भजन
दाविद का मिकताम।*
16 हे परमेश्वर, मेरी रक्षा कर क्योंकि मैंने तेरी पनाह ली है।+
2 मैंने यहोवा से कहा, “हे यहोवा, मेरा भला करनेवाला तू ही है।
4 जो दूसरे देवताओं के पीछे भागते हैं, वे अपने दुख बढ़ाते जाते हैं।+
मैं कभी उनके साथ मिलकर खून का अर्घ नहीं चढ़ाऊँगा,
न ही अपने होंठों से उन देवताओं का नाम लूँगा।+
तू मेरी विरासत की हिफाज़त करता है।
6 मेरे हिस्से में कई मनभावनी जगह आयी हैं।
मैं अपनी विरासत से वाकई खुश हूँ।+
7 मैं यहोवा की तारीफ करूँगा जिसने मुझे सलाह दी है।+
रात के वक्त भी मेरे मन की गहराई में छिपे विचार* मुझे सुधारते हैं।+
8 मैं हर पल यहोवा को अपनी नज़रों के सामने रखता हूँ।+
वह मेरे दायीं तरफ रहता है, इसलिए मैं कभी हिलाया नहीं जा सकता।*+
और मैं* महफूज़ बसा रहता हूँ।
10 क्योंकि तू मुझे कब्र* में नहीं छोड़ देगा।+