4 हे मेरे बेटे, अपने पिता की शिक्षा पर कान लगा,+
उस पर ध्यान दे कि तुझे समझ मिले।
2 मैं तुझे बढ़िया बातें सिखाऊँगा,
मेरी सिखायी बातों को मत छोड़ना।+
3 मैं अपने पिता का आज्ञाकारी बेटा था,+
अपनी माँ का दुलारा था।+
4 मेरे पिता ने यह कहकर मुझे सिखाया,
“मेरी बातों को अपने दिल में थामे रख,+
मेरी आज्ञाओं को मान, तब तू लंबी उम्र जीएगा।+
5 बुद्धि हासिल कर, समझ हासिल कर,+
मेरी बातों को भूल न जाना, उनसे मुँह मत फेरना।
6 बुद्धि को मत छोड़ना, वह तेरी हिफाज़त करेगी,
उससे प्यार करना, वह तेरी रक्षा करेगी।
7 बुद्धि हासिल कर क्योंकि यह सबसे ज़रूरी है,+
तू जो कुछ हासिल करे, उसके साथ समझ भी हासिल करना।+
8 बुद्धि को अनमोल जान, वह तुझे ऊँचा उठाएगी,+
उसे गले लगा, वह तेरा मान बढ़ाएगी।+
9 वह तेरे सिर पर फूलों का ताज सजाएगी,
खूबसूरत ताज पहनाकर तेरी शोभा बढ़ाएगी।”
10 हे मेरे बेटे, मेरी बातें सुन और उन्हें मान,
तब तू बहुत साल जीएगा।+
11 मैं तुझे बुद्धि की राह पर चलना सिखाऊँगा,+
सीधाई की डगर पर ले चलूँगा।+
12 जब तू चलेगा तो कोई बाधा तुझे नहीं रोकेगी,
जब तू दौड़ेगा तो तू ठोकर खाकर नहीं गिरेगा।
13 तुझे जो शिक्षा मिले उसे पकड़े रहना, जाने मत देना,+
उसी पर तेरी ज़िंदगी टिकी है, उसे सँभालकर रखना।+
14 दुष्टों की राह मत पकड़ना,
बुरे लोगों के रास्ते पर न जाना।+
15 उससे दूर रहना, उस तरफ मत जाना,+
अपना मुँह फेर लेना और आगे बढ़ जाना।+
16 क्योंकि दुष्ट को बुराई करे बिना नींद नहीं आती,
जब तक वे किसी को बरबाद न कर दें, वे चैन से नहीं सोते।
17 वे दुष्टता की रोटी खाते हैं,
हिंसा से मिली दाख-मदिरा पीते हैं।
18 मगर नेक जनों की राह सुबह की रौशनी जैसी है,
जिसका तेज, दिन चढ़ने के साथ-साथ बढ़ता जाता है।+
19 दुष्टों की राह में अँधेरा-ही-अँधेरा है,
वे नहीं जानते कि उन्हें किससे ठोकर लगती है।
20 हे मेरे बेटे, मेरी बातों पर ध्यान दे,
इन पर कान लगा।
21 इन्हें अपनी आँखों से ओझल मत होने दे,
इन्हें अपने दिल में संजोए रख।+
22 जो इन्हें ढूँढ़ लेता है उसे ज़िंदगी मिल जाती है+
और उसका पूरा शरीर भला-चंगा रहता है।
23 सब चीज़ों से बढ़कर अपने दिल की हिफाज़त कर,+
क्योंकि जीवन के सोते इसी से निकलते हैं।
24 अपने मुँह से टेढ़ी-मेढ़ी बातें न निकाल,+
अपनी ज़बान पर छल-कपट की बातें न ला।
25 अपनी आँखें सामने की ओर लगाए रख,
हाँ, अपनी नज़रें आगे की तरफ टिकाए रख।+
26 अपनी राहों को समतल कर,+
तब तेरी सब राहें कामयाब होंगी।
27 तू न दाएँ मुड़ना न बाएँ,+
बुराई के रास्ते पर कदम रखने से दूर रहना।