यिर्मयाह
3 लोग पूछते हैं, “अगर एक आदमी अपनी पत्नी को भेज दे और वह उसे छोड़कर चली जाए और किसी दूसरे आदमी की हो जाए, तो क्या वह दोबारा उस औरत को अपनाएगा?”
क्या यह देश पूरी तरह दूषित नहीं हो चुका है?+
यहोवा ऐलान करता है, “तूने बहुत-से यारों के साथ वेश्या के काम किए हैं+
और अब तू मेरे पास वापस आना चाहती है?”
2 “अपनी नज़रें उठाकर उन सूनी पहाड़ियों को देख।
क्या ऐसी कोई जगह है जहाँ तेरे साथ बलात्कार न हुआ हो?
तू उनके इंतज़ार में रास्ते किनारे बैठा करती थी,
जैसे कोई खानाबदोश* वीराने में बैठता है।
तू अपने वेश्या के कामों से और अपनी दुष्टता से
देश को दूषित करती रहती है।+
तू उस पत्नी की तरह है जो वेश्या के काम करती है, मगर माथे पर शिकन तक नहीं है,
तुझमें शर्म नाम की कोई चीज़ नहीं।+
5 तो फिर क्या यह सही है कि तू हमेशा मुझसे नाराज़ रहे,
मेरे खिलाफ दुश्मनी पालता रहे?’
तू यह कहती तो है,
मगर तू जितने बुरे काम कर सकती है वह सब करती रहती है।”+
6 राजा योशियाह+ के दिनों में यहोवा ने मुझसे कहा, “‘क्या तूने देखा है कि विश्वासघाती इसराएल ने क्या किया है? वह हर ऊँचे पहाड़ पर चढ़कर और हर घने पेड़ के नीचे जाकर वेश्या के काम करती है।+ 7 हालाँकि उसने यह सब किया है, फिर भी मैं उससे कहता रहा कि वह मेरे पास लौट आए।+ मगर वह नहीं लौटी। और यहूदा अपनी दगाबाज़ बहन इसराएल को देखती रही।+ 8 जब मैंने यह देखा तो मैंने विश्वासघाती इसराएल को तलाकनामा देकर भेज दिया+ क्योंकि उसने व्यभिचार किया।+ मगर उसकी दगाबाज़ बहन यहूदा नहीं डरी कि उसे भी सज़ा मिल सकती है। वह भी जाकर बेधड़क वेश्या के काम करने लगी।+ 9 उसने अपने वेश्या के कामों को हलका समझा और देश को दूषित करती रही और पत्थरों और पेड़ों के साथ व्यभिचार करती रही।+ 10 इतना कुछ होने पर भी उसकी दगाबाज़ बहन यहूदा पूरे दिल से मेरे पास नहीं लौटी, उसने सिर्फ लौटने का ढोंग किया।’ यहोवा का यह ऐलान है।”
11 फिर यहोवा ने मुझसे कहा, “विश्वासघाती इसराएल, दगाबाज़ यहूदा से कम दोषी निकली है।+ 12 तू उत्तर में जाकर यह संदेश सुना:+
‘यहोवा ऐलान करता है, “हे बागी इसराएल, मेरे पास लौट आ।”’+ ‘यहोवा ऐलान करता है, “मैं तुझे क्रोध-भरी नज़रों से नहीं देखूँगा+ क्योंकि मैं वफादार हूँ।”’ ‘“मैं तुझसे सदा नाराज़ नहीं रहूँगा। 13 बस तू अपना दोष मान ले क्योंकि तूने अपने परमेश्वर यहोवा से बगावत की है। तू हर घने पेड़ के नीचे पराए आदमियों* के साथ संबंध रखती और मेरी बात नहीं मानती।” यहोवा का यह ऐलान है।’”
14 यहोवा ऐलान करता है, “हे बगावती बेटो, मेरे पास लौट आओ। मैं तुम्हारा असली मालिक* बन गया हूँ। मैं तुम लोगों को इकट्ठा करूँगा, हर शहर में से एक को और हर परिवार में से दो को लूँगा और सिय्योन वापस ले आऊँगा।+ 15 मैं अपने मन के मुताबिक तुम्हें चरवाहे दूँगा+ और वे तुम्हें ज्ञान और अंदरूनी समझ की खुराक देंगे। 16 तब तुम गिनती में बढ़ जाओगे और फूलोगे-फलोगे।” यहोवा का यह ऐलान है।+ “वे फिर कभी यह न कहेंगे, ‘यहोवा के करार का संदूक!’ यह बात उनके दिल में कभी नहीं आएगी, वे न इसे याद करेंगे और न ही इसकी कमी महसूस करेंगे और यह दोबारा नहीं बनाया जाएगा। 17 उस समय वे यरूशलेम को यहोवा की राजगद्दी कहेंगे+ और सारे राष्ट्रों को यहोवा के नाम की महिमा करने के लिए यरूशलेम लाया जाएगा।+ वे फिर कभी ढीठ होकर अपने दुष्ट मन की नहीं सुनेंगे।”
18 “उन दिनों यहूदा का घराना और इसराएल का घराना साथ-साथ चलेंगे+ और वे मिलकर उत्तर के देश से उस देश में आएँगे जो मैंने तुम्हारे पुरखों को विरासत में दिया था।+ 19 मैंने सोचा था, ‘मैं तुम्हें अपने बेटों में गिनूँगा और तुम्हें विरासत में वह बढ़िया देश दूँगा जो दुनिया के राष्ट्रों की नज़रों में सबसे खूबसूरत विरासत है।’+ मैंने यह भी सोचा था कि तुम मुझे ‘पिता’ कहोगे और मेरे पीछे चलना नहीं छोड़ोगे। 20 यहोवा ऐलान करता है, ‘मगर हे इसराएल के घराने, तूने मेरे साथ विश्वासघात किया है, ठीक जैसे एक पत्नी अपने पति से विश्वासघात करके उसे छोड़ देती है।’”+
21 सूनी पहाड़ियों पर शोर सुनायी दे रहा है,
इसराएल के लोगों का रोना और गिड़गिड़ाना सुनायी दे रहा है,
क्योंकि उन्होंने टेढ़ी चाल चली है,
अपने परमेश्वर यहोवा को भूल गए हैं।+
22 “हे बगावती बेटो, मेरे पास लौट आओ।
मैं तुम्हें चंगा कर दूँगा, तुम्हारी भटकने की आदत छुड़ा दूँगा।”+
“देख, हम आ गए हैं! हम तेरे पास आ गए हैं,
क्योंकि हे यहोवा, तू हमारा परमेश्वर है।+
23 पहाड़ियों और पहाड़ों पर होहल्ला मचाकर हमने वाकई खुद को धोखा दिया।+
हमारा परमेश्वर यहोवा ही इसराएल का सच्चा उद्धारकर्ता है।+