यशायाह
31 धिक्कार है उन पर जो मदद के लिए मिस्र के पास जाते हैं,+
जो घोड़ों पर भरोसा रखते हैं,+
जो युद्ध-रथों की भरमार देखकर,
जंगी घोड़ों* की ताकत देखकर उन पर आस लगाते हैं,
मगर इसराएल के पवित्र परमेश्वर की ओर नहीं ताकते,
यहोवा की खोज नहीं करते।
2 पर वह भी बुद्धिमान है।
वह विपत्ति लाएगा, अपनी बात से मुकरेगा नहीं।
वह दुष्टों के घर के खिलाफ उठेगा
और उन लोगों के खिलाफ भी जो गुनहगारों की मदद करते हैं।+
जब यहोवा अपना हाथ बढ़ाएगा,
तो मदद देनेवाले लड़खड़ा जाएँगे
और मदद लेनेवाले गिर पड़ेंगे,
दोनों का एक-साथ नाश हो जाएगा।
4 यहोवा ने मुझसे कहा,
“एक शेर, शक्तिशाली शेर अपने शिकार की रखवाली करते हुए दहाड़ता है
और जब उसे भगाने के लिए चरवाहों का झुंड बुलाया जाता है,
तो उनकी ललकार सुनकर वह नहीं डरता,
उनके शोर से पीछे नहीं हटता,
वैसे ही सेनाओं का परमेश्वर यहोवा,
सिय्योन पहाड़ और उसकी पहाड़ी की खातिर युद्ध करने नीचे उतरेगा।
5 सेनाओं का परमेश्वर यहोवा पक्षी की तरह फुर्ती से आकर यरूशलेम को बचाएगा।+
वह उसकी हिफाज़त करेगा और उसे बचाएगा,
उसे खतरों से महफूज़ रखेगा और उसे छुड़ा लेगा।”
6 “हे इसराएल के लोगो, उस परमेश्वर के पास लौट आओ जिसके खिलाफ तुमने बड़ी बेशर्मी से बगावत की।+ 7 उस दिन हर कोई सोने-चाँदी के अपने निकम्मे देवताओं को ठुकरा देगा, जिन्हें तुमने अपने हाथों से बनाकर पाप किया था।
8 अश्शूरी तलवार से मारे जाएँगे, मगर किसी इंसान की तलवार से नहीं,
वे उस तलवार का कौर बनेंगे जो इंसान की नहीं।+
अश्शूरी उस तलवार से डरकर भागेंगे
और उनके जवानों से जबरन मज़दूरी करवायी जाएगी।