भजन
आसाप का सुरीला गीत।+ निर्देशक के लिए हिदायत: “सोसन के फूलों” के मुताबिक। यादगार के लिए।
4 सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, तू कब तक अपने लोगों से भड़का रहेगा?
कब तक उनकी प्रार्थनाएँ अनसुनी करता रहेगा?+
5 तू उन्हें आँसुओं की रोटी खिलाता है,
आँसुओं का सैलाब पिलाता है।
8 तू अपने लोगों को मिस्र से ऐसे निकाल लाया था जैसे वे अंगूर की बेल हों।+
तूने जातियों को खदेड़कर उनकी जगह उस बेल को लगाया।+
10 उसकी छाया से पहाड़ ढक गए,
उसकी शाखाओं से परमेश्वर के देवदार ढक गए।
12 तूने अंगूरों के बाग के पत्थर के बाड़े क्यों गिरा दिए?+
आने-जानेवाले सभी उसके अंगूर तोड़ लेते हैं।+
14 हे सेनाओं के परमेश्वर, तुझसे बिनती है कि लौट आ।
स्वर्ग से नीचे देख!
16 उसे काट डाला गया है, जला दिया गया है,+
तेरी डाँट से वे नाश हो जाते हैं।
17 तेरा हाथ उस आदमी को थाम ले जो तेरे दायीं तरफ है,
इंसान के बेटे को थाम ले जिसे तूने अपने लिए मज़बूत किया है।+
18 तब हम तुझसे मुँह न फेरेंगे।
हमें मरने से बचा ले ताकि हम तेरा नाम पुकारें।