भी वैसा ही करना चाहिए।” (यूह. 13:12-17) यीशु चाहता तो दूसरों से अपनी सेवा करवा सकता था। लेकिन उसने उनकी सेवा की।—मत्ती 20:28.
11. एक पति यहोवा और यीशु की तरह नम्र कैसे रह सकता है?
11 हम क्या सीखते हैं? अगर पति नम्र है, तो वह यह उम्मीद नहीं करेगा कि उसके बीवी-बच्चों से कभी कोई गलती नहीं होगी। और जब किसी बात पर उनकी सोच नहीं मिलती, तब भी वह अपने परिवारवालों की राय सुनेगा। अमरीका में रहनेवाली मारली अपने पति के बारे में कहती है, “कभी-कभी हम दोनों की सोच नहीं मिलती। फिर भी वे मेरी राय लेते हैं और कोई भी फैसला लेने से पहले उस पर सोचते हैं। जब भी वे ऐसा करते हैं, तो मुझे लगता है कि उन्हें मेरी कदर है।” एक और बात पर ध्यान दीजिए। कुछ इलाकों में लोग सोचते हैं कि घर-गृहस्थी सँभालना औरतों का काम है। लेकिन जो पति नम्र है वह घर के काम में हाथ बँटाएगा। ऐसा करना कुछ पतियों के लिए आसान नहीं होता। रेचल नाम की एक बहन बताती है, “हमारी संस्कृति में अगर पति घर में अपनी पत्नी का हाथ बँटाए, बरतन धोए, घर की सफाई करे, तो पड़ोसियों और रिश्तेदारों को लगता है कि वह अपनी पत्नी से डरता है और उसके इशारों पर नाचता है।” अगर आपके यहाँ भी लोग ऐसा सोचते हैं, तो याद रखिए कि यीशु ने भी अपने चेलों के पैर धोए थे जबकि यह काम नौकरों का था। एक अच्छे मुखिया को अपने बीवी-बच्चों की खुशी की फिक्र होगी न कि इस बात की कि लोग क्या सोचेंगे। नम्रता के गुण के अलावा एक अच्छे मुखिया में और कौन-सा गुण होना चाहिए?
12. प्यार की खातिर यहोवा और यीशु ने हमारे लिए क्या-क्या किया?
12 प्यार। यहोवा जो कुछ करता है वह इसलिए करता है क्योंकि उसे हमसे प्यार है। (1 यूह. 4:7, 8) वह हमारी सभी ज़रूरतों का खयाल रखता है। उसने बाइबल और संगठन के ज़रिए वह सबकुछ दिया है जिससे हम उसके साथ एक अच्छा रिश्ता बना सकें। वह अलग-अलग तरीकों से यकीन दिलाता है कि वह हमसे प्यार करता है। वह हमारी हर दिन की ज़रूरतें भी पूरी करता है। बाइबल बताती है कि यहोवा “हमें बहुतायत में वह सारी चीज़ें देता है जिनका हम आनंद उठाते हैं।” (1 तीमु. 6:17) जब हम गलती करते हैं, तब भी वह हमसे प्यार करता है और हमें सुधारने की कोशिश करता है। यहोवा ने हमारी खातिर फिरौती का भी इंतज़ाम किया है। यीशु भी हमसे इतना प्यार करता है कि उसने हमारे लिए अपनी जान दे दी। (यूह. 3:16; 15:13) अगर हम यहोवा और यीशु के वफादार रहें, तो कोई भी बात हमें उनके प्यार से अलग नहीं कर सकेगी।—यूह. 13:1; रोमि. 8:35, 38, 39.
13. एक मुखिया को अपने परिवार से क्यों प्यार करना चाहिए? (“आप क्या कर सकते हैं ताकि पत्नी आपका आदर करे?” नाम का बक्स भी पढ़ें।)
13 हम क्या सीखते हैं? परिवार के मुखिया अपने परिवार के लिए जो भी करे, प्यार की खातिर करे। ऐसा करना क्यों ज़रूरी है? प्रेषित यूहन्ना ने कहा, “जो अपने भाई [या परिवार] से प्यार नहीं करता जिसे उसने देखा है, वह परमेश्वर से प्यार नहीं कर सकता जिसे उसने नहीं देखा।” (1 यूह. 4:11, 20) जो आदमी अपने परिवार से प्यार करता है और यहोवा और यीशु की तरह बनना चाहता है, वह अपने परिवार की सभी ज़रूरतों का खयाल रखेगा। यहोवा के साथ अच्छा रिश्ता बनाने में उनकी मदद करेगा, उन्हें अपने प्यार का यकीन दिलाएगा और उनकी हर दिन की ज़रूरतें पूरी करेगा। (1 तीमु. 5:8) वह अपने बच्चों को सिखाएगा और ज़रूरत पड़ने पर सुधारेगा भी। वह ऐसे फैसले करेगा जिससे यहोवा की महिमा हो और उसके परिवार का भला हो। आइए एक-एक करके इन बातों पर चर्चा करें और जानें कि एक मुखिया कैसे यहोवा और यीशु की तरह बन सकता है।
एक मुखिया को क्या करना चाहिए?
