नीतिवचन
3 हे मेरे बेटे, मेरी सिखायी बातों को मत भूलना
और मेरी आज्ञाओं को पूरे दिल से मानना।
3 अटल प्यार और सच्चाई को अपने से दूर मत करना,+
उन्हें अपने गले का हार बनाना
और अपने दिल की पटिया पर लिखना,+
4 तब परमेश्वर और इंसान तुझसे खुश होंगे
और कबूल करेंगे कि तुझमें अंदरूनी समझ है।+
5 तू अपनी समझ का सहारा न लेना,+
बल्कि पूरे दिल से यहोवा पर भरोसा रखना,+
7 खुद को बड़ा बुद्धिमान न समझना,+
यहोवा का डर मानना और बुराई से दूर रहना।
8 ऐसा करने से तेरा शरीर भला-चंगा रहेगा
और तेरी हड्डियों को ताज़गी मिलेगी।
9 अपनी अनमोल चीज़ें देकर यहोवा का सम्मान करना,+
अपनी उपज* का पहला फल* चढ़ाकर उसका आदर करना,+
10 तब तेरे भंडार खूब भरे रहेंगे+
और तेरे हौद नयी दाख-मदिरा से उमड़ते रहेंगे।
11 हे मेरे बेटे, यहोवा की शिक्षा मत ठुकराना,+
उसकी डाँट से नफरत न करना,+
12 क्योंकि यहोवा जिससे प्यार करता है उसको डाँटता भी है,+
जैसे पिता उस बेटे को डाँटता है जिसे वह बेहद चाहता है।+
16 यह अपने दाएँ हाथ से लंबी ज़िंदगी देती है
और बाएँ हाथ से धन-दौलत और सम्मान।
19 यहोवा ने बुद्धि से पृथ्वी की नींव डाली,+
पैनी समझ से आकाश को मज़बूती से ताना।+
21 हे मेरे बेटे, इन्हें* भूल न जाना,
जो बुद्धि तुझे फायदा पहुँचाती है उसे सँभालकर रखना
और अपनी सोचने-परखने की शक्ति गँवा न देना।
22 ये तुझे ज़िंदगी देंगी,
तेरे गले का खूबसूरत हार बनेंगी,
23 तू अपनी डगर पर महफूज़ रहेगा
और तेरे पैर कभी ठोकर नहीं खाएँगे।+
25 अचानक आनेवाली आफत से तू न डरेगा,+
न दुष्टों पर आनेवाले तूफान से खौफ खाएगा,+
26 क्योंकि तेरा भरोसा यहोवा पर होगा,+
वह तेरे पैरों को किसी फंदे में नहीं फँसने देगा।+
28 अगर तू अपने पड़ोसी को अभी कुछ दे सकता है,
तो उससे यह मत कहना, “कल आना, कल मैं तुझे दूँगा।”