भजन
कोरह के वंशजों+ की रचना। निर्देशक के लिए हिदायत। मश्कील।*
44 हे परमेश्वर, हमारे कानों ने तेरे बारे में सुना है,
तेरे कामों का ब्यौरा पुरखों की ज़बानी सुना है,+
जो तूने उनके दिनों में किए थे,
हाँ, मुद्दतों पहले किए थे।
तूने जातियों को कुचल दिया, उन्हें खदेड़ दिया।+
यह इसलिए हुआ क्योंकि तूने अपने दाएँ हाथ की शक्ति दिखायी,+
तेरे मुख का प्रकाश उन पर चमका,
तू उनसे खुश था।+
8 दिन-भर हम परमेश्वर की तारीफ करेंगे,
सदा तेरे नाम की तारीफ करेंगे। (सेला )
10 तू हमें दुश्मन को पीठ दिखाकर भागने पर मजबूर करता है,+
हमसे नफरत करनेवाले जो चाहे हमसे लूट लेते हैं।
11 तूने हमें दुश्मनों के हवाले कर दिया कि वे हमें भेड़ों की तरह खा जाएँ,
तूने हमें दूसरे देशों में तितर-बितर कर दिया।+
13 तूने हमें पड़ोसियों के बीच बदनाम होने दिया,
आस-पास के सब लोग हमारा मज़ाक बनाते हैं, हमारी खिल्ली उड़ाते हैं।
15 सारा दिन मुझे बेइज़्ज़त किया जाता है,
अब मुझसे यह अपमान सहा नहीं जाता,
16 क्योंकि दुश्मन मुझसे बदला लेते हैं,
मुझे ताने मारते हैं, बेइज़्ज़त करते हैं।
18 हमारा मन बहककर तुझसे दूर नहीं गया,
न ही हमारे कदम तेरी राह से भटके।
19 मगर तूने हमें वहाँ कुचल दिया जहाँ गीदड़ रहते हैं,
तूने घोर अंधकार से हमें ढक दिया।
20 अगर हम अपने परमेश्वर का नाम भुला दें,
या किसी पराए देवता के सामने हाथ फैलाकर दुआ करें,
21 तो क्या परमेश्वर को इसका पता नहीं चल जाएगा?
वह तो दिल का हर राज़ जानता है।+
22 तेरी खातिर हम दिन-भर मौत का सामना करते हैं,
हमारी हालत उन भेड़ों जैसी है जिन्हें हलाल किया जाएगा।+
23 हे यहोवा, जाग! तू क्यों सो रहा है?+
उठ! हमें सदा के लिए त्याग न दे।+
24 तूने क्यों हमसे मुँह फेर लिया है?
हम जो दुख और अत्याचार सहते हैं, उन्हें तू क्यों भूल गया है?
26 हमारी मदद के लिए जल्दी उठ!+
अपने अटल प्यार के कारण हमें छुड़ा ले।+