2 राष्ट्र क्यों गुस्से से उफन रहे हैं?
देश-देश के लोग क्यों खोखली बात पर फुसफुसा रहे हैं?+
2 धरती के राजा, यहोवा और उसके अभिषिक्त जन+ के खिलाफ खड़े होते हैं,
बड़े-बड़े अधिकारी मिलकर उनका विरोध करते हैं।+
3 वे कहते हैं, “आओ, हम उनकी लगायी ज़ंजीरें तोड़ दें,
उनकी रस्सियाँ काट फेंकें!”
4 स्वर्ग में विराजमान परमेश्वर उन पर हँसेगा,
यहोवा उनका मज़ाक उड़ाएगा।
5 उस वक्त वह उन पर बरस पड़ेगा,
अपनी जलजलाहट से उन्हें घबरा देगा।
6 वह उनसे कहेगा, “अपने पवित्र पहाड़ सिय्योन+ पर
मैंने अपने ठहराए राजा को राजगद्दी पर बिठाया है।”+
7 मैं यहोवा के फरमान का ऐलान करूँगा।
उसने मुझसे कहा है, “तू मेरा बेटा है,+
आज मैं तेरा पिता बना हूँ।+
8 मुझसे माँग, मैं तुझे विरासत में राष्ट्र दूँगा,
पूरी धरती को तेरी जागीर बना दूँगा।+
9 तू लोहे के राजदंड से उन्हें तोड़ देगा,+
मिट्टी के बरतन की तरह चकनाचूर कर देगा।”+
10 इसलिए राजाओ, अंदरूनी समझ से काम लो,
धरती के न्यायियो, शिक्षा कबूल करो।
11 यहोवा का डर मानते हुए उसकी सेवा करो,
उसका गहरा आदर करो और आनंद मनाओ।
12 बेटे का सम्मान करो,+ वरना परमेश्वर का क्रोध भड़क उठेगा
और तुम ज़िंदगी की राह से मिट जाओगे,+
क्योंकि उसका गुस्सा कभी-भी भड़क सकता है।
सुखी हैं वे सब जो परमेश्वर की पनाह लेते हैं।