भजन
चौथी किताब
(भजन 90-106)
सच्चे परमेश्वर के सेवक मूसा+ की प्रार्थना।
90 हे यहोवा, पीढ़ी-पीढ़ी से तू हमारा निवास-स्थान* रहा है।+
2 इससे पहले कि पहाड़ पैदा हुए,
या तू पृथ्वी और उपजाऊ ज़मीन को वजूद में लाया,*+ तू ही परमेश्वर था।
हाँ, तू हमेशा से परमेश्वर रहा है और हमेशा रहेगा।+
5 तू एक ही झटके में उनका सफाया कर देता है,+
उनकी ज़िंदगी नींद के चंद लमहों की तरह बन जाती है,
वे भोर को उगनेवाली हरी घास जैसे होते हैं।+
पर ये साल भी दुख और मुसीबतों से भरे होते हैं,
ये जल्दी बीत जाते हैं और हम गायब हो जाते हैं।+
11 तेरी जलजलाहट की इंतिहा कौन जान सकता है?
तेरा क्रोध भयानक है, इसलिए हम तेरा बहुत डर मानते हैं।+
13 हे यहोवा, हमारे पास लौट आ!+
ऐसा कब तक चलेगा?+
अपने सेवकों पर तरस खा।+
14 भोर को अपने अटल प्यार से हमें संतुष्ट कर+
ताकि हम ज़िंदगी के सारे दिन मगन रहें और खुशी से जयजयकार करें।+
17 हमारे परमेश्वर यहोवा की कृपा हम पर बनी रहे।
तू हमारे हाथों की मेहनत सफल करे।*