क7-ज
यीशु की ज़िंदगी की खास घटनाएँ—यरूशलेम में यीशु की सेवा के आखिरी दिन (भाग 1)
वक्त |
जगह |
घटना |
मत्ती |
मरकुस |
लूका |
यूहन्ना |
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33, नीसान 8 |
बैतनियाह |
यीशु फसह के त्योहार से छः दिन पहले वहाँ पहुँचता है |
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नीसान 9 |
बैतनियाह |
मरियम उसके सिर और पैर पर तेल उँडेलती है |
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बैतनियाह-बैतफगे-यरूशलेम |
गधे पर सवार होकर राजा की हैसियत से यरूशलेम में दाखिल |
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नीसान 10 |
बैतनियाह-यरूशलेम |
अंजीर के पेड़ को शाप देता है; एक बार फिर मंदिर को शुद्ध करता है |
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यरूशलेम |
प्रधान याजक और शास्त्री यीशु को मार डालने की साज़िश रचते हैं |
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यहोवा की आवाज़; यीशु अपनी मौत की भविष्यवाणी करता है; यहूदी विश्वास नहीं करते जिससे यशायाह की भविष्यवाणी पूरी होती है |
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नीसान 11 |
बैतनियाह-यरूशलेम |
सूखे हुए अंजीर के पेड़ से सबक |
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यरूशलेम का मंदिर |
उसके अधिकार पर सवाल उठाया जाता है; दो बेटों की मिसाल |
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मिसालें: खून करनेवाले बागबान, शादी की दावत |
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परमेश्वर, सम्राट, मरे हुओं के ज़िंदा होने और सबसे बड़ी आज्ञा के बारे में सवालों के जवाब देता है |
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भीड़ से पूछता है, क्या मसीह दाविद का वंशज है |
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शास्त्रियों और फरीसियों को धिक्कारता है |
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विधवा के दान पर ध्यान देता है |
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जैतून पहाड़ |
अपनी मौजूदगी की निशानी बताता है |
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मिसालें: दस कुँवारियाँ, तोड़े, भेड़ें और बकरियाँ |
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नीसान 12 |
यरूशलेम |
यहूदी अगुवे उसे मार डालने की साज़िश रचते हैं |
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यहूदा, यीशु को पकड़वाने की बात करके आता है |
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नीसान 13 (गुरुवार दोपहर) |
यरूशलेम में और उसके आस-पास |
आखिरी फसह की तैयारियाँ करता है |
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नीसान 14 |
यरूशलेम |
प्रेषितों के साथ फसह का खाना खाता है |
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प्रेषितों के पैर धोता है |