25 जब तुम प्रार्थना करने खड़े हो और तुम्हारे दिल में किसी के खिलाफ कुछ है, तो उसे माफ कर दो। तब तुम्हारा पिता जो स्वर्ग में है, वह भी तुम्हारे अपराध माफ करेगा।”+
32 इसके बजाय, एक-दूसरे के साथ कृपा से पेश आओ और कोमल करुणा दिखाते हुए+ एक-दूसरे को दिल से माफ करो, ठीक जैसे परमेश्वर ने भी मसीह के ज़रिए तुम्हें दिल से माफ किया है।+
13 अगर किसी के पास दूसरे के खिलाफ शिकायत की कोई वजह है,+ तो भी एक-दूसरे की सहते रहो और एक-दूसरे को दिल खोलकर माफ करते रहो।+ जैसे यहोवा* ने तुम्हें दिल खोलकर माफ किया है, तुम भी वैसा ही करो।+