यशायाह
65 “जिन्होंने मेरे बारे में नहीं पूछा, उन्हें मैं मिल गया,
जिन्होंने मुझे नहीं ढूँढ़ा, उन्होंने मुझे पा लिया।+
जो राष्ट्र मेरा नाम नहीं पुकारता, उससे मैंने कहा, ‘मैं यहाँ हूँ!’+
3 ये लोग खुलेआम मेरी बेइज़्ज़ती करते हैं,+
बगीचों में बलिदान चढ़ाते हैं,+ ईंटों पर बलि चढ़ाते हैं ताकि धुआँ उठे,
छिपने की जगहों* में रात बिताते हैं,
सूअर का माँस खाते हैं+
ये लोग मेरी नाक में धुएँ की तरह हैं और वे दिन-भर मुझे गुस्सा दिलाते हैं,
जैसे कोई आग दिन-भर जलती रहती है।
6 देखो! यह सब मेरे सामने लिखा गया,
मैं चुप नहीं बैठूँगा,
उनके कामों का बदला उन्हें चुकाऊँगा,+
हाँ, उन्हें पूरा-पूरा बदला दूँगा,
उन्होंने पहाड़ों पर बलिदान चढ़ाए कि उनसे धुआँ उठे,
पहाड़ियों पर मेरा अपमान किया,+
इसलिए सबसे पहले मैं उन्हें उनके कामों का पूरा-पूरा बदला दूँगा।”
यह बात यहोवा ने कही है।
8 यहोवा कहता है,
“अंगूर के गुच्छे से अगर नयी दाख-मदिरा मिल सकती है तो लोग कहते हैं,
‘उसे नष्ट मत करो, उसमें अब भी कुछ अच्छा* बाकी है।’
अपने सेवकों की खातिर भी मैं कुछ ऐसा करूँगा,
मैं उन सबका नाश नहीं करूँगा।+
9 मैं याकूब से एक वंश निकालूँगा
और यहूदा से अपने पहाड़ों के लिए एक वारिस लाऊँगा।+
मेरे चुने हुए लोग मेरे देश को अपने अधिकार में कर लेंगे
और मेरे सेवक वहाँ बसेंगे।+
10 शारोन के मैदान+ भेड़ों के लिए चरागाह बन जाएँगे,
आकोर घाटी+ गाय-बैलों के आराम करने की जगह बन जाएगी,
यह सब मेरे उन लोगों के लिए होगा जो मेरी खोज में रहते हैं।
11 मगर तुम उनमें से हो जिन्होंने यहोवा को छोड़ दिया है,+
तुम मेरे पवित्र पहाड़ को भूल गए,+
तुम सौभाग्य देवता के लिए मेज़ सजाते हो,
भविष्य बतानेवाले देवता के लिए मसालेवाली दाख-मदिरा का प्याला भरते हो।
12 मैं बताता हूँ तुम्हारा भविष्य क्या होगा,
तुम तलवार से मारे जाओगे,+ घात होने के लिए अपना सिर झुकाओगे,+
क्योंकि मैंने तुम्हें बुलाया था मगर तुमने कोई जवाब नहीं दिया,
मैंने तुम्हें समझाया था मगर तुमने मेरी एक न सुनी।+
तुम उन्हीं कामों में लगे रहे जो मेरी नज़र में बुरे थे
और तुमने वही चुना जो मुझे बिलकुल पसंद नहीं।”+
13 इसलिए सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
14 देखो! मेरे सेवक जयजयकार करेंगे क्योंकि उनका दिल खुश होगा,
मगर तुम रोओगे क्योंकि तुम्हारा दिल दुखी होगा,
तुम ज़ोर-ज़ोर से रोओगे क्योंकि तुम्हारा मन निराश होगा।
15 तुम अपने पीछे ऐसा नाम छोड़ जाओगे, जिसे मेरे चुने हुए लोग शाप की तरह इस्तेमाल करेंगे।
सारे जहान का मालिक यहोवा तुममें से हरेक को मौत के घाट उतार देगा,
16 इसलिए धरती पर जो कोई अपने लिए आशीष माँगेगा,
वह सच्चाई के* परमेश्वर से आशीष पाएगा
और धरती पर जो कोई शपथ खाएगा,
पुराने दुख भुला दिए जाएँगे,
वे मेरी आँखों से ओझल हो जाएँगे।+
17 देखो! मैं नए आकाश और नयी पृथ्वी की सृष्टि कर रहा हूँ,+
फिर पुरानी बातें याद न आएँगी,
न ही उनका खयाल कभी तुम्हारे दिल में आएगा।+
18 इसलिए मैं जो रच रहा हूँ, उस पर सदा खुशी मनाओ और मगन हो।
देखो! मैं यरूशलेम को रच रहा हूँ कि वह खुशी का कारण ठहरे
और उसके लोगों को भी कि वे मगन होने का कारण बनें।+
19 मैं यरूशलेम के लिए खुशियाँ मनाऊँगा, अपने लोगों के लिए मगन होऊँगा,+
फिर कभी उस नगरी में न रोने की आवाज़ सुनायी देगी न दर्द-भरी पुकार।”+
20 “वहाँ ऐसा नहीं होगा कि कोई शिशु थोड़े दिन जीकर मर जाए,
बूढ़ा भी अपनी पूरी उम्र जीएगा।
अगर कोई सौ साल की उम्र में मरेगा, तो कहा जाएगा कि वह भरी जवानी में ही मर गया
और एक पापी चाहे सौ साल का भी हो, शाप मिलने पर वह मर जाएगा।*
22 ऐसा नहीं होगा कि वे घर बनाएँ और कोई दूसरा उसमें रहे,
वे बाग लगाएँ और कोई दूसरा उसका फल खाए,
क्योंकि मेरे लोगों की उम्र, पेड़ों के समान होगी,+
मेरे चुने हुए अपनी मेहनत के फल का पूरा-पूरा मज़ा लेंगे।
23 उनकी मेहनत बेकार नहीं जाएगी,+
न उनके बच्चे दुख उठाने के लिए पैदा होंगे,
क्योंकि वे और उनके बच्चे यहोवा का वंश* हैं,
जिन्हें उसने आशीष दी है।+
24 उनके बुलाने से पहले ही मैं उन्हें जवाब दूँगा
और जब वे अपनी बातें बताएँगे, तो मैं उनकी सुनूँगा।
मेरे सारे पवित्र पर्वत पर वे न तो किसी का नुकसान करेंगे, न ही तबाही मचाएँगे।”+ यह बात यहोवा ने कही है।