10 जब वह तुझसे माँगे तो उसे दिल खोलकर देना+ और मन में कुड़कुड़ाना मत। तभी तेरा परमेश्वर यहोवा तेरी मेहनत पर आशीष देगा और तू जो भी काम हाथ में लेगा उसमें तुझे कामयाबी देगा।+
10 अब सारा दसवाँ हिस्सा भंडार में ले आओ+ ताकि मेरे घर में भोजन रहे।+ ज़रा मुझे परखो और फिर देखो मैं किस तरह तुम्हारे लिए आकाश के झरोखे खोल दूँगा+ और तुम पर आशीषों की बौछार करूँगा, इतनी कि तुम्हें कोई कमी नहीं होगी।”+ यह बात सेनाओं के परमेश्वर यहोवा ने कही है।
35 इसके बजाय अपने दुश्मनों से प्यार करते रहो और भलाई करते रहो और उधार देते रहो और बदले में कुछ भी पाने की उम्मीद मत करो।+ इसका तुम्हें बड़ा इनाम मिलेगा और तुम परम-प्रधान के बेटे ठहरोगे, क्योंकि वह एहसान न माननेवालों और दुष्टों पर भी कृपा करता है।+