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मत्ती 13:18-23पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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18 अब तुम बीज बोनेवाले की मिसाल पर ध्यान दो।+ 19 जो इंसान राज का वचन सुनता तो है मगर उसके मायने नहीं समझता, उसके दिल में जो बोया गया था उसे शैतान*+ आकर छीन ले जाता है। यह वही बीज है जो रास्ते के किनारे बोया गया था।+ 20 जो चट्टानी ज़मीन पर बोया गया था, यह वह इंसान है जो वचन को सुनते ही उसे खुशी-खुशी स्वीकार करता है।+ 21 मगर उसमें जड़ नहीं होती इसलिए वह थोड़े वक्त के लिए रहता है और जब वचन की वजह से उसे मुसीबतें या ज़ुल्म सहने पड़ते हैं, तो वह फौरन वचन पर विश्वास करना छोड़ देता है।* 22 जो काँटों के बीच बोया गया है, यह वह इंसान है जो वचन को सुनता तो है, मगर इस ज़माने* की ज़िंदगी की चिंता+ और धोखा देनेवाली पैसे की ताकत वचन को दबा देती है और वह फल नहीं देता।+ 23 जो बढ़िया मिट्टी में बोया गया है, यह वह इंसान है जो वचन को सुनता है, उसके मायने समझता है और वाकई फल देता है, कोई 100 गुना, कोई 60 गुना और कोई 30 गुना।”+
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मरकुस 4:14-20पवित्र शास्त्र का नयी दुनिया अनुवाद
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14 बोनेवाला वचन बोता है।+ 15 जो रास्ते के किनारे बोए गए, वे ऐसे लोग हैं जो वचन सुनते हैं, मगर फौरन शैतान आता है+ और उनमें बोया गया वचन ले जाता है।+ 16 वैसे ही जो चट्टानी ज़मीन पर बोए गए, वे ऐसे लोग हैं जो वचन सुनते ही उसे खुशी-खुशी मानते हैं,+ 17 मगर उनमें जड़ नहीं होती इसलिए वे थोड़े समय के लिए रहते हैं। फिर जैसे ही वचन की वजह से उन पर मुसीबतें आती हैं या ज़ुल्म होता है, वे वचन पर विश्वास करना छोड़ देते हैं।* 18 कुछ और बीज काँटों में बोए गए। वे ऐसे लोग हैं जो वचन सुनते तो हैं,+ 19 मगर इस ज़माने* की ज़िंदगी की चिंताएँ+ और धोखा देनेवाली पैसे की ताकत+ और बाकी सब चीज़ों की चाहत+ उनमें समा जाती है और वचन को दबा देती है और वे फल नहीं देते। 20 आखिर में, जो बीज बढ़िया मिट्टी में बोए गए, वे ऐसे लोग हैं जो वचन सुनकर उसे खुशी-खुशी मानते हैं और फल देते हैं, कोई 30 गुना, कोई 60 गुना और कोई 100 गुना।”+
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