यशायाह
हे कसदियों की बेटी,
ज़मीन पर बैठ, यहाँ तेरे लिए कोई राजगद्दी नहीं,+
क्योंकि लोग फिर कभी नहीं कहेंगे कि तू बड़ी नाज़ुक है और तुझे बहुत लाड़-प्यार मिला है।
2 हाथ की चक्की ले और आटा पीस।
अपनी ओढ़नी हटा दे,
अपना घाघरा उतार दे
और अपनी नंगी टाँगों से नदियों को पार कर।
3 सब तेरा नंगापन देखेंगे,
तू सरेआम शर्मिंदा होगी।
मैं तुझसे बदला लूँगा+ और कोई मुझे नहीं रोक सकेगा।*
5 हे कसदियों की बेटी,
अँधेरे में जा और चुपचाप बैठी रह,+
क्योंकि अब लोग तुझे रियासतों की मलिका नहीं कहेंगे।+
7 तूने कहा, “मैं हमेशा मलिका बनी रहूँगी।”+
एक पल के लिए भी नहीं सोचा कि तू क्या कर रही है
और तेरे कामों का क्या अंजाम होगा।
8 हे रंगरलियों में डूबी औरत, सुन!+
तू जो बेखौफ बैठी है और अपने मन में कहती है,
“मैं महान हूँ, मेरे जैसा और कोई नहीं।+
मैं कभी विधवा नहीं होऊँगी,
न मेरे बच्चे कभी मरेंगे।”+
9 पर एक ही दिन में तुझ पर दो आफतें टूट पड़ेंगी:+
तेरे बच्चे मारे जाएँगे और तू विधवा हो जाएगी।
ये आफतें ज़बरदस्त तरीके से तुझ पर आ पड़ेंगी,+
क्योंकि* तू बढ़-चढ़कर टोना-टोटका करती और बड़े-बड़े मंत्र फूँकती है।+
10 तुझे अपने दुष्ट कामों पर इतना भरोसा है
कि तू कहती है, “मुझे कोई नहीं देख रहा।”
तेरी बुद्धि और ज्ञान ने तुझे इस कदर भटका दिया है
कि तू मन-ही-मन कहती है, “मैं महान हूँ, मेरे जैसा और कोई नहीं।”
तुझ पर मुसीबत आ पड़ेगी और तू उसे टाल नहीं पाएगी,
पल-भर में तेरा ऐसा नाश होगा, जिसके बारे में तूने सोचा भी नहीं था।+
क्या पता तुझे उससे कोई फायदा हो!
क्या पता लोगों में तेरा डर छा जाए!
13 तू अपने ढेरों सलाहकारों की सुन-सुनकर खुद को थका रही है।
ज़रा कह उनसे कि वे आकर तुझे बचाएँ,
हाँ, उन्हीं से जो आकाश की पूजा करते हैं,* तारों को ध्यान से देखते हैं,+
नए चाँद को देखकर भविष्य बताते हैं।
वे आकर बताएँ कि तेरे साथ क्या होनेवाला है।
14 देख! वे तो भूसे की तरह हैं,
आग उन्हें भस्म कर देगी,
उसकी लपटें इतनी तेज़ होंगी कि वे खुद को बचा नहीं पाएँगे।
ये जलते कोयले नहीं जिन पर कोई हाथ सेंके,
न यह ऐसी आग है जिसके सामने कोई बैठ सके।
15 तेरे टोना-टोटका करनेवालों का भी यही हश्र होगा,
जिनके साथ तू जवानी से मेहनत करती आयी है।