14. एक मुखिया यहोवा के साथ अच्छा रिश्ता बनाने में अपने परिवार की मदद कैसे करेगा?
14 यहोवा के करीब आने में अपने परिवार की मदद कीजिए। यीशु चाहता था कि उसके चेलों का यहोवा के साथ अच्छा रिश्ता हो, इसलिए यहोवा की तरह उसने अपने चेलों के विश्वास को मज़बूत करने की पूरी कोशिश की। (मत्ती 5:3, 6; मर. 6:34) एक अच्छा मुखिया भी सबसे पहले इस बात का ध्यान रखेगा कि यहोवा के साथ उसके परिवार का अच्छा रिश्ता हो। (व्यव. 6:6-9) वह उनके साथ बाइबल पढ़ेगा और उसका अध्ययन करेगा, सभाओं में जाएगा, प्रचार करेगा और यहोवा के दोस्त बनने में उनकी मदद करेगा।
15. एक मुखिया अपने परिवारवालों को कैसे यकीन दिला सकता है कि वह उनकी परवाह करता है?
15 परिवारवालों को अपने प्यार का यकीन दिलाइए। यहोवा ने सबके सामने बताया कि वह यीशु से प्यार करता है। (मत्ती 3:17) यीशु ने भी अपने कामों और बातों से चेलों के लिए प्यार जताया। उसके चेलों ने भी उसे यकीन दिलाया कि वे उससे प्यार करते हैं। (यूह. 15:9, 12, 13; 21:16) एक मुखिया को अपनी पत्नी और बच्चों के लिए प्यार जताना चाहिए। जैसे, उसे उनके साथ बाइबल का अध्ययन करना चाहिए। उसे उन्हें बताना चाहिए कि वह उनसे बहुत प्यार करता है। और हो सके तो दूसरों के सामने उनकी तारीफ करनी चाहिए।—नीति. 31:28, 29.
16. (क) एक परिवार के मुखिया को क्या करना चाहिए? (ख) लेकिन उसे किस बात का ध्यान रखना चाहिए?
16 अपने परिवारवालों की हर दिन की ज़रूरतें पूरी कीजिए। यहोवा ने इसराएलियों की हर दिन की ज़रूरतें पूरी कीं, तब भी जब उन्होंने यहोवा की बात नहीं मानी और वीराने में भटक रहे थे। (व्यव. 2:7; 29:5) यहोवा आज भी हमारी रोज़ की ज़रूरतें पूरी करता है। (मत्ती 6:31-33; 7:11) जब यीशु धरती पर था, तो उसने उन लोगों को खाना खिलाया जो उसकी बातें सुनने आए थे। (मत्ती 14:17-20) उसने बीमारों को भी ठीक किया। (मत्ती 4:24) एक मुखिया को भी अपने परिवार की हर दिन की ज़रूरतें पूरी करनी चाहिए। इससे यहोवा खुश होगा। मगर उसे अपने काम में इतना नहीं डूब जाना चाहिए कि उसके पास परिवार के लिए वक्त ही न बचे, वह यहोवा के साथ एक अच्छा रिश्ता बनाने में उनकी मदद न कर पाए और न ही उनके लिए प्यार जता पाए।
17. यहोवा और यीशु किस तरह हमें सिखाते और सुधारते हैं?
17 उन्हें समझाइए और सिखाइए। यहोवा हमारी भलाई के लिए हमें सिखाता है और सुधारता भी है। (इब्रा. 12:7-9) यीशु भी उन लोगों को प्यार से सिखाता है जो उसके अधीन हैं। (यूह. 15:14, 15) ज़रूरत पड़ने पर वह हमें सुधारता भी है मगर प्यार से। (मत्ती 20:24-28) वह अच्छी तरह समझता है कि हम अपरिपूर्ण हैं और हमसे गलतियाँ होंगी।—मत्ती 26:41.
18. एक अच्छा मुखिया किस बात का ध्यान रखता है?
18 एक अच्छा मुखिया यहोवा और यीशु की तरह इस बात का ध्यान रखता है कि उसके परिवारवाले अपरिपूर्ण हैं और उनसे भी गलतियाँ होंगी। वह अपने बीवी-बच्चों पर “गुस्से से आग-बबूला” नहीं होता। (कुलु. 3:19) वह याद रखता है कि वह भी अपरिपूर्ण है। इसलिए गलातियों 6:1 में दिए सिद्धांत के मुताबिक वह उन्हें “कोमलता की भावना से” सुधारने की कोशिश करता है। वह जानता है कि दूसरों को सिखाने का सबसे अच्छा तरीका है, यीशु की तरह एक अच्छी मिसाल रखना।—1 पत. 2:21.
19-20. एक मुखिया यहोवा और यीशु की तरह फैसले कैसे ले सकता है?
19 परिवार के भले के लिए फैसले कीजिए। यहोवा कोई भी फैसला लेते वक्त दूसरों के बारे में सोचता है। जैसे, उसने हमारी खुशी की खातिर जीवन की शुरूआत की। उसने खुद हमारी खातिर अपने बेटे को कुरबान किया, किसी ने उसके साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं की। यीशु ने भी ऐसे फैसले किए जिससे दूसरों का भला हुआ। (रोमि. 15:3) एक बार वह बहुत थका हुआ था, फिर भी उसने अपना आराम त्यागकर लोगों को सिखाया।—मर. 6:31-34.
20 एक अच्छा मुखिया जानता है कि उस पर एक बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है। उसे अपने परिवार की खुशी के लिए सही फैसले करने हैं। वह इस ज़िम्मेदारी को अच्छे से निभाने की कोशिश करता है। वह जज़्बातों में आकर या बिना सोचे-समझे फैसले नहीं लेता। इसके बजाय सही फैसले करने में वह यहोवा की सोच अपनाता है।c (नीति. 2:6, 7) इस तरह वह दूसरों के बारे में सोचता है, न कि अपने बारे में।—फिलि. 2:4.
21. अगले लेख में हम किन सवालों पर चर्चा करेंगे?
21 यहोवा ने परिवार के मुखियाओं को एक मुश्किल काम सौंपा है और वह चाहता है कि वे यह काम अच्छी तरह करें। अगर एक पति यहोवा और यीशु की तरह बनने की कोशिश करे, तो वह एक अच्छा मुखिया बन पाएगा। और अगर उसकी पत्नी अपनी ज़िम्मेदारी अच्छे से निभाए, तो उनकी शादीशुदा ज़िंदगी खुशहाल रहेगी। अगले लेख में हम इन सवालों पर चर्चा करेंगे: एक पत्नी अपने पति के अधिकार के अधीन कैसे रह सकती है? और अपने पति के अधीन रहना उसके लिए क्यों मुश्किल हो सकता है?
गीत 16 अभिषिक्त बेटे के लिए याह की तारीफ करें!
a शादी के बाद एक आदमी अपने परिवार का मुखिया बन जाता है। इस लेख में बताया जाएगा कि यहोवा ने पतियों को क्या अधिकार दिया है, क्यों दिया है और वे यहोवा और यीशु से क्या सीख सकते हैं। दूसरे लेख में बताया जाएगा कि यीशु और बाइबल में बताए दूसरे लोगों से पति-पत्नी क्या सीख सकते हैं। और तीसरे लेख में हम जानेंगे कि मंडली में भाइयों को अपने अधिकार का कैसे इस्तेमाल करना चाहिए।
b कई बार फिल्मों, नाटकों और टी.वी. कार्यक्रमों में दिखाया जाता है कि आदमी औरतों के साथ बुरा सलूक कर रहे हैं, उन पर हाथ उठा रहे हैं। इसलिए कुछ लोग सोचते हैं कि औरतों को मारना-पीटना और उन पर धौंस जमाना गलत नहीं है।
c अच्छे फैसले कैसे करें, इस बारे में ज़्यादा जानने के लिए 15 अप्रैल, 2011 की प्रहरीदुर्ग के पेज 13-17 में दिया लेख पढ़ें, “ऐसे फैसले लीजिए जिनसे परमेश्वर की महिमा हो।”