आसाप का सुरीला गीत।+
82 परमेश्वर अपनी सभा में खड़ा होता है,+
ईश्वरों के बीच वह न्याय करता है+ और कहता है,
2 “तुम कब तक अन्याय करते रहोगे?+
कब तक दुष्टों की तरफदारी करते रहोगे?+ (सेला )
3 दीन-दुखियों और अनाथों की पैरवी करो।+
लाचार और बेसहारा लोगों को न्याय दिलाओ।+
4 दीन-दुखियों और गरीबों को बचाओ,
उन्हें दुष्टों के हाथों से छुड़ाओ।”
5 ये न्यायी न तो कुछ जानते हैं, न कुछ समझते हैं,+
वे अंधकार में भटक रहे हैं,
पृथ्वी की पूरी बुनियाद हिलायी जा रही है।+
6 “मैंने कहा, ‘तुम सब ईश्वर हो,+
परम-प्रधान परमेश्वर के बेटे हो।
7 फिर भी दूसरे इंसानों की तरह तुम्हारी भी मौत होगी,+
दूसरे हाकिमों की तरह तुम भी गिर जाओगे!’”+
8 हे परमेश्वर उठ, दुनिया का इंसाफ कर,+
क्योंकि सब राष्ट्र तेरे हैं।