यशायाह
51 हे नेकी का पीछा करनेवालो,
हे यहोवा को ढूँढ़नेवालो, मेरी सुनो!
उस चट्टान की ओर देखो, जिससे तुम काटे गए हो,
उस खदान की ओर देखो, जिससे तुम निकाले गए हो।
सिय्योन नगरी मगन होगी, उसमें खुशियाँ मनायी जाएँगी,
धन्यवाद दिया जाएगा और सुरीले गीत गाए जाएँगे।+
मैं अपनी ताकत के दम पर देश-देश के लोगों का न्याय करूँगा,+
द्वीप मुझ पर आस लगाएँगे+ और मेरी ताकत* देखने का इंतज़ार करेंगे।
6 आकाश की ओर अपनी आँखें उठाओ,
नीचे पृथ्वी की ओर देखो।
आकाश धुएँ के समान गायब हो जाएगा,
पृथ्वी पुराने कपड़े के समान तार-तार हो जाएगी
और उसके निवासी मच्छरों की तरह मर जाएँगे।
नश्वर इंसान के तानों से मत डरो,
न उनकी अपमान-भरी बातों से खौफ खाओ।
लेकिन मेरी नेकी हमेशा कायम रहेगी
और जो उद्धार मैं देता हूँ वह पीढ़ी-पीढ़ी तक बना रहेगा।”+
10 क्या तूने ही सागर को, गहरे सागर को नहीं सुखाया था?+
समुंदर की गहराइयों में रास्ता नहीं निकाला था कि छुड़ाए हुए लोग उसे पार कर सकें?+
11 यहोवा जिन्हें छुड़ाएगा वे जयजयकार करते हुए सिय्योन लौटेंगे,+
कभी न मिटनेवाली खुशी उनके सिर का ताज होगी।+
वे इतने मगन होंगे, इतनी खुशियाँ मनाएँगे
कि दुख और मातम उनके सामने से भाग खड़े होंगे।+
इंसान से क्यों खौफ खाती है, जो हरी घास की तरह मुरझा जाएगा?
तू अत्याचार करनेवाले के क्रोध से दिन-भर डरी-सहमी क्यों रहती है,
मानो वह तेरा नाश करने के लिए तैयार खड़ा है?
बता, कहाँ रहा अत्याचार करनेवाले का क्रोध?
14 जो ज़ंजीरों से झुक गए हैं वे जल्द ही आज़ाद किए जाएँगे,+
वे मरेंगे नहीं, न कब्र में जाएँगे,
उन्हें रोटी का मोहताज नहीं होना पड़ेगा।
15 मैं तेरा परमेश्वर यहोवा हूँ,
मैं समुंदर को झकझोरता हूँ, लहरों को उछालता हूँ।+
सेनाओं का परमेश्वर यहोवा, यही मेरा नाम है।+
16 मैं अपना संदेश तेरे मुँह में डालूँगा,
अपने हाथ की छाया में तुझे छिपा लूँगा,+
ताकि आकाश को स्थिर करूँ और पृथ्वी की नींव डालूँ,+
ताकि सिय्योन से कहूँ, ‘तू मेरी प्रजा है।’+
17 जाग यरूशलेम जाग! उठ खड़ी हो!+
तूने यहोवा के हाथ से उसके क्रोध का प्याला पी लिया है,
वह जाम पी लिया है जो लड़खड़ा देता है,
हाँ, तू पूरा-का-पूरा प्याला पी चुकी है।+
18 जितने बेटे उसने पैदा किए, उनमें से किसी ने उसे राह नहीं दिखायी,
जितने बेटों को उसने पाला-पोसा, उनमें से किसी ने उसका हाथ नहीं पकड़ा।
19 तुझ पर दो विपत्तियाँ आ पड़ी हैं:
नाश और बरबादी, भुखमरी और तलवार!+
कौन तुझसे हमदर्दी जताएगा?
कौन तुझे दिलासा देगा?+
यहोवा का क्रोध पूरी तरह उन पर आ पड़ा है,
उन्हें परमेश्वर से ज़बरदस्त फटकार मिली है।”
21 इसलिए हे दुखियारी, सुन!
तू जो नशे में धुत्त है, पर दाख-मदिरा के नशे में नहीं,
22 तेरा प्रभु और परमेश्वर यहोवा, जो अपने लोगों की वकालत करता है, कहता है,
“देख! मैं तेरे हाथ से वह प्याला ले लूँगा, जिसे पीकर तू लड़खड़ा रही थी।+
मेरे क्रोध का वह प्याला, मेरा जाम तू फिर कभी न पीएगी।+
23 मैं उसे तेरे सतानेवालों के हाथ में दे दूँगा,+
जिन्होंने तुझसे कहा, ‘लेट जा कि हम तुझ पर पैर रखकर जाएँ!’
इसलिए तूने अपनी पीठ को ज़मीन बना दिया
कि वे सड़क समझकर उस पर चलें।”