गिनती
23 तब बिलाम ने बालाक से कहा, “इस जगह पर तू मेरे लिए सात वेदियाँ खड़ी कर+ और सात बैल और सात मेढ़े तैयार रख।” 2 बालाक ने फौरन वैसा किया जैसा बिलाम ने कहा था। बालाक और बिलाम ने हर वेदी पर एक-एक बैल और एक-एक मेढ़े की बलि चढ़ायी।+ 3 फिर बिलाम ने बालाक से कहा, “तू यहाँ अपनी होम-बलि के पास ही रह, मैं अभी आता हूँ। शायद यहोवा मुझसे बात करने के लिए प्रकट हो। वह मुझसे जो भी कहेगा, मैं आकर तुझे बताऊँगा।” इसके बाद बिलाम एक सूनी पहाड़ी पर गया।
4 फिर परमेश्वर बिलाम के सामने प्रकट हुआ+ और बिलाम ने उससे कहा, “मैंने सात वेदियाँ कतार में खड़ी की हैं और हर वेदी पर एक-एक बैल और एक-एक मेढ़े की बलि चढ़ायी है।” 5 यहोवा ने बिलाम से कहा,+ “तू बालाक के पास लौट जा और उसके सामने मेरा यह संदेश दोहरा।” 6 तब बिलाम लौट गया। उसने देखा कि बालाक और मोआब के सभी अधिकारी होम-बलि के पास खड़े हैं। 7 फिर बिलाम ने उन्हें यह संदेश सुनाया:+
“मोआब का राजा बालाक मुझे अराम से लाया,+
मुझे यह कहकर पूरब के पहाड़ों से लाया:
‘तू मेरी तरफ से याकूब को शाप देने आ,
हाँ, इसराएल को धिक्कारने आ।’+
8 मगर मैं भला ऐसे लोगों को शाप कैसे दे सकता हूँ जिन्हें परमेश्वर ने शाप नहीं दिया है?
मैं उन्हें कैसे धिक्कार सकता हूँ जिन्हें यहोवा ने नहीं धिक्कारा है?+
9 चट्टानों के ऊपर से मैं उन्हें देख रहा हूँ,
पहाड़ियों से मैं उन्हें देख रहा हूँ।
10 याकूब के धूल के कणों को कौन गिन सकता है?+
क्या कोई इसराएल के एक-चौथाई हिस्से को भी गिन सकता है?
मुझे सीधे-सच्चे लोगों की मौत मिले
और मेरा अंत उन्हीं की तरह हो।”
11 तब बालाक ने बिलाम से कहा, “यह तूने मेरे साथ क्या किया? मैं तुझे यहाँ दुश्मनों को शाप देने के लिए लाया था, मगर तूने तो उन्हें आशीर्वाद दे दिया!”+ 12 जवाब में बिलाम ने कहा, “क्या मुझे वही बात नहीं कहनी चाहिए जो यहोवा मुझे बताता है?”+
13 बालाक ने बिलाम से कहा, “मेहरबानी करके मेरे साथ एक और जगह चल जहाँ से तू उन्हें देख सकेगा। तू उन सबको नहीं बल्कि उनमें से सिर्फ कुछ ही लोगों को देख पाएगा। वहाँ से तू उन्हें शाप देना।”+ 14 बालाक उसे पिसगा की चोटी+ पर सोपीम के मैदान में ले गया। वहाँ उसने सात वेदियाँ खड़ी कीं और हर वेदी पर एक-एक बैल और एक-एक मेढ़े की बलि चढ़ायी।+ 15 बिलाम ने बालाक से कहा, “तू यहाँ अपनी होम-बलि के पास ही रह, मैं वहाँ जाकर परमेश्वर से बात करके आता हूँ।” 16 यहोवा ने बिलाम के सामने प्रकट होकर उसे एक संदेश दिया और उससे कहा,+ “तू बालाक के पास लौट जा और उसके सामने मेरा यह संदेश दोहरा।” 17 बिलाम, बालाक के पास लौट आया और उसने देखा कि बालाक अपनी होम-बलि के पास खड़ा इंतज़ार कर रहा है और उसके साथ मोआब के अधिकारी भी थे। बालाक ने बिलाम से पूछा, “यहोवा ने क्या कहा है?” 18 बिलाम ने यह संदेश सुनाया:+
“हे बालाक, उठ, मेरी बात सुन।
सिप्पोर के बेटे, ध्यान दे।
जब वह कहता है कि वह कुछ करेगा, तो क्या वह नहीं करेगा?
जब वह कोई वचन देता है, तो क्या उसे पूरा नहीं करेगा?+
20 देख! मुझे यहाँ आशीर्वाद देने के लिए भेजा गया है,
जब परमेश्वर ने आशीर्वाद दे दिया है,+ तो मैं उसे नहीं बदल सकता।+
21 उसे यह बरदाश्त नहीं होता कि याकूब पर कोई जादू-टोना करे,
और वह इसराएल पर कोई मुसीबत नहीं आने देता।
उसका परमेश्वर यहोवा उनके साथ है,+
वे परमेश्वर को अपना राजा मानकर उसकी जयजयकार करते हैं।
22 परमेश्वर उन्हें मिस्र से बाहर ला रहा है,+
वह उनके लिए जंगली साँड़ के सींगों जैसा है।+
अब याकूब और इसराएल के बारे में यही कहा जाएगा:
‘देखो, परमेश्वर ने उनकी खातिर क्या-क्या किया है!’
वह तब तक नहीं लेटेगी जब तक कि शिकार को खा न ले
और मारे हुओं का खून पी न ले।”
25 तब बालाक ने बिलाम से कहा, “अगर तू उन लोगों को शाप नहीं दे सकता तो मत दे, मगर कम-से-कम उन्हें आशीर्वाद तो न दे।” 26 बिलाम ने बालाक से कहा, “क्या मैंने तुझसे नहीं कहा था, ‘मैं वह सब करूँगा जो यहोवा मुझसे कहेगा’?”+
27 बालाक ने बिलाम से कहा, “मेहरबानी करके मेरे साथ आ। मैं तुझे एक और जगह ले जाता हूँ। शायद सच्चे परमेश्वर को यह सही लगे कि तू वहाँ मेरी तरफ से लोगों को शाप दे।”+ 28 इसलिए बालाक बिलाम को पोर की चोटी पर ले गया, जहाँ से सामने यशीमोन* नज़र आता है।+ 29 तब बिलाम ने बालाक से कहा, “इस जगह पर तू मेरे लिए सात वेदियाँ खड़ी कर और सात बैल और सात मेढ़े तैयार रख।”+ 30 बालाक ने ठीक वैसा ही किया और उसने हर वेदी पर एक-एक बैल और एक-एक मेढ़े की बलि चढ़ायी।