यशायाह
33 हे नाश करनेवाले, तू जिसका नाश नहीं किया गया,+
हे विश्वासघाती, तू जिसके साथ विश्वासघात नहीं किया गया,
धिक्कार है तुझ* पर! जब तू नाश करना बंद कर देगा, तब तेरा नाश किया जाएगा,+
जब तू विश्वासघात करना बंद कर देगा, तब तेरे साथ विश्वासघात होगा।
हमारी आशा तुझ पर लगी है।
3 तेरा गरजन सुनकर देश-देश के लोग भाग खड़े होते हैं,
तेरे उठते ही राष्ट्र तितर-बितर हो जाते हैं।+
4 जैसे भूखी टिड्डियाँ आकर पूरे देश पर टूट पड़ती हैं,
वैसे ही दूसरे आकर तुम्हारे लूट के माल पर टूट पड़ेंगे
और टिड्डियों के झुंड की तरह उसे पूरी तरह चट कर जाएँगे।
5 यहोवा को ऊँचा किया जाएगा,
क्योंकि वह ऊँचे पर विराजमान है।
वह सिय्योन को न्याय और नेकी से भर देगा।
7 देखो! उनके* शूरवीर सड़कों पर दुख के मारे चिल्ला रहे हैं,
शांति का संदेश ले जानेवाले दूत फूट-फूटकर रो रहे हैं।
8 राजमार्ग सुनसान पड़े हैं,
रास्तों पर कोई राहगीर नज़र नहीं आ रहा।
शारोन के मैदान रेगिस्तान बन गए हैं,
बाशान और करमेल के पत्ते झड़ रहे हैं।+
11 तुम्हारी कोख में सूखी घास पलेगी और तुम भूसे को जन्म दोगे,
तुम्हारे मन का झुकाव आग की तरह तुम्हें भस्म कर देगा।+
12 देश-देश के लोग जले हुए चूने की तरह हो जाएँगे,
उन्हें कँटीली झाड़ियों की तरह काटकर आग में झोंक दिया जाएगा।+
13 हे दूर-दूर के इलाकों में रहनेवालो, सुनो मैं क्या करनेवाला हूँ!
हे आस-पास के रहनेवालो, मेरी ताकत पहचानो!
वे एक-दूसरे से कहते हैं,
‘भस्म करनेवाली आग के सामने कौन टिक सकता है?+
कभी न बुझनेवाली लपटों के आगे कौन खड़ा रह सकता है?’
15 जो नेकी की राह पर बना रहता है,+
जो सीधी-सच्ची बातें बोलता है,+
जो धोखाधड़ी और बेईमानी की कमाई ठुकराता है,
जो रिश्वत पर झपटने के बजाय अपना हाथ रोक लेता है,+
जो खून-खराबा करने की साज़िश सुनकर कान बंद कर लेता है,
जो बुराई देखने से अपनी आँखें मूँद लेता है,
16 ऐसा इंसान ऊँची जगहों पर रहेगा,
चट्टान पर बना मज़बूत* गढ़ उसकी पनाह होगा,
उसे रोटी मिलती रहेगी
और कभी पानी की कमी न होगी।”+
17 तुम्हारी आँखें राजा को उसकी पूरी शान में देखेंगी
और देश को दूर से निहारेंगी।
कर देनेवाला कहाँ गया?+
मीनारों को गिननेवाला कहाँ गया?”
19 तुम उन घमंडियों को फिर कभी न देखोगे,
हाँ, उन लोगों को जिनकी अजीबो-गरीब ज़बान तुम नहीं समझते,
जिनकी भाषा समझ से परे है।+
20 सिय्योन को देख! उस शहर को देख, जहाँ हम अपने त्योहार मनाते हैं।+
यरूशलेम एक ऐसी जगह बन जाएगा, जहाँ हम अमन-चैन से रहेंगे,
वह ऐसा तंबू बन जाएगा जिसे कभी नहीं गिराया जाएगा,+
उसकी खूँटियाँ नहीं निकाली जाएँगी,
न उसकी कोई रस्सी काटी जाएगी।
21 वहाँ महाप्रतापी यहोवा,
हमारी नदी और हमारी नहर बनकर रक्षा करेगा।
चाहे जहाज़ों* का लशकर हमारे खिलाफ आए,
वह उन्हें पार नहीं होने देगा,
बड़े-बड़े जहाज़ों को नहीं गुज़रने देगा।
22 क्योंकि यहोवा हमारा न्यायी है,+
यहोवा हमारा कानून देनेवाला है,+
यहोवा हमारा राजा है,+
वही हमें बचाएगा।+
उस वक्त लूट का इतना माल बाँटा जाएगा
कि लँगड़े भी आकर बहुत-सा माल ले जाएँगे।+
24 देश का कोई निवासी न कहेगा, “मैं बीमार हूँ।”+
क्योंकि उसमें रहनेवालों का पाप माफ किया जाएगा।+