मीका
7 हाय! मैं उस आदमी जैसा हूँ,
जिसे गरमियों के फल इकट्ठा होने के बाद,
अंगूरों की कटाई और उनके बीनने के बाद,
खाने को अंगूर का एक गुच्छा तक नहीं मिलता,
न अंजीर का पहला फल मिलता है, जिसके लिए मैं तरसता हूँ।
सब-के-सब खून करने के लिए घात लगाते हैं।+
हरेक अपने ही भाई का शिकार करने के लिए बड़ा जाल बिछाता है।
3 बुरे काम करने में वे उस्ताद हैं,+
हाकिम माँग-पर-माँग करता है,
न्यायी, न्याय करने की कीमत माँगता है,+
रुतबेदार आदमी खुलकर अपनी इच्छा बताता है,+
ये सब मिलकर जाल बुनते हैं।
4 उनमें जो सबसे अच्छा है, वह काँटों की तरह चुभता है
और जो सबसे सीधा है, वह कँटीले बाड़े से भी नुकीला है।
वह दिन आ रहा है जिसके बारे में तुम्हारे पहरेदारों ने बताया था,
जिस दिन तुमसे हिसाब लिया जाएगा,+
इसलिए तुम पर आतंक छा गया है।+
यहाँ तक कि अपनी बीवी से भी सँभलकर बोलना,
6 क्योंकि बेटा अपने पिता को तुच्छ समझेगा,
बेटी अपनी माँ के खिलाफ हो जाएगी+
और बहू अपनी सास के।+
एक आदमी के दुश्मन उसके अपने ही घराने के लोग होंगे।+
7 लेकिन जहाँ तक मेरी बात है, मैं यहोवा की राह देखूँगा,+
अपने उद्धारकर्ता, अपने परमेश्वर के वक्त का इंतज़ार करूँगा।*+
मेरा परमेश्वर मेरी सुनेगा।+
8 हे मेरी दुश्मन, मेरे हाल पर खुश मत हो।
भले ही मैं गिर गया हूँ, पर मैं खड़ा होऊँगा,
भले ही मैं अंधकार में पड़ा हूँ, मगर यहोवा मेरी रौशनी होगा।
9 मैंने यहोवा के खिलाफ पाप किया है,
मैं उसका क्रोध तब तक सहता रहूँगा,+
जब तक कि वह मेरा मुकदमा नहीं लड़ता और मुझे न्याय नहीं दिलाता।
वह मुझे निकालकर उजाले में लाएगा
और मैं उसकी नेकी देखूँगा।
वह भी यह देखेगी और बहुत शर्मिंदा होगी।
उसे सड़क की मिट्टी की तरह रौंदा जाएगा
और मैं अपनी आँखों से यह होते देखूँगा।
12 उस दिन दूर-दूर से लोग तेरे पास आएँगे,
अश्शूर से और मिस्र के शहरों से आएँगे।
मिस्र से लेकर महानदी* तक,
एक समुंदर से लेकर दूसरे समुंदर तक
और एक पहाड़ से लेकर दूसरे पहाड़ तक के सब लोग आएँगे।+
13 देश अपने निवासियों की वजह से,
उनके कामों की वजह से उजाड़ दिया जाएगा।
14 लाठी लेकर अपने लोगों की चरवाही कर,
हाँ, उस झुंड की जो तेरी जागीर है,+
जो जंगल में फलों के बाग के बीच अकेला रहता था।
उन्हें पहले की तरह बाशान और गिलाद में चरने दे।+
वे अपने मुँह पर हाथ रखेंगे, उनके कान बहरे हो जाएँगे,
18 तेरे जैसा परमेश्वर कौन है,
जो अपनी जागीर के बचे हुए लोगों के गुनाह माफ करता है और उनके अपराध याद नहीं रखता?+
तेरा गुस्सा हमेशा तक नहीं बना रहता,
क्योंकि अटल प्यार से तुझे खुशी मिलती है।+
19 तू हम पर फिर से दया करेगा,+ हमारे गुनाहों को रौंद देगा,
तू हमारे सब पापों को समुंदर की गहराइयों में फेंक देगा।+