यूहन्ना को दिया गया प्रकाशितवाक्य
3 सरदीस की मंडली के दूत को यह लिख: वह जिसके पास परमेश्वर की सात पवित्र शक्तियाँ हैं+ और सात तारे हैं,+ वह कहता है, ‘मैं तेरे काम जानता हूँ। लोग समझते हैं कि तू ज़िंदा है मगर तू मरा हुआ है।+ 2 इसलिए चौकन्ना हो जा+ और जो बची हुई चीज़ें मरनेवाली हैं उन्हें मज़बूत कर, क्योंकि मैंने देखा है कि मेरे परमेश्वर के सामने तूने अपने काम पूरे नहीं किए। 3 इसलिए तूने जो-जो पाया और सुना है उस पर हमेशा ध्यान दे* और उस पर चलता रह और पश्चाताप कर।+ अगर तू जागेगा नहीं तो मैं अचानक चोर की तरह आऊँगा+ और तुझे खबर भी नहीं होगी कि मैं किस घड़ी आऊँगा।+
4 फिर भी, सरदीस में तुम्हारे बीच कुछ ऐसे लोग* हैं जिन्होंने अपने कपड़ों पर कलंक नहीं लगने दिया है+ और वे सफेद कपड़े पहने मेरे साथ चलेंगे+ क्योंकि वे इस सम्मान के योग्य हैं। 5 जो जीत हासिल करता है+ उसे इसी तरह सफेद पोशाक पहनायी जाएगी।+ और मैं जीवन की किताब से उसका नाम कभी नहीं मिटाऊँगा,+ मगर अपने पिता और उसके स्वर्गदूतों के सामने उसे स्वीकार करूँगा।+ 6 कान लगाकर सुनो कि पवित्र शक्ति मंडलियों से क्या कहती है।’
7 फिलदिलफिया की मंडली के दूत को यह लिख: वह जो पवित्र+ और सच्चा है,+ जिसके पास दाविद की चाबी है,+ जो दरवाज़े खोलता है ताकि कोई उन्हें बंद न करे और बंद करता है ताकि कोई उन्हें न खोले, वह कहता है, 8 ‘मैं तेरे काम जानता हूँ। (देख! मैंने तेरे सामने एक दरवाज़ा खोल रखा है+ जिसे कोई बंद नहीं कर सकता।) मैं यह भी जानता हूँ कि तेरे पास थोड़ी शक्ति है और तूने मेरी आज्ञाएँ मानी हैं और मेरे नाम से इनकार नहीं किया है। 9 देख! जो शैतान के दल* के हैं और खुद को यहूदी कहते हैं मगर हैं नहीं+ बल्कि झूठ बोलते हैं, मैं उन्हें तेरे पास लाऊँगा और वे तेरे पैरों पर झुकेंगे। मैं उन्हें एहसास दिलाऊँगा कि मैं तुझसे प्यार करता हूँ। 10 तूने मेरे धीरज धरने के बारे में जो सुना है उसके मुताबिक तू चला है,*+ इसलिए मैं परीक्षा की उस घड़ी में तुझे सँभाले रहूँगा+ जो सारे जगत पर आनेवाली है, जिससे कि धरती पर रहनेवालों की परीक्षा हो। 11 मैं बहुत जल्द आ रहा हूँ।+ जो तेरे पास है उसे मज़बूती से थामे रह ताकि कोई भी तुझसे तेरा ताज न छीन ले।+
12 जो जीत हासिल करता है, उसे मैं अपने परमेश्वर के मंदिर में एक खंभा बनाऊँगा और वह फिर कभी इस मंदिर से बाहर नहीं जाएगा। और मैं उस पर अपने परमेश्वर का नाम और अपने परमेश्वर की नगरी, नयी यरूशलेम+ का नाम लिखूँगा+ जो मेरे परमेश्वर के पास से स्वर्ग से उतरती है और उस पर अपना नया नाम भी लिखूँगा।+ 13 कान लगाकर सुनो कि पवित्र शक्ति मंडलियों से क्या कहती है।’
14 लौदीकिया की मंडली+ के दूत को यह लिख: वह जो आमीन है,+ विश्वासयोग्य और सच्चा+ साक्षी है+ और परमेश्वर की बनायी सृष्टि की शुरूआत है,+ वह कहता है, 15 ‘मैं तेरे काम जानता हूँ कि तू न तो ठंडा है न गरम। काश! तू या तो ठंडा होता या फिर गरम। 16 तू गुनगुना है, तू न ठंडा+ है न गरम,+ इसलिए मैं तुझे अपने मुँह से उगलने जा रहा हूँ। 17 तू कहता है, “मैं अमीर हूँ+ और मैंने बहुत दौलत हासिल की है और मुझे किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं,” मगर तू नहीं जानता कि तू कितना लाचार, बेहाल, गरीब, अंधा और नंगा है। 18 इसलिए मैं तुझे सलाह देता हूँ कि तू मुझसे वह सोना खरीद ले जिसे आग में तपाकर शुद्ध किया गया है ताकि तू अमीर बने। और तू पहनने के लिए मुझसे सफेद पोशाक भी खरीद ले ताकि लोग तेरा नंगापन न देखें+ और तू शर्मिंदा न हो और अपनी आँखों में लगाने के लिए सुरमा भी खरीद ले+ ताकि तू देख सके।+
19 मैं जिनसे लगाव रखता हूँ उन सबको फटकारता और सुधारता हूँ।+ इसलिए जोशीला बन और पश्चाताप कर।+ 20 देख! मैं दरवाज़े पर खड़ा खटखटा रहा हूँ। अगर कोई मेरी आवाज़ सुनकर दरवाज़ा खोलता है, तो मैं उसके घर के अंदर जाऊँगा और उसके साथ शाम का खाना खाऊँगा और वह मेरे साथ खाएगा। 21 जो जीत हासिल करता है+ उसे मैं अपने साथ अपनी राजगद्दी पर बैठने की इजाज़त दूँगा,+ ठीक जैसे मेरे जीत हासिल करने पर मैं अपने पिता के साथ उसकी राजगद्दी पर बैठा था।+ 22 कान लगाकर सुनो कि पवित्र शक्ति मंडलियों से क्या कहती है।’”