नीतिवचन
23 जब तू राजा के साथ खाने बैठे,
तो ध्यान रख, तू किस तरह खाता है।
3 उसके लज़ीज़ खाने की लालसा मत कर,
कहीं तू उससे धोखा न खा जाए।
4 पैसे के पीछे इतना मत भाग कि तू थककर चूर हो जाए,+
ज़रा रुक और समझदारी से काम ले।*
5 क्या तू ऐसी चीज़ पर आँख लगाएगा जो नहीं रहेगी?+
पैसा तो पंख लगाकर उकाब की तरह आसमान में उड़ जाता है।+
6 कंजूस के यहाँ खाना मत खाना,
उसके लज़ीज़ खाने की लालसा मत करना।
वह दाने-दाने का हिसाब रखता है।
8 तूने उसके यहाँ जो खाया होगा उसे तू उगल देगा,
जितनी भी तारीफ की होगी, सब बेकार जाएँगी।
12 शिक्षा पर अपना मन लगा
और सिखायी जानेवाली बातों पर कान दे।
13 अपने लड़के* को सिखाने से पीछे मत हट,+
अगर तू उसे छड़ी भी मारे तो वह मरेगा नहीं।
14 छड़ी चलाने से
तू उसे कब्र में जाने से बचा लेगा।
17 तेरा दिल पापियों से ईर्ष्या न करे,+
बल्कि हर वक्त यहोवा का डर माने,+
18 तब तेरा भविष्य सुनहरा होगा+
और तेरी आशा नहीं मिटेगी।
19 हे मेरे बेटे, सुन और बुद्धिमान बन,
अपने दिल को सही राह पर ले चल।
24 नेक जन के पिता को कितनी खुशी मिलती है
और बुद्धिमान का पिता उसके कारण कितना मगन होता है।
25 तेरे माता-पिता बेहद खुश होंगे
और तुझे जन्म देनेवाली फूली न समाएगी।
29 कौन हाय-हाय करता है? कौन दुखी है?
कौन लड़ता-झगड़ता और शिकायतें करता है?
किसे बेवजह चोट लगती है? किसकी आँखें लाल रहती हैं?
31 दाख-मदिरा के लाल रंग को मत देख,
जो प्याले में चमचमाती है और बड़े आराम से गले से उतरती है।
32 आखिर में वह साँप की तरह डसती है
और ज़हरीले साँप की तरह ज़हर उगलती है।
34 तुझे लगेगा जैसे तू बीच समुंदर में पड़ा है,
जहाज़ के मस्तूल की चोटी पर सोया हुआ है।
35 तू कहेगा, “उन्होंने मुझे मारा? मुझे तो कोई दर्द नहीं हुआ।
उन्होंने मुझे पीटा? मुझे तो कुछ पता नहीं चला।