यशायाह
मेरे पैदा होने से पहले* ही यहोवा ने मुझे बुलाया,+
जब मैं अपनी माँ के पेट में ही था, उसने मेरा नाम बताया।
मुझे चमचमाता तीर बनाया
और अपने तरकश में महफूज़ रखा।
4 लेकिन मैंने कहा, “मेरी मेहनत का कोई फायदा नहीं हुआ,
मैंने बेकार ही अपनी ताकत लगायी।
5 और अब यहोवा ने, जिसने मुझे गर्भ से ही अपना सेवक होने के लिए रचा,
मुझे यह आदेश दिया है कि मैं याकूब को वापस उसके पास लाऊँ
ताकि इसराएल उसके सामने इकट्ठा हो सके।+
मैं यहोवा की नज़रों में ऊँचा किया जाऊँगा,
मेरा परमेश्वर मेरी ताकत बनेगा।
6 उसने कहा, “मैंने तुझे सिर्फ याकूब के गोत्रों को बहाल करने,
इसराएल के बचे हुओं को वापस लाने के लिए अपना सेवक नहीं ठहराया,
बल्कि राष्ट्रों के लिए रौशनी भी ठहराया है+
कि उद्धार का मेरा संदेश पृथ्वी के छोर तक फैल सके।”+
7 लोग जिससे घिन करते हैं,+ राष्ट्र जिससे नफरत करते हैं और जो शासकों का सेवक है, उससे इसराएल का छुड़ानेवाला और उसका पवित्र परमेश्वर यहोवा+ कहता है,
“राजा तुझे देखकर उठ खड़े होंगे
और हाकिम तेरे आगे झुकेंगे,
वे यहोवा के कारण ऐसा करेंगे जो विश्वासयोग्य परमेश्वर है,+
इसराएल के पवित्र परमेश्वर के कारण ऐसा करेंगे, जिसने तुझे चुना है।”+
8 यहोवा कहता है,
मैं तेरी हिफाज़त करता रहा कि तू मेरे और लोगों के बीच करार ठहरे,+
देश को दोबारा बसाए,
मेरे लोगों को उनकी विरासत की ज़मीन वापस दिलाए, जो उजाड़ पड़ी है,+
और अंधकार में पड़े लोगों+ से कहे, ‘उजाले में आओ!’
मार्ग के किनारे वे खाएँगे,
आने-जानेवाले रास्तों* के किनारे उनके चरागाह होंगे।
13 हे आकाश, जयजयकार कर! हे पृथ्वी, मगन हो!+
हे पहाड़ो, खुशी से चिल्लाओ,+
क्योंकि यहोवा ने अपने लोगों को दिलासा दिया है,+
अपने दुखी लोगों पर उसने दया की है।+
14 मगर सिय्योन बार-बार कहती है,
“यहोवा ने मुझे छोड़ दिया है,+ यहोवा मुझे भूल गया है।”+
15 क्या ऐसा हो सकता है कि एक माँ अपने दूध-पीते बच्चे को भूल जाए?
अपने बच्चे पर तरस न खाए जो उसकी कोख से पैदा हुआ?
अगर वह भूल भी जाए, तो भी मैं तुझे कभी नहीं भूलूँगा।+
16 देख! मैंने अपनी हथेली पर तेरा नाम खुदवाया है,
तेरी शहरपनाह हर पल मेरे सामने है।
17 तेरे बेटे फुर्ती से लौट रहे हैं।
जिन लोगों ने तुझे ढा दिया था, तबाह कर दिया था वे तेरे यहाँ से चले जाएँगे।
यहोवा ऐलान करता है, “मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूँ,
तू उन सबको गहने की तरह पहन लेगी,
दुल्हन की तरह उनसे अपना सिंगार करेगी।
19 तेरी जो जगह उजाड़ और सुनसान पड़ी थीं, तेरा जो देश खंडहर पड़ा था,+
अब वहाँ रहनेवालों के लिए जगह कम पड़ जाएगी।+
20 तेरे बच्चों के मरने के बाद जो बेटे पैदा हुए, वे तेरे सामने कहेंगे,
‘यह जगह हमारे लिए कम पड़ रही है,
हमारे लिए और जगह बनाओ।’+
21 तू अपने मन में कहेगी,
‘ये किसके बच्चे हैं जो मुझे दिए गए हैं?
मैं तो बेऔलाद और बाँझ थी,
मुझे कैदी बनाकर बँधुआई में ले गए थे।
किसने इन्हें पाला?+
22 सारे जहान का मालिक यहोवा कहता है,
“देख, मैं अपने हाथ से राष्ट्रों को इशारा करूँगा,
अपना झंडा खड़ा करूँगा कि देश-देश के लोग उसे देख सकें।+
तब वे तेरे बेटों को गोद में उठाकर लाएँगे,
तेरी बेटियों को कंधों पर बिठाकर लाएँगे।+
तब तू जान लेगी कि मैं यहोवा हूँ,
जो मुझ पर आस लगाते हैं वे कभी शर्मिंदा नहीं होंगे।”+
24 क्या शूरवीर के हाथ से उसके कैदी छीने जा सकते हैं?
क्या तानाशाह के कब्ज़े में पड़े बंदी छुड़ाए जा सकते हैं?
25 मगर यहोवा कहता है,
जो तेरे खिलाफ उठते हैं, मैं उनके खिलाफ उठूँगा+
और तेरे बेटों को बचा लूँगा।
26 जो तेरे साथ बदसलूकी करते हैं मैं उन्हें उन्हीं का माँस खिलाऊँगा,
मीठी दाख-मदिरा की तरह वे अपना ही खून पीकर धुत्त हो जाएँगे